UP News : नोएडा के पौश इलाके की कोठी में चल रहे स्टूडियो में पोर्न वीडियो शूट कराने वाली मौडल को एक वीडियो के 25 हजार से एक लाख रुपए मिलते थे. एक डाक्टर की कोठी में चल रहे इस पोर्न स्टूडियो पर जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने धंधा संचालक दंपति को गिरफ्तार किया तो ऐसे चौंकाने वाले राज खुले कि…

नोएडा देश की राजधानी दिल्ली से सटा एक ऐसा शहर है, जो पिछले 2 दशकों में इतनी तेजी से विकसित हुआ कि यहां गगनचुंबी इमारतों और आलीशान कोठियों का ऐसा मायावी जाल बिछ गया कि सपनों की नगरी मुंबई शहर भी इस के सामने फीका पड़ जाए. कभी ग्रामीण दुनिया का बड़ा हिस्सा रहे  नोएडा शहर में इतनी तेजी से शहरीकरण होने के बाद जो लोग रहते हैं, उन्हें 3 श्रेणियों में बांट सकते हैं. पहले वो मजदूर तबका, जो देश के दूरदराज हिस्सों से रोजीरोटी की तलाश में नोएडा आया और इस शहर के विकास में उस ने अपना खूनपसीना लगाया. बाद में वह यहां के गांवों और सस्ती कालोनियों का बाशिंदा बन गया.

दूसरी श्रेणी उन लोगों की है, जो मध्यम श्रेणी के नौकरीपेशा या छोटेमोटे व्यवसाय करने वाले हैं. इन में भी ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जो दिल्ली या एनसीआर में सरकारी और गैरसरकारी नौकरी से जुड़े हैं. देश के विभिन्न प्रांतों के रहने वाले बहुभाषी लोग हैं. ऐसे लोग आमतौर पर प्राधिकरण की बनाई कालोनियों और बिल्डर या सोसाइटी के फ्लैटों में रहते हैं. तीसरी श्रेणी है उन लोगों की जो या तो बड़े सरकारी पदों पर हैं, बड़ी कंपनियों के मालिक हैं, नोएडा की अपनी जमीनें बेच कर बने नवधनाढ्य हैं या फिर ऐसे राजनेता जिन्होंने अपनी कालीपीली कमाई से बहुत सारा पैसा कमा कर यहां आलीशान कोठियां और फार्महाउस बना लिए हैं.

आमतौर पर यही वो तीसरा वर्ग है, जो भले ही नोएडा के किसी भी हिस्से में रहता हो, लेकिन वो पुलिस, प्रशासन, आम आदमी सभी की पहुंच से दूर हैं. यह अभिजात्य वर्ग क्या करता है, उस की कमाई के क्या स्रोत हैं, उन की कोठियों में कौन लोग रहते हैं, इस बारे में कोई नहीं जानता. जाने भी तो कैसे, उन की आलीशान कोठियों के बाहर जो नेमप्लेट लगी होती है या बोर्ड लगा होता है उसी से पता चलता है कि अंदर रहने वाले की पहचान क्या है.

दरअसल, इन आलीशान कोठियों में रहने वाली अभिजात्य वर्ग की इन बड़ी हस्तियों में किस के संबंध देश और प्रदेश की सत्ता में बैठे ताकतवर नेताओं, नौकरशाहों से हैं, किसी को नहीं पता होता. पता तब चलता है जब इन महलनुमा बंगलों में रहने वाले लोगों से कोई सरकारी कर्मचारी किसी कारणवश उन की पहचान पूछने की नादानी कर देता है. तब पता चलता है कि अमुक कोठी में रहने वाले साहब की पहचान लखनऊ में पंचम तल तक है या फिर वो खुद एक बड़ा नौकरशाह है.

इसलिए इस अभिजात्य वर्ग से नोएडा शहर में प्रशासन और पुलिस दूरी ही बना कर रखते हैं. हां, यदाकदा जब कभी वीआईपी ऐसे लोगों के घर मेहमान बन कर पहुंचते हैं, तब जरूर सुरक्षा कारणों या प्रोटोकाल के चलते पुलिस और प्रशासन के अधिकारी ऐसे खास लोगों के बंगलों की चौखट के बाहर हाजिरी लगाने जाते हैं. नोएडा में रहने वाले इन वर्गों के साथ एक और भी वर्ग है, जो पिछले कुछ सालों में यहां पांव पसार चुका है. वह तीसरा वर्ग अभिजात्य वर्ग की वेशभूषा में ही रहता है, लेकिन वह इस की आड़ में कुछ ऐसे काम करता है, जिसे जानने के बाद इंसानियत भी शरमा जाए.

