UP News : सिपाही मंदाकिनी का अपने ही थाने में तैनात सिपाही योगेश कुमार पर दिल आ गया लेकिन योगेश ने उस से साफ कह दिया कि वह उसे केवल दोस्त मानता है. तब जिद्दी मंदाकिनी ने अपनी 2 बहनों के जरिए योगेश को शादी के जाल में फांसने की कोशिश की. इस कोशिश में असफल होने के बाद तीनों बहनों ने जो किया वह…
इटावा जिले का एक गांव है बहादुरपुर. यादव व ठाकुर बाहुल्य इस गांव में सुलतान सिंह अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी सीमा सिंह के अलावा 3 बेटियां मीना, ममता और मंदाकिनी उर्फ संगीता थीं. सुलतान सिंह गांव के दबंग ठाकुर थे. उन की पहचान लंबरदार के नाम से थी. वह संपन्न किसान थे. छोटे किसानों की वह भरपूर मदद करते थे. सुलतान सिंह स्वयं भी पढ़ेलिखे थे, इसलिए उन्होंने अपनी बेटियों को भी खूब पढ़ाया था. बड़ी बेटी मीना पढ़लिख कर पुलिस विभाग में नौकरी करने लगी थी. वह मथुरा में सिपाही के पद पर तैनात थी.
मीना जब नौकरी करने लगी तब सुलतान सिंह ने उस का विवाह आगरा निवासी रमेश चंद्र के साथ कर दिया. मीना पति के साथ आगरा में रहती थी और मथुरा में नौकरी करती थी. मीना से छोटी ममता थी. वह बीए की पढ़ाई कर रही थी. वह पिता के साथ गांव में रहती थी. बहनों में सब से छोेटी मंदाकिनी उर्फ संगीता थी. वह अपनी अन्य बहनों से कुछ ज्यादा ही खूबसूरत थी. वह जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही तेजतर्रार भी थी और पढ़ने में तेज भी. इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद उस ने बड़ी बहन मीना की तरह पुलिस की नौकरी करने की ठान ली. इस के लिए वह अभ्यास भी करने लगी. उस की लगन और मेहनत रंग लाई और सन 2019 में वह भी सिपाही के पद पर भरती हो गई.
इटावा में ट्रेनिंग के बाद उस की पहली तैनाती अयोध्या के राम जन्मभूमि थाने में हुई. व्यवहारकुशल व तेज होने के कारण वह जल्द ही थाने में चर्चित हो गई. अपनी कार्यप्रणाली से वह अधिकारियों की नजर में भी आ गई थी. इसी राम जन्मभूमि थाने में योगेश कुमार चौहान सिपाही के पद पर तैनात था. मंदाकिनी की तरह योगेश भी 2019 बैच का था और इस थाने में उस की भी पहली तैनाती थी. योगेश कुमार मूलरूप से मथुरा शहर के बालाजीपुरम मोहल्ले का रहने वाला था. उस के पिता मुकेश सिंह चौहान व्यापारी थे. बड़ा भाई सुनील कुमार चौहान पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाता था. परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.
चूंकि योगेश व मंदाकिनी एक ही बैच व एक ही क्षेत्र के रहने वाले थे, अत: उन दोनों में जल्द ही दोस्ती हो गई. दोस्ती हुई तो बातचीत भी खुल कर होने लगी. बातचीत से आकर्षण बढ़ा तो दोनों एकदूसरे की बातों में रुचि लेने लगे. मंदाकिनी को जहां योगेश की लच्छेदार बातें पसंद थीं तो योगेश को उस की मुसकान और भावभंगिमा पसंद थी. जल्दी ही दोनों की नजदीकियों की चर्चा थाने के स्टाफ में होने लगी थी. योगेश कुमार स्मार्ट युवक था. वह जब आंखों पर काला चश्मा लगाता, तो हीरो जैसा दिखता था. मंदाकिनी मन ही मन उसे प्यार करने लगी थी. उस के मन ने योगेश को पति के रूप में स्वीकार कर लिया था. वह योगेश को पति के रूप में पाने के सपने भी संजोने लगी थी.
