UP Crime : तेज रफ्तार से दौड़ते आज के जमाने में पतिपत्नी के रिश्ते को सात जन्मों का बंधन कहना या बताना बेमानी है. अब तो एक जन्म ही ईमानदारी से गुजर जाए, बड़ी बात है. ऐसे में अगर किसी तीसरे की घुसपैठ हो जाए तो…
घर वालों को लवकुश की तलाश करते हुए 5 दिन हो गए थे, लेकिन उस का कोई पता नहीं चल रहा था. आखिर थकहार कर 9 अगस्त, 2020 को उस के छोटे भाई रामू शर्मा ने पचोखरा थाने जा कर लवकुश के लापता होने की जानकारी दी. इस पर पुलिस ने उस का मोबाइल नंबर ले कर सर्विलांस पर लगवा दिया. जिला फिरोजाबाद के थाना पचोखरा क्षेत्र के गांव नगला गंगाराम का रहने वाला 26 वर्षीय लवकुश शर्मा 5 अगस्त, 2020 को घर से बिना बताए चला गया था. वह देर रात तक घर नहीं लौटा तो घर वाले परेशान हो गए. उस का मोबाइल फोन भी बंद था. इस से घर वालों की चिंता और भी बढ़ गई.
कुछ परिचितों को साथ ले कर घर वालों ने रात में ही लवकुश की तलाश शुरू कर दी. वे लोग उसे काफी रात तक खोजते रहे, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला. दूसरे दिन से लवकुश के घर वालों ने उस की तलाश के लिए भागदौड़ कर रिश्तेदारियों में भी पता किया लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला. 12 अगस्त को रामू शर्मा फिर थाने गया और भाई के बारे में जानकारी हासिल की. इस पर पुलिस ने तहरीर देने को कहा. तब रामू ने कुलदीप की गुमशुदी दर्ज करा दी. पुलिस ने रामू से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. रामू ने बताया, ‘‘लवकुश 5 अगस्त की शाम को घर वालों को बिना बताए कहीं गया था. लेकिन आज 8 दिन बाद भी उस का कोई पता नहीं चल रहा है. उस का मोबाइल भी बंद है. हम ने उसे हर जगह तलाशा लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला.’’
पुलिस लवकुश की तलाश में जुट गई. जांच कर रही पचोखरा थाने की पुलिस को जानकारी मिली कि लवकुश के गांव के ही रहने वाले उस के दोस्त कुलदीप की पत्नी मधुरिमा (परिवर्तित नाम) से प्रेमिल रिश्ते थे. कुलदीप उस का दूर के रिश्ते का भाई था. पत्नी से लवकुश के प्रेमिल रिश्ते से परेशान हो कर कुलदीप ने काफी दिनों पहले गांव छोड़ दिया था. वह अपने परिवार के साथ आगरा के खंदौली क्षेत्र स्थित मुड़ी चौराहे के पास किराए के मकान में रह रहा था. उस की ससुराल भी वहां से कुछ ही दूर थी. पुलिस ने लवकुश का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर पहले ही लगा दिया था. उस के मोबाइल की अंतिम लोकेशन खंदौली क्षेत्र की ही मिली थी.
13 अगस्त, 2020 को सीओ देवेंद्र सिंह के निर्देश पर पचोखरा थाने के थानाप्रभारी संजय सिंह पुलिस टीम के साथ खंदौली के मुड़ी चौराहे पहुंच गए और कुलदीप को उठा लिया. पुलिस ने उस से लवकुश के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि लवकुश उस का दोस्त है. काफी दिन से कोरोना के कारण हम लोग मिले नहीं थे. मेरा उस से मिलने का मन था तो 5 अगस्त को मैं ने उसे फोन कर मिलने के लिए खंदौली बुलाया था. उस दिन अधिक रात होने के कारण वह मेरे घर पर ही रुक गया था. दूसरे दिन सुबह लगभग 9 बजे वह अपने घर वापस चला गया था. उस के बाद वह कहां गया, उसे नहीं पता. कुलदीप समझ रहा था कि पुलिस उस की बताई कहानी को सच मान लेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
थानाप्रभारी संजय सिंह ने कहा, ‘‘देखो कुलदीप, तुम पुलिस को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हो. मैं तुम से आखिरी बार पूछता हूं कि लवकुश कहां है?’’
