Hindi Story : मुकेश लोहार ने जिस तरह कानून का सम्मान किया, वह काबिलेतारीफ है. काश! लोग कानून को इसी सम्मान जनक दृष्टि से देखने लगें तो अदालतों की मर्यादा तो बढ़ेगी ही समाज में भी…
यह कहानी उन गुनहगारों के लिए प्रेरणा का आइना है, जिन के दामन गुनाहों की कालिख से ढके पड़े हैं. अदालतें उन जुर्म के ठेकेदारों को वारंट जारी करतेकरते थक जाती हैं, लेकिन वे कानून को ठेंगा दिखा कर चूहों जैसे संकरे बिलों में छिप जाते हैं. ऐसे गुनहगारों के लिए मुकेश लोहार प्रेरणा का स्रोत बना है. मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के नागझिरी इलाके का रहने वाला 45 वर्षीय मुकेश लोहार अपने किसी रिश्तेदार के घर गया हुआ था. वहां उस की अपने उस रिश्तेदार से गालीगलौज और मारपीट हो गई. इस पर रिश्तेदारों ने थाने में उस के खिलाफ मारपीट, गालीगलौज और जान से मारने की धमकी देने की रिपोर्ट दर्ज करा दी. यह सन 2014 की बात है.
पुलिस ने मुकेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, बाद में उस की जमानत हो गई. जेल से छूट कर मुकेश बिहार के सीतामढ़ी में आ कर बस गया. वहां उस के कुछ रिश्तेदार रहते थे. मुकदमा ठंडे बस्ते में पड़ गया. उसे लगा कि मुकदमे का निस्तारण हो गया है. मुकेश कर्तव्यपरायण, परिश्रमी और ईमानदार व्यक्ति था. वह मेहनती इतना था कि अपने कर्म से मिट्टी को सोना बना दे. उस ने सीतामढ़ी में ही प्राइवेट नौकरी कर ली. नौकरी के बाद मुकेश ने यहीं की रहने वाली सुधा से विवाह कर अपना घर बसा लिया.
सुधा के साथ आशियाना बसा कर मुकेश बेहद खुश था. नाम के अनुरूप सुधा ने पति के जीवन में अमृत घोल दिया था. जिस दिन से उस के कदम पति के घरआंगन में पड़े थे, मुकेश का जीवन सुधर गया था. नौकरी में तरक्की होती रही. उस के जीवन का बस एक ही लक्ष्य था कमाना, खाना और परिवार की परवरिश करना, बच्चों को ऐसा सांस्कारिक जीवन देना, जो समाज के लिए उदाहरण बने. बाद में मुकेश एक बेटे और एक बेटी का पिता बना. संतान का सुख पा कर वह बेहद खुश था. धीरेधीरे 6 साल कैसे बीत गए, पता ही नहीं चला.
बात 20 सितंबर, 2020 की है. उस दिन रविवार था. छुट्टी का दिन था. दोपहर का समय था, डेढ़ बजा था. मुकेश कमरे में पड़ी चारपाई पर बैठा था. तभी उस के मोबाइल की घंटी बजी. वह फोन उठा कर बोला, ‘‘हैलो!’’
‘‘हैलो, क्या मेरी बात मुकेश से हो रही है?’’ दूसरी ओर से आवाज आई.
‘‘जी, मैं मुकेश बोल रहा हूं. आप कौन हैं?’’
‘‘उज्जैन के नागझिरी थाने से एसओ संजय वर्मा बोल रहा हूं.’’ फोन करने वाले ने अपना परियच दिया. एसओ का नाम सुनते ही मुकेश घबरा गया.
‘‘सर, बताइए?’’ हिम्मत कर के मुकेश ने पूछा.
‘‘मुकेश, कोर्ट ने तुम्हारे खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है. 6 साल पहले नागझिरी थाने में तुम्हारे खिलाफ मारपीट का मुकदमा दर्ज हुआ था.’’
‘‘हां, सर. लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार, वह मुकदमा तो खत्म हो गया था.’’
‘‘ऐसा नहीं है. कानून की अपनी प्रक्रियाएं होती हैं. मुकदमा खत्म नहीं हुआ है. अभी तक अंडर प्रौसेस रहा होगा, इसलिए समय लग गया.’’ एसओ संजय वर्मा ने मुकेश को समझाया और आगे कहा, ‘‘अगर तुम थाने आ कर हाजिर हो जाओ तो मैं कोर्ट से तुम्हारे लिए निवेदन करूंगा कि तुम्हारे साथ रियायत बरती जाए.’’
थानेदार ने मुकेश को समझाया. मुकेश पर उन की बातों का गहरा असर पड़ा. वह समझ गया और उन से वायदा किया, वह नागझिरी थाने जरूर पहुंचेगा. बस उसे थोड़ी सी मोहलत दे दी जाए. इस पर थानेदार वर्मा ने उसे थोड़ा वक्त दे दिया. मुकेश ने थानेदार से तो वादा कर दिया था कि वह समय से थाने में हाजिर हो जाएगा, लेकिन वहां तक कैसे पहुंचे, यह बात उस की समझ में नहीं आ रही थी. लौकडाउन का दौर था. बस, ट्रेनें सुचारु रूप से नहीं चल रही थीं. फिर बिहार के सीतामढ़ी से उज्जैन के लिए कोई सीधा साधन भी नहीं था, जो मुकेश वहां आसानी से पहुंचता.
मुकेश परेशान हो रहा था कि वहां तक कैसे पहुंचे. कानून के प्रति अगाध निष्ठा रखने वाले मुकेश ने अपनी बात की लाज और थानेदार का सम्मान करते हुए उज्जैन जाने का फैसला कर लिया. उज्जैन जाने के लिए जब कोई साधन नहीं मिला तो 26 सितंबर, 2020 को कुछ रुपयों का इंतजाम कर के वह अपनी पुरानी साइकिल से सीतामढ़ी से उज्जैन रवाना हो गया. 10 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद मुकेश सीतामढ़ी, लखनऊ होते हुए मध्य प्रदेश के ग्वालियर पहुंचा. वहां पहुंचतेपहुंचते मुकेश का सारा पैसा खानेपीने में खत्म हो गया था. सफर अभी और लंबा था. ऐसे में वह समझ नहीं पा रहा था कि वह परदेस में पैसों का इंतजाम कहां से करे.
मुकेश को जब कुछ नहीं सूझा और परदेस में कहीं से पैसों के इंतजाम की उम्मीद नजर नहीं आई तो भी उस ने हिम्मत नहीं हारी. समझदारी का परिचय देते हुए 3 दिनों तक ग्वालियर के फुटपाथ पर समय बिताए और मजदूरी कर के पैसों का इंतजाम किया. 15वें दिन यानी 10 अक्तूबर को दिन के 11 बजे मुकेश नागझिरी थाने पहुंच गया. थाने पहुंच कर थानेदार संजय वर्मा से मिला और अपना परिचय दे कर परेशानियों के चलते आने में देरी के लिए माफी मांगी. वर्मा उस की बात सुन कर अचंभित रह गए. उन्हें जैसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था, जिस को वह देख रहे थे, वह 1400 किलोमीटर साइकिल चला कर वहां पहुंचा है.
थानेदार संजय को यकीन ही नहीं हो रहा था कि समाज में ऐसे भी लोग हैं, जिन की कानून के प्रति असीम निष्ठा है. मुकेश की कानून के प्रति ईमानदारी देख कर संजय वर्मा भावविभोर हो गए. उन्होंने तत्काल एसपी रवींद्र वर्मा को फोन कर के मुकेश लोहार के बारे में बताया तो वह भी उस की ईमानदारी और फर्ज के प्रति सजगता की बात सुन दंग रह गए. एसपी रवींद्र वर्मा ने आरोपी मुकेश की ईमानदारी से खुश हो कर थानेदार संजय वर्मा को आदेश दिया कि थाना परिसर में उस का फूलमालाओं से स्वागत किया जाए. एसओ वर्मा ने ऐसा ही किया. कप्तान के आदेश पर उन्होंने आरोपी मुकेश को फूलों की माला पहना कर स्वागत किया. थानेदार की आवभगत से मुकेश भावविभोर था.
चूंकि वह कानून का आरोपी था. इसलिए उसे गिरफ्तार कर के शाम को कोर्ट में पेश किया गया. अदालत ने उसे 24 घंटे के लिए जेल भेज दिया. उस के नेक चालचलन, कानून के प्रति निष्ठा और ईमानदारी पर 12 अक्तूबर, 2020 को उसे जेल से जमानत मिल गई. उस के बाद कोर्ट ने उस मुकदमे का निस्तारण कर के खत्म कर दिया. मुकदमा खत्म होने के बाद नागझिरी पुलिस ने अपने साथियों से मिल कर चंदा एकत्र किया और विदाई स्वरूप मुकेश को रुपए दे कर उज्जैन से निजी साधन से सीतामढ़ी भेजा. सीतामढ़ी पहुंच कर मुकेश अपने परिवार के साथ हंसीखुशी जीवन बिता रहा है. काश! मुकेश जैसी अन्य आरोपियों की भावना हो जाए तो हमारे समाज का स्वरूप ही बदल जाए.
—कथा सोशल मीडिया पर आधारित