30 वर्षीय राहुल गोकुल प्रतापे मूलरूप से महाराष्ट्र में उस्मानाबाद जनपद के घारगांव तालुका पंडारा का रहने वाला था. वह पुणे की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड था. वह पुणे की ही मालवाड़ी चाली में अपने परिवार के साथ किराए पर रहता था.
उस के परिवार में मांबाप, भाईभाभी के अलावा एक बहन थी. परिवार खुश था. घर में अगर किसी बात की चिंता थी तो बस राहुल की शादी की. उस की बढ़ती उम्र को देखते हुए उस के मातापिता ने उस के योग्य लड़की की तलाश शुरू कर दी थी.
उन्होंने अपने नातेरिश्तेदारों में जब राहुल की शादी की बात चलाई तो एक रिश्तेदार ने उन्हें सोलापुर जिले के बारशी लहू चौक सुभाष नगर निवासी संतोष काकंडे की बेटी गौरी का नाम सुझाया था.
परिवार वालों को गौरी पसंद आ गई थी. गौरी के मांबाप का देहांत हो चुका था. वह अपने दादादादी शिवगंगा और अपनी सौतेली मां मनीषा व सौतेले भाई के साथ रहती थी. बिना मांबाप की लड़की की देख दिखाई की सारी रस्में उस के परिवार और नातेरिश्तेदारों ने मिल कर की थीं.
लड़कालड़की के पसंद और मुंहदिखाई की रस्म पूरी होने के बाद 28 अप्रैल, 2017 को रिश्तेदारों और परिवार वालों के साथ मिल कर बालाजी मंदिर में साधारण तरीके से उन दोनों का विवाह हो गया था.
गौरी जैसी सुंदर पत्नी पा कर जहां राहुल खुश था, वहीं परिवार वालों ने भी गौरी को आदरसत्कार और प्यार, मानसम्मान दिया था.
समय अपनी गति से चल रहा था. परिवार में किसी तरह का तनाव नहीं था, सब अपनाअपना काम मिलजुल कर किया करते थे. जिस किराए के मकान में वे रहते थे, वहां के लोगों की भी कुछ समय तक उन से पूरीपूरी सहानुभूति थी.
पूरा परिवार मिलजुल कर रहता था. मकान के किराए से ले कर पूरे परिवार की देखरेख की जिम्मेदारी गौरी और राहुल के कंधों पर थी. कभी भी किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं था. शादी के 4 साल कब और कैसे बीत गए, इस का उन्हें एहसास नहीं हुआ.
मगर 2021 का साल उन के लिए सुखद नहीं रहा. उन के सुखी जीवन में एक आंधी आई, जिस ने उन का पूरा दांपत्य जीवन तहसनहस कर दिया था.
5 मई, 2021 को गौरी 15 दिनों के लिए अपनी मौसेरी बहन के यहां घूमने गई. वहां से वापस आने के बाद उस का व्यवहार पूरी तरह बदल गया था. अब वह सीधीसादी गौरी नहीं बल्कि स्मार्ट और तेजतर्रार बन गई थी.
वह जब से अपनी मौसेरी बहन के घर से लौट कर आई थी, तब से उस का एक नया शौक सामने आया था. वह अपना सारा समय मोबाइल पर बिताती थी. घर के किसी भी काम में उस का मन नहीं लगता था. उसे अपने मोबाइल के आगे खानेपीने का भी ध्यान नहीं रहता था.
धीरेधीरे घर का माहौल बिगड़ने लगा था. राहुल अपनी ड्यूटी पर अगर शाम को जाता तो दूसरे दिन सुबह लौटता और जब सुबह जाता था तो शाम को रात 8 बजे घर लौटता था. इस बीच गौरी अपना सारा समय मोबाइल फोन से चिपक कर बिताती थी.
पहले तो परिवार वालों को लगा कि गौरी शायद अपने पति राहुल के साथ टाइम पास करती है. लेकिन जब शक गहराया तो राहुल की बहन ने उस से पूछ लिया, ‘‘भाई, तुम और भाभी सारीसारी रात क्या बातें करते हो?’’
पहले तो राहुल ने इसे मजाक समझा और कहा, ‘‘कैसी बातें करती है पगली, मैं जब ड्यूटी पर रहता हूं, तो फिर मुझे किसी से बात करने का मौका कहां मिलता है.’’
‘‘क्यों झूठ बोलते हो भाई,’’ बहन ने कहा, ‘‘भाभी तो अकसर रात भर मोबाइल फोन से चिपकी रहती हैं. पता नहीं क्याक्या बातें करती हैं. अगर वह तुम से बात नहीं करती हैं तो फिर किस से करती हैं?’’ उस ने पूछा.
इधर कई दिनों से गौरी के बदले व्यवहार और बहन की बातों से राहुल ने ध्यान दिया तो उस का भी माथा ठनका.
7 जून, 2021 के दिन राहुल जब अपनी नाइट ड्यूटी पर गया, तो इस बात की सच्चाई जानने के लिए उस रात एक बजे से ले कर 4 बजे के बीच उस ने कई बार गौरी को फोन लगाया. लेकिन हर बार उस का फोन व्यस्त बता रहा था. इस का कारण यह था कि गौरी ने राहुल के फोन को ब्लैक लिस्ट कर दिया था. उस समय राहुल को गुस्सा तो बहुत आया था, लेकिन उस ने किसी तरह अपने गुस्से को काबू किया.
8 जून, 2021 को राहुल अपनी ड्यूटी से घर जल्दी आया तो गौरी को बैड पर चादर ताने लेटा पाया. उस ने जब गौरी के ऊपर से झटके में चादर खींची तो यह देख कर दंग रह गया कि गौरी का फोन उस के कान के नीचे था. राहुल ने फोन उठा कर जब कान से लगाया तो उस तरफ से किसी पुरुष की आवाज आ रही थी.
राहुल ने जब पूछा कि आप कौन बोल रहे हो, तो फोन कट गया था. राहुल ने जब वापस फोन लगाया तो उस का फोन स्विच्ड औफ बताने लगा था. इस से नाराज राहुल ने गौरी को आड़ेहाथों लिया.
‘‘वह आदमी कौन था जिस से तुम बातें कर रही थी?’’ कई बार पूछने पर जब गौरी ने अपना मुंह नहीं खोला तो राहुल का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया.
वह अपने आप को संभाल नहीं सका और गौरी को कई थप्पड़ जड़ दिए. बात आगे न बढ़े इसलिए घर वालों ने उस समय राहुल को समझाबुझा कर मामला शांत करवा दिया था.
उस दिन तो राहुल शांत हो गया था. लेकिन अब इस मामले को ले कर उस का मन अशांत रहने लगा था. उस ने गौरी के मायके वालों को फोन कर उन्हें सारी बातें बताईं और कहा कि उस का किसी के साथ चक्कर चल रहा है. इस विषय में वह उसे कुछ बता नहीं रही है अच्छा होगा कि आप लोग ही उस से बात करें.
दूसरे दिन राहुल गौरी को बस से ले कर उस के मायके के लिए रवाना हो गया था. इस बीच राहुल ने जब गौरी का फोन ले कर उस के वाट्सऐप मैसेज देखे तो उस में कई चौंका देने वाले मैसेज मिले.
उस मेंअंजान नंबर से कई लव मैसेज आए हुए थे. राहुल ने जब उस नंबर को ट्रूकालर पर जा कर चैक किया तो उस के होश उड़ गए थे. वे सभी लव मैसेज किसी गणेश नाम के व्यक्ति ने किए थे.
उस में कुछ मैसेज तो ऐसे थे, जो काफी अश्लील थे. अब उसे यकीन हो गया कि गौरी भरोसे लायक नहीं है. यानी उस का गणेश से गहरा संबंध है.
उस समय तो वह पत्नी की बेवफाई से खून का घूंट पी कर रह गया था. लेकिन ससुराल पहुंचने के बाद उस का गुस्सा गौरी पर फूट पड़ा था. उस ने गणेश और गौरी के सारे मैसेज उस के मायके वालों के सामने रख दिए और उस पर गणेश को ले कर दबाव डाला. लेकिन गौरी गणेश को ले कर टस से मस नहीं हुई.
इस के बाद मायके वालों ने जब गौरी को समझाबुझा कर वापस पुणे जाने के लिए कहा तो वह इस के लिए तैयार नहीं हुई. उस ने साफ शब्दों में कह दिया कि अब वह राहुल के साथ नहीं रहेगी और न वापस पुणे जाएगी. अब वह अकेली रहेगी.
उस की बात सुन कर मायके वाले सन्न रह गए थे. परिवार और नातेरिश्तेदारों ने गौरी को काफी समझायाबुझाया, लेकिन वह अपनी बात पर अड़ी रही. गौरी के इस व्यवहार से नाराज राहुल ने उसे उस के मायके वालों के हवाले किया और वापस पुणे चला आया.
गौरी मायके में रह कर वही हरकतें किया करती थी, जो अपनी ससुराल में रह कर करती थी. घर का सारा कामकाज छोड़ कर के सारी रात, सारा दिन मोबाइल से चिपकी रहती थी. कुछ दिन निकल जाने के बाद अचानक ही बिना किसी को कुछ बताए बताए घर से गायब हो गई. तब घर वाले घबरा गए थे.
अपने नातेरिश्तेदारों और जानपहचान वालों के यहां उस की तलाश करने के बाद घर वालों ने वारसी पुलिस स्टेशन में जा कर उस की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवा दी. शिकायत दर्ज कराने के 15 दिनों बाद वह खुद ही वापस अपने घर आ गई. और घर वालों को यह विश्वास दिलाया कि वह अपनी एक सहेली के घर पर थी.
21 जुलाई, 2021 को गौरी के घर वालों के बुलाने पर राहुल गौरी के मायके गया और उस के घर वालों के समझानेबुझाने पर गौरी को वापस पुणे अपने घर ले जाने के लिए तैयार हुआ. उसे यह बताया गया था कि अब गौरी के रहनसहन में बदलाव आ गया है.
मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ था. गौरी के स्वभाव में कोई फर्क नहीं आया था. पुणे आते ही अगले दिन उस ने सारा घर अपने सिर पर उठा लिया.
गौरी को अपने और उस के परिवार वालों के दबाव में आ कर राहुल साथ रखने के लिए तैयार तो हो गया था, लेकिन अपनी मन:स्थिति से समझौता नहीं कर पाया था. वह न तो ठीक से अपने काम पर जा रहा था, और न ही ठीक से खानापीना कर रहा था.
मगर गौरी पर इस से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था. वह मौका पाते ही राहुल से उलझ पड़ती थी और बारबार उस पर अपने मायके छोड़ आने का दबाव डालती थी, लेकिन राहुल इस के लिए तैयार नहीं था.
वह दोनों परिवारों को बदनामी से बचाने के लिए गौरी को समझाने की पूरी कोशिश करता था, पर गौरी समझने के लिए तैयार नहीं थी. उस का कहना था कि अगर 15 अगस्त, 2021 के पहले उसे उस के मायके नहीं छोड़ा तो नतीजा ठीक नहीं होगा.
रोजरोज के गौरी के झगड़े से राहुल और उस का परिवार तंग आ चुका था. क्या करें क्या न करें, यह उन की समझ में नहीं आ रहा था.
17 अगस्त, 2021 को हद तो तब हो गई, जब गौरी ने सारी मर्यादा को ताख पर रख दी. उस दिन गौरी ने घर में महाभारत शुरू की तो पूरे दिन चलती रही. राहुल और उस के घर वालों ने गौरी को समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन उस का ड्रामा बंद नहीं हुआ.
उस का कहना था कि अगर उस ने उसे मायके नहीं भेजा तो वह लड़कों को बुला कर के राहुल की हत्या करवा देगी.
इस तरह की धमकी से राहुल का मूड इतना खराब हुआ कि उस ने उसी समय गौरी की बुरी तरह पिटाई कर दी. लेकिन गौरी पर इस का कोई फर्क नहीं पड़ा.
गौरी ने इस पर कुछ इस तरह हंगामा खड़ा किया कि आसपड़ोस वालों के होश उड़ गए. उन्होंने गौरी के घर आ कर उसे समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन गौरी ने उन की एक भी नहीं सुनी. उलटा वह उन लोगों से भी उलझ पड़ी थी, ‘‘यह हमारे घर का मामला है, आप लोगों से कोई मतलब नहीं है.’’
‘‘आप लोगों के घर का मामला है तो इसे शांति से सुलझाइए. शोर मचा कर हम लोगों का चैन क्यों हराम कर रखा है?’’ पड़ोसियों ने कहा.
‘‘हम ऐसे ही रहेंगे, तुम लोगों को जो करना है वह कर लो.’’ गौरी ने उन्हें जवाब दिया.
गौरी की यह बात पड़ोसियों को इतनी खराब लगी कि उन्होंने मकान मालिक नवनाथ रामदास बोरगे से शिकायत कर उस परिवार से मकान खाली करवाने का दबाव बनाया.
पड़ोसियों की शिकायत पर मकान मालिक बोरगे अपना महीने का किराया लेने राहुल के घर आया तो यह कहते हुए राहुल और उस के परिवार वालों को मकान खाली करने के लिए कहा कि उन के रोजरोज के झगड़ों से और किराएदारों को काफी तकलीफ हो रही है. इसलिए वह मकान खाली कर दें.
मकान मालिक बोरगे की इस बात पर राहुल ने उन से कहा कि वह थोड़े दिन का उसे समय दें. वह कोई दूसरा मकान मिलते ही उन का मकान खाली कर देगा.
मकान मालिक महीने भर का समय दे कर चला गया. अभी तक गौरी ही उस के लिए समस्या बनी हुई थी, अब मकान ने उसे और टेंशन दे दी.
मगर गौरी को इस बात से क्या लेनादेना था वह तो सिर्फ एक ही रट लगाए बैठी थी कि उसे मायके जाना है तो जाना है.
शाम को इसी बात को ले कर गौरी ने फिर से हंगामा शुरू कर दिया था. इस बार राहुल गौरी का हंगामा सुनने को तैयार नहीं था. उस ने गौरी के प्रति एक खतरनाक फैसला ले लिया था.
