अप्रैल, 2019 महीने की बात है. मुंबई के लोअर परेल के एनएम जोशी मार्ग स्थित पुलिस स्टेशन में एक महिला ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि वह परेल के ही फिनिक्स मौल के ‘जारा’ शोरूम में शादी के लिए खरीदारी करने गई थी.
खरीदारी करने के बाद उस ने बिल अदा करने लिए सामान वाला अपना बैग बेटे को थमा दिया. संयोग से उसी समय बेटे के मोबाइल फोन पर किसी का फोन आ गया तो बेटा वहीं रखी कुरसी पर बैग रख कर मोबाइल फोन पर बात करने लगा.
फोन पर बात करने में उस का बेटा इस तरह मशगूल हो गया कि उसे बैग का खयाल ही नहीं रहा. फोन कटा तो उसे बैग की याद आई.पता चला कि बैग अपनी जगह पर नहीं है. वह इधरउधर देखने लगा. बैग वहां होता तब तो मिलता. जिस समय वह फोन पर बातें करने में मशगूल था, उसी बीच कोई उस का बैग उठा ले गया था.
उस के बैग में 13 लाख के गहने, नकद रुपए और मोबाइल फोन मिला कर करीब 15 लाख रुपए से ज्यादा कीमत का सामान था.यह कोई छोटीमोटी चोरी नहीं थी. इसलिए एमएम जोशी मार्ग थाना पुलिस ने इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कर मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच शुरू कर दी. मौल में जा कर गहन छानबीन के साथ वहां ड्यूटी पर तैनात सिक्योरिटी गार्डों के अलावा एकएक कर्मचारी से विस्तार से पूछताछ की गई.
सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली गई, पर कोई ऐसा संदिग्ध पुलिस की नजर में नहीं आया, जिस पर उसे शक होता. पुलिस अपने हिसाब से चोरी की वारदात की जांच करती रही, पर उस चोर तक नहीं पहुंच सकी.मुंबई पुलिस का एक नियम यह है कि मुंबई में कोई भी बड़ी वारदात होती है तो थाना पुलिस के साथसाथ मुंबई पुलिस की अपराध शाखा (क्राइम ब्रांच) भी थाना पुलिस के समांतर जांच करती है.
चोरी की इस वारदात की जांच कुर्ला की अपराध शाखा की यूनिट-5 को भी सौंपी गई. क्राइम ब्रांच के डीसीपी ने इस मामले की जांच सीनियर इंसपेक्टर जगदीश सईल को सौंपी. सीनियर इंसपेक्टर जगदीश सईल ने इंसपेक्टर योगेश चव्हाण, असिस्टेंट इंसपेक्टर सुरेखा जवंजाल, महेंद्र पाटिल, अमोल माली आदि को मिला कर एक टीम बनाई और चोरी की इस घटना की जांच शुरू कर दी.
अपराध शाखा की इस टीम ने भी मौके पर जा कर सभी से पूछताछ की और सीसीटीवी फुटेज ला कर अपने औफिस में ध्यान से देखनी शुरू की.सीसीटीवी फुटेज में अपराध शाखा की यह टीम उस समय की फुटेज को बड़े गौर से देख रही थी, जिस समय महिला का बैग चोरी हुआ था. काफी कोशिश के बाद उन्हें भी ऐसा कोई संदिग्ध नजर नहीं आया, जिस पर वे शक करते.
सीसीटीवी फुटेज और पूछताछ में क्राइम ब्रांच को कोई कामयाबी नहीं मिली तो यह टीम चोर तक पहुंचने के अन्य विकल्पों पर विचार करने लगी.तमाम विकल्पों पर विचार करने के बाद एक विकल्प यह भी सामने आया कि मुंबई में इस के पहले तो इस तरह की कोई वारदात नहीं हुई है. जब इस बारे में पता किया गया तो पता चला कि इस के पहले सन 2016 में दादर के शिवाजी पार्क स्थित लैक्मे शोरूम में भी इसी तरह की एक वारदात हुई थी.
उस चोरी में भी कोई गहनों और रुपयों से भरा बैग इसी तरह उठा ले गया था. इसी तरह की 3 चोरियों का और पता चला. वे तीनों चोरियां भी इसी तरह से की गई थीं. इस के बाद जगदीश सईल की टीम ने जिस दिन दादर के लैक्मे शोरूम में चोरी हुई थी, उस दिन की सीसीटीवी फुटेज हासिल की और उसे ध्यान से देखना शुरू किया. यह टीम फुटेज में उस समय पर विशेष ध्यान दे रही थी, जिस समय चोरी होने की बात कही गई थी.
पुलिस टीम शोरूम में आनेजाने वाले एकएक आदमी को गौर से देख रही थी. इसी तरह ध्यान से फिनिक्स मौल के जारा शोरूम की भी सीसीटीवी फुटेज देखी गई तो इस टीम को एक ऐसी औरत दिखाई दी, जो दोनों ही फुटेज में थी. जिस समय चोरी होने की बात कही गई थी, उसी समय दोनों फुटेज में उस महिला को देख कर पुलिस की आंखों में चमक आ गई.
इस से पुलिस को लगा कि चोरी की वारदातों में इसी महिला का हाथ हो सकता है. महिला की फोटो मिल गई, तो पुलिस उस का पताठिकाना तलाशने में लग गई. यह काम इतना आसान नहीं था. किसी अंजान महिला को मुंबई जैसे शहर में मात्र फोटो के सहारे ढूंढ निकालना भूसे के ढेर से सुई तलाशने जैसा था.
अखबारों में भी फोटो नहीं छपवाया जा सकता था. अपना फोटो देख कर वह महिला गायब हो सकती थी. चुनौती भरा काम करने में अलग ही मजा आता है. जगदीश सईल की टीम ने भी इस चुनौती को स्वीकार कर महिला की उसी तस्वीर के आधार पर तलाश शुरू कर दी.
पहले तो इस टीम ने जहांजहां चोरी हुई थी, उन शोरूमों के मालिकों और कर्मचारियों को महिला की वह फोटो दिखाई कि कहीं यह उन के शोरूम में खरीदारी करने तो नहीं आती थी या यह उन की ग्राहक तो नहीं है. इस मामले में पुलिस टीम को तब निराश होना पड़ा, जब सभी ने कहा कि इनकार कर दिया. एक फोटो के आधार पर किसी को खोज निकालना पुलिस के लिए आसान नहीं था. लेकिन इंसपेक्टर जगदीश सइल की टीम ने इस नामुमकिन काम को मुमकिन कर दिखाया.
मोबाइल नंबर हो तो पुलिस उसे सर्विलांस पर लगा कर अपराधी तक पहुंच जाती है, पर यहां तो महिला का नंबर ही नहीं था.अब पुलिस को उस के मोबाइल नंबर पता करना था, जो बहुत मुश्किल काम था. पर पुलिस ने इस मुश्किल काम को आखिर कर ही दिखाया.
जगदीश सइल की टीम ने इस के लिए चोरी के समय दोनों मौलों में जितने भी मोबाइल नंबर सक्रिय थे, सारे नंबर निकलवाए. इस के बाद पूरी टीम ने नंबर खंगालने शुरू किए.
काफी मशक्कत के बाद इन नंबरों में एक नंबर ऐसा मिला, जो दोनों मौलों में चोरी होने के समय सक्रिय था. बाकी कोई भी नंबर ऐसा नहीं था, जो दोनों मौलों में चोरी के समय सक्रिय रहा हो.
पुलिस को उस नंबर पर शक हुआ तो पुलिस ने उस नंबर के बारे पता लगाना शुरू किया. नंबर मिलने के बाद पता लगाना मुश्किल नहीं था. जिस कंपनी का नंबर था, उस कंपनी से नंबर के मालिक के बारे में तो जानकारी मिल ही गई, उस का पता ठिकाना भी मिल गया. पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार वह नंबर बेंगलुरु की रहने वाली मुनमुन हुसैन का था.
मामला एक महिला से जुड़ा था, इसलिए पुलिस जल्दबाजी में कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती थी, जिस से बाद में बदनामी हो. इसलिए पुलिस पहले उस महिला के बारे में सारी जानकारी जुटा कर पूरी तरह संतुष्ट हो जाना चाहती थी कि वारदातें इसी महिला द्वारा की गई हैं या नहीं.
इस के लिए जगदीश सइल ने सीसीटीवी फुटेज में मिली फोटो, फोन नंबर और कंपनी द्वारा मिला पता बेंगलुरु पुलिस को भेज कर उस के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की. पता चला कि महिला संदिग्ध लगती है. इस के बाद मुंबई पुलिस ने बेंगलुरु जा कर वहां की पुलिस की मदद से उस महिला को गिरफ्तार कर लिया. मुंबई ला कर उस महिला से विस्तार से पूछताछ की गई तो पता चला कि सारी चोरियां उसी ने की थीं. इस के बाद उस ने अपनी जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी.
46 वर्षीय मुनमुन हुसैन उर्फ अर्चना बरुआ उर्फ निक्की मूलरूप से मध्य कोलकाता के तालतला की रहने वाली थी. उस का असली नाम अर्चना बरुआ है. वह पढ़नेलिखने में तो ठीकठाक थी ही, साथ ही सुंदर भी थी. उस की कदकाठी जैसे सांचे में ढली हुई थी. इसलिए उस ने सोचा कि क्यों न वह मौडलिंग में अपना कैरियर बनाए.
काफी कोशिश के बाद भी जब उसे मौडलिंग का कोई काम नहीं मिला तो उस ने एक ब्यटूपार्लर में काम सीखा और वहीं नौकरी करने लगी.वहां वेतन इतना नहीं मिलता था कि उस के खर्चे पूरे होते, इसलिए अपने खर्चे पूरे करने के लिए उस ने सब की नजरें बचा कर ब्यूटीपार्लर में आने वाली महिलाओं के पर्स से रुपए चोरी करने शुरू कर दिए.
इस में वह सफल रही तो उस ने बाहर चोरी करने का विचार किया. पर इस में वह पहली बार में ही पकड़ी गई. वह दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर स्थित एल्गिन शौपिंग मौल में मोबाइल फोन और सौंदर्य प्रसाधन का सामान चोरी कर रही थी कि किसी सेल्समैन की नजर उस पर पड़ गई और वह पकड़ी गई.
इस के बाद उस ने एक बार और प्रयास किया. इस बार भी वह पकड़ी गई तो अखबारों में उस की फोटो छप गई, जिस से वह काफी बदनाम हो गई थी. इस के अलावा पुलिस भी उस के पीछे पड़ गई थी, जिस से उसे कोलकाता छोड़ना पड़ा.
अर्चना कोलकाता छोड़ कर मुंबई आ गई. वह एक अच्छी मौडल बनना चाहती थी, इसलिए मुंबई आ कर एक बार फिर उस ने मौडलिंग के क्षेत्र में भाग्य आजमाने की कोशिश की. वह मौडल बन कर नाम और शोहरत कमाना चाहती थी.
अपना भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए अर्चना मुंबई में जीजान से कोशिश करने लगी. पर मुंबई तो मायानगरी है. यह मोह तो सभी को लेती है, पर जरूरी नहीं कि यहां आने वाले हर किसी का भाग्य बदल जाए. जिस का भाग्य बदल देती है, वह तो आसमान में उड़ने लगता है, बाकी यहां तमाम लोग ऐसे भी हैं, जो स्ट्रगल करते हुए अपनी जिंदगी बरबाद कर लेते हैं.
ऐसा ही कुछ अर्चना के साथ भी हुआ. चाहती तो थी वह मौडल बनना, पर समय ने उस का साथ नहीं दिया और काम की तलाश करतेकरते एक दिन ऐसा आ गया कि उस के भूखों मरने की नौबत आ गई. उस के लिए अच्छा यह था कि उस का गला सुरीला था और वह अच्छा गा लेती थी.
अर्चना को जब कहीं कोई काम नहीं मिला तो वह बीयर बार में गाने लगी. यहां उस ने अपना नाम निक्की रख लिया. निक्की के नाम से अर्चना पेट भरने के लिए बार में गाती तो थी, पर उसे यह काम पसंद नहीं आया.
फिर वह अपना भाग्य आजमाने बेंगलुरु चली गई. वह गाती तो अच्छा थी ही, इसलिए वह वहां एक आर्केस्टा के साथ जुड़ गई. उसे ब्यूटीपार्लर का भी काम आता था, इसलिए एक ब्यूटीपार्लर में भी काम करने लगी. यहां उस ने अपना नाम मुनमुन हुसैन रख लिया था.
ब्यूटीपार्लर में काम करते हुए और स्टेज पर अंग प्रदर्शन करते हुए उसे लगा कि आखिर इस तरह वह कब तक भटकती रहेगी. उसे एक जीवनसाथी की जरूरत महसूस होने लगी थी, जो उसे प्यार भी करे और जीवन में ठहराव के साथ सहारा भी दे. वह अकेली अपनी जिम्मेदारी उठातेउठाते थक गई थी.
अर्चना बरुआ उर्फ निक्की उर्फ मुनमुन हुसैन ने जीवनसाथी की तलाश शुरू की तो जल्दी ही उसे इस काम में सफलता मिल गई. वह सुंदर तो थी ही. आर्केस्ट्रा के किसी प्रोग्राम में उसे देख कर एक व्यवसाई का दिल उस पर आ गया.
मुनमुन को एक प्रेमी की तलाश थी ही, जो उस का जीवनसाथी बन सके. उस ने उस व्यवसाई को अपने प्रेमजाल फांस कर उस से शादी कर ली. जल्दी ही वह एक बेटी की मां भी बन गई. पर जल्दी ही बेटी और शादी, दोनोें ही मुनमुन को बोझ लगने लगी. क्योंकि इस से उस की आजादी और मौजमस्ती दोनों ही छिन गई थीं.
बेटी की देखभाल करना और उस के लिए दिन भर घर में कैद रहना उस के वश में नहीं था. वह बेटी की देखभाल उस तरह नहीं कर रही थी, जिस तरह एक मां अपने बच्चे की करती है. यह बात उस के व्यवसाई पति को अच्छी नहीं लगी तो वह मुनमुन पर अंकुश लगाने लगा.
मुनमुन हमेशा अपना जीवन आजादी के साथ जिया था. पति की रोकटोक उसे अच्छी नहीं लगी. एक तो बेटी के पैदा होने से वैसे ही उस की आजादी छिन गई थी, दूसरे अब पति भी उस पर रोकटोक लगाने लगा था.
उसे यह सब रास नहीं आया तो वह पति से अलग हो गई. पति से तलाक होने के बाद एक बार फिर मुनमुन रोजीरोटी के लिए ब्यूटीपार्लर में काम करने के साथ आर्केस्ट्रा में गाने लगी. मुनमुन के खर्चे भी बढ़ गए थे और आगे की जिंदगी यानी भविष्य के लिए भी वह कुछ करना चाहती थी.
इन दोनों कामों से वह जो कमाती थी, इस से किसी तरह उस का खर्च ही पूरा हो पाता था. भविष्य की चिंता में उस ने एक बार फिर चोरी करनी शुरू कर दी. क्योंकि चोरी करने का उसे पहले से ही अभ्यास था.जिस ब्यूटीपार्लर में वह काम करती थी, उस ने वहीं से चोरी करना शुरू किया. उस के बाद तो मुनमुन होटल, मौल और विवाहस्थलों तथा शादी वाले घरों में जा कर चोरी करने लगी. ब्यूटीपार्लर मे चोरी करने पर वह पकड़ी नहीं गई थी, इसलिए उस का हौसला बढ़ गया था.
जैसेजैसे वह चोरी करने में सफलता प्राप्त करती गई, वैसेवैसे उस की हिम्मत बढ़ती गई. बस फिर क्या था, आर्केस्ट्रा में काम करने के साथसाथ उस ने चोरी को भी अपना व्यवसाय बना लिया.
क्योंकि पहली चोरी में ही उस के हाथ 10 लाख रुपए से ज्यादा का माल लग गया गया था. कोलकाता में कई बार पकड़ी जाने की वजह से उसे कोलकता छोड़ना पड़ा था, इसलिए उस ने तय किया कि वह बेंगलुरु में चोरी नहीं करेगी.
वह बेंगलुरु में चोरी करने के बजाए अन्य महानगरों में जा कर चोरी करेगी. इसी के साथ मुनमुन ने यह भी योजना बनाई कि वह सुबह जाएगी और दिन में चोरी कर के शाम तक वह शहर छोड़ देगी.
पूरी योजना बना कर मुनमन हाईप्रोफाइल महिला बन कर हवाई जहाज से अन्य शहरों में जा कर चोरियां करने लगी. वह सुबह मुंबई या हैदराबाद हवाई जहाज से जाती और किसी शोरूम या किसी बड़े होटल में किसी को अपना शिकार बना कर रात तक बेंगलुरु के अपने घर वापस आ जाती.
अब तक पुलिस के सामने उस ने 9 चोरियों का खुलासा किया है. वह जब भी चोरी करती थी, कम से कम 10 लाख का माल तो होता ही था. वह 10 से 20 लाख के बीच ही चोरी करती थी. चोरी से ही उस ने करोड़ों की संपत्ति बना ली थी.
मुनमुन द्वारा चोरी किए गए गहने नए होते थे, इसलिए अगर वह उन्हें बेचने जाती तो दुकानदार को उस पर शक हो सकता था. वह उस से हजार सवाल करता. संभव था पुलिस को भी सूचना दे देता.
इसलिए उस ने इस से बचने का तरीका यह निकाला कि वह गहने बेचने के बजाय अपने घर में किसी को कोई बड़ी बीमारी होने का बहाना बना कर वह उन्हें गिरवी रख कर बदले में मोटी रकम ले लेती थी. इस के बाद वह उस के पास उन्हें कभी वापस लेने नहीं जाती थी.
अपराध शाखा पुलिस ने पूछताछ और साक्ष्य जुटा कर मुनमुन हुसैन उर्फ अर्चना बरुआ उर्फ निक्की को थाना एनएम जोशी मार्ग पुलिस को सौंप दिया.
थाना पुलिस ने अपनी काररवाई पूरी कर मुनमुन को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस को मुनमुन हुसैन के पास से 15 लाख रुपए के गहने भी बरामद हुए थे.