अपना सपना पूरा करने के लिए मंदाकिनी योगेश से नजदीकियां बढ़ाने लगी तथा उस से प्यार भरी बातें करने लगी. उसे लगता भी था कि योगेश उस से उतना ही प्यार करता है जितना वह उस से करती है. लेकिन कभी लगता कि योगेश उस से दूर भाग रहा है. मंदाकिनी योगेश के प्यार में आकंठ डूब चुकी थी, लेकिन अपने प्यार का इजहार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी. आखिर जब मंदाकिनी से नहीं रहा गया, तो उस ने एक रोज एकांत में योगेश से कहा, ‘‘योगेश, कुछ दिनों से मैं अपनी बात तुम से कहना चाहती हूं. लेकिन कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हूं.’’
‘‘ऐसी क्या बात है जिस के लिए तुम हिम्मत नहीं जुटा पा रही हो?’’ योगेश ने मंदाकिनी से पूछा.
‘‘योगेश, मैं तुम से प्यार करती हूं और मैं ने तुम्हें अपने दिल में बसा लिया है. मैं तुम से शादी रचाना चाहती हूं. तुम्हें पति के रूप में पा कर मेरा सपना साकार हो जाएगा.’’ मंदाकिनी ने खुल कर प्यार का इजहार कर दिया.
मंदाकिनी की बात सुन कर योगेश चौंका, ‘‘मंदाकिनी, आज तुम्हें क्या हो गया है, जो बहकीबहकी बातें कर रही हो. यह बात सच है कि हम दोनों दोस्त हैं और दोस्ती के नाते ही हम दोनों की बातचीत और हंसीमजाक होती है. इस में प्यारमोहब्बत की बात कहां से आ गई. तुम मुझ से भले ही प्यार करती हो लेकिन मैं तुम से प्यार नहीं करता. इसलिए मुझ से शादी रचाने की बात दिल से निकाल दो. तुम केवल मेरी दोस्त हो और दोस्त ही रहोगी. मैं तुम से शादी नहीं कर सकता.’’ योगेश ने दोटूक जवाब दिया.
‘‘क्यों नहीं कर सकते शादी? आखिर मुझ में कमी क्या है. पढ़ीलिखी हूं. सरकारी सर्विस कर रही हूं. तुम्हारी बिरादरी की हूं.’’ मंदाकिनी ने तमतमाते हुए पूछा.
‘‘तुम में कोई कमी भले न हो. लेकिन फिर भी मैं तुम से शादी नहीं कर सकता. मैं शादी अपने मांबाप की मरजी से करूंगा. उन की मरजी के खिलाफ नहीं.’’ योगेश ने स्पष्ट शब्दों में जवाब दिया. योगेश ने शादी से इनकार किया तो मंदाकिनी मन ही मन दुखी हुई. लेकिन उस ने हिम्मत नहीं हारी. गाहेबगाहे वह योगेश को प्यार से समझाती और शादी करने का दबाव डालती. लेकिन योगेश हर बार उसे मना कर देता. इस से मंदाकिनी के मन में प्यार का प्रतिशोध पनपने लगा. उस ने ठान लिया कि यदि योगेश उस से शादी नहीं करेगा तो वह किसी और से भी उस की शादी नहीं होने देगी. इस के लिए अगर उसे अनर्थ करना पड़ा तो वह भी करेगी.
कुछ दिनों बाद मंदाकिनी छुट्टी ले कर अपनी बड़ी बहन मीना के घर आगरा पहुंची. वहां उस समय मंझली बहन ममता भी आई हुई थी. मंदाकिनी ने अपनी प्रेम कहानी दोनों बहनों को बताई और यह भी बताया कि योगेश उस से शादी करने को राजी नहीं है. इस पर दोनों बहनों ने मंदाकिनी को समझाया कि वह ज्यादा परेशान न हो. वह योगेश से बात करेंगी और उसे शादी के लिए हर हाल में राजी करेंगी. मीना की तैनाती मथुरा में थी. उस ने गुपचुप तरीके से योगेश और उस के परिवार के संबंध में जानकारी जुटाई तो सब ठीक लगा. उस के बाद मीना ने योगेश चौहान से बात की और मंदाकिनी से शादी करने की बात कही.
