टुकड़ों में बरामद लाश की पहचान करना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर होती है. ऐसा ही एक मामला राजधानी दिल्ली में आया. हत्यारे ने लाश के 1-2, नहीं बल्कि 18 टुकड़े कर दिए थे. जानिए हत्यारे की क्रूरता की कहानी…

पश्चिमी दिल्ली में मोहन गार्डन थाने के प्रभारी राजेश मौर्या को 72 साल की वृद्धा के लापता होने की शिकायत मिली थी. शिकायतकर्ता मोहन गार्डन में ही रामा गार्डन के रहने वाले ग्रोवर दंपति थे. वे किराए के मकान में रहते थे. लापता कविता ग्रोवर मनीष ग्रोवर की मां और मेघा की सास थीं.

थानाप्रभारी ने मामले को आए दिन की सामान्य घटना मानते हुए मनीष को समझाया कि उन की मां यहीं कहीं आसपास गई होंगी, आ जाएंगी. साथ ही सुझाव भी दिया कि वह अपनी रिश्तेदारी या जानपहचान में पता कर लें. शायद वहीं मिल जाएं! फिर भी उन्होंने मनीष की तसल्ली के लिए पूछ लिया कि उन की या घर में किसी दूसरे सदस्य की मां के साथ हालफिलहाल में कोई कहासुनी तो नहीं हुई?

मनीष ने ऐसी किसी भी बात से इनकार कर दिया. लेकिन मौर्या की निगाह जब खामोश बैठी मेघा पर गई तो उन्हें थोड़ा अजीब लगा. उन्होंने मेघा की ओर सवालिया नजरों से देखा.

मेघा झट से बोल पड़ी, ‘‘सर, जब से मैं ब्याह कर आई हूं, तब से कभी भी मैं ने सास से ऊंची आवाज तक में बात नहीं की. सासूमां भी मुझे बेटी की तरह मानती थीं. वह बिना बताए ऐसे कहीं नहीं जाती थीं.’’

‘‘आप लोगों को ऐसा क्यों लग रहा है कि कविता ग्रोवर गायब हो गई हैं? मुझे थोड़ा और विस्तार से बताइए.’’ मौर्या ने कहा.

‘‘सर, हम लोग रिश्तेदारी में एक मौत की खबर पा कर 30 जून को सिरसा चले गए थे. वहां से जब 3 जुलाई को लौटे तब घर में ताला लगा मिला. हम ने दूसरी चाबी से ताला खोला. पहले तो हम ने सोचा मां इधरउधर कहीं पड़ोस में गई होंगी. थोड़ी देर में आ जाएंगी. लेकिन…’’

मेघा बोल ही रही थी कि बीच में मनीष बोलने लगे, ‘‘सर, एक पड़ोसी ने बताया कि घर में 2 दिनों से ताला लगा हुआ था. उस के बाद से ही हमें चिंता हो गई. हम ने उन की आसपास तलाश भी की.’’

‘‘ठीक है, आप लोग गुमशुदगी की सूचना दर्ज करवा दीजिए.’’ राजेश मौर्य ने कहा.

मनीष ने सूचना लिखवाने के बाद साथ लाई मां की एक फोटो भी उन्हें दे दी और वापस अपने घर आ गए. पुलिस ने काररवाई शुरू करते हुए गुमशुदा कविता ग्रोवर की तसवीर सभी थानों में भिजवा दी.

वृद्धा की तलाश तेजी से जारी थी. 4 दिन गुजर गए थे, फिर भी कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था. मौर्या परेशान थे. पांचवें दिन 8 जुलाई, 2021 को उन्हें मेघा का फोन आया.

उन्हें लगा मेघा उन से फिर से अपनी सासूमां की तलाश नहीं हो पाने की शिकायत करेंगी. लेकिन मेघा ने उन्हें फ्लैट में ही कविता ग्रोवर के बारे में कुछ सुराग मिलने की जानकारी दी.

यह सुन कर थानाप्रभारी भागेभागे मनीष के घर आ गए. अपने साथ एसआई अनिल कुमार और हैडकांस्टेबल रतनलाल को भी ले गए थे. मनीष बिल्डिंग में थर्ड फ्लोर पर रहते थे. वे मेघा के साथ कविता के रहने के कमरे में गए. वहां एक पलंग, एक अलमारी और बैठने के लिए 2 आरामदायक कुरसियां थीं.

‘‘कमरे के सामान को हम ने जरा भी छेड़ा नहीं है. आज जब मैं ने कमरे के बिस्तर को ध्यान से देखा. तब मुझे बिस्तर की चादर काफी सिमटी दिखी. उसे देख कर मैं कह सकती हूं कि सासूमां रात भर करवटें बदलती रही होंगी.’’ मेघा बोली.

इस पर इंसपेक्टर ने ध्यान से बिस्तर का निरीक्षण किया. उन्होंने भी अनुमान लगाया कि सामान्य तरह से सोने पर बिस्तर की सिलवटें बहुत अधिक नहीं बनती हैं. तभी उन्होंने सवाल किया, ‘‘मेघाजी, आप सास का एक बैग गायब होने की बात बता रही थीं.’’

‘‘जी हां सर, सासूमां का एक बैग गायब है, जिस में उन की ज्वैलरी और बैंक के कागजात थे. और हां, मेरी सासूमां का मोबाइल भी नहीं मिल रहा है.’’ मेघा बोली.

इस पर थानाप्रभारी मौर्या ने गंभीरता दिखाते हुए कमरे का कोनाकोना छान मारा. इस सिलसिले में बाथरूम की दीवारें संदिग्ध लगीं. कारण दीवारों को रगड़रगड़ कर धोने के निशान साफ दिख रहे थे.

ध्यान से देखने पर एकदो छोटे काले निशान अभी भी दिख रहे थे. उस की जांच के लिए फोरैंसिक टीम बुलाई गई.

जांच के लिए तमाम तरह के नमूने एकत्रित किए गए. घर के बाहर सीसीटीवी कैमरे से 30 जून और एक जुलाई की रात के फुटेज निकलवाए गए.

सीसीटीवी फुटेज में 2 बड़े बैग के साथ घर से रात को निकलते हुए 2 लोग दिखे. उन की तसवीर प्रिंट करवा कर मेघा से पहचान करवाई गई. मेघा ने देखते ही कहा कि ये दोनों उन के पड़ोसी अनिल आर्या और कामिनी आर्या हैं. उन की गैरमौजूदगी में यही सासूमां का खयाल रखते थे.

पुलिस ने बताया कि ये दोनों 30 जून की रात को 11 बजे आप के घर आए थे और सुबह साढ़े 6 बजे आप के घर से निकले थे. तब उन के पास 2 बड़े बैग थे.

अब मेघा समझ चुकी थी कि जरूर कुछ गड़बड़ है. उस ने बताया कि उन की सास के पास इतना बड़ा बैग नहीं था. फिर खुद ही सवाल किया, ‘‘बैग में क्या हो सकता है, घर का सारा सामान तो यूं ही पड़ा है.’’

तहकीकात से मालूम हुआ कि आर्या दंपति गुरुद्वारा रोड पर किराए के मकान में रहते थे. पहली जुलाई के बाद से वे नहीं दिखे.

उधर फोरैंसिक जांच की रिपोर्ट से पता चला कि बाथरूम की दीवार पर वह काले निशान खून के धब्बे थे. इस का मतलब स्पष्ट था कि कविता ग्रोवर की किसी ने हत्या कर दी.

आगे की जांच के लिए जांच टीम बनाई गई और हत्यारे की तलाश की जाने लगी. इस मामले में शक की सुई पूरी तरह से अनिल आर्या और उस की पत्नी कामिनी आर्या की तरफ घूम चुकी थी. सवाल यह था कि दोनों बैग ले कर कहां लापता हो गए?

काफी पूछताछ के बाद मालूम हुआ कि दोनों उत्तराखंड में रानीखेत के मूल निवासी हैं. उन की तलाश के लिए पुलिस टीम रानीखेत पहुंची, लेकिन वे हाथ नहीं आए. केवल इतना पता चल सका कि 3 जुलाई, 2021 को टैक्सी स्टैंड पर दिखे थे.

इसी बीच दोनों के बारे में दिल्ली के एक आटो वाले से कुछ जानकारी मिली. उस ने बताया कि दोनों उस के परमानेंट ग्राहक थे. हमेशा उस के आटो से ही कहीं भी आतेजाते थे.

आटो ड्राइवर ने बताया कि 30 जून की आधी रात को मुझे फोन कर अगले रोज सुबह आने के लिए कहा था. मैं उन के पास ठीक सवा 6 बजे पहुंच गया था. अनिल आर्या और उस की पत्नी 2 बैग घसीटते हुए ले कर आए थे. उन्होंने कहा था कि दोस्त के यहां पार्टी है, उन के लिए चिकन का बैग पहुंचाना है. और वे आटो पर सवार हो गए.

थोड़ी दूर पर ही वे नजफगढ़ के पास उतर गए. उस के बाद वे कहां गए, मालूम नहीं. पूछने पर सिर्फ इतना बताया कि उन का दोस्त यहीं गाड़ी ले कर आएगा.

पुलिस ने आटो वाले से अनिल आर