30 अगस्त, 2021 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार होने के कारण पुलिस स्टाफ ने सुबह भोर होने तक सुरक्षा इंतजामों में ड्यूटी दी थी. इसीलिए तरुण मन्ना 31 अगस्त की सुबह 9 बजे जब साउथ ईस्ट दिल्ली के सरिता विहार थाने में अपने भाई अरुण की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने गया तो उसे थानाप्रभारी अनंत गुंजन से मिलने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ा. जब थानाप्रभारी अपने रेस्टरूम से तैयार हो कर औफिस में आए तो तरुण ने उन्हें अपने भाई के गायब होने की जानकारी दी. तब अनंत गुंजन ने तरुण से पूछा, ‘‘क्या हुआ तुम्हारे भाई को क्या घर में किसी से झगड़ा हो गया था.’’

‘‘नहीं सर, कोई झगड़ा नहीं हुआ था कल शाम को 5 बजे वह यह कह कर घर से बाहर गया था कि 10 मिनट में वापस लौट आएगा अपने दोस्त जस्सी से मिलने जा रहा है.

‘‘जब करीब एक घंटा हो गया और वह लौट कर नहीं आया तो हमें चिंता होने लगी. हम ने उस का फोन भी मिलाया लेकिन वह स्विच्ड औफ था. इसी दौरान उस के दोस्त जस्सी का फोन मेरी मां शांति देवी के फोन पर आया और उस ने कहा मीशा से बात करा दो.’’

तरुण मन्ना ने जब यह बताया कि अरुण के दोस्त जस्सी ने उस की मां शांति देवी से मीशा से बात कराने के लिए कहा था तो थानाप्रभारी अनंत गुंजन चौंक पड़े. क्योंकि बात तो अरुण के बारे में हो रही थी, लेकिन अचानक बीच में मीशा का जिक्र कहां से आ गया.

इसलिए उन्होंने तरुण को रोक कर पूछा, ‘‘एक मिनट ये मीशा कौन है? क्या यह तुम्हारे घर की कोई सदस्य है?’’

‘‘नहीं सर, अरुण ने ही अपना नाम बदल कर मीशा रख लिया था, इसलिए अब उसे मीशा कहते हैं.’’

एसएचओ अनंत गुंजन का दिमाग घूम गया. भला कोई लड़का लड़कियों वाला नाम क्यों रखेगा. अचानक पूरे मामले में उन की दिलचस्पी बढ़ गई.

तरुण मन्ना ने अरुण के मीशा बनने की जो कहानी बताई, वह भी दिलचस्प थी. लेकिन इस समय उन के लिए यह जानना जरूरी था कि अरुण उर्फ मीशा आखिर क्यों और कैसे लापता हो गया. तरुण ने बताया कि जस्सी का फोन आने के बाद उस की मां चौंक पड़ीं. क्योंकि मीशा तो उन से यह कह कर गई थी कि वह जस्सी से मिलने जा रही है और जस्सी पूछ रहा था कि मीशा कहां है?

तरुण के मुताबिक उस की मां ने जस्सी को बता दिया मीशा तो उस से मिलने की बात कह कर करीब एक घंटा पहले घर से निकली थी और अभी तक घर नहीं लौटी है.

यह बात सुन कर जस्सी भी हैरान रह गया क्योंकि मीशा तो उस से मिलने आई ही नहीं. फिर उस ने अपने परिवार वालों से झूठ क्यों बोला.

इसी तरह कई घंटे बीत गए, लेकिन मीशा घर नहीं लौटी. जैसेजैसे वक्त गुजरता रहा, घर वालों की चिंता बढ़ती गई. परिवार वालों को यह भी समझ नहीं आ रहा था कि कभी झूठ न बोलने वाला अरुण उर्फ मीशा ने घर से बाहर जाने के लिए जस्सी का नाम क्यों लिया था.

हैरानी वाली बात यह भी थी कि मीशा का फोन भी लगातार बंद आ रहा था. इस वजह से घर वालों को लग रहा था कि कहीं उस के साथ कोई अप्रिय घटना तो नहीं हो गई.