थानाप्रभारी तमतमा गए. उन्होंने आगे कहा, ‘‘लवकुश के मोबाइल पर तुम्हारी पत्नी ने फोन किया था. उस के खंदौली आने के बाद उस का मोबाइल बंद कैसे हो गया? अगर वह कहीं चला गया था तो अपना मोबाइल तो चालू रख सकता था.’’
पुलिस ने तेवर दिखाए तो कुलदीप टूट गया. उस ने स्वीकार कर लिया कि लवकुश अब इस दुनिया में नहीं है. उस ने अपने साले भोला के साथ मिल कर उस की हत्या कर दी है.
‘‘उस की लाश कहां है?’’ थानाप्रभारी के पूछने पर उस ने बताया, ‘‘सर, उस की हत्या करने के बाद हम ने उस की लाश तिरपाल में लपेट कर यहां से डेढ़ किलोमीटर दूर गांव नगला हरसुख के पास स्थित एक सूखे कुएं में डाल दी थी और उस का मोबाइल फोन बंद कर के रास्ते में फेंक दिया था.’’
पुलिस कुलदीप को ले कर उस कुएं के पास पहुंची, जिस में उस ने लाश डालने की बता कही थी. थानाप्रभारी ने कुएं में झांका तो वास्तव में कुएं में तिरपाल में लिपटी लाश पड़ी थी. पुलिस ने फोन कर के लवकुश के घर वालों को भी बुला लिया. पुलिस ने लवकुश की लाश निकलवाने के लिए रस्से आदि का प्रबंध किया. तब तक कुएं में लाश पड़ी होने की खबर पूरे इलाके में फैल गई थी. वहां पर लोगों का हुजूम जुट गया. सूखे कुएं में एक आदमी को उतारा गया. उस ने तिरपाल के दोनों सिरों को 2 रस्सों से बांध दिया. इस के बाद लोगों ने खींच कर शव को बाहर निकाल लिया. तिरपाल को खोला गया तो उस में लवकुश की लाश निकली. एक हफ्ते तक तिरपाल में बंद रहने से लाश फूल गई थी, जिस से चेहरा पहचानने में नहीं आ रहा था. मृतक के बड़े भाइयों मनोज और अतुल ने कपड़ों से मृतक की शिनाख्त अपने भाई लवकुश के रूप में कर ली.
पुलिस ने जरूरी काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव घर वालों को सौंप दिया. लाश की पक्की शिनाख्त के लिए डीएनए टेस्ट हेतु सैंपल ले लिया गया था.उधर पुलिस की दूसरी टीम कुलदीप के साले भोला को मुड़ी चौराहे के पास स्थित उस के घर से गिरफ्तार कर चुकी थी. चूंकि हत्या का खुलासा हो चुका था और दोनों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए थे, इसलिए एसएसपी सचिंद्र पटेल ने पुलिस लाइन सभागार में प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित की और केस का खुलासा कर हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी. पुलिस पूछताछ में कुलदीप और उस के साले भोला ने हत्या की जो दास्तान बताई, वह इस प्रकार थी—
थाना पचोखरा क्षेत्र के गांव नगला गंगाराम निवासी रामप्रकाश शर्मा के 4 बेटे व एक बेटी थी. रामप्रकाश के पास खेती की जमीन थी. साल 2007 में उन का निधन हो गया था. 2 बेटों मनोज व अतुल की शादी हो चुकी थी, जबकि तीसरा 26 वर्षीय लवकुश व उस से छोटा रामू अविवाहित थे. छोटी बहन अभी पढ़ रही थी. लवकुश को क्रिकेट खेलने का शौक था, इसलिए उस का पढ़ाई में मन नहीं लगा. वह 8वीं जमात से आगे नहीं पढ़ सका. वह खेतीकिसानी के काम में भाइयों की मदद करने लगा. लवकुश की दूर के रिश्ते की बुआ सरोज देवी का बेटा 28 वर्षीय कुलदीप भारद्वाज कई साल पहले अपनी पत्नी मधुरिमा व 2 बच्चों के साथ लवकुश के पड़ोस में किराए के मकान में रहा था. उस का परिवार हर तरह से सुखी था. हमउम्र व रिश्तेदार होने के कारण कुलदीप के साथ लवकुश की गहरी दोस्ती हो गई थी. टाइम पास करने के लिए वह अकसर अपने दोस्त कुलदीप के घर चला जाता था.
कुलदीप वैल्डिंग का काम करता था. कुलदीप की पत्नी मधुरिमा लवकुश की रिश्ते में भाभी लगती थी. लवकुश जहां बांका जवान था, वहीं मधुरिमा सुंदर व चंचल थी. लवकुश भाभी से हंसीमजाक करता रहता था. धीरेधीरे देवरभाभी एकदूसरे के आकर्षण में बंध गए और एकदूसरे को चाहने लगे. एक शादीशुदा औरत के इश्क में लवकुश ऐसा डूबा कि पूरी तरह उसी का हो कर रह गया. उस का हाल ऐसा हो गया कि कुलदीप के काम पर जाते ही वह मधुरिमा से मिलने पहुंच जाता. दो जवां दिल एक लय में धड़के तो जल्दी ही दोनों एकदूसरे को पूरी तरह समर्पित हो गए.
कुलदीप को इस की भनक लगी तो उस ने मधुरिमा को समझाया, ‘‘मैं ने सुना है, मेरी गैरमौजूदगी में लवकुश सारे दिन घर में पड़ा रहता है.’’
‘‘हां, कभीकभी किसी काम से आ जाता है, बच्चों से मिलने के लिए.’’ मधुरिमा ने पति से झूठ बोल दिया.
‘‘तुम्हें पता है, मोहल्ले वाले तुम दोनों को ले कर किस तरह की बातें करने लगे हैं?’’
‘‘लवकुश तुम्हारा भाई है, वह मुझ से भाभी के रिश्ते से हंसबोल लेता है तो इस में क्या बुरी बात है. पड़ोसियों का क्या है, वे किसी को खुश कहां देख सकते हैं, इसी के चलते वे मनगढ़ंत किस्से तुम्हें सुनाते हैं. तुम भी उन पर आंख मूंद कर यकीन कर लेते हो.’’
इस पर कुलदीप शांत हो गया. इस के बाद भी जब दोनों ने मिलनाजुलना बंद नहीं किया, तो कुलदीप परेशान हो गया. उस ने इस की शिकायत लवकुश के घर वालों से की. उस ने धमकी दी कि यदि लवकुश ने उस के घर आनाजाना बंद नहीं किया तो इस के गंभीर परिणाम होंगे. मामला बढ़ने पर पंचायत हुई और इस के बाद लवकुश सोनीपत चला गया. वहां वह एक प्रिंटिंग प्रैस में काम करने लगा. घटना से 2 साल पहले लवकुश सोनीपत से अपने गांव वापस आ गया. आते ही वह कुलदीप से बड़ी आत्मीयता से मिला. कुलदीप ने भी सोचा कि लवकुश पुरानी बातों को भूल चुका होगा. कुछ दिन सब ठीक रहा. लेकिन 2 साल बाद पुराने प्रेमीप्रेमिका जब रूबरू हुए तो उन की कामनाएं जाग उठीं और वह बिना मिले नहीं रह सके.
सोनीपत में रह कर भी लवकुश और मधुरिमा मोबाइल पर बातचीत करते रहते थे. दोनों एकदूसरे से फिर से मोबाइल पर बातचीत करने लगे. मौका मिलते ही दोनों मुलाकात भी कर लेते. लेकिन उन का यह खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका. उन के फिर से मिलने की बात कुलदीप को पता चल गई. कुलदीप पत्नी को समझा चुका था. लेकिन वह मान नहीं रही थी, लिहाजा उस ने निर्णय लिया कि अब वह यहां नहीं रहेगा. कुछ दिन बाद ही वह बिना किसी को बताए पत्नी व बच्चों को ले कर गांव से चला गया. लवकुश को भी जानकारी नहीं मिली कि उस की प्रेमिका अब कहां है. क्योंकि उस का फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. लवकुश मधुरिमा के चले जाने से उदास रहने लगा.
सावन का सुहाना मौसम भी उसे अच्छा नहीं लग रहा था. उस का दिन काटे से नहीं कटता था. बारिश का मौसम होने से वह दोस्तों के साथ क्रिकेट भी नहीं खेल पा रहा था. एक दिन उस की खुशियों को जैसे पंख लग गए. दोपहर के समय उस के मोबाइल पर मधुरिमा का फोन आया.
‘‘कैसे हो माई लव?’’
‘‘इतने दिनों बाद पूछ रही हो मेरा हाल. एकएक पल तुम्हारे बिना सालों की तरह गुजर रहा है. तुम बिना बताए चली गईं. अब कहां हो? तुम्हारा नंबर भी नहीं मिल रहा.’’
मधुरिमा ने लवकुश को तसल्ली देते हुए कहा, ‘‘इतना बेकरार क्यों हो रहे हो. हम लोग दिल्ली आ गए हैं. ये काम पर गए हुए हैं. मौका मिलते ही तुम्हें फोन लगाया है. फोन इसलिए नहीं मिल रहा होगा क्योंकि कुलदीप ने मेरा नंबर बदल दिया है.’’
उस ने लवकुश को अपना पता बता दिया. बिना पानी के जैसे मछली तड़पती है, वैसे ही तड़परहे लवकुश की मधुरिमा से बात हुई तो सुकून मिला. कुछ दिन बाद लवकुश अपनी प्रेमिका से मिलने दिल्ली जा पहुंचा. कुलदीप को पता चल गया कि लवकुश दिल्ली में भी मधुरिमा से मिलने आने लगा है. उस ने पत्नी को लवकुश से न मिलने की हिदायत दी. इसी बीच कुलदीप का एक व्यक्ति से झगड़ा हो गया. ऐसे में दिल्ली में वह अकेला पड़ गया. मजबूर और परेशान हो कर 2 महीने बाद ही कुलदीप पत्नी और दोनों बच्चों को ले कर टूंडला आ गया और वहीं कामधंधा करने लगा. उस ने पत्नी को हिदायत दी कि अगर अब उस ने लवकुश से मोबाइल पर बात की या उसे अपना पताठिकाना बताया तो ठीक नहीं होगा.
पति के तेवर देख कर मधुरिमा डर गई. लेकिन कहते हैं प्यार अंधा होता है. मधुरिमा भी लवकुश को दिलोजान से चाहती थी. इतने दिन साथ रही थी, लेकिन अब उस की कमी उसे अखरने लगी थी. इस बीच वह तीसरे बच्चे की मां भी बन गई थी. इस के बावजूद प्रेमी लवकुश को वह चाह कर भी नहीं भुला पा रही थी. दिल्ली से आने के कुछ महीने बाद उस ने फोन कर लवकुश को बताया कि वह दिल्ली से अब टूंडला आ गई है. लवकुश वहां भी पहुंच गया. मधुरिमा प्रेमी को उस समय घर बुलाती जब उस का पति काम पर गया होता था. एक दिन कुलदीप ने लवकुश को घर के पास देख लिया. घर आ कर उस ने पत्नी से लवकुश के आने की बात पूछी, पर मधुरिमा ने स्पष्ट मना कर दिया. लवकुश को टूंडला में देख कर कुलदीप का माथा ठनका.
उस ने सोचा कि आखिर लवकुश को यह कैसे पता चल जाता है कि वह किस जगह रह रहा है. वह समझ गया कि उस की पत्नी ही लवकुश को फोन कर जानकारी दे देती है. उस ने कई बार पत्नी का मोबाइल भी चैक किया लेकिन उस का शक निराधार निकला. मधुरिमा अत्यधिक चालाक थी वह दूसरे सिम से बात कर प्रेमी लवकुश को अपना पता बता देती थी. तब लवकुश उस जगह पहुंच जाता था. दोनों मौका देख कर घर के बाहर मिल लेते थे. कुलदीप पत्नी के प्रेमी से अपने घर को बचाने के लिए लगातार घर बदलता रहा. जब इस बात का पता चला कि लवकुश अब भी उस का पीछा नहीं छोड़ रहा है तो वह टूंडला से आगरा आ गया और खंदौली क्षेत्र के मुंडी चौराहा पर पत्नी व बच्चों के साथ अपने साले भोला के चाचा गोविंद के यहां किराए पर रहने लगा. मुंडी चौराहे पर ही भोला रहता था. कुलदीप वहीं काम करने लगा.
उस ने सोचा कि अब उसे ससुरालवालों का सहारा मिलेगा तो लवकुश यहां आने की हिम्मत नहीं करेगा. लेकिन लवकुश और उस की प्रेमिका मधुरिमा पर तो प्यार का भूत सवार था. वे किसी भी कीमत पर एकदूसरे से दूर नहीं रह पाते थे. इस के चलते लवकुश खंदौली मुंडी चौराहा स्थित उस के घर भी चोरीछिपे आनेजाने लगा. सीधेसादे पति कुलदीप को इस बात का पता चल गया. पत्नी से लवकुश के संबंधों का कुलदीप पुरजोर विरोध करता था. अपने रिश्ते में आए ‘वो’ से अपने घर को बचाने के लिए गांव नगला गंगानगर से दिल्ली, वहां से टूंडला और फिर टूंडला से खंदौली. भागतेभागते कुलदीप थक गया. वह समझ गया कि इस सब के पीछे उस की पत्नी का ही हाथ है. क्योंकि वह चाहती तो लवकुश को उस के घर का पता नहीं चलता.
अब कुलदीप का काम पर जाने का मन नहीं होता था. उस के मन में डर बना रहता था कि उस के घर से बाहर जाते ही मधुरिमा अपने प्रेमी को फोन कर बुला लेगी. कुलदीप बदनामी के डर से पुलिस में लवकुश की शिकायत नहीं करना चाहता था. वह चाहता था कि बस किसी तरह लवकुश से उस की पत्नी का पीछा छूट जाए. सभी उपाय नाकाम साबित होने के बाद आखिर उस ने लवकुश से छुटकारा पाने का निर्णय कर लिया. उस ने अपने साले भोला को पूरी बात बताई. भोला उस का साथ देने को तैयार हो गया. योजनानुसार कुलदीप ने पत्नी से 5 अगस्त को लवकुश को फोन करा कर मिलने के लिए खंदौली बुला लिया. वह मधुरिमा से मिलने उस के घर पहुंच गया. लवकुश मधुरिमा से बात कर ही रहा था कि घर में छिपे बैठे कुलदीप ने पीछे से लवकुश के सिर पर जोर से डंडा मारा.
डंडे का वार इतना घातक और सटीक था कि लवकुश नीचे गिर गया. उस के फर्श पर गिरते ही कुलदीप और भोला उस पर पागलों की तरह लगातार वार करते रहे. फलस्वरूप कुछ ही देर में उस की मृत्यु हो गई. लवकुश के मरने पर कुलदीप, भोला और मधुरिमा घबरा गए. उस की हत्या में वे लोग फंस न जाएं, इसलिए कुलदीप ने उस की जेब से मोबाइल निकाल कर स्विच्ड औफ कर दिया. फिर कुलदीप और भोला ने एक तिरपाल में उस की लाश लपेट दी. इस बीच अंधेरा हो गया था. दोनों ने लाश को मोटरसाइकिल पर रखा और वहां से कोई डेढ़ किलोमीटर दूर सूखे कुएं में डाल आए. उस का मोबाइल फोन उन्होंने रास्ते में ही फेंक दिया.
थानाप्रभारी संजय सिंह ने अभियुक्तों की निशानदेही पर लवकुश की हत्या में प्रयुक्त डंडा और लाश ठिकाने लगाने के लिए इस्तेमाल हुई मोटरसाइकिल बरामद कर ली. आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. लवकुश की हत्या में मधुरिमा की संलिप्तता न पाए जाने पर पुलिस ने उसे पूछताछ के बाद छोड़ दिया था.
—कथा परिजनों व पुलिस सूत्रों पर आधारित