लेकिन योगेश ने शादी करने से साफ मना कर दिया. इस के बाद तो यह सिलसिला ही शुरू हो गया. कभी ममता उस से फोेन पर बात करती तो कभी मीना. दोनों का एक ही मकसद होता, किसी तरह योगेश को बातों में उलझा कर मंदाकिनी से शादी करने को राजी करना. लेकिन योगेश उन की बातों में आने वाला कहां था, वह उन्हें हर बार मना कर देता था. एक दिन तो योगेश और मीना की मंदाकिनी से शादी को ले कर तीखी झड़प हो गई. योगेश ने गुस्से में मीना और उस की बहन ममता के चरित्र को ले कर ऐसी बात कह दी जो मीना और ममता के कलेजे में तीर की तरह चुभ गई.
उस के बाद उन्होंने योगेश से बात करनी बंद कर दी. अब तीनों बहनें प्यार के प्रतिशोध में जलने लगीं. उन्होंने योगेश को सबक सिखाने की ठान ली. 7 अक्तूबर, 2020 को दोपहर 12 बजे योगेश कुमार चौहान ने अपने बड़े भाई सुनील कुमार चौहान से मोबाइल फोन पर बात की और बताया कि उसे 7 दिन की छुट्टी मिल गई है और वह बस द्वारा घर आ रहा है. इस समय वह अयोध्या से निकल चुका है. इस के बाद उस ने फोन बंद कर लिया. शाम 7 बजे वह बस से लखनऊ पहुंचा और फिर 10 बजे औरैया. औरैया पहुंचने पर उस ने बड़े भाई सुनील से फिर बात की और बताया कि वह औरैया पहुंच गया है. इटावा से सवारी मिल गई तो रात 2 बजे तक वह घर पहुंच जाएगा. फिर फोन बंद हो गया.
योगेश चौहान सुबह 8 बजे तक मथुरा स्थित अपने घर नहीं पहुंचा तो भाई सुनील को चिंता हुई. उस ने योगेश को फोन मिलाया तो वह बंद था. इस के बाद तो ज्योंज्यों समय बीतता जा रहा था, त्योंत्यों घर वालों की चिंता बढ़ती जा रही थी. औरैया, इटावा और आगरा के बीच जहांजहां रिश्तेदारियां थीं, सुनील ने फोन कर पता किया, लेकिन योगेश की कोई जानकारी नहीं मिली. सुनील कुमार ने अपने चचेरे भाई राहुल को साथ लिया और कार से योगेश की खोज में निकल पड़ा. उस ने आगरा-इटावा के बीच पता किया कि वहां कोई वाहन दुर्घटनाग्रस्त तो नहीं हुई. पर कोई गंभीर दुर्घटना की जानकारी नहीं मिली.
9 अक्तूबर की सुबह 10 बजे सुनील भाई की खोज करता हुआ अयोध्या के राम जन्मभूमि थाना पहुंचा और योगेश की गुमशुदगी दर्ज करा दी. थाने से ही उसे पता चला कि सिपाही मंदाकिनी भी 3 दिन की छुट्टी ले कर अपने गांव गई है. संभवत: दोनों साथ ही गए हैं. मंदाकिनी इटावा के लवेदी थाने के गांव बहादुरपुर की रहने वाली थी. वहां एक बात और चौंकाने वाली पता चली कि योगेश और मंदाकिनी दोस्त थे. मंदाकिनी योगेश से प्यार करती थी और शादी करना चाहती थी. लेकिन योगेश शादी को राजी नहीं था. प्रेम संबंध की जानकारी पा कर सुनील का माथा ठनका. उस के मन में तरहतरह के विचार आने लगे. वह सोचने लगा कि कहीं साथी महिला सिपाही मंदाकिनी ने कोई खेल खेल कर योगेश के साथ विश्वासघात तो नहीं कर दिया. लवेदी थाने जा कर पता करना होगा. अगर कोई वारदात हुई होगी तो थाने में दर्ज होगी.
