Webseries : वेब सीरीज ‘द वेकिंग औफ ए नैशन’ इतिहास के पन्नों में सिमटी इंडियन एडवोकेट कांतिलाल साहनी की कहानी पर आधारित है. एडवोकेट कांतिलाल ने अमृतसर में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद न्याय की मांग करते हुए ब्रिटिश राज की गहरी साजिश का परदाफाश किया था.
कलाकार:
तारुक रैना, निकिता दत्ता, साहिल मेहता, भावशील सिंह साहनी, निखिल दुबे, एंड्रयू स्लोमन, रंजीत सिंह, अंश वर्मा, कार्ल व्हार्टन, रिचर्ड भक्ति, जेमी आल्टर, मीनाक्षी चुग, एड रौबिन्सन, डेविड माइकल हैरिसन, कृष्णकांत सिंह, टौमस हावसर, देव राज, एलेक्स रीस
लेखक: शांतनु श्रीवास्तव, शत्रुजीतनाथ एवं राम माधवानी निर्माता: राम माधवानी, अमिता माधवानी, निर्देशक: राम माधवानी, एडिटर: अभिमन्यु चौधरी, ओटीटी: सोनी लिव
यह वेब सीरीज जलियांवाला हत्याकांड के बाद की घटनाओं को उजागर करने का प्रयास करती है, विशेष तौर पर हत्याकांड के बाद ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया और हंटर कमीशन जांच. जब हंटर कमीशन सत्ताधारी साम्राज्य के हित में इतिहास को तोड़मरोड़ कर पेश करता है, तब वकील कांतिलाल नस्लवाद, सच को मिटाने की कोशिशों और न्याय की लड़ाई से जूझता है.
बचपन की अटूट दोस्ती से बंधे कांतिलाल साहनी और उस के साथियों अली अल्लाहबख्श, हरि सिंह औलख और हरि सिंह की पत्नी पूनम की विचारधाराएं भले ही अलगअलग हों, लेकिन वे सब मिल कर एक ऐसी साजिश से परदा उठाते हैं, जो उन की तकदीर बदल देती है. एक ऐसी दुनिया में जहां न्याय केवल एक भ्रम है, क्या वे छिपे हुए सच को दुनिया के सामने ला पाएंगे या खुद ही इस साजिश का शिकार हो जाएंगे? यही सब कुछ इस वेब सीरीज में दिखाया गया है.
एपिसोड नंबर 1
पहले एपिसोड के शुरुआत में वकील कांतिलाल साहनी (तारुक रैना) को यह कहते हुए दिखाया गया है कि 13 अप्रैल, 1919 जलियांवाला हत्याकांड के बारे में सब जानते हैं, सब को यह लगता है कि उस के जिम्मेदार जनरल डायर थे. कहीं यह पंजाब के गवर्नर माइकल ओ डायर और ब्रिटिश राज का एक खेल तो नहीं था.
इस के बाद पहले दृश्य में कांतिलाल साहनी (तारुक रैना) कोर्ट रूम के दरवाजे का रौड से ताला तोड़ कर अंदर घुस जाता है और दरवाजे का भीतर से बंद कर देता है. फिर टौर्च से कोर्ट रूम के औफिस में एक फाइल ढूंढने लगता है, तभी वहां पर एक अधिकारी पुलिस को साथ ले कर दरवाजा तोड़ कर भीतर घुस जाता है. वकील कांतिलाल फाइल ले कर वहां से भाग जाता है.
अगला दृश्य 11 दिसंबर, 1919 का दिखाया गया है, जहां पर पंजाब के गवर्नर माइकल ओ डायर और लार्ड विलियम हंटर (कार्ल व्हार्टन) की मुलाकात को दिखाया गया है, जहां विलियम हंटर पंजाब के गवर्नर माइकल डायर से कहता है कि उसे जालियांवाला कांड का चेयरमैन बनाया गया है. अगले सीन में कांतिलाल साहनी (तारुक रैना) को हरि सिंह औलख (भावशील सिंह साहनी) की पत्नी पूनम (निकिता दत्ता) समझाती है कि कल हंटर कमीशन में तुम क्या जबाब देने वाले हो. वह उसे समझाती है कि इस मामले में तुम चुप रहोगे तो बेहतर होगा. मगर कांतिलाल कहता है कि मैं सब कुछ बोलने वाला हूं.
13 अप्रैल, 1919 वैशाखी का दिन, जो खूनी दिन में बदल गया, जिस में 1650 गोलियां चलीं. 400 से ज्यादा लोग मारे गए. इस बीच फ्लैशबैक में वह सीन दिखाया जाता है, जिस में अंगरेज पुलिस निहत्थे भारतीयों पर गोलियां बरसा रही थी. इधर कांतिलाल साहनी कोर्ट में बताता है कि घटना के 5 दिन पहले कुछ ब्रिटिशर्स, जिस में महिलाएं भी शामिल थीं, डिप्टी कमिश्नर माइल्स इरविंग (टौमस हाक्सर) से क्यों मिलने गए थे. फ्लैशबैक में कांतिलाल, अली अल्लाहबख्श जैदी (साहिल मेहता) और हरि सिंह औलख (भावशील सिंह साहनी) की बचपन की दोस्ती और बातचीत करते हुए दिखाया गया है. कांतिलाल विदेश से अपने दोस्तों के लिए व्हिस्की की बोतल व पूनम भाभी के लिए एक चश्मा देता है.
अब कांतिलाल अपने दोस्त अली अल्लाहबख्श को एक पेन गिफ्ट करता है, क्योंकि अल्लाहबख्श एक रिपोर्टर है. अल्लाहबख्श कहता है कि दोस्त कांतिलाल तेरे गिफ्ट में तो गोरों की गुलामी की बू आ रही है. अगले दृश्य में पंजाब का गवर्नर कहता है कि हिंदुस्तान हमारा है और हमेशा रहेगा. तभी अमृतसर में तनाव फैलने लगता है तो वहां के 2 प्रतिष्ठित व्यक्ति डा. सत्यपाल सिंह (अनन्यब्रत सिंह) और मुसलिम नेता डा. किचलू भीड़ को समझा कर उन्हें नियंत्रित करते हैं. उधर हंसराज सिंह अंगरेजों की शह पर शहर में दंगे भड़काने के प्रयास में लगा रहता है.
तभी वहां पर जनता की ओर से चारों तरफ तालियां ही तालियां बजने लगती हैं. इस पर लार्ड विलियम हंटर (कार्ल व्हार्टन), वकील कांतिलाल साहनी को डांटने लगता है. तभी फिर सीन भीड़ पर चला जाता है, जहां पर अंगरेजों का पिट्ठू हरिसिंह एक पत्थर वकील कांतिलाल साहनी के सिर पर मारता है, जिस के कारण उस के सिर से खून बहने लगता है और आक्रोशित भीड़ गुस्से से भीतर घुस जाती है. भीड़ बढऩे लगती है तो पुलिस भीड़ पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाने लगती है और इसी के साथ पहला एपिसोड समाप्त हो जाता है.
यदि पहले एपिसोड का विश्लेषण करें तो इस एपिसोड में बिखराव ही बिखराव दिखाई दिया है. कोर्ट रूम के दृश्य जो इस एपिसोड की जान बन सकते थे, दर्शकों को इमोशनल कर सकते थे, वह अपनी रफ्तार के कारण बिखरते हुए दिखाई देते हैं. हंटर कमीशन की जांच भी बस घिसटती हुई नजर आती है. इस एपिसोड में कोई भी कलाकार अपने अभिनय की छाप छोडऩे मैं बिलकुल भी सफल नहीं हो पाया है.
एपिसोड नंबर 2
इस एपिसोड की शुरुआत में वकील कांतिलाल साहनी कोर्ट में हंटर कमीशन को बताता है कि कैसे जालियांवाला हत्याकांड को अंजाम दिया गया था. वह बताता है कि भीड़ को रोकने के लिए मात्र 6 पुलिस के जवान तैनात किए गए थे, जिन पर आक्रोशित भीड़ आसानी से विजय हासिल कर सकती थी, लेकिन रिंग मास्टर ने तो अपनी ओर से ऐसा प्लान बुना था कि उस की माचिस की एक तीली ने शहर में तबाही ला दी थी. यह उस रिंग मास्टर की अगली चाल थी, ताकि जब घायल लोगों को बचाने के लिए शहर ले जाया जा रहा हो तो उन्हें देख कर अन्य लोगों में आक्रोश फैल जाए. उस के बाद आक्रोशित भीड़ अंगरेजों को मारने लगती है और अंगरेजों के झंडे व अन्य सामान जलाने लग जाती है.
उस के बाद वकील कांतिलाल साहनी कोर्ट को बताता है कि यदि ब्रिटिश सरकार चाहती तो अपने लोगों को सुरक्षित कर सकती थी, लेकिन उन्होंने एक सुनियोजित प्लान के अनुसार अपने 5 ब्रिटिशर्स की बलि दे कर इस में आग को सुलगाने का प्रयास किया. लेकिन बाकी बचे हुए ब्रिटिशर्स की जान की सलामती का प्रयास केवल अमृतसर के लोगों ने किया. इस बीच पूनम (निकिता दत्ता) मिशनरी हौस्पिटल में डिलीवरी के लिए भरती होती है तो वहां पर आक्रोशित भीड़ अंगरेज महिला डाक्टर को मारने के लिए आ जाती है तो वहां पर पूनम और नर्स उस महिला डाक्टर की जान किसी तरह से बचा लेते हैं. इसी तरह एक जगह पर जब अंगरेज महिला टीचर को भीड़ मार रही होती है तो उसे हरि सिंह औलख (भावशील सिंह साहनी) बचा लेता है.
कांतिलाल कोर्ट को आगे बताता है कि मी लार्ड, उसी दिन 10 अप्रैल को ब्रिटिशर्स का अगला प्लान सामने आया, जिस के तहत मिलिट्री को अमृतसर में मार्शल ला लगाने के लिए मेजर मैकडोनल्ड के नेतृत्व में बुलवा लिया गया. इधर पै्रस में अली अल्लाहबख्श पूनम से कहता है कि अंगरेजों ने जो जुल्म ढाया है, जो कत्ल किए हैं, उस की पूरी जानकारी पंजाब, दिल्ली और पूरे देश को होनी चाहिए. पूनम उसे ऐसा न करने के लिए समझाती है कि कहीं अंगरेज प्रैस को जब्त कर सकते हैं और अल्लाहबख्श के ऊपर रौलेट एक्ट लगा सकते हैं. इसलिए पूनम उस न्यूज को फाड़ कर अपने घर चली जाती है.
अगले दिन 11 अप्रैल को ‘इंकलाब’ नाम का अखबार सभी स्थानों पर पहुंच जाता है. जब कमिश्नर किचन (रेमंड बेथले) अखबार देखता है तो वह मेजर मैकडोनल्ड से चिल्ला कर कहता है कि 20 भारतीयों की मौत का जिक्र तो इस अखबार में किया गया है, लेकिन 5 ब्रिटिशर्स की मौत का जिक्र नहीं किया गया. अगले दृश्य में पूनम अल्लाहबख्श को पेपर देते हुए कहती है कि अशरफ भाई, यह नोटिस सरकार की ओर से आया है. इंसपेक्टर अशरफ यह नोटिस दे कर गए हैं. नोटिस में यह लिखा गया था कि आप के ‘इंकलाब’ अखबार की सिक्योरिटी के 2,500 रुपए जब्त किए जाते हैं और इस अखबार को तत्काल बंद कर दो. यदि यह बंद नहीं हुआ तो ब्रिटिश सरकार अल्लाहबख्श को तत्काल गिरफ्तार कर लेगी.
अल्लाहबख्श कांतिलाल से कहता है कि तू मेरी ओर है या सरकार की ओर? कांतिलाल उस से कहता है कि तू एक बार भी खबर छापने से पहले सोचता नहीं है क्या? तू सच भी तो नहीं लिखता. मुझे यह बता कि जो 5 अंगरेज मरे, उस की खबर तूने क्यों नहीं छापी?
इस पर उसे अल्लाहबख्श कहता है कि कांति तू ये बता कि तू मेरा केस लड़ सकता है या नहीं? तब कांतिलाल उस का केस लडऩे से मना कर देता है. इस पर अल्लाहबख्श उसे कहता है कि तू कहां का हिंदुस्तानी है कांतिलाल. ला अपना सूट उतार कर फेंक दे अंगरेज कहीं का. इस पर कांतिलाल वहां से गुस्सा हो कर चला जाता है. यदि दूसरे एपिसोड का विश्लेषण करें तो इस एपिसोड में समय सीमाओं के बीच आगेपीछे कूदने का जटिल प्रारूप बनाया गया है, जो वास्तव में कहानी में कुछ भी नहीं जोड़ता, जो पहले से ही भारतीय दर्शकों को अच्छी तरह से पता भी है.
वकील कांतिलाल साहनी ज्यादातर अदालत कक्ष में आयोग के सदस्यों के बजाय भीड़ को संबोधित करते हुए भावशून्य चेहरे के साथ घूमता नजर आता है. अभिनय की दृष्टि से भी सभी कलाकारों का अभिनय औसत दरजे का रहा है.
एपिसोड नंबर 3
तीसरे एपिसोड के शुरुआत में हरि सिंह औलख को अंगरेज महिला टीचर शेरवुड मैडम को बताते हुए दिखाया गया है. उस के बाद हरि सिंह औलख और उस की पत्नी पूनम प्लान बनाते हैं कि अल्लाहबख्श और कांतिलाल साहनी को खाने पर बुला कर अपने होने वाले बच्चे की खुशखबरी दे देंगे. हरि सिंह पूनम से कहता है कि ‘इंकलाब’ अखबार को डूबने से केवल तुम्हीं बचा सकती हो. समय अवधि पूरी होने के बाद थाने से इंसपेक्टर अशरफ जब अल्लाहबख्श को प्रैस में गिरफ्तार करने आता है तो इसी बीच पूनम खुद ‘इंकलाब’ अखबार की एडिटर इन चीफ बन जाती है और अल्लाहबख्श का इंकलाब अखबार से इस्तीफे की खबर छपवा देती है, जिस के कारण अल्लाहबख्श की गिरफ्तारी रुक जाती है.
अगले दृश्य में 11 अप्रैल जलियांवाला कांड से 2 दिन पहले का दृश्य दिखाया गया है. कोर्ट में वकील कांतिलाल कहता है कि अमृतसर में शांति लाने का नहीं, बल्कि शांतिपूर्ण शहर में खूनी मंजर लाने का प्लान था. मेरे दोस्त अल्लाहबख्श ने रामनवमी के दिन मेरे लिए एक दुआ मांगी थी कि तेरे मुंह में जुबान आ सके, इसलिए अब मैं आप को बताता हूं कि ब्रिटिशर्स और उस शातिर आदमी का अगला प्लान क्या था. अब सीन वर्तमान में आ जाता है, जहां लार्ड हंटर को यह बात याद आ रही है. कांतिलाल कहता है कि मैं अब बताता हूं कि इस के पीछे मास्टरमाइंड कौन है.
तभी कमिश्नर किचन (रेमंड बेयूले) लार्ड हंटर को इशारा करता है तो लार्ड हंटर समय की बात करते हुए कोर्ट की काररवाई को अगले दिन तक स्थगित कर देता है. अगले सीन में कांतिलाल अपने पिता गिरधर के साथ खाना खा रहा होता है, तभी कांतिलाल के वकालत के गुरु शेरवुड वहां पर माइकल ओ डायर यानी पंजाब के गवर्नर को ले कर आ जाता है. माइकल डायर गिरधर के पिता को जबरदस्ती छुरीकांटे से खाना खाने की विधि समझाता है यानी कि गिरधर को प्रताडि़त करता है ताकि कांतिलाल डर कर केस न लड़े.
जाते समय शेरवुड लंदन की एक बड़ी फर्म का नियुक्तिपत्र कांतिलाल को देता है. कांति मना कर देता है तो शेरवुड उसे कहता है कि ब्रिटिश सम्राट नहीं चाहता है कि तुम भारतीयों के लिए केस लड़ो. शेरवुड कहता है कि ये नियुक्तिपत्र लंदन की लार्ड एंड थामसन कंपनी का है, जिस में नौकरी पाने के लोग सपने देखते हैं. लेकिन कांतिलाल यह औफर ठुकरा देता है. दूसरे दिन कोर्ट में कहता है कि लार्ड हंटर मेरे गुरु (शेरवुड) ने मुझे सिखाया है कि मुझे मेरा कर्तव्य कैसे निभाना है. तभी दर्शक दीर्घा में दर्शकों के बीच में कांतिलाल के गुरु शेरवुड उस के पिता गिरधर को दिखाया जाता है.
उस के बाद जालियांवाला कांड के 2 दिन पहले 11 अप्रैल का दृश्य दिखाया जाता है, जहां पर कमिश्नर किचन मेजर मैकडोनल्ड से पूरे शहर का नियंत्रण अपने हाथ में लेने को कहता है. इस पर मेजर से मैकडोनल्ड कहता है कि हमें हिंसा को भी रोकना है, लेकिन कमिश्नर उसे आदेश जारी करने के लिए कहता है. अगले दृश्य में जनाजे और अर्थियां ले जाते हुए लोग दिखाई देते हैं, तभी वहां पर सरकारी फरमान सुनाया जाता है कि अंतिम संस्कार और जनाजे के लिए केवल 2 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है. 2 बजे बिगुल बजेगा, अगर उस के बाद कोई सड़कों पर दिखा तो उसे गोली मार दी जाएगी.
तभी वहां पर अंगरेजों का चमचा हंसराज (अध्याय बख्शी) आ कर लोगों को भड़काता है कि सरकार का जवाब हाथ जोड़ कर नहीं, बल्कि उन का हाथ तोड़ कर देना होगा और वहां से चुपचाप खिसक जाता है. उस के बाद दलबीर भुल्लर भड़क कर नारेबाजी करने लगता है तो कांतिलाल उसे आ कर शांत करता है. हरिसिंह पत्नी पूनम के साथ घर पर होता है. वे दोनों बच्चे के होने की खुशखबरी अल्लाहबख्श और कांति को देना चाहते हैं. हरि सिंह अपने भतीजे तेज को खाने पर बुलाने के लिए निमंत्रण देने भेजता है.
कोर्ट में कांतिलाल कहता है कि लार्ड हंटर 11 अप्रैल को अमृतसर में पूरी शांति थी. यह शांति मेजर मैकडोनल्ड के कारण हुई थी, इसलिए रिंगमास्टर की दूसरी चाल भी फेल हो गई. इसलिए एक बार 11 अप्रैल को यह चाल एक बार फिर से अमल में लाई गई.
कमिश्नर किचन गवर्नर माइकल डायर को मेजर मैकडोनल्ड के आदेश न मानने के बारे में बताता है. इधर कांति कोर्ट को बताता है कि इस बार हमारा रिंगमास्टर पुरानी गलती को दोहराना नहीं चाहता था, इसलिए उस ने एक नई चाल चल कर जनरल हैरी डायर (एलेक्स रीस) को अमृतसर बुलवा लिया. जनरल हैरी डायर के अमृतसर पहुंचने पर कमिश्नर किचन उसे झूठी खबर देता है कि गवर्नर माइकल ओ डायर को ऐसा लगता है कि 300 भारतीय विभिन्न जगहों से असलहे सहित अमृतसर पहुंच कर 1857 जैसी क्रांति को अंजाम देने वाले हैं.
कमिश्नर किचन जनरल हैरी डायर को अस्पताल में भरती टीचर के पास ले जाता है, जिसे भारतीयों ने मारा था. अगले सीन में शहर में पूरी तरह से शांति थी. हरि सिंह और पूनम अपने घर पर डिनर पर अल्लाहबख्श और कांतिलाल के आने का ब्रेसबी से इंतजार कर रहे थे, तभी हरि सिंह और पूनम की नजर अपने दोमंजिले से नीचे पड़ती है तो कांतिलाल और अल्लाहबख्श दोनों अलगअलग रास्ते से आते दिखे. अल्लाहबख्श की नजर जब कांतिलाल पर पड़ी तो उसे याद आ जाता है कि कैसे कांतिलाल ने उस का केस लडऩे से साफ मना कर दिया था.
दोनों नफरत से एकदूसरे को देख कर वापस अपनेअपने रास्ते अपने घर चले जाते हैं. इसी के साथ तीसरा एपिसोड समाप्त हो जाता है. यदि तीसरे एपिसोड के बारे में बात करें तो डबिंग और साउंड मिक्सिंग इतनी खराब है कि आप वायस ओवर और डायलौग में अंतर नहीं कर सकते. अभिनय की दृष्टि से भी कलाकारों का अभिनय अपनी कोई छाप छोडऩे में असफल रहा है.
एपिसोड नंबर 4
इस एपिसोड की शुरुआत में जलियांवाला कांड से 2 दिन पहले 12 अप्रैल का दृश्य दिखाया गया है, जहां पर हंसराज अंगरेजी साजिश के तहत लोगों को भड़का रहा है कि किचलू और डा. सत्यपाल की रिहाई के लिए अधिक से अधिक लोगों के साथ जलियांवाला बाग में धरनाप्रदर्शन किया जाएगा, ताकि अंगरेजों पर दबाव बढ़ाया जा सके. अगले दृश्य में कांतिलाल कोर्ट को बताता है कि 12 अप्रैल की शाम को एक विशेष सत्याग्रही हंसराज जनरल डायर को यह खबर देता है कि 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग में अधिक से अधिक लोगों को आने के लिए खबर फैला दी गई है. उस के बाद जनरल डायर सभी अंगरेज नागरिकों को सुरक्षित रखने की दृष्टि से उन सब को सिविल लाइंस में आने के लिए आदेश पारित कर देता है.
इसी बीच जनरल डायर अमृतसर में अतिरिक्त फौज की टुकडिय़ों को भी बुलवा लेता है. अगले दृश्य में कांतिलाल एक राजस्थानी युवक भीमसेन को कोर्ट में पेश करते हुए कोर्ट को बताता है कि भीमसेन गायबैल खरीदने अमृतसर आए थे और उन के साथ अन्य लोग भी थे, जिन्हें अन्य स्थान से जलियांवाला बाग में जाने के लिए जबरदस्ती उकसाया गया था, ताकि वहां पर अधिक भीड़ इकट्ठा करवाई जा सके. 13 अप्रैल को हंसराज जलियांवाला बाग की भीड़ को इकट्ठा करवाता है. दूसरी तरफ जनरल डायर फौज को जलियांवाला बाग में पुलिस और फौज की टुकड़ी को भीड़ पर गोली चलाने का हुक्म दे देता है.
मृतकों के परिजन भी कोर्ट के सामने गोलीकांड के बाद के नजारे का दृश्य बयां करते हैं. कुछ लोग बताते हैं कि उन के बेटे, पति, पत्नी, बेटी की लाश मिली ही नहीं. जबकि वे सभी उस दिन जलियांवाला बाग में गए थे. उस के बाद कोर्ट में पूनम बताती है कि जब 13 अप्रैल की शाम को उसे इस हादसे के बारे में पता चला तो अंधेरा काफी हो चुका था. तभी एक उम्रदराज चाचा ने उसे 8 बजे तक कफ्र्यू लगने की बात बताई थी. जब उस ने अपने पति की लाश को देखा तो उस ने वहां पर अन्य लोगों से लाश उठाने की प्रार्थना की, लेकिन तब तक 8 बज चुके थे और सभी लोग कफ्र्यू के डर से अपने घर को लौट गए थे.
उस पूरी रात मैं अपने हरि का हाथ पकड़ कर वहीं पर रही. एक बार मैं ने सोचा कि अब मैं अकेले जी कर क्या करूंगी तो मैं ने सोचा कि यदि मैं मर गई तो हरि का सपना भी मर जाएगा. मैं अपने जन्म लेने वाले बच्चे को बता सकूंगी कि उस दिन जो अमृतसर में हुआ, वह कभी भूलना नहीं है. उस के बाद वहां मृतकों की लिस्ट दिखाई जाती है, जिसे देख कर कोर्ट में मौजूद मृतकों के परिजन रोने लगते हैं.
फिर एक महीने पहले का दृश्य दिखाया जाता है, जब जनरल डायर कोर्ट में अपना बयान देता है. कोर्ट में उपस्थित अन्य जज और एडवोकेट शाह (निखिल) जनरल डायर से तरहतरह के प्रश्न पूछते हैं कि जब भीड़ शांत थी तो उस ने बेगुनाहों और निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाने का हुक्म क्यों दिया? उन को चेतावनी क्यों नहीं दी?
इस पर जनरल डायर कहता है कि यदि मैं चेतावनी देता और लोग मेरा आदेश नहीं मानते, फिर से इकट्ठा हो जाते तो इस से मेरा अपमान हो सकता था, इसलिए मैं ने गोली चलाने का आदेश दिया था. चौथे एपिसोड का विश्लेषण करें तो इस एपिसोड में कई बार भावुकता भरे क्षण आए हैं, जिस से दर्शक अवश्य प्रभावित हुए, लेकिन इस एपिसोड में भी एक ही घटना को एक बार में पूरा न दिखा कर टुकड़ेटुकड़े में दिखाया गया है, जिस से दर्शक बोरियत महसूस करने लगते हैं. अभिनय की दृष्टि से भी कलाकारों का अभिनय औसत दरजे का रहा है.
एपिसोड नंबर 5
पांचवें एपिसोड की शुरुआत में जनरल डायर उस गली में जाता है, जहां पर भारतीयों ने अंगरेज महिला टीचर को बेदर्दी से मारा था. जनरल डायर वहां के सभी लोगों को चेतावनी देता है कि तुम ने उस दिन एक निर्दोष को मारा था, जब भी कोई यहां से गुजरेगा तो वह घुटने झुका कर अपने कृत्य की माफी मांग कर आगे बढ़ेगा. यह मेरा हुक्म है तुम सब के लिए. अगला दृश्य 12 दिसंबर कोर्ट का दिखाया जाता है, जहां कांतिलाल साहनी कोर्ट को बताता है कि जलियांवाला कांड करने के बाद भी जनरल डायर का दिल भरा नहीं था. वह 10 अप्रैल की कीमत पूरे शहर में मार्शल ला की आड़ ले कर सभी शहरवासियों पर अपना कहर बरपा रहा था. झूठे मुकदमे, झूठी गवाहियां दिखा कर लोगों को बुरी तरह से प्रताडि़त कर रहा था.
जनरल डायर को पंजाब के गवर्नर माइकल ओ डायर की ओर से इनाम के रूप में शाबाशी मिली. उस के बाद के दृश्यों में कई लोगों को घुटने और हाथपैर के सहारे जमीन पर रेंगने के लिए मजबूर किया गया, जिन में कांतिलाल भी था. कई लोग कोर्ट में अपने ऊपर हुए जुल्म की कहानी भी बयां करते हैं. अगले दृश्य में कांतिलाल लंदन में अपने गुरु लार्ड अंडरहिल को लिख कर 10 अप्रैल के हत्याकांड और बाद में जनरल डायर द्वारा लोगों पर किए जुल्मों की सारी कहानी बताता है और उन से मदद की गुहार लगाता है. लार्ड अंडर हिल वहां के समाचार पत्रों को अन्य अधिकारियों को भेजता है. लार्ड अंडरहिल फिर कांतिलाल को चिट्ठी लिख कर बताता है कि यहां की संसद में भी इस विषय को गंभीरता के साथ लिया गया है.
उस के बाद सुबह कांति के पिता गिरधर अखबार की खबर सुनाते हुए कांतिलाल से कहते हैं कि जलियांवाला हत्याकांड की जांच के लिए लार्ड हंटर को कमीशन का अध्यक्ष बनाया गया है और वकील के तौर पर तुम्हारा नाम आया है. गिरधर अपने बेटे को बधाई देते हैं और यह खबर सुन कर अमृतसर के लोग खुश हो जाते हैं कि अब उन्हें न्याय अवश्य मिल सकता है. सब के सब कांतिलाल को बधाई देते हैं, मगर अल्लाहबख्श कहता है कि ये सब ब्रिटिशर्स का दिखावा है. फिर वह कांति से कहता है कि इस हत्याकांड का सच कोर्ट में नहीं, बल्कि अमृतसर की गलियों में मिलेगा.
कांतिलाल जब उस का विरोध करता है तो दोनों में उसी पेन की शर्त लग जाती है कि यदि सबूत अल्लाहबख्श लाएगा तो कांति को पेन वापस लेना पड़ेगा और यदि कांतिलाल कोर्ट में खुद जीतेगा तो अल्लाह बख्श उसी पेन से अखबार ‘इंकलाब’ की हेडलाइंस लिखेगा. अगले दृश्य में तेजू कांतिलाल को अल्लाहबख्श का मैसेज देता है, जिस में उस ने आज रात को प्रेस वाली गली में सबूत देने और मिलने के लिए कांति को बुलाया था. रात को जब कांति वहां पर जाता है तो उसे अल्लाहबख्श की खून से सनी लाश, वही पेन व खून से सना एक परचा मिलता है, जिस में ‘साजिश’ लिखा होता है. उस के बाद दूसरे दिन अल्लाहबख्श के शरीर का कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार कर दिया जाता है.
पांचवें एपिसोड को भी बेवजह लंबा खींचा गया है. कांतिलाल को शराब पीते हुए अपने आप से बातें करता हुआ काफी लंबा दृश्य बनाया गया है, जिस की कोई आवश्यकता ही नहीं थी. अपने अभिनय से वह दर्शकों को और बोर करता हुआ दिखाई देता है.
एपिसोड नंबर 6
छठे एपिसोड में कांतिलाल को अल्लाहबख्श की लाश से चिपट कर रोते हुए दिखाया गया है. उस के बाद कांतिलाल उस परचे के प्रैस मालिक मान सिंह से मिलता है, जहां से अंगरेज लोग सरकार के लिए आदेशों के परचे छपवाते हैं. वहां जा कर पता चलता है कि प्रैस से केवल एक ही प्रिंट छपता था, बाकी सब पर्चों को साइक्लोस्टाइल किया जाता था. कांतिलाल फिर साइक्लोस्टाइल की दुकान पर जा कर पता करता है और फिर हंसराज के घर और गोदाम तक पहुंचता है.
अगले दृश्य में कांतिलाल पूनम के घर पर होता है तो पूनम उसे बताती है कि हंसराज की पत्नी मंजोत डा. इनिस के पास रोज आया करती थी. इस के बाद कांतिलाल उस आदमी के पास जाता है, जिस ने जलियांवाला बाग का स्टेज बनाया था. इस बीच पूनम डा. इनिस से मंजोत के बारे में पता करती है तो डा. इनिस बताती है कि मंजोत और उस के पति पानी के जहाज से विदेश चले गए हैं. उस के लिए मैडिकल सर्टीफिकेट बनाने मंजोत मेरे पास आया करती थी.
इस बीच कांतिलाल सिपाही गुरंग से बातचीत करता है, जो उस दिन गोलीकांड में जनरल डायर के साथ था. उस के बाद कांतिलाल हंसराज के गोदाम में जा कर दरवाजे को लोहे की रौड से तोड़ कर गोदाम के भीतर कुछ पेपर देखता है, तभी उस के ऊपर गोलियां चलने लगती हैं, जहां से किसी तरह वह भाग जाता है. यह दृश्य पहले एपिसोड में भी दिखाया जा चुका है. अगला दृश्य 12 दिसंबर कोर्ट रूम का दिखाया जाता है, जहां पर डिवीजनल कमांडर जनरल बे्रनन का बयान लिया जाता है. वह कोर्ट में बताता है कि उन्होंने मेजर मैकडोनल्ड के बदले में कर्नल मोर्गन को भेजा था. कांति तब कोर्ट में कहता है कि जनरल डायर को किस के आदेश से अमृतसर भेजा गया. वह जनरल डायर से पूछता है कि सारे सबूत हमारे पास हैं, बताइए आप अमृतसर क्यों आए?
तभी कोर्ट में पंजाब का गवर्नर माइकल ओ डायर पहुंच जाता है और कोर्ट में बैठ जाता है. अब जनरल डायर कहता है कि मैं यह बात गोपनीय होने के कारण कोर्ट में नहीं बता सकता. तब कांतिलाल कहता है कि जनरल डायर, आप ने खुद लाउडस्पीकर से अमृतसर के हर क्षेत्र में ऐलान कराया, लेकिन जलियांवाला बाग और अमृतसर टेंपल में, जहां भीड़ रहती है, वहां पर ऐलान जानबूझ कर नहीं कराया. उस के बाद कांतिलाल गवाहों के माध्यम से स्टेज बनाने वाले और सिपाही गुरंग के माध्यम से सबूत देता है कि स्टेज को ऊंचा कराने का काम हंसराज ने किया था और 12 अप्रैल की रात को हंसराज जनरल डायर से मिलने उस के घर पर भी गया था.
फिर कांतिलाल कोर्ट में यह साबित कर देता है कि इन सब के पीछे केवल गवर्नर माइकल ओ डायर ही था. जनरल डायर तो मात्र उस की एक कठपुतली था. अब कोर्ट में उपस्थित भीड़ ‘जनरल डायर को फांसी दो’ और ‘रिंगमास्टर का नाम उजागर करो’ चिल्लाने लग जाती है तो लार्ड हंटर परेशान हो कर आधे घंटे के लिए कोर्ट को स्थगित कर देता है. अगले दृश्य में लार्ड हंटर बहुत गुस्से में होता है तो पंजाब का गवर्नर माइकल ओ डायर एक परचा दिखाता है, जिस से लार्ड हंटर देख कर खुश हो जाता है. जब आधे घंटे में कोर्ट में लोग दोबारा बैठते हैं, तभी वह परचे सभी लोगों में बांट दिए जाते हैं.
उस परचे में लिखा था कि रौलेट ऐक्ट बनाने में वकील कांतिलाल साहनी का हाथ भी था. यह देख कर वहां पर उपस्थित सभी लोग कांतिलाल पर परचे फेंक कर उसे गद्ïदार कह कर चिल्लाने लगते हैं. कोर्ट को बंद कर देना पड़ता है. जब कांतिलाल वहां से घर जाने लगा तो लोग उस के ऊपर ईंटपत्थर फेंकते हैं और गाली देने लगते हैं. किसी तरह उस के पिता गिरधर कांति को बचा कर घर पर लाते हैं. कांति के पिता उस से कहते हैं यह मेरी ही भूल थी, मैं ने तुझे लंदन भेजना ही नहीं था.
अगले दृश्य में कांतिलाल उदास जलियांवाला बाग में बैठा है, जहां पूनम आ कर उसे समझाती है कि यदि तुम ने हार मान ली तो अमृतसर के लोगों को कौन न्याय दिला पाएगा. उन्होंने तुम्हारी कमजोरी पकड़ी है, इसलिए अब तुम्हें उन की कमजोर नस को पकड़ कर पलटवार करना होगा, तभी जीत संभव हो सकती है. फिर 13 दिसंबर कोर्ट का है, जहां पर कांतिलाल कहता है कि मुझे कुछ कन्फैशन करने की अनुमति दी जाए. वह कहता है कि हम भारतीय काला रंग होने के कारण गोरों से आज भी पिछड़े हुए हैं. अंगरेज तो सभी रोशनी को तरह होते हैं. मैं यह बताना चाहता हूं कि इस कांड के पीछे एक जो रिंग मास्टर था, उस का नाम था हंसराज, जिस की मां हिंदू और बाप एक मुसलमान था.
हिंदुओं के लिए वह हंसराज और मुसलमानों लिए हसन रियाज था. उस की मां की मौत हुई तो हिंदुओं ने उस की मां को जलाने और मुसलमानों की उस कब्र में दफनाने से मना कर दिया. तब उस ने प्रण किया कि वह अमृतसर के श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों को लाशों से भर देगा. कांतिलाल गवर्नर माइकल ओ डायर से कहता है एक काले हिंदुस्तानी आदमी ने सारे ब्रिटिश हुकूमत को बंदर की तरह नचाया. छुरीकांटे से खाना खाने वाले पढ़ेलिखे अंगरेजों को सरकस के रिंग मास्टर की तरह नचाया.
इस पर पंजाब का गवर्नर माइकल ओ डायर अपना धैर्य खो बैठता है और अपने अहं को बचाने के लिए अपना अपराध स्वीकार कर लेता है. जनता माइकल ओ डायर को फांसी दो, फांसी दो जोरजोर से चिल्लाने लग जाती है. एडवोकेट शाह आ कर कांतिलाल से कहता है शाबाश कांति, आखिर तुम जड़ तक पहुंच ही गए. जड़ तक पहुंच कर यह जरूरी नहीं होता कि जो व्यक्ति पेड़ लगाए, उसे उस की छांव मिले, लेकिन हां आने वाली पीढ़ी जब उन पेड़ों की छांव में बैठती है तो वे पेड़ लगाने वालों को जरूर दुआ देते हैं.
कांतिलाल जब घर आता है तो उस के पिता गिरधर उस से पूछते हैं कि मैं ने तो हंसराज के बारे में यह बात पहले नहीं सुनी. इस पर कांतिलाल कहता है कि पिताजी आप ने यह सुना होगा कि संत कबीर की मृत्यु पर हिंदूमुसलमानों के बीच शव को जलाने और दफनाने की होड़ लग गई थी. मुझे तो अंगरेजों की नाभि तक पहुंचना था, इसलिए यह कहानी गढऩी पड़ी. अगले दृश्य में पूनम की बेटी हो जाती है, उस का नाम हरि सिंह औलख की इच्छानुसार, विक्टोरिया यानी जीत कौर रखा जाता है, जो अपनी आंखों से वर्षों के गुलाम हिंदुस्तान को आजाद होते देखती है. इसी के साथ छठवां और आखिरी एपिसोड भी समाप्त हो जाता है.
छठें एपिसोड की बात करें तो यह एपिसोड धीमी गति और नाटकीय तनाव की कमी के कारण अपना प्रभाव छोडऩे में संघर्ष करता दिखाई देता है. बारबार फ्लैशबैक के कारण कहानी नाटकीय सी दिखाई देती है. कलाकारों का प्रदर्शन भी अपना प्रभाव छोडऩे से असफल रहा है. इस में कोई दोराय नहीं कि सीरीज की थीम इसे देखने के लिए आकर्षित करती है, लेकिन इसे जिस तरह से परदे पर उतारा गया है, वह बिलकुल भी दमदार नहीं है.
राम माधवानी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके डायरेक्टर हैं, जिन से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन जिस तरह वह इस महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना को दिखाने और प्रभावशाली बनाने से चूकते हैं, वह जरूर चौंकाता है. डायरेक्टर राम माधवानी ने इस में इतिहास, ड्रामा और ऐक्शन को बैलेंस करने की अपनी तरफ से काफी कोशिशें कीं, लेकिन कहानी की धीमी रफ्तार, ऐतिहासिक घटनाओं की प्रस्तुति और हंटर कमीशन कमेटी की बेहद धीमी, कमजोर बहसों के बीच यह इधर से उधर और उधर से इधर केवल झूलती सी दिखाई देती है, जिस का नतीजा यह होता है कि यह वेब सीरीज आप को भावनात्मक रूप से बिलकुल भी नहीं जोड़ पाती है.
कोर्ट रूम के दृश्य जो इस वेब सीरीज की जान बन सकते थे, वह अपनी सुस्त रफ्तार के कारण बिखरते हुए से दिखाई पड़ रहे हैं. हंटर कमीशन की जांच भी इस कहानी को एक मजबूती दे सकती थी, लेकिन वह भी एक लीगल ड्रामा के रूप में घिसटतीसिमटती सी दिखाई देती है. यह दिल की गहराइयों में नहीं उतर पाती है. डायलौग्स में भी गहराई नहीं है.
तारुक रैना
अभिनेता तारुक रैना का जन्म 29 सितंबर, 1994 को मुंबई में हुआ था. तारुक रैना एक अभिनेता, गायक, गीतकार और संगीतकार है. तारुक रैना केवल 6 साल की उम्र से ही गाना गा रहा है. वह रौक संगीत, रैप, हैवी मेटल और गजलों को सुनते हुए बड़ा हुआ है. संगीत के बारे में तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण उस ने यूट्यूब के माध्यम से गाना गाने का अभ्यास शुरू किया और कुछ सालों के बाद उस ने बार और शादियों में गिग्स परफार्म करना शुरू कर दिया. वर्ष 2015 में फिल्म ‘बेफिक्रे’ के लिए उस ने यशराज फिल्म्स में आदित्य चोपड़ा के सहायक के रूप में काम करना शुरू किया.
इस के बाद तारुक रैना ने थिएटर नाटकों में अभिनय किया. विशेष रूप से डिज्नी के अलादीन के भारतीय रूपांतरण में मुख्य किरदार के रूप में, जहां पर उसे लाइव दर्शकों के सामने अभिनय करने के साथसाथ गाने भी गाने पड़ते थे. वर्ष 2021 में तारुक नेटफ्लिक्स मिनी सीरीज ‘आर्यन एंड मीरा’ में जैन मैरी खान के साथ आर्यन के रूप में दिखाई दिया था. तारुक रैना वर्ष 2020 में वेब सीरीज ‘पवन और पूजा’ में पवन श्रीवास्तव की भूमिका में, वेब सीरीज ‘बेमेल’ अनमोल मेहरोत्रा के किरदार में, वर्ष 2021 में ‘आर्यन और मीरा’ में आर्यन खन्ना के चरित्र में, वर्ष 2022 में ‘टूटी हुई खबरें’ में अनुज सक्सेना के किरदार में, वर्ष 2022 में ‘जुगाडि़स्तान’ में लकी कोहली के किरदार में और वेब सीरीज ‘एक राष्ट्र का जागरण’ यानी कि ‘द वेकिंग औफ ए नेशन’ वर्ष 2025 में वकील कांतिलाल साहनी के किरदार के रूप में सामने आया है.
तारुक रैना का फिल्मी करिअर किसी भी अवसर को पाने के लिए हमेशा से उत्साही रहा है. वह अपने स्कूल के गायक मंडली में भी गाने गाता था. फिल्म ‘मिसमैच्ड’ के लिए आडिशन देने के डेढ़ साल के बाद उसे फिल्म ‘शर्माजी नमकीन’ के लिए चुना गया. तारुक रैना ने इस फिल्म में ऋषि कपूर के सब से छोटे बेटे की भूमिका निभाई थी.
निकिता दत्ता
अभिनेत्री निकिता दत्ता का जन्म 13 नवंबर, 1991 को दिल्ली में हुआ था. इन के पापा का नाम आनंद दत्त व मम्मी का नाम अल्का दत्त है. निकिता के परिवार में उस की एक छोटी बहन भी है, जिस का नाम अंकिता दत्त है. निकिता के पिता आनंद दत्ता भारतीय नौसेना में अधिकारी रह चुके हैं. भारतीय अभिनेत्री निकिता दत्ता जो फेमिना मिस इंडिया 2012 की फाइनलिस्ट में से एक रही थी. उस ने बौलीवुड में अपने करिअर की शुरुआत फिल्म ‘ले कर हम दीवाना दिल’ से की थी, जहां उस ने सहायक की भूमिका निभाई थी.
निकिता दत्ता ने ‘ड्रीम गर्ल’ धारावाहिक के साथ अपने टेलीविजन करिअर की शुरुआत की. उस ने फिल्म ‘गोल्ड’ और ‘कबीर सिंह’ में भी काम किया. निकिता दत्ता को ‘एक दूजे के वास्ते’ धारावाहिक में सब से अच्छी जोड़ी के लिए (नामिक पौल के साथ) लायंस गोल्ड अवार्ड और ‘हासिल’ धारावाहिक के लिए पंसदीदा अभिनेत्री का लायंस गोल्ड अवार्ड भी मिल चुका है.