किस पोर्न साइट को बेचते थे वीडियो

28 मार्च, 2025 को भी नोएडा शहर के इसी अभिजात्य वर्ग की आड़ में एक ऐसे खेल का खुलासा हुआ कि इंसानियत शरमा गई और लोग यह देख कर हैरत में रह गए कि उन के शहर में ऐसा काम हो रहा था. यह मामला है नोएडा के सेक्टर-105 में बंगला नंबर सी 234 का. जिस के मालिक हैं एक नामचीन डाक्टर, उन से यह कोठी उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव ने पिछले कुछ सालों से किराए पर ली हुई थी. कोठी बेहद आलीशान थी. इस में रहने वाले दंपति और उन के यहां हर रोज आने वाले मेहमान महंगी गाडिय़ों में आयाजाया करते थे.

ऐसे इलाकों में पड़ोसियों तक को पता नहीं होता कि उन की बगल में रहने वाला शख्स कौन है तो फिर प्रशासन या पुलिस को कैसे पता होगा कि इस महलनुमा कोठी में कौन रहता है. वैसे भी इस कोठी में रहने वाले उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव किसी से ज्यादा वास्ता नहीं रखते थे. उन की पहचान भी 28 मार्च को तब पता चली, जब तड़के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक टीम स्थानीय पुलिस को ले कर इस कोठी पर पहुंची.

ऐसी आलीशान कोठी में ईडी की टीम का पहुंचना और करीब 25 घंटे तक वहां तलाशी अभियान चला कर कोठी में रहने वाले और मौजूद लोगों से पूछताछ करने से लोगों में कौतूहल बढ़ गया. खबरनवीसों और खबरिया चैनलों के नुमाइंदे कोठी के गेट पर आ डटे. आखिरकार 24 घंटे बाद पता चला कि उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव ने इस कोठी को उस के मालिक डाक्टर से किराए पर लिया हुआ था. दंपति यहां पोर्न साइट के लिए वीडियो शूट कराता था. इस के बाद वीडियो को साइप्रस की एक कंपनी को बेचता था, जो अंतरराष्ट्रीय पोर्नोग्राफी साइटों को होस्टिंग सेवा प्रदान करती है.

ईडी ने इस कोठी में यह काररवाई एक लंबी पड़ताल और निगरानी के बाद विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत की थी. चूंकि ईडी के कामकाज की शैली बेहद गोपनीय ढंग से होती है और जांच के तथ्यों को मीडिया से भी बहुत ज्यादा सार्वजनिक नहीं किया जाता, लेकिन इस के बावजूद एजेंसी द्वारा प्रस्तुत जानकारी में जो कहानी सामने आई, वो बेहद दिलचस्प और साथ ही शर्मसार व हैरान कर देने वाली थी.

ईडी की यह जांच सबडिजी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी के खिलाफ की जा रही थी. इस कंपनी के मालिक उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव हैं, जो कथित तौर पर साइप्रस स्थित कंपनी टेक्नियस लिमिटेड के लिए अपने घर से एक वयस्क वेबकैम स्ट्रीमिंग स्टूडियो चलाते थे. टेक्नियस लिमिटेड एक्समास्टर और स्ट्रिपचैट जैसी पोर्नोग्राफी वयस्क वेबसाइटें चलाती है, जो भारत में प्रतिबंधित हैं.

ईडी को कैसे हुआ शक

अब जानते हैं कि अचानक ईडी को इन पर शक कैसे हुआ? दरअसल, ईडी की टीमें विदेशों से लोगों के बैंक खातों में आने वाले धन व उस के स्रोतों की निगरानी करती है और शक होने पर लगातार निगरानी करती है. उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव ने अपने बैंक खातों में आने वाले विदेशी धन के बारे में बैंकों को गलत जानकारी दे रखी थी कि उन्हें विज्ञापन, मार्केट रिसर्च और जनमत सर्वेक्षण जैसे कार्यों के लिए यह धन प्राप्त होता है.

सबडिजी वेंचर्स और इस के निदेशकों को नियमित रूप से विदेशी धनराशि प्राप्त होने की जानकारी सामने आने के बाद जब खातों की आगे की जांच की गई तो पता चला कि जिस फंड को विज्ञापन, मार्केट रिसर्च और जनमत सर्वेक्षण जैसी सेवाओं के बहाने लिया जा रहा था, वो काम तो कहीं था ही नहीं. ये फंड्स वास्तव में एक्समास्टर पोर्न वेबसाइट पर स्ट्रीम किए गए अश्लील कंटेंट के बदले मिल रहे थे. लेकिन शक के चलते ईडी ने दंपति के निजी और कंपनी के खातों के ट्रांजैक्शन की जांच की तो पता चला कि साइप्रस स्थित कंपनी टेक्नियस लिमिटेड के खाते से नीदरलैंड में एक बैंक खाते में भी करीब 7 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए थे.