‘‘मैं आज तुझे तेरे मायके भेज ही दूंगा.’’ कहते हुए उस ने गौरी का हाथ पकड़ा और उसे खींचते हुए घर से बाहर ले जा कर छोड़ दिया और कहा कि अब वह अपने मायके चली जाए.
लेकिन ऐसा नहीं हुआ. घर वाले समझाबुझा कर गौरी को वापस घर में ले आए थे. पर राहुल इस बार गौरी को बख्शने के मूड में नहीं था. उस ने सोच लिया कि न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी.
उस समय रात के यही कोई 8 बजे का समय था. गौरी और राहुल का झगड़ा चालू था. राहुल घर के एक कमरे में गया और वहां रखे हुए कोयते को ले कर बाहर आया.
उस के हाथ में कोयते को देख कर जब तक उस के घर वाले राहुल के इरादे को समझने की कोशिश करते, तब तक राहुल गौरी पर कई वार कर चुका था, जिस से गौरी की एक दर्दनाक चीख निकल कर वातावरण में खो गई थी और वह तड़पकर जमीन पर गिर गई. थोड़ी देर तक तड़पने के बाद वह शांत हो गई थी.
गौरी की हत्या करने के बाद राहुल बड़े शांत मन से हिजवाडी पुलिस थाने पहुंचा. थानाप्रभारी बालकृष्ण सावंत और उन के सहायक थाने आए राहुल का हुलिया देख कर स्तब्ध रह गए. उस के कपड़ों व शरीर पर पड़े खून के छींटे किसी बड़ी घटना की तरफ इशारा कर रहे थे.
थानाप्रभारी बालकृष्ण सावंत उस से कुछ पूछते, इस के पहले ही राहुल ने उन्हें जो कुछ बताया उसे सुन कर उन के पैरों तले की जमीन जैसे खिसक गई.
मामला काफी गंभीर और चौंका देने वाला था. थानाप्रभारी बालकृष्ण सावंत और उन के सहायकों ने उसे तुरंत अपनी हिरासत में ले लिया था. साथ ही उन्होंने इस मामले की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी.
इस के बाद थानाप्रभारी अपने साथ पीआई अजय जोगदंड, एसआई समाधान कदम, एपीआई सागर काटे, हैडकांस्टेबल किरण पवार आदि को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.
इस के पहले कि थानाप्रभारी बालकृष्ण सावंत अपने सहायकों के साथ घटनास्थल का निरीक्षण करते, मामले की जानकारी पा कर के पुणे शहर आयुक्त कृष्ण प्रकाश, डीसीपी आनंद भोइट, एसीपी श्रीकांत डिसले के साथ फोरैंसिक टीम के अधिकारी भी घटनास्थल पर आ गए.
फोरैंसिक टीम का काम खत्म होने के बाद सीनियर अधिकारियों ने घटनास्थल और शव का सरसरी तौर पर निरीक्षण कर थानाप्रभारी बालकृष्ण सावंत को कुछ आवश्यक निर्देश दिए और अपने औफिस लौट गए.
वरिष्ठ अधिकारियों के जाने के बाद थानाप्रभारी बालकृष्ण सावंत ने अपने सहायकों के साथ घटनास्थल और मृतक गौरी के शव का बारीकी से निरीक्षण किया तो पाया कि बड़ी बेरहमी से गौरी की हत्या की गई थी. चेहरे पर 7 गहरे घाव थे. घावों से इस बात का पता चल रहा था कि उस समय हत्यारे की मन:स्थिति कैसी थी.
बहरहाल, अपने सीनियर अधिकारियों के जाने के बाद थानाप्रभारी बालकृष्ण सावंत ने अपने सहयोगियों के साथ घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण कर मृतक गौरी के शव के पास पड़े कोयते को अपने कब्जे में ले कर उसे सील कर लिया .
इस के बाद उन्होंने उस के घर वालों और पड़ोसियों के बयान लिए. शव को पोस्टमार्टम के लिए वाईसीएम अस्पताल भेजने के बाद थाने लौट आए. साथ ही साथ उस के मकान मालिक नवनाथ रामदास बोरगे को भी अपने साथ ले आए.
उस के बयान के आधार पर उन्होंने राहुल गोकुल प्रतापे के खिलाफ भादंवि की धारा 302/4 (25) मुंबई पुलिस अधिनियम 37(1), 135 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था.
विस्तार से पूछताछ करने के बाद जांच अधिकारी बालकृष्ण सावंत ने मेट्रोपौलिटन मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर पुणे की यरवदा जेल भेज दिया.
कथा लिखे जाने तक राहुल गोकुल प्रतापे जेल की सलाखों के पीछे था.