10 अक्तूबर को सुनील कुमार चचेरे भाई राहुल के साथ थाना लवेदी पहुंचा. उस समय थानाप्रभारी बृजेश कुमार थाने में मौजूद थे. सुनील ने उन्हें योगेश के गुम होने की जानकारी दी तो थानाप्रभारी ने उसे बताया कि 8 अक्तूबर को बहादुरपुर गांव के बाहर सूखे बंबा में उन्हें एक जवान युवक की नग्नावस्था में लाश मिली थी. उस के सिर पर प्रहार कर तथा गला कस कर हत्या की गई थी. उस का चेहरा बिगाड़ने की भी कोशिश की गई थी. शव की शिनाख्त नहीं हो पाई थी. शव का फोटो मेरे पास है. आप उसे देख कर बताएं कहीं वह लाश आप के भाई की तो नहीं है.
सुनील और राहुल ने फोटो गौर से देखा तो दोनों रो पड़े और बताया कि शव का फोटो उस के भाई योगेश कुमार का है जो अयोध्या के राम जन्मभूमि थाने में सिपाही था. उस के साथ महिला सिपाही मंदाकिनी उर्फ संगीता बस में सफर कर रही थी, जो उसी थाने में तैनात है. वह लवेदी के बहादुरपुर गांव की रहने वाली है. संभवत: उसी ने योगेश की हत्या अन्य लोगों के साथ मिल कर की है. आप उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करें. लेकिन थानाप्रभारी बृजेश कुमार ने सुनील के अनुरोध को ठुकरा दिया और हत्या की रिपोर्ट दर्ज करने से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने हत्या की रिपोर्ट राम जन्मभूमि थाने में दर्ज कराने की सलाह दी.
इस के बाद सुनील कुमार चकरघिन्नी बन गया. लवेदी पुलिस कहती कि रिपोर्ट राम जन्मभूमि थाने में दर्ज होगी. जबकि राम जन्मभूमि थाने की पुलिस कहती कि रिपोर्ट लवेदी थाने में दर्ज होगी. परेशान सुनील तब राहुल व अन्य घर वालों के साथ इटावा के एसएसपी आकाश तोमर से मिला और रिपोर्ट दर्ज करने की गुहार लगाई. मामले की गंभीरता को समझते हुए एसएसपी आकाश तोमर ने लवेदी के थानाप्रभारी बृजेश को महिला सिपाही मंदाकिनी उर्फ संगीता तथा अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया. आदेश पाते ही उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कर ली.
एसएसपी आकाश तोमर ने हत्या के इस केस की जांच के लिए 2 टीमें बनाईं. एक टीम सीओ (भरथना) चंद्रपाल की अगुवाई में तथा दूसरी टीम लवेदी थानाप्रभारी बृजेश कुमार की अगुवाई में बनी. दोनों टीमों की कमान एसपी (देहात) ओमवीर सिंह को सौंपी गई. सहयोग के लिए क्राइम ब्रांच प्रभारी सत्येंद्र सिंह यादव तथा सर्विलांस प्रभारी वी.के. सिंह को भी लगाया गया. पुलिस ने मंदाकिनी और उस की बहनों के फोन नंबर हासिल कर लिए. गठित टीमों ने सब से पहले मोबाइल डिटेल्स तथा मोबाइल फोन की लोकेशन की छानबीन शुरू की. छानबीन से पता चला कि मंदाकिनी उर्फ संगीता तथा उस की बहनें मीना व ममता 7 अक्तूबर की रात घटनास्थल पर मौजूद थीं.
यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम ने मंदाकिनी के बहादुरपुर गांव स्थित घर पर दबिश दी. लेकिन वह घर पर नहीं मिली. पता चला कि वह आगरा में अपनी बड़ी बहन मीना के घर है. यह पता चलते ही पुलिस टीम ने आगरा से मीना के घर से मंदाकिनी व ममता को हिरासत में ले लिया. मीना सहित तीनों बहनों को थाना लवेदी लाया गया. पुलिस टीम ने तीनों बहनों से योगेश चौहान की हत्या के संबंध में पूछताछ की. पहले तो वे तीनों मुकर गईं, लेकिन सख्ती करने पर टूट गईं और हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उन्होंने बताया कि मथुरा के अपराधी महेश, विनोद शर्मा तथा उन के साथी को योगेश की हत्या के लिए एक लाख रुपए की सुपारी दी गई थी.
ये अपराधी मथुरा के गांव दूधाधारी जमुना पार के रहने वाले हैं. इन्हें 10 हजार रुपए एडवांस दिया गया था. बाकी के रुपए लेने ये लोग कल 19 अक्तूबर को स्टेशन रोड इटावा आएंगे. इस जानकारी पर पुलिस की दोनों टीमों ने जाल बिछा कर महेश व विनोद शर्मा को पकड़ लिया. तीसरा साथी पुलिस को चकमा दे कर फरार हो गया. उन दोनों को थाना लवेदी लाया गया. वहां उन का सामना मीना, ममता व मंदाकिनी से हुआ तो वे समझ गए कि हत्या का राज खुल गया है. अत: उन दोनों ने सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने भादंवि की धारा 302/201 के तहत मीना, ममता, मंदाकिनी, महेश, विनोद शर्मा आदि के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस टीम ने हत्यारोपियों की निशानदेही पर आलाकत्ल रौड, नान चाक, घटना में प्रयुक्त मारुति स्विफ्ट कार तथा एक तमंचा बरामद कर लिया. इस के अलावा मृतक के जले कपड़े, जूते, उस का परिचय पत्र तथा आधार कार्ड बरामद किया गया. कार के अलावा सारा सामान साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर लिया गया. पुलिस पूछताछ में मंदाकिनी उर्फ संगीता ने बताया कि योगेश ने जब शादी से इनकार किया तो तीनों बहनें प्यार के प्रतिशोध में जल उठीं और योगेश की हत्या की योजना बनाई. फिर मथुरा के महेश व विनोद शर्मा को एक लाख की सुपारी दे दी.
योजना के तहत वह 7 अक्तूबर को योगेश के साथ अयोध्या से घर के लिए रवाना हुई. बस से वे दोनों इटावा बसस्टैंड पहुंचे. बड़ी बहन मीना मथुरा से सुपारी किलर के साथ कार से इटावा आ गई थी. ममता भी गांव से आ गई थी. इस के बाद उन्होंने योगेश को सवारी के बहाने अपनी कार में बिठा लिया और मानिकपुर मोड़ की ओर ले जाते समय रास्ते में कार में ही रौड से उस के सिर पर वार किया. फिर नानचाक से गला दबा कर हत्या कर दी. हत्या के बाद योगेश के कपड़े उतार कर शव बहादुरपुर के सूखे बंबे में फेंक दिया. पहचान छिपाने के लिए उस के चेहरे पर हारपिक (टायलेट क्लीनर) डाल दिया.
फिर आगे जा कर कपड़े व अन्य सामान जला कर मिट्टी में दबा दिया. इस के बाद वे कार से मथुरा चले गए. दूसरे रोज मीना, ममता व मंदाकिनी आगरा चली गईं. 2 दिन बाद शव की पहचान तब हुई, जब मृतक का भाई थाना लवेदी आया और फोटो देख कर शव की पहचान अपने भाई योगेश के रूप में की. उस ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई तब कहीं जा कर हत्या का परदाफाश हुआ और कातिल पकड़े गए. 20 अक्तूबर, 2020 को थाना लवेदी पुलिस ने हत्यारोपियों को इटावा की कोर्ट में पेश किया, जहां से उन को जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक एक आरोपी फरार था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित