Maharashtra Crime : हत्यारों ने सरपंच संतोष देशमुख के कपड़े फाड़े, पानी मांगने पर चेहरे पर पेशाब किया, हंस कर सेल्फी ली और अधमरे देशमुख पर थूका. हत्याकांड की क्रूरता का यह वीडियो जिस ने भी देखा, वह सिहर उठा. आखिर किस ने की यह क्रूरतम वारदात? इस के बाद इस मामले को ले कर ऐसी राजनीति हुई कि प्रदेश के एक मंत्री को देना पड़ा इस्तीफा…

महाराष्ट्र के जिला बीड के केज तालुका में अवाडा नाम की निजी कंपनी द्वारा पवनचक्की लगाया जाना था. इस की शुरुआत हो चुकी थी. सभी जरूरी सामान को केज तालुका के मस्साजोग गांव में लाया जा चुका था. इस की रखवाली चौकीदार के जिम्मे थी. एक अस्थाई औफिस बनाया गया था. वहीं बीते साल 2024 की 6 दिसंबर को दोपहर में 4 लोग ड्यूटी पर तैनात टाकली गांव के रहने वाले एक चौकीदार के पास गए.

वे प्रतिबंधित परिसर में घुसना चाहते थे. चौकीदार ने उन्हें सख्ती के साथ रोक दिया. बोला कि यहां किसी अनजाने व्यक्ति के आने पर रोक है. इस पर चारों चिल्लाने लगे. उन्होंने हंगामा खड़ा कर दिया और चौकीदार को पीटने लगे. अकेला चौकीदार उन्हें परिसर में घुसने से नहीं रोक पाया. वे अस्थाई औफिस के अंदर जबरन घुस गए. इस की खबर तुरंत मस्साजोग गांव में फैल गई. इस की सूचना जैसे ही तीसरी बार चुने गए सरपंच संतोष देशमुख को मिली, वह भागेभागे वहां जा पहुंचे. उन्होंने बीचबचाव करने की कोशिश की, लेकिन विवाद नहीं सुलझ पाया. उन के साथ झगड़ा हो गया. हाथापाई तक की नौबत आ गई.

गांव का सरपंच होने के नाते उन्होंने एक नागरिक के तौर पर कंपनी में मौजूद अधिकारियों को इस घटना की सूचना केज थाने में देने को कहा. इस पर ‘अवाडा’ पवन ऊर्जा कंपनी के एक अधिकारी शिवाजी थोपेटे ने उन्हें ही हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए कहा. वह केज पुलिस स्टेशन में गए और अशोक नारायण घुले, सुदर्शन घुले, प्रतीक घुले और अन्य एक शख्स के खिलाफ जबरन प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसने, मारपीट करने और धमकी देने का आरोप लगा कर शिकायत दर्ज करवा दी.

इस के बाद हंगामे की घटना के 3 दिन बाद 9 दिसंबर, 2024 को एक और घटना हो गई. दोपहर 3 बजे संतोष पंडितराव देशमुख और उन के चचेरे भाई शिवराज देशमुख कार नंबर एमएच 45बी 3032 द्वारा केज से मस्साजोग आ रहे थे. कार शिवराज देशमुख चला रहे थे. जब वे डोनगांव फाटा के पास टोल बूथ पर पहुंचे, तभी एक काले रंग की स्कौर्पियो नंबर एमएच 44जेड 9333 ठीक सामने आ गई. उस के ड्राइवर ने स्कौर्पियो संतोष देशमुख की कार के सामने घेर कर खड़ी कर दी थी. इस कारण शिवराज देशमुख को अपनी तेज रफ्तार की गाड़ी अचानक रोकनी पड़ी.

क्यों किया सरपंच का किडनैप

तभी उस स्कौर्पियो से 6 लोग धड़ाधड़ फिल्मी स्टाइल में निकले. सभी ने संतोष देशमुख की कार को घेर लिया. भीतर बैठे संतोष देशमुख ने अनहोनी की आशंका से जैसे ही कार की खिड़कियां बंद कीं, वहां अचानक आ धमके लोगों में से एक ने पत्थर उठाया और शीशा तोड़ दिया, जबकि दूसरे ने बाईं ओर का दरवाजा जबरन खोला और तेजी से झपट्टा मारते हुए संतोष देशमुख को कार से बाहर खींच लिया.

बाकी लोगों ने उन्हें दनादन डंडे से पीटना शुरू कर दिया. उन के बीच हाथापाई शुरू हो गई. फिर हमलावरों ने संतोष देशमुख को जबरन स्कौर्पियो गाड़ी में बैठा लिया. शिवराज देशमुख की आंखों के सामने ही उन के चचेरे भाई सरपंच संतोष देशमुख का खतरनाक गुंडे सरीखे बदमाशों ने किडनैप कर लिया था. उन्होंने इस की जानकारी तुरंत उन के फेमिली वालों को दी. संतोष देशमुख के घर वालों ने शाम 6 बजे केज पुलिस थाने में किडनैपिंग की शिकायत दर्ज करवा दी.

फिर तो पूरे इलाके में जंगल में आग की तरह खबर फैल गई कि सरपंच बने संतोष देशमुख का गुंडों ने किडनैप कर लिया है. वह इलाके के बेहद चर्चित और कर्मठ सरपंच के रूप में जाने जाते हैं. इस कारण यह मामला पुलिस के लिए भी एक हाईप्रोफाइल किडनैप का बन गया था. इस पर तुरंत काररवाई शुरू हो गई. केज पुलिस ने जांच के लिए 2 टीमें बना कर मामले की तहकीकात के लिए लगा दीं. पुलिस की एक टीम को शाम के वक्त केज तालुका के देठणा इलाके में संतोष देशमुख की लाश मिलने की सूचना मिली. इस के बाद पूरे इलाके में और भी सनसनी फैल गई. इस खबर के मस्साजोग गांव में फैलते ही पूरा गांव आक्रोशित हो गया. देखते ही देखते केज उपजिला अस्पताल परिसर में लोगों की भीड़ जुट गई. वहीं संतोष देशमुख की लाश को ला कर रखा गया था.

लाश के बारे में भी तरहतरह की बातें होने लगी थीं. गांव में 3 दिन पहले हुई मारपीट की घटना और उस के बाद की हत्या को ले कर ग्रामीण गुस्से में थे. उन्होंने अपना गुस्सा पुलिस गाड़ी में तोडफ़ोड़ कर निकाला. गांव में माहौल गरमाने लगा तो बीड से पुलिस बुलानी पड़ी. बीड के एएसपी सचिन पांडकर और अंबाजोगाई की चेतना तिड़के जैसे सभी अधिकारी और कर्मचारियों ने मस्साजोग में डेरा डाल दिया.

रात 9 बजे तक हत्यारों के बारे में पुलिस को कोई खास सफलता नहीं मिल पाई थी, लेकिन ग्रामीण इस बात पर अड़े थे कि जब तक हत्या का मामला दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, तब तक वे शव को नहीं लेंगे. इस तरह की आवाज उठाने वालों में उन के परिजन ही मुख्य थे. पुलिस उस काले रंग की स्कौर्पियो की तलाश में जुटी हुई थी, जिस से संतोष को अगवा किया गया था. कार की तलाशी के सिलसिले में पुलिस को मालूम हो गया था कि कार सुदर्शन घुले (टाकली, जिला केज) की है, जिस में कुछ लोगों के नाम भी सामने आए.

इस में जयराम माणिक घाटे (उम्र 21 वर्ष, निवासी तंबावा, जिला केज) और महेश सखाराम केदार (उम्र 21 वर्ष, निवासी मैंडवाड, सिटी धारुर) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जबकि टाकली जिला केज के सुदर्शन घुले, प्रतीक घुले, सुधीर सांगले, मेंडवाडी धारुर के कृष्णा अंधाले फरार थे. यह काररवाई एसपी अविनाश बार्गल, एएसपी सचिन पांडकर, चेतना तिडके, पीआई उस्मान शेख, प्रशांत महाजन, एसआई विघ्यने  औताडे, भागवत शेलार, जाधव, नारायण कारदे आदि ने की थी. हालांकि इस मामले को करीब 3 माह बीतने के बाद भी मुख्य मास्टरमाइंड पुलिस की गिरफ्त से बाहर था.

आखिरकार लोगों के गुस्से को देखते हुए मामला सीआईडी को सौंप दिया गया और इस घटना के बाद गहन जांच के क्रम में संबंधित संदिग्धों के बैंक खातों को फ्रीज करा दिया गया. वाल्मीक कराड और उन के करीबी सहयोगियों की जांच तेज कर दी गई.

रंगदारी के मांगे 2 करोड़ रुपए

पुलिस ने जांच में पाया कि सरपंच संतोष देशमुख की हत्या की जड़ में अवाडा एनर्जी कंपनी से 2 करोड़ की रंगदारी का मामला है. इस बारे में 29 नवंबर को सुनील शिंदे के मोबाइल पर विष्णु चाटे ने काल की थी, ”वाल्मीक अन्ना बोलने वाले हैं.’’ यह कह कर उस ने वाल्मीक कराड को फोन दे दिया.

”अरे काम बंद करो. सुदर्शन ने जो शर्तें बताई हैं उस के अनुसार काम बंद कर दो, वरना परिणाम गंभीर होंगे.’’ वाल्मीक कराड शिंदे से कड़कती आवाज में तेवर के साथ बोला.

यह एक तरह से प्रोजेक्ट का काम शुरू होने के संबंध में धमकी थी. उस दिन सुदर्शन घुले भी औफिस आए और उन्होंने भी काम बंद करने या हाथपैर तोडऩे की धमकी दे डाली थी.

कुछ दिन पहले कंपनी के शिवाजी थोपटे को वाल्मीक कराड ने पास के अपने दफ्तर में बुला कर धमकी भरे शब्दों में कहा था कि केज तालुका के अवाडा कंपनी के सारे काम बंद कर दो. अगर आप को काम ही चालू रखना हो तो हमें 2 करोड़ रुपयों की रंगदारी देनी पड़ेगी. इस मामले में सुनील केदु शिंदे (उम्र 42 वर्ष, निवासी नासिक, वर्तमान में बीड में रहते हैं) ने वाल्मीक कराड (बाकी परली), विष्णु घाटे (बाकी कौडगांव, जिला केज और सुदर्शन घुले (बाकी तकली, जिला केज) तीनों के खिलाफ केज थाने में मामला दर्ज करवा दिया था.

पुलिस ने अनुमान लगाया कि सरपंच की हत्या और पूरे मामले के पीछे वाल्मीक कराड ही मुख्य मास्टरमाइंड है. वैसे इस घटना के बाद वाल्मीक कराड पुलिस गिरफ्त में नहीं आ पाया, इसलिए उस पर शक और भी गहरा हो गया. आरोप के मुताबिक धनंजय मुंडे के सहयोगी वाल्मीक कराड ने जिले में ऊर्जा कंपनी अवाडा के भूमि अधिग्रहण अधिकारी से 2 करोड़ की रंगदारी मांगी थी. सरपंच संतोष ने इस जबरन वसूली को रोकने की कोशिश की तो कराड के सहयोगियों ने उन्हें अगवा कर लिया, प्रताडि़त किया और फिर उन की हत्या कर दी.

राज्य अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने 27 फरवरी को देशमुख की हत्या और 2 संबंधित मामलों में बीड जिले की एक अदालत में 1200 से अधिक पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया. बीड के केज थाने में 3 अलगअलग मामले दर्ज किए गए. इन में सरपंच की हत्या, अवाडा कंपनी से रंगदारी मांगने की कोशिश और फर्म के सुरक्षा गार्ड पर हमले का केस है. पुलिस ने इन मामलों में आरोपियों के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत कठोर काररवाई की. गिरफ्तार लोगों पर मकोका के तहत मामला दर्ज किया गया.

एक तरफ बीड के सरपंच हत्याकांड की जांच हो रही थी, दूसरी तरफ इसे ले कर महाराष्ट्र की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती जा रही थी. इस जांच की आंच मुंबई के राजनीतिक गलियारे तक जा पहुंची थी. यह घटना आपराधिक रजनीति की ओर इशारा कर चुकी थी. यह चर्चा भी होने लगी थी कि किस तरह से धन, बाहुबल और राजनीतिक संरक्षण से बीड का अराजक तंत्र कायम हो चुका है, जहां वाल्मीक कराड जैसे लोग बिना किसी डर के काम करते हैं. वाल्मीक कराड महाराष्ट्र के राज्यमंत्री और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे का करीबी सहयोगी बताया जाता है. जब जांच के क्रम में कराड पर संगीन आरोप लगे, तब उस ने 31 दिसंबर, 2024 को पुणे में बीड सरपंच हत्या मामले में सीआईडी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.

संतोष देशमुख की हत्या बेहद ही क्रूरता से भरी थी. बताते हैं कि देशमुख की कथित तौर पर 350 बार रौड से वार कर के हत्या कर दी गई थी. जब उन्होंने पानी मांगा तो आरोपियों ने उन के मुंह में पेशाब कर दिया. संतोष की हत्या की हाड़ कंपा देने वाली क्रूरता इस हद तक थी कि उन की आंखों को लाइटर से जलाया गया था. मृत्यु के बाद चेहरे पर पेशाब कर शरीर पर जख्मों के निशान भरे पड़े थे.  कपड़े फाड़े गए थे, उस के साथ हंस कर सेल्फी ली गई थी. अधमरे संतोष देशमुख पर थूका गया था.

हत्या के पहले की खौफनाक वो 8 तसवीरें

इस हत्याकांड की 8 खौफनाक तसवीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बीड में तनाव का माहौल बन गया था. आक्रोशित जनता ने वारदात के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किए. जबकि मृतक संतोष के परिवार और ग्रामीणों ने न्याय की मांग की. क्रूरता को दिखाती पहली तसवीर में हत्या का आरोपी जयराम चाटे पहले देशमुख को जानवरों की तरह पीटता है और फिर उन की पैंट जबरदस्ती उतार देता है.

दूसरी तसवीर में आरोपी महेश केदार इस भयानक अत्याचार की सेल्फी ले कर मजाक उड़ाता है. तीसरी तसवीर में जब देशमुख बेहोश हो जाते हैं, तब आरोपी प्रतीक घुले उन की छाती पर खड़े हो कर उन के चेहरे पर टायलेट करता है. चौथी तसवीर में आरोपी सुदर्शन घुले इस बर्बरता के दौरान हंसते हुए तसवीरें खींचता है. पांचवीं तसवीर में आरोपी जयराम चाटे देशमुख की शर्ट जबरन फाड़ता है और फिर उसे हाथ में पकड़ कर हंसता है. छठी तसवीर में हत्यारे लोहे के पाइप और तारों से, क्लच वायर से देशमुख को बेरहमी से पीटते हैं. लातघूंसे और गालियों की बौछार की जाती है.

सातवीं तसवीर में तार जैसी किसी चीज से देशमुख की पीठ पर बर्बर प्रहार किए जा रहे हैं. आठवीं तसवीर में इतनी अमानवीय पिटाई के बाद भी आरोपी ठहाके लगाते दिखते हैं, जबकि देशमुख का शरीर लहूलुहान हो चुका था. उन के सिर से ले कर पैर तक खून बह रहा था. इस के बाद सुदर्शन घुले और उस के साथी देशमुख को जबरन यह कहने के लिए मजबूर करते हैं कि सुदर्शन घुले ही इन सब का मालिक है. फिर संतोष देशमुख को सिर्फ अंडरवियर में बैठा कर पाइप से पीटा जाता है.

आखिरी तसवीर में देशमुख का शरीर इस कदर घायल हो चुका था कि उन का खून पैरों तक बहने लगा था. यह सारी क्रूरता कथित तौर पर बीड जिले के एक राजनीतिक रूप से शक्तिशाली व्यक्ति को वीडियो काल पर लाइव स्ट्रीम की गई थी. इस के बाद विपक्ष के साथसाथ सत्तारूढ़ भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेताओं ने आरोप लगाया कि हत्या को ‘लाइव’ देखने वाला व्यक्ति महाराष्ट्र का खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री धनंजय मुंडे का करीबी सहयोगी वाल्मीक कराड था.

इस प्रकार देशमुख की हत्या ने भानुमती का पिटारा खोल दिया, जो बीड की भयावह राजनीति को उजागर करता है. हत्यारों और हत्याकांड का मास्टरमाइंड ने क्रूर, बाहुबल और धनबल के बूते अपना साम्राज्य कायम कर रखा था. कराड बीड में कुख्यात व्यक्ति रहा है. वह अवाडा पवनचक्की कंपनी के कर्मचारी द्वारा उस के खिलाफ दर्ज जबरन वसूली के मामले में फरार हो गया था.

जांच का सिलसिला जैसेजैसे आगे बढ़ता गया, संतोष देशमुख की हत्या मामले के तार राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री धनंजय मुंडे से भी जुड़ते चले गए. वह परली विधानसभा क्षेत्र से एनसीपी (अजीत गुट) विधायक है. आखिरकार मुंडे को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसे ले कर सीएम फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजीत पवार के साथ देर रात बैठक के बाद मुंडे के राजनीतिक करिअर से ज्यादा उस के आपराधिक आरोपों तक पर गहन चर्चा हुई.

मंत्री धनंजय मुंडे ने क्यों दिया इस्तीफा

धनंजय मुंडे महाराष्ट्र के पूर्व डिप्टी सीएम गोपीनाथ मुंडे के भाई पंडित अन्ना मुंडे का बेटा है. वह 2012 में शरद पवार के सामने एनसीपी में शामिल हुआ था. वह उस समय सुर्खियों में आ गया था, जब 2014 में गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि, तब वह चुनाव हार गया था. इस के बाद 2019 में वह फिर चुनाव लड़ा और इस बार उस ने पंकजा मुंडे को हरा दिया.

वह सरपंच हत्याकांड के आरोपों के घेरे में फंस चुका था. जब से उस के करीबी सहयोगी वाल्मीक कराड को बीड सरपंच संतोष देशमुख की हत्या मामले में मास्टरमाइंड बताया गया था, तभी से विपक्ष धनंजय मुंडे पर लगातार निशाना साधे हुए था. जिस के बाद मंत्री धनंजय मुंडे को मंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा. राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने उस का इस्तीफा स्वीकार कर लिया. साथ ही संतोष देशमुख हत्याकांड मामले में चार्जशीट का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिस में कई तसवीरें थीं और उस में वाल्मीक कराड के साथियों को हत्या करते देखा गया था.

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके में पहाड़ी और पठारी क्षेत्र की प्राकृतिक बनावट पवन चक्की से बिजली संयंत्र लगाने के लिए उपयुक्त मानी जाती है. यही कारण है कि इस इलाके में ऐसी कई परियोजनाएं लगाई गई हैं. इन से विकास की उम्मीद रखने वाले स्थानीय नेता और पंचायती राज की व्यवस्था खास भूमिका निभाती रही है.

मराठवाड़ा के विकास के लिए इस जरूरत की पूर्ति भूमि अधिग्रहण से संभव हो पाती है, जो स्थानीय भूस्वामियों से खरीदी जाती है या फिर उन से पट्टे पर ली जाती है. ऐसे प्रोजेक्ट के लिए 2 से 3 एकड़ जमीन की जरूरत होती है. जमीन के मालिक से 20 से 25 साल के अनुबंध पर जमीन का अधिग्रहण किया जाता है और उन्हें सरकारी बाजार दर के अनुसार किराया मिलता है. इस कारण जमीन मालिक जमीन देने को आसानी से तैयार हो जाते हैं. यही नहीं, ज्यादा पैसे की उम्मीद में किसान खेती वाली जमीन भी ऐसी परियोजनाओं के लिए देता है. उन के सामने समस्या तब आ जाती है, जब उसे समय पर पैसा नहीं मिलता है, क्योंकि इस में कई हिस्सेदार होते हैं.

जब कोई ठेकेदार इस तरह के प्रोजेक्ट के साथ किसी गांव में आता है तो वह सब से पहले स्थानीय राजनेताओं से मिलता है. यहीं से संघर्ष शुरू हो जाता है. यह भी सच है कि राजनेताओं द्वारा पाले गए गुंडे सामदामदंडभेद अपना कर इस प्रोजेक्ट के लिए जमीन हासिल कर लेते हैं, लेकिन असली फायदा हासिल करने वाले अलग ही होते हैं. ठेकेदार भले ही वह जमीन पा कर खुश हो जाता है, लेकिन उस के बाद रंगदारी और जबरन पैसा वसूली का सिलसिला शुरू हो जाता है. स्थानीय गैंगस्टर इन ठेकेदारों से रंगदारी मांगने लगते हैं. इस तरह हवा से चलने वाली पवनचक्कियां उन की अवैध धंधे की सहमति के बगैर नहीं चल सकती हैं. इस क्रम में रंगदारी, हत्या, मारपीट जैसी खूनी घटनाएं हो जाती हैं, जिस से जमीन के मालिक को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.

बहरहाल, इस घटना ने राजनीति और गुंडों के गठजोड़ को उजागर कर दिया हे. पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल तो भेज दिया है, लेकिन महाराष्ट्र में नए प्रोजेक्ट लगाने का प्लान बना रही कंपनियों के सामने सुरक्षा का सवाल उठ खड़ा हुआ है.

 

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