तरुण मन्ना, उस की मां और पिताजी ने एक के बाद एक शाम से रात तक अरुण उर्फ मीशा के सभी दोस्तों को फोन किए, लेकिन उस का कहीं कोई सुराग नहीं लगा.

पूरी रात उन की आंखों में ही बीत गई. मीशा पूरी रात घर नहीं लौटी. तरुण मन्ना और उस के पिता ने आसपड़ोस के लोगों से भी मीशा के लापता होने का जिक्र किया तो सब ने सलाह दी कि उस की थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी जाए.

इसी सलाह को मान कर तरुण मन्ना अपने एकदो पड़ोसियों को ले कर दक्षिणपूर्वी दिल्ली के सरिता विहार थाने पहुंचा था. सारी बात सुन कर थानाप्रभारी अनंत गुंजन ने तत्काल ड्यूटी अफसर को बुला कर अरुण उर्फ मीशा (26) के लापता होने की सूचना दर्ज करवा दी और उस की जांच का जिम्मा तेजतर्रार एएसआई सत्येंद्र सिंह को सौंप दिया.

उन्होंने तरुण मन्ना को भरोसा दिया कि पुलिस इस मामले में अरुण उर्फ मीशा के दोस्त जस्सी की भी जांच करेगी कि कहीं इस मामले में उस की तो कोई मिलीभगत नहीं है.

जांच का काम हाथ में लेते ही एएसआई सत्येंद्र ने गुमशुदगी के मामलों में की जाने वाली सारी औपचारिकताएं करनी शुरू कर दीं. उन्होंने दिल्ली के सभी थानों और पड़ोसी राज्यों को मीशा का हुलिया और उस की फोटो भेज कर लापता होने की सूचना दे दी. साथ ही उन्होंने गुमशुदगी के लिए बने नैशनल पोर्टल पर भी जानकारी डाल दी.

एएसआई सत्येंद्र सिंह ने मीशा की गुमशुदगी से जुड़े पैंफ्लेट और पोस्टर छपवा कर सभी थानों में भिजवा दिए. उन्होंने अरुण उर्फ मीशा के भाई तरुण व परिवार के दूसरे सदस्यों से भी पूछताछ की. मसलन, उस की किनकिन लोगों से दोस्ती थी, वह कहां नौकरी करता था, किन लोगों के साथ उस का मिलनाजुलना था और किसी से उस की दुश्मनी या कोई विवाद तो नहीं था, आदि.

जांच की इस काररवाई व पूछताछ में 2-3 दिन का वक्त गुजर गया. चूंकि घर वाले बारबार मीशा के लापता होने में जस्सी का हाथ होने की बात कह रहे थे. लिहाजा एएसआई सत्येंद्र ने मीशा के फोन की काल डिटेल्स निकलवाने के साथ जस्सी का फोन नंबर ले कर उस के फोन की भी काल डिटेल्स निकलवा ली.

उन्होंने तरुण मन्ना से जस्सी का पता ले कर जस्सी को पूछताछ के लिए सरिता विहार थाने बुलवा लिया.

एएसआई सत्येंद्र ने जब जस्सी से पूछताछ शुरू की तो उस ने बिना लागलपेट के बता दिया कि जिस शाम मीशा अपने घर से लापता हुई, उस ने उसी समय मीशा को फोन जरूर किया था. उस वक्त वह घर पर ही थी.

जस्सी ने बताया, ‘‘सर उस वक्त मैं सरिता विहार इलाके में था. मैं ने मीशा को फोन कर के पूछा था कि अगर वह फ्री है और घर में कोई जरूरी काम नहीं है तो वह आली बसस्टैंड पर आ कर मिल ले. क्योंकि उस दिन जन्माष्टमी थी और मैं उस के साथ मंदिर घूमना चाहता था.’’

‘‘मीशा कितनी देर बाद आई?’’ एएसआई सत्येंद्र ने पूछा.

‘‘नहीं आई सर, मैं करीब एक घंटे तक वहां खड़ा रहा लेकिन मीशा नहीं आई. फिर मैं ने सोचा चलो घर तो पास में ही है, वहीं जा कर मीशा से मिल लेता हूं.’’

एक क्षण के लिए सांस लेने के लिए रुक कर जस्सी ने बताना शुरू किया, ‘‘सर, इसीलिए मैं ने मीशा का फोन लगा कर पूछना चाहा कि अगर वह नहीं आ सकती तो मैं खुद उस से मिलने के लिए घर आ जाता हूं. लेकिन सर उस का फोन भी स्विच्ड औफ मिला.

‘‘मैं ने कई बार फोन लगाया, लेकिन हर बार स्विच्ड औफ मिला तो हार कर मैं ने मीशा की मम्मी को फोन कर लिया और उन से पूछा कि मीशा कहां है. लेकिन सर, मुझे यह जान कर हैरानी हुई कि मीशा घर पर नहीं थी. पता चला कि वह मेरा फोन आने के कुछ देर बाद ही घर में यह बता कर कहीं चली गई थी कि वह जस्सी से यानी मुझ से मिलने जा रही है.’’

जस्सी ने पूरी कहानी साफ कर दी. और फिर एएसआई की तरफ सवालिया नजरों से देखते हुए कहने लगा, ‘‘सर, आप ही बताइए कि जब मीशा मेरी इतनी अच्छी दोस्त थी, हमारे बीच किसी तरह का कोई विवाद भी नहीं था. 2-4 दिन से नहीं करीब डेढ़दो साल से हम एकदूसरे के दोस्त हैं. मैं उस के घर भी आताजाता था. उस का मेरा कोई पैसे का लेनदेन भी नहीं था. कारोबारी दुश्मनी भी नहीं थी. तो फिर भला मैं उसे लापता या किडनैप क्यों करूंगा. और उस का किडनैप कर के क्या करूंगा. मैं तो खुद ही उस के लापता होने के बाद से बहुत परेशान हूं.’’ कहते हुए जस्सी की आंखें भर आईं.

पूछताछ करते हुए एएसआई सत्येंद्र लगातार जस्सी की आंखों को पढ़ रहे थे. उन्हें कहीं भी उस की बातों में झूठ नजर नहीं आया.

एएसआई सत्येंद्र ने जस्सी से मीशा के बारे में और भी कई तरह की जानकारी ली. मसलन दोनों की दोस्ती कब हुई. दोनों के बीच में किस तरह के रिश्ते थे.

जस्सी ने एएसआई सत्येंद्र को अपने और मीशा के बारे में सब कुछ बता दिया. कुल मिला कर एएसआई सत्येंद्र जस्सी से पूछताछ में संतुष्ट नजर आए.

एएसआई सत्येंद्र ने जस्सी को थानाप्रभारी अनंत गुंजन तथा अतिरिक्त थानाप्रभारी दिनेश कुमार तेजवान के सामने भी पेश किया. उन्होंने भी जस्सी से पूछताछ की, जिस में उस ने वही जवाब दिया जो उस ने एएसआई सत्येंद्र को दिया था.

इस दौरान एएसआई सत्येंद्र ने मीशा के फोन की काल डिटेल्स निकाल कर उस की जांचपड़ताल शुरू कर दी थी. जिस में एक बात की पुष्टि तो हो गई कि शाम के वक्त जस्सी ने मीशा को फोन किया था. फिर उस के आधा घंटे बाद मीशा का फोन बंद हो गया था.

अब तक की जांच में जस्सी के ऊपर शक करने की कोई वजह सामने नहीं आ रही थी.॒ लेकिन मीशा को फोन करने वाला आखिरी शख्स जस्सी ही था, इसलिए उसे आसानी से शक के दायरे से बाहर नहीं किया जा सकता था.

एएसआई सत्येंद्र ने मीशा के फोन की काल डिटेल्स में उस के फोन की आखिरी लोकेशन देखनी शुरू की तो पता चला कि फोन की लोकेशन करीब आधे घंटे बाद फरीदाबाद के सराय अमीन इलाके में थी. इस के बाद मीशा के फोन की लोकेशन बंद हो गई थी.

मतलब साफ था कि फरीदाबाद के सराय अमीन में मीशा के फोन को या तो तोड़ दिया गया या कहीं फेंक दिया गया.

मीशा के फोन की काल डिटेल्स के बाद एएसआई सत्येंद्र ने जस्सी के फोन की काल डिटेल्स की पड़ताल शुरू तो वह यह देख कर दंग रह गए कि जस्सी के फोन की लोकेशन भी वहांवहां थी, जहां मीशा के फोन की लोकेशन थी.

जिस वक्त मीशा के फोन की आखिरी लोकेशन फरीदाबाद के सराय अमीन में थी, ठीक उसी वक्त जस्सी के फोन की लोकेशन भी वहीं थी.

एएसआई सत्येंद्र को न जाने क्यों अचानक मीशा के साथ अनर्थ की आशंका होने लगी. वह समझ गए कि जस्सी पुलिस के साथ खेल खेल रहा है.

मीशा के परिवार वालों ने उस के खिलाफ जो शक जाहिर किया था, वह एकदम सही था. एएसआई सत्येंद्र ने अब तक हुई विवेचना के बारे में तत्काल थानाप्रभारी अनंत गुंजन को बताया तो वह भी समझ गए कि मीशा के परिजनों ने जस्सी पर अपहरण का जो शक जाहिर किया था एकदम सही था.

किडनैपिंग की पुष्टि हो चुकी थी. लिहाजा अनंत गुंजन ने मीशा के भाई तरुण मन्ना को थाने बुलवा लिया और उस की शिकायत के आधार पर उसी दिन यानी 5 सितंबर को सरिता विहार थाने में अपहरण 365 आईपीसी का मामला दर्ज कर लिया.

अब इस मामले की जांच एडीशनल एसएचओ दिनेश कुमार तेजवान को सौंपी गई. अपराध की गंभीरता को समझते हुए अनंत गुंजन ने दक्षिणपूर्वी जिले के डीसीपी आर.पी. मीणा और सरिता विहार के एसीपी बिजेंद्र सिंह को पूरे मामले से अवगत करा दिया.

थानाप्रभारी अनंत गुंजन ने जांच अधिकारी इंसपेक्टर तेजवान के सहयोग के लिए एएसआई सत्येंद्र के साथ हैडकांस्टेबल मनोज और अनिल को भी टीम में शामिल कर लिया.

जांच अधिकारी इंसपेक्टर तेजवान ने एएसआई सत्येंद्र से पूरे मामले की एकएक जानकारी ली और एक टीम को जस्सी को पकड़ने के लिए फरीदाबाद की शिव कालोनी रवाना किया, जहां वह रहता था.

लेकिन जस्सी को शायद तब तक इस बात का अहसास हो चुका था कि पुलिस उसे कभी भी गिरफ्तार कर सकती है. इसलिए जब पुलिस वहां पहुंची तो वह नहीं मिला. इंसपेक्टर तेजवान ने एएसआई सत्येंद्र को जस्सी की गिरफ्तारी के काम पर लगा दिया और खुद यह पता लगाने में जुट गए कि मीशा आखिर कहां है. वैसे अब तक पुलिस को यकीन हो चुका था कि हो न हो जस्सी ने शायद उस की हत्या कर दी है.

चूंकि मीशा के फोन की लास्ट लोकेशन फरीदाबाद के सराय अमीन इलाके की थी, इसलिए उन्होंने वहीं पर अपना सारा ध्यान केंद्रित कर दिया.

दिल्ली से लगते फरीदाबाद के सभी थानों में इस बात की जांचपड़ताल शुरू कर दी कि कहीं 30 तारीख से अब तक किसी लड़की का शव बरामद तो नहीं हुआ है. एनसीआर के सभी शहरों को जोड़ कर दिल्ली पुलिस के कुछ वाट्सऐप ग्रुप हैं, जिस में पुलिस अपराधियों से संबंधित किसी भी तरह की सूचना लेनेदेने का काम करती है.

इंसपेक्टर तेजवान ने इसी वाट्सऐप ग्रुप पर अरुण उर्फ मीशा की गुमशुदगी की जानकारी डाल कर फरीदाबाद पुलिस से जब जानकारी एकत्र करनी शुरू की तो पता चला की फरीदाबाद के सेक्टर-17 थाना क्षेत्र में पुलिस को एक नाले से 4 सितंबर, 2021 की सुबह एक लाश मिली थी.

वह लाश पूरी तरह सड़ चुकी थी. हालांकि वह लाश तो किसी पुरुष की थी, लेकिन उस के शरीर पर जो कपड़े थे वह महिलाओं वाले थे. तेजवान समझ गए कि हो न हो, ये लाश मीशा की ही होगी. उन्होंने मीशा के परिजनों को बुलवा लिया और उन्हें ले कर फरीदाबाद के सेक्टर-17 थाने पहुंच गए.

वहां सेक्टर-17 पुलिस ने उन्हें बताया कि 4 सितंबर को नाले से जो अज्ञात लाश मिली थी, उस को अभी अस्पताल में प्रिजर्व कर के रखा गया है. सेक्टर-17 थाना पुलिस के साथ इंसपेक्टर तेजवान और मीशा के परिजन जब सिटी हौस्पिटल पहुंचे तो वहां पोस्टमार्टम के बाद मुर्दाघर में जो लाश रखी थी, वह इतनी सड़गल चुकी थी कि उस की पहचान करना मुश्किल था.

लेकिन लाश के पहने हुए कपड़े देख कर मीशा की मां ने पहचान कर ली कि वह लाश मीशा की ही थी. इस के बाद पुलिस ने लाश की शिनाख्त की औपचारिकता पूरी कर ली.

फरीदाबाद पुलिस ने मीशा का शव उस के परिजनों को सौंप दिया, जिस का उन्होंने अंतिम संस्कार कर दिया गया.

चूंकि मीशा की लाश बरामद हो चुकी थी, अत: अब ये मामला हत्या का बन चुका था. इसलिए उन्होंने मुकदमे में हत्या की धारा 302 जोड़ दी.

अब पुलिस सरगरमी से जस्सी की तलाश कर रही थी, क्योंकि उसी के बाद साफ हो सकता था कि मीशा की हत्या क्यों और कैसे की गई.

पुलिस टीम लगातार जस्सी के फोन को सर्विलांस पर लगा कर यह पता लगा रही थी कि उस की लोकेशन कहां है.

आखिर पुलिस को सफलता मिल ही गई. 12 सितंबर को पुलिस टीम ने जस्सी को फरीदाबाद के पलवल शहर से गिरफ्तार कर लिया, वहां वह अपने एक रिश्तेदार के घर छिपा था.

पुलिस ने जब जस्सी से पूछताछ की तो मीशा हत्याकांड की चौंकाने वाली कहानी सामने आई.

जस्सी (24) का पूरा नाम सुमित पाठक है. बिहार के रहने वाले जस्सी के परिवार में मातापिता और एक बड़ा भाई और एक छोटी बहन है. पिता और भाई दोनों प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं.

साधारण परिवार का जस्सी शुरू से एक खास तरह की आदत का शिकार था. उसे बचपन से ही लड़कियों के बजाय लड़कों में दिलचस्पी थी. उस का सैक्स करने का तो मन करता, लेकिन लड़कियों के साथ नहीं बल्कि लड़कों के साथ. यही कारण था कि कई ट्रांसजेंडर से उस की दोस्ती हो गई थी. 12वीं तक पढ़ाई के बाद जस्सी ने फैशन डिजाइनिंग में डिप्लोमा कर के फरीदाबाद के एक फैशन से जुड़े एनजीओ में नौकरी कर ली.

एनजीओ में नौकरी के कारण जस्सी को अकसर कई फैशन शो और प्रोग्राम में एनजीओ की तरफ से जाना पड़ता था. करीब 2 साल पहले जस्सी की मुलाकात अरुण से हुई. उम्र में अरुण उस से 2 साल बड़ा था. पहली बार हुई मुलाकात में ही जस्सी को पता चल गया कि अरुण जन्म से लड़का जरूर है, लेकिन हारमोंस से वह पूरी तरह लड़की है.

लड़कियों जैसे हावभाव, चलनेफिरने और बात करने में लड़कियों की तरह अदाएं दिखाना. पहनावा और मेकअप भी अरुण ऐसा करता कि देखने वाला पहली नजर में लड़की समझने की भूल कर लेता.

अरुण के परिवार में मातापिता और एक छोटे भाई तरुण के अलावा कोई नहीं था. पिता आली गांव में ही पान का खोखा लगाते थे, जबकि मां और भाई बदरपुर स्थित प्राइवेट कंपनियों में नौकरी करते थे.

अरुण के बचपन से ही लड़कियों की तरह व्यवहार करने और बदलते हारमोन को ले कर परिवार वाले भी परेशान थे. उन्होंने कई जगह उस का इलाज भी कराया, लेकिन जवान होते होते डाक्टरों ने जवाब दे दिया कि उस के हारमोन पूरी तरह बदल चुके हैं.

अरुण ने बड़े होने के बाद अपना नाम मीशा रख लिया और वह फरीदाबाद की ‘पहल’ एनजीओ में नौकरी करने लगा. मीशा और जस्सी की मुलाकात हुई तो जल्दी ही दोनों की दोस्ती घनिष्ठता में बदल गई.

क्योंकि जस्सी को तो लड़कों में ही अधिक रुचि थी. वहीं मीशा को भी किसी ऐसे दोस्त की तलाश थी, जिस को लड़की में नहीं बल्कि लड़कों या लड़की के भेष में छिपी आधीअधूरी लड़की में रुचि हो.

दोनों में जल्द ही जिस्मानी संबध भी बन गए. मीशा की ख्वाहिश थी कि वह अपना सैक्स परिवर्तन करवा कर पूरी तरह लड़की बन जाए. एक दिन उस ने अपनी यह ख्वाहिश अपने पार्टनर जस्सी से बताई तो जस्सी ने मेहनत से जो पैसे जोड़े थे, उस में से 50 हजार रुपए खर्च कर के अरुण के ऊपरी भाग यानी ब्रेस्ट का औपरेशन करवा दिया.

औपरेशन के बाद सीने पर लड़कियों जैसे उभार निकलते ही मीशा की खूबसूरती में चारचांद लग गए. इस के बाद तो अरुण ने खुद को सार्वजनिक रूप से मीशा के रूप में परिचित कराना शुरू कर दिया. मीशा और और जस्सी के सबंध इस के बाद और भी प्रणाढ़ हो गए. दोनों साथ घूमते, साथ फिल्में देखते. इतना ही नहीं, जस्सी का मीशा के घर पर भी बेरोकटोक आनाजाना शुरू हो गया था. मीशा के परिवार वालों ने भी इसे नियति मान लिया था. मीशा अब अपने लिंग का औपरेशन करवा कर पूरी तरह लड़की बनना चाहती थी.

हालांकि औपरेशन के बाद लड़कियों जैसे यौनांग तो एकदम तैयार नहीं हो पाते, लेकिन लिंग का औपरेशन करवा कर उस से अपने पुरुष होने की सजा से मुक्ति मिल जाती.

मीशा जस्सी से जिद करने लगी कि वह अपने निचले हिस्से का भी औपरेशन करवा कर पूरी तरह एक लड़की बनना चाहती है. वैसे जस्सी को उस के औपरेशन में कोई दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन मीशा की जिद और खुशी के लिए जस्सी ने हां कर दी.

जस्सी ने उस से कहा कि अगले कुछ महीनों में जब उस के पास पैसे इकट्ठा हो जाएंगे तो वह औपरेशन करवा देगा. क्योंकि इस में करीब एक लाख रुपए का खर्च डाक्टरों ने बताया था.

जस्सी मीशा के ऊपर दिल खोल कर पैसा खर्च करता था. जस्सी के परिवार को भी यह बात पता थी कि वह एक ऐसी लड़की से प्यार करता है जो न तो पूरी तरह लड़का है और न ही लड़की.

परिवार वालों ने ऐसा रिश्ता जोड़ने के लिए उसे मना भी किया, लेकिन उस ने परिवार की एक नहीं सुनी.

इसी दौरान पिछले कुछ महीनों से धीरेधीरे मीशा के व्यवहार में परिवर्तन आने लगा. वह क्लबों में जाने लगी. ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के बहुत सारे लोगों से उस की दोस्ती हो गई. वह उन के साथ नाइट पार्टियों में जाती. कुछ लोगों के साथ उस के घनिष्ठ संबध भी बन गए.

जब जस्सी को इस बात का अहसास होने लगा और उसे भनक लगी तो उस ने मीशा को रोकनाटोकना चाहा. लेकिन मीशा जिंदगी के जिस रास्ते पर चल पड़ी थी, वहां उस की मंजिल जस्सी नहीं था.

लिहाजा उस ने जस्सी से साफ कह दिया कि वह उसे अपनी प्रौपर्टी न समझे. वह किस के साथ घूमेगी, किस के साथ जाएगी, ये वह खुद तय करेगी.

जस्सी ने भी उस से एकदो बार कहा कि उस ने अपनी मेहनत की कमाई उस के औपरेशन और खर्चों पर इसलिए लुटाई थी ताकि वह उस की बन कर रहे. जस्सी ने उस से एक दिन गुस्से में यह तक कह दिया कि अगर वह उस की नहीं रहेगी तो किसी की नहीं रहेगी. लेकिन मीशा ने उस की बात हवा में उड़ा दी.

लेकिन यह बात मीशा ने अपनी मां को जरूर बता दी थी. जब जस्सी ने देखा कि मीशा पूरी तरह काबू से बाहर हो चुकी है. ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लोगों से मिलना देर रात तक उन के साथ पार्टी करना और मस्ती करना उस की आदत बन चुकी है तो उस ने तय कर लिया कि वह उस की हत्या कर देगा. इस के लिए उस ने पूरी साजिश रची. 30 अगस्त, 2021 को उस ने 4 बजे मीशा को फोन कर के उसे 10 मिनट के लिए घर के पास ही मिलने के लिए बुलाया.

मीशा जब उस से मिलने पहुंची तो वह उसे तुरंत मोटरसाइकिल पर बैठा कर यह कह कर अपने साथ ले गया कि अभी आधे घंटे में आते हैं. तुम्हारी किसी दोस्त से मुलाकात करानी है, जो तुम्हारे जैसा ही है. इसी उत्सुकता में मीशा विरोध न कर सकी.

वह 15 मिनट में ही मीशा को मोटरसाइकिल से दिल्ली से सटे फरीदाबाद के सराय अमीन इलाके में नाले के किनारे एक सुनसान जगह ले गया. वहां उस ने मीशा की गोली मार कर हत्या कर दी. मीशा का मोबाइल उस ने अपने हाथ में ले कर पहले ही बंद कर दिया था. हत्या करने के बाद उस ने शव को नाले में फेंक दिया. इस के बाद उस ने मीशा के मोबाइल का सिम निकाल कर तोड़ दिया और फोन तोड़ कर नाले में फेंक दिया. मीशा का शव नाले में बहते हुए 5 किलोमीटर दूर सेक्टर-17 थाने की सीमा में पहुंच गया, जिसे 5 सितंबर को वहां की पुलिस ने बरामद कर लिया.

मीशा की हत्या करने के बाद जस्सी फिर से मोटरसाइकिल से आली गांव पहुंचा, जहां से उस ने मीशा की मां को फोन कर के मीशा से बात कराने के लिए कहा. फिर वह घर चला गया. पुलिस ने पूछताछ के बाद जस्सी की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त तमंचा और मोटरसाइकिल बरामद कर ली. पुलिस ने मीशा का मोबाइल बरामद करने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मिला.

पूछताछ के बाद पुलिस ने जस्सी को 13 सितंबर, 2021 को अदालत में पेश कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस की जांच, पीडि़त परिवार के कथन और आरोपी के बयान पर आधारित

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