Chhattisgarh Crime News :पति की मौत हो जाने के बाद चंदना ने अपनी एकलौती बेटी रिया के नाम 7 लाख रुपए बैंक में जमा करा दिए थे ताकि वह उस की शादी में काम आ सकें. लेकिन बेटी रिया अपने स्कूल में पढ़ने वाले देवदीप गुप्ता के साथ प्यार की पींग बढ़ा रही थी. उसी प्रेमी की खातिर रिया ने मौसेरी बहन आयशा के साथ मां की ममता का ऐसा गला घोंटा कि…

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के थाना सकरी इलाके में स्थित है उसलापुर गुप्ता कालोनी. इसी कालोनी में पथरिया चुनचुनिया की पंचायत सचिव चंदना डडसेना अपनी 17 वर्षीया एकलौती बेटी रिया डडसेना के साथ रहती थी. इस कालोनी में उन्होंने 2 माह पहले ही किराए पर कमरा लिया था. इस से पहले वह परिवार सहित पथरिया में स्थित अपनी ससुराल में रह रही थीं. उन की ससुराल में सास के अलावा कोई नहीं था. ससुर की मृत्यु हो चुकी थी. पति विजय डडसेना की बदमाशों ने जेल में हत्या कर दी थी. पति और ससुर की मौत के बाद चंदना ने अपनी सास को अपने साथ रखा, बिलकुल मां की तरह क्योंकि उन के अलावा सास की देखभाल करने वाला कोई नहीं था.

बहरहाल, उस दिन तारीख थी 22 अगस्त, 2020. रिया मां चंदना से कह कर अपनी मौसेरी बहन आसना जायसवाल और दोस्त देवदीप गुप्ता के साथ कोटा (राजस्थान) टूर पर गई. घर पर चंदना डडसेना अकेली थीं. इन की सास बीते कई दिनों से पथरिया में रह रही थीं. रिया ने 24 अगस्त, 2020 की रात 10 बजे के करीब मां को फोन कर हालचाल पूछना चाहा, लेकिन उन का फोन बंद आ रहा था. उस ने जितनी बार फोन मिलाया, हर बार फोन स्विच्ड औफ आया. इस से रिया थोड़ी परेशान हो गई कि मां का फोन बंद क्यों आ रहा है? वह कभी अपना फोन बंद नहीं रखती थीं.

दरअसल, रिया मां को फोन कर के यह बताना चाहती थी कि वह कोटा से वापस लौट आई है और इस समय नानी के यहां रुकी हुई है, सुबह घर लौट आएगी. पर मां से बात न होने पर वह बुरी तरह परेशान हो गई. रात काफी हो गई थी. रिया समझ नहीं पा रही थी कि इस समय किस के पास फोन कर के मां के बारे में पता लगाए. जब कुछ समझ में नहीं आया तो वह सो गई. उस ने नानी से भी कुछ नहीं बताया. अगली सुबह रिया ने अपने पड़ोसी अंकल इंजीनियर रामेश्वर सूर्यवंशी को फोन कर के कहा, ‘‘अंकल, रात से मां का फोन बंद आ रहा है. मुझे बहुत डर लग रहा है कहीं उन के साथ कोई अनहोनी तो हो नहीं हुई है. अंकल प्लीज, घर जा कर मां को देख लो. हो सके तो मां से मेरी बात करा दीजिए प्लीज.’’

रिया के आग्रह पर पड़ोसी रामेश्वर सूर्यवंशी ने हां कर दी. उन्होंने यह भी कहा कि घर पहुंच कर तुम्हारी मां से मैं बात करा दूंगा. उन के आश्वासन के बाद रिया ने फोन काट दिया. एक घंटे बाद रामेश्वर अपनी पत्नी के साथ चंदना डडसेना के घर पहुंचे. उन के घर का मुख्यद्वार अंदर की ओर खुला हुआ था. वहीं से उन्होंने ‘भाभीजी… भाभीजी’ कह कर चंदना को पुकारा और खड़े हो गए. आवाज लगाने के बाद जब अंदर से कोई हलचल नहीं हुई तो ‘भाभीजी… भाभीजी’ आवाज देते हुए पतिपत्नी अंदर घुस गए. अंदर गहरा सन्नाटा पसरा था. इधरउधर देखते हुए वह चंदना के बैडरूम में पहुंचे.

दरवाजे के ऊपर बाहर से सिटकनी चढ़ी हुई थी. रामेश्वर सूर्यवंशी ने सिटकनी खोली और दरवाजे से ही अंदर की ओर झांक कर कमरे का निरीक्षण किया. जैसे ही उन की नजर बैड के पास नीचे फर्श पर गई, पतिपत्नी दोनों के होश फाख्ता हो गए. वहां से दोनों उलटे पांव बाहर की ओर भागे. दरअसल फर्श पर चंदना डडसेना की लाश पड़ी थी. उन के गले में दुपट्टा लिपटा था. दोनों पैर एक रंगीन चादर से बंधे हुए थे. लाश के पास ही उन का फोन पड़ा था. बाहर आ कर पतिपत्नी दोनों ने थोड़ी राहत की सांस ली. जब रामेश्वर सूर्यवंशी सामान्य हुए तो उन्होंने रिया को फोन कर के घटना की सूचना दी और जल्द से जल्द घर पहुंचने के लिए कहा. फिर उन्होंने 100 नंबर पर डायल कर घटना की सूचना पुलिस कंट्रोलरूम को दे दी.

घटनास्थल (उसलापुर गुप्ता कालोनी) सकरी थाना क्षेत्र में पड़ता था. सकरी थाना प्रभारी रविंद्र यादव सूचना मिलते ही पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. थोड़ी देर बाद सीएसपी आर.एन. यादव भी आ गए. इधर मां की मौत की जानकारी मिलते ही रिया भी मौसेरी बहन आयशा जायसवाल के साथ घर पहुंच गई. उस का रोरो कर बुरा हाल था. रिया को रोते हुए देख कर आयशा भी खुद को नहीं संभाल पाई. उस ने भी रोरो कर अपनी आंखें सुजा लीं. चंदना कोई साधारण महिला नहीं थीं. वह चुनचुनिया की पंचायत सचिव थीं. अपने अच्छे व्यवहार से उन्होंने लोगों के बीच अच्छी पकड़ बना रखी थी. थोड़ी ही देर में चंदना की हत्या की खबर पूरी कालोनी में फैल गई थी. जिस ने भी उन की हत्या की खबर सुनी, दौड़ेभागे उन के आवास पहुंच गए.

मौके से पुलिस को मृतका के मोबाइल के अलावा कुछ नहीं मिला. वह भी स्विच्ड औफ था. घर की अलमारी खुली हुई थी. अलमारी के अंदर सामान तितरबितर था. देखने से ऐसा नहीं लग रहा था कि हत्या लूट की वजह से हुई हो. अगर लूट की वजह से घटना घटी होती तो मृतका और लुटेरों के बीच संघर्ष के निशान जरूर मिलते, लेकिन मौके से संघर्ष के कोई निशान नहीं मिले थे. इस में पुलिस को कहानी कुछ और ही नजर आई. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी. थाने पहुंच कर थानाप्रभारी रविंद्र यादव ने रामेश्वर सूर्यवंशी की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर आगे की काररवाई शुरू कर दी.

मृतका की बेटी रिया से पुलिस ने किसी पर शक होने की बात पूछी तो उस ने अपने पापा के पुराने दोस्त और पड़ोसी रामेश्वर सूर्यवंशी पर ही मां की हत्या का आरोप लगा दिया. जबकि रिया के फोन करने पर रामेश्वर ही सब से पहले उस के घर पहुंचे थे और उन्होंने ही चंदना की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. लेकिन जब मृतका की बेटी ने उन पर ही शक जताया तो रिया के बयान के आधार पर पुलिस रामेश्वर सूर्यवंशी को हिरासत में ले कर पूछताछ के लिए थाने ले आई. पुलिस पूरी रात सूर्यवंशी से पूछताछ करती रही लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. जब हत्या में उन की कोई भूमिका सामने नहीं आई तो पुलिस ने उन्हें कुछ हिदायत दे कर इस शर्त पर छोड़ दिया कि दोबारा बुलाए जाने पर थाने आना होगा.

अगले दिन चंदना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट थानाप्रभारी रविंद्र यादव के पास आ गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाने और नशीली दवा खिलाने की बात लिखी थी. इसलिए मृतका का विसरा सुरक्षित रख लिया गया. मतलब साफ था कि सचिव की हत्या लूट के लिए नहीं, बल्कि किसी और वजह से की गई थी. हत्या की वजह क्या हो सकती है, यह जांच का विषय था. पुलिस को भटकाने के लिए हत्यारों ने हत्या जैसे जघन्य अपराध को लूट की ओर ले जाने की कोशिश की थी. पुलिस का शक मृतका के करीबियों पर बढ़ गया था. पुलिस ने रिया से दोबारा पूछताछ की तो इस बार उस का बयान बदल गया. रिया के बदले बयान ने उसे शक के घेरे में खड़ा किया.

शक के आधार पर पुलिस ने रिया को निशाने पर ले लिया और उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. यही नहीं, पुलिस ने गोपनीय तरीके से उस की छानबीन भी शुरू कर दी थी. उसी शाम मुखबिर के जरिए पुलिस को एक ऐसी चौंका देने वाली सूचना मिली, जिसे सुन कर पुलिस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. रिया ने पूछताछ में पुलिस को बताया था कि जिस दिन उस की मां की हत्या हुई, उस दिन वह घर पर नहीं थी, बल्कि अपनी मौसेरी बहन आयशा जायसवाल और दोस्त देवदीप गुप्ता के साथ घटना से 2 दिन पहले कोटा घूमने गई थी. वह झूठ बोल रही थी. दरअसल, रिया घर छोड़ कर कहीं गई ही नहीं थी.

यह सुन कर पुलिस हैरान रह गई कि रिया ने झूठ क्यों बोला कि वह घटना से 2 दिन पहले घूमने गई थी. इस का मतलब वह घटना के बारे में बहुत कुछ जानती थी या घटना में उस का कहीं न कहीं हाथ था. रिया की काल डिटेल्स से भी बात स्पष्ट हो गई थी कि वह उस दिन कहीं नहीं गई थी, बल्कि घर पर ही थी. इस बात की पुष्टि हो जाने के बाद पुलिस की नजर पूरी तरह रिया पर जा टिकी. रिया से दोबारा पूछताछ करनी जरूरी थी, लिहाजा 29 अगस्त, 2020 को पुलिस रिया को पूछताछ के लिए घर से थाने ले आई और उस से कड़ाई से पूछताछ शुरू की तो वह जल्द ही टूट गई और अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि उसी ने मौसेरी बहन आयशा और प्रेमी देवदीप गुप्ता के साथ मिल कर अपनी मां की हत्या की थी.

पुलिस को भटकाने के लिए उस ने घटना को लूट की ओर मोड़ने की कोशिश की थी. अलमारी में रखे मां के सोनेचांदी के जेवरात वह अपने साथ ले गई थी. रिया के बयान के आधार पर पुलिस ने उसी दिन उस की मौसेरी बहन आयशा जायसवाल और प्रेमी देवदीप गुप्ता को गिरफ्तार कर उन की निशानदेही पर जेवरात बरामद कर लिए. तीनों से पूछताछ की गई तो उन्होंने सचिव चंदना की हत्या की कहानी कुछ इस तरह बताई—

45 वर्षीय चंदना डडसेना मूलरूप से बिलासपुर के पथरिया की रहने वाली थी. एकलौती बेटी रिया और सास यही उस का घरसंसार था. वह सास और बेटी का चेहरा देख कर जी रही थी, यही उस के जीने का सहारा भी थे. दोनों की जिम्मेदारी चंदना के कंधों पर थी. अपना दायित्व समझ कर चंदना उसे ईमानदारी से निभा रही थी. चंदना के कंधों पर जिम्मेदारी का यह बोझ उस समय आया, जब रिया 5-6 साल की रही होगी. उन्हीं दिनों मासूम रिया के सिर से पिता और चंदना के सिर से पति का साया उठ गया था. जेल के अंदर कैदियों ने पीटपीट कर उन की हत्या कर दी थी.

चंदना डडसेना के पति का नाम विजय डडसेना था. वह पथरिया चुनचुनिया पंचायत क्षेत्र के एक इंटर कालेज में सरकारी अध्यापक थे. खुद्दार और स्वाभिमानी विजय डडसेना अपने कुशल व्यवहार के लिए इलाके में मशहूर थे. अपने कर्तव्य के प्रति हमेशा सजग और कानून का पालन करने वाले थे. इन से जब कोई गलत और अनुचित बात करता था, तो वह उस का विरोध करते थे. उस दिन 4 अप्रैल, 2009 की तारीख थी जब विजय डडसेना के जीवन में काल कुंडली मार कर बैठा. उन दिनों बिलासपुर में पंचायती चुनाव होने वाला था. उसी संबंध में चुनाव से पहले एक मीटिंग आयोजित की गई थी. उस मीटिंग में एसडीएम और तमाम अधिकारियों के साथ अध्यापक विजय डडसेना भी मौजूद थे. चुनाव में उन की भी ड्यूटी लगी थी. मीटिंग चुनावी प्रशिक्षण के लिए आयोजित की गई थी.

विजय डडसेना का किसी बात को ले कर एसडीएम से विवाद हो गया था. दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि नाराज एसडीएम ने उन्हें जेल भिजवा दिया. कुछ दिनों बाद जेल में उन की कैदियों के साथ लड़ाई हो गई. गुट बना कर कैदियों ने जेल में ही अध्यापक विजय डडसेना की पीटपीट कर हत्या कर दी. अध्यापक विजय डडसेना की हत्या से बिलासपुर में तूफान खड़ा हो गया था. उन की हत्या के विरोध में कई दिनों तक सामाजिक संगठनों ने आंदोलन दिया. आंदोलन पर विराम लगाने के लिए अनुकंपा के आधार पर सरकार ने मृतक की पत्नी चंदना डडसेना को सरकारी नौकरी और 15 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी.

बाद के दिनों में पथरिया चुनचुनिया पंचायत में चंदना डडसेना की सचिव पद पर नियुक्ति हो गई थी. मुआवजे के 15 लाख रुपए में से 7 लाख बेटी रिया को और 8 लाख रुपए में से आधीआधी रकम सास और बहू को मिल गई थी. इस के बाद से चंदना की जिम्मेदारी और बढ़ गई थी, चूंकि रिया चंदना की एकलौती औलाद थी, इसलिए वह जिद्दी भी थी. जिस काम के लिए वह जिद पर अड़ जाती थी, उसे पूरा कर के ही मानती थी. बेटी की जिद के सामने मां को झुकना पड़ता था. वह जानती थीं ऐसा नहीं करती, तो बेटी से सदा के लिए हाथ धो बैठती, इसलिए बेटी के सामने झुकना उन की मजबूरी थी. वह वही करती थीं, जो बेटी कहती थी.

17 वर्षीया रिया जिस स्कूल में पढ़ती थी, उसी स्कूल में देवदीप गुप्ता भी पढ़ता था. फर्क सिर्फ इतना था वह दसवीं में थी तो देवदीप 12वीं में था. देवदीप रिया के मोहल्ले में रहता था. 4 भाई बहनों में वह दूसरे नंबर का था. पिता की सरकारी नौकरी थी. घर में पिता की कमाई से अच्छे पैसे आते थे. मां पर दबाव बना कर देवदीप पैसे ऐंठता और अपने आवारा दोस्तों के साथ दिन भर गलीमोहल्लों में घूमता था. यही उस की दिनचर्या थी. बहरहाल, स्कूल के दिनों में घर जातेआते रास्ते में दोनों के बीच परियच बढ़ा. यह परिचय बाद में दोस्ती में बदल गया और फिर दोस्ती प्यार में. चूंकि देवदीप गुप्ता रिया के ही मोहल्ले का ही रहने वाला था और एक ही स्कूल में पढ़ता था, यह बात रिया की मां चंदना जानती थी. पढ़ाई के बहाने से रिया देवदीप को घर बुलाती थी और दोनों घंटों साथ समय बिताते थे.

शुरू के दिनों में चंदना ने बेटी को देवदीप से मिलने के लिए मना नहीं किया, लेकिन उन्होंने अपनी आंखें भी बंद नहीं की थीं. उस के घर आने के बाद वह दोनों पर नजर रखती थीं. आखिरकार चंदना को बेटी के प्यार के बारे में पता चल ही गया. बेटी के प्यार के बारे में जानते ही वह उस के प्रति सख्त हो गईं और उसे साफतौर पर देवदीप से मिलने पर मना कर दिया. यही नहीं, देवदीप के घर आने पर भी पाबंदी लगा दी. उम्र के जिस मोड़ से रिया गुजर रही थी, उस उम्र में अकसर बच्चों के पांव फिसल जाते हैं. ऐसे में कहीं कोई ऊंचनीच हो जाए तो समाज में वह कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी. चंदना को इसी बात का डर सता रहा था, इसीलिए उन्होंने बेटी को देवदीप से मिलने और बात करने से मना कर दिया था.

मां की यह बात रिया को काफी नागवार लगी थी. रिया ने यह बात प्रेमी देवदीप को बता दी. यही नहीं वह अपने दिल की हर बात अपनी मौसेरी बहन आयशा जायसवाल से भी शेयर करती थी. दोनों हमउम्र भी थीं और हमराज भी. एकदूसरे के दिल की बातें सीने में दफन कर लेती थीं. उस दिन के बाद से चंदना की बेटी पर सख्ती कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी. बेटी से कहीं भी जानेआने पर उस से हिसाब लेने लगी थीं. मसलन कहां जा रही है? वहां काम क्या है? घर कब लौटोगी? वगैरह…वगैरह. अचानक मां के बदले तेवर से रिया परेशान हो गई. मां की टोकाटाकी उसे कतई पसंद नहीं थी. मां के इस रवैए से उस के मन में नकारात्मक सोच पैदा हो गई.

वह यह भी सोच रही थी कि मां उस के प्रेमी देवदीप को पसंद नहीं करती, मां के जीते जी वह देवदीप को अपना जीवनसाथी नहीं बना सकती तो क्यों न मां को ही हमेशा के लिए अपने रास्ते हटा दे. न रहेगा चंदना नाम का कांटा, न चुभेगा पांव में. उस के बाद तो जीवन भर मजे ही मजे रहेंगे. रिया के कच्चे दिमाग में खतरनाक योजना अंतिम रूप ले चुकी थी. जल्द से जल्द वह इस काम को अंजाम देना चाहती थी. वह यह भी जानती थी कि इस काम को अकेली पूरा नहीं कर सकती. इसलिए उस ने अपनी इस खतरनाक योजना में मौसेरी बहन आयशा और प्रेमी देवदीप को भी शामिल कर लिया. आयशा ने रिया का विरोध करने के बजाए उस का साथ देने के लिए हामी भर दी थी.

सब कुछ उस की योजना के मुताबिक चल रहा था. 23 अगस्त, 2020 को रिया आयशा को घर बुला लाई. उस के आने से रिया की हिम्मत दोगुनी हो गई थी. दोनों ने मिल कर रात भर चंदना को मौत के घाट उतारने की योजना बनाई. रिया बेसब्री से अगली सुबह होने का इंतजार कर रही थी कि कब सुबह हो और मां को मौत के घाट उतारा जाए. मां के लिए उस के दिल में जरा भी रहम नहीं था. अगली सुबह 10 बजे रिया और आयशा बाजार गईं. उस दिन चंदना ड्यूटी नहीं गई थीं, घर पर ही थीं. मैडिकल की दुकान से दोनों ने नींद की 10 गोलियां खरीदीं और घर ला कर अलमारी में छिपा दीं.

दोपहर करीब साढ़े 12 बजे रिया ने 3 कप चाय बनाई. एक प्याली खुद ली, दूसरी प्याली आयशा को दी और तीसरी प्याली मां को दी. उस ने मां की चाय में चुपके से नींद की सारी गोलियां डाल दी थीं. चाय पीने के थोड़ी देर बाद ही दवा ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. चंदना अचेत हो कर बिस्तर पर गिर गईं. दोनों को बड़ी बेसब्री इसी पल का इंतजार था. रिया ने मां को हिला कर देखा, उन के जिस्म में कोई हरकत नहीं थी. फिर क्या था, दोनों ने मिल कर चुन्नी से चंदना का गला घोंट दिया. कुछ ही पलों में चंदना की मौत हो गई. लेकिन रिया को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि उस की मां मर चुकी है. फिर खुद कलयुगी बेटी ने मां के पैरों में बिजली का तार फंसा कर 10 मिनट तक करंट दौड़ाया ताकि मां की मौत पक्की हो जाए.

इस के बाद रिया को यकीन हुआ कि उस के रास्ते का कांटा हमेशा के लिए निकल चुका है. उस के बाद लाश ठिकाने लगाने के लिए उस ने मदद के लिए प्रेमी देवदीप को फोन किया. देवदीप रिया के घर पहुंचा. तीनों ने चंदना की लाश एक चादर में बांध कर बैड के नीचे डाल दी. फिर रिया ने अलमारी में रखे लाखों के सोनेचांदी के गहने निकाले और एक पोटली में बांध कर तीनों घर से निकल गए, ताकि यह लगे कि लूट के चलते घटना घटी है. जाने से पहले रिया ने मां का फोन स्विच्ड औफ कर दिया था. यह सब करतेकरते दोपहर के 2 बज गए थे. उस के बाद रिया प्रेमी देवदीप और मौसेरी बहन आयशा के साथ दिन भर इधरउधर घूमती रही. गहने उस ने देवदीप के हवाले कर दिए थे. फिर घूमतेटहलते रात में रिया और आयशा नानी के घर पहुंच गईं.

रिया ने नानी से झूठ बोला कि वह पिकनिक पर आयशा के साथ कोटा गई थी. लौटते वक्त मां को फोन लगाया तो मां के फोन की घंटी बजती रही लेकिन उन्होंने काल रिसीव नहीं किया, इसलिए यहां चली आई. फिर नानी के घर से रिया ने अपने पड़ोसी इंजीनियर अंकल रामेश्वर सूर्यवंशी को फोन कर के मां के फोन न उठाने वाली बात बता कर उन्हें घर जा कर पता लगाने को कहा. ताकि मौका मिलते ही उन्हें फंसा कर खुद को बेदाग साबित कर दे. लेकिन कानून के लंबे हाथों से वह बच नहीं पाई और सलाखों के पीछे पहुंच गई. वह खुद तो जेल गई ही, साथ में अपनी बहन और दोस्त को भी जेल ले गई.

कथा लिखे जाने तक पुलिस ने देवदीप से सारे गहने बरामद कर लिए थे. कलयुगी बेटी की करतूतों पर पूरा शहर थूथू कर रहा था. लोग यही कह रहे थे कि ऐसी औलाद से तो बेऔलाद होना ही अच्छा है.

—कथा में रिया परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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