आश्चर्य की बात यह थी कि ये विदेशी बैंक खाते में प्राप्त इस फंड को अंतरराष्ट्रीय डेबिट कार्ड की मदद से दिल्ली और एनसीआर की अलग अलग लोकेशन में बैंक व डेबिट कार्ड के जरिए या तो विड्रा किया गया अथवा भारत में अलगअलग खातों में छोटीछोटी रकमें ट्रांसफर की गईं. इन सभी खातों के ट्राजैक्शन देख ईडी की टीम का माथा ठनका और फिर कंपनी के कामकाज से ले कर उन के बैंक खातों पर बारीकी से निगरानी रखी जाने लगी.

जांच जैसेजैसे आगे बढ़ी, वैसेवैसे ईडी के अफसरों का ये शक यकीन में बदलने लगा कि सबडिजी वेंचर्स और उसे चलाने वाले उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव कुछ तो ऐसा धंधा कर रहे हैं, जिस में कानूनों को ताक पर रखा जा रहा है.  बस, फिर क्या था, ईडी के अफसरों ने विदेशी फंडिंग की निगरानी के साथ एक टीम को कोठी नंबर 234 की निगरानी के काम टीम पर लगा दिया. टीम लगातार वहां आनेजाने वाले लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने लगी. टीम को पता चला कि कोठी के अंदर सबडिजी कंपनी के संचालक पोर्न साइट के लिए एडल्ट कंटेंट तैयार कर विदेश में भेजते हैं, जिस के बदले उन्हें विदेश से फंड मिल रहा था.

बस फिर क्या था, 28 मार्च, 2025 को ईडी की टीम ने सबडिजी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के औफिस कोठी नंबर 234 पर छापा मारा. कंपनी के डायरेक्टर उज्जवल किशोर और नीलू श्रीवास्तव को दबोच लिया गया. दंपति कोठी के अंदर अवैध रूप से स्टूडियो बना कर पोर्न वीडियो शूट करा रहे थे. कोठी के अंदर ईडी की टीम को छापेमारी के दौरान कुछ मौडल भी मिलीं, जो इन वीडियो में दिखाई दे रही थीं. ईडी की टीम ने उन के भी बयान दर्ज किए. करीब 24 घंटे की पड़ताल के बाद ईडी ने घर से मिले सभी दस्तावेजों और अश्लील कंटेट को अपने कब्जे में ले कर पूरे स्टूडियो को सील कर दिया गया.

ईडी की टीम उज्जवल किशोर व उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर अपने साथ दिल्ली ले गई. तब तक मीडिया में कोठी नंबर 234 में पोर्न साइट के लिए चल रहे पोर्न स्टूडियो की जानकारी जंगल की आग की तरह फैल चुकी थी. अफवाह यहां तक फैल गई कि बौलीवुड से ले कर छोटे परदे पर काम करने वाली बहुत सारी सहअभिनेत्रियां भी पोर्न स्टूडियो से जुड़ी थीं और न्यूड कंटेट तैयार कराने व मोटा पैसा कमाने के लिए वहां आती थीं. लेकिन इन अफवाहों में कितना दम है, ईडी ने इस बारे में कोई पुष्टि नहीं की.

हालांकि अब तक की जांच में यह सामने आया है कि अब तक कंपनी और उस के निदेशकों के बैंक खातों में विदेशों से 15.66 करोड़ रुपए का आदानप्रदान हुआ है. इस धनराशि को कई खातों में घुमाया गया. जांच में यह भी पता कि उज्जवल किशोर व उस की पत्नी की जो कमाई होती थी, उस का 75 फीसदी अपने पास और शेष मौडलों को देते थे.

मौडल को मिलते थे 1 से ले कर 5 लाख रुपए

पोर्न साइट्स को अश्लील वीडियो उपलब्ध कराने वाली कंपनी सबडिजी के डायरेक्टर उज्जवल किशोर और उस की पत्नी नीलू श्रीवास्तव की गिरफ्तारी के बाद जब गहन पूछताछ हुई तो कई अहम जानकारी भी सामने आई. पता चला कि नोएडा की किराए की इस कोठी में चल रहे इस अश्लील स्टूडियो में महज 4 घंटे में अश्लील वीडियो तैयार होते थे.

जब स्थानीय लोगों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि अकसर दिन में 2 से 3 महिला मौडल कोठी पर आती थीं और करीब 4 घंटे बाद वापस चली जाती थीं. मतलब साफ है कि अश्लील कंटेंट का एक हिस्सा करीब 4 घंटे में शूट होता था. ज्यादातर मौडल सुबह 11 से दोपहर 1 बजे के बीच कोठी पर आती थीं. दंपति आसपास के लोगों से संबंध नहीं रखते थे, ऐसे में पड़ोसियों ने कभी कोठी में होने वाली गतिविधियों पर ध्यान नहीं दिया. स्थानीय लोगों को लगता था कि दंपति विदेश में रहने के बाद वापस लौटे हैं तो जो महिलाएं उन से मिलने आती हैं, वह उन की जानकार ही होंगी.

जांच में यह बात भी सामने आई है कि किराए पर लिए दोमंजिला कोठी के ऊपरी हिस्से में दंपति ने जो स्टूडियो बनाया हुआ था, वहां औडिशन के नाम पर महिला मौडलों को बुला कर अश्लील और न्यूड कंटेंट बनाने का काम होता था. पोर्न साइट के धंधे का नेटवर्क साइप्रस के अलावा यूरोप और अफ्रीका के कई देशों में भी है. वहां पर भी मौडल की एडल्ट वेबकैम पर वीडियो शूट कराई जाती है. छापेमारी के दौरान ईडी की टीम को लाखों की नकदी और केस से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण सुराग मिले. गिरफ्तार उज्जवल किशोर व नीलू साइप्रस की जिस पोर्न कंपनी के लिए पोर्न कंटेंट बना कर वेबसाइट पर चलाते थे, उन के बारे में ईडी के अधिकारी और जानकारी जुटा रहे हैं.

प्राथमिक जांच में पता चला है कि मौडल्स लड़कियां सोशल मीडिया पेज के माध्यम से आरोपियों से संपर्क करते थे. इस के लिए फेसबुक पर एक पेज बनाया गया था. धंधा जब चल निकला तो दंपति ने इंस्टाग्राम और वाट्सऐप समेत अन्य प्लेटफार्म पर भी इस का विस्तार किया. ज्यादातर मौडल दिल्ली-एनसीआर की होती थीं. नीलू श्रीवास्तव अपने सहयोगियों के साथ मिल कर लड़कियों को बतातीं कि एक पोर्न साइट के लिए उन का चयन किया जा रहा है. उन्हें महीने में 4 से 5 शूट करने होंगे और बदले में 1 से 4 लाख रुपए तक की कमाई होगी.

कमाई शूट के आधार पर 4 से 5 कैटेगरी में बंटी थी. वीडियो शूट के लिए हाफ फेस शो, फुल फेस शो और न्यूड जैसी करीब 5 कैटेगरी थीं. यानी इस सिंडिकेट में लड़कियों के लिए अलगअलग काम होता था. लड़कियां जिस हिसाब से ऐक्ट करती थीं, उसी के हिसाब से रकम दी जाती थी. जैसे हाफ फेस शो (आधा चेहरा दिखना), फुल फेस शो (पूरा चेहरा दिखना), न्यूड (पूरी तरह नग्न) कैटेगरी होती थी. उन्हें यह भी बताया जाता था कि ये पोर्न वीडियो भारतीय नहीं, विदेशी साइट पर अपलोड किए जाएंगे. जाहिर है फुल फेस शो और न्यूड कैटेगरी के लिए मौडल्स को ज्यादा पैसा दिया जाता था.

विदेशों से जो रकम आरोपियों और कंपनी के खाते में आती थी, उसी में से करीब 25 प्रतिशत तक का भुगतान मौडल्स और स्टूडियो में काम करने वाले लोगों को दिया जाता, बाकी का हिस्सा आरोपी दंपति अपने पास रखते थे. वीडियो शूट होने के बाद आरोपी दंपति सिर्फ एक नहीं, बल्कि कई वेबसाइट पर वीडियो अपलोड करते थे. जांच में पता चला है कि इस रैकेट का सरगना पहले रूस के सैक्स सिंडिकेट का हिस्सा रह चुका है. इस के बाद भारत में पत्नी के साथ आपत्तिजनक सामग्री का रैकेट शुरू किया.

आरोपी दंपति ने गलत तरीके से ‘पर्पज कोड’ दे कर अपने बैंक खातों में विदेशी पैसा लिया. इन दोनों ने बैंकों को विज्ञापन,  मार्केट रिसर्च से ले कर जनमत संग्रह के नाम पर गलत तरीके से पर्पज कोड दिए थे. दरअसल, पर्पज कोड एक विशिष्ट कोड होता है, जो किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है. यह कोड अंतरराष्ट्रीय भुगतान के लिए लेनदेन की प्रकृति को स्पष्ट करता है.

ईडी अब आरोपियों के बैंक खातों और मोबाइल डेटा की गहन जांच कर रही है. इस रैकेट के पीछे और कौनकौन लोग शामिल हैं, इस का पता लगाने के लिए पूछताछ जारी है. इस मामले की जांच नोएडा स्थित कंपनी सबडिजी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड और उस के प्रमोटर्स के खिलाफ की जा रही है. इस के अलावा ईडी की टीम अब पोर्न स्टूडियो के देशव्यापी लिंक ढूंढने का प्रयास कर रही है.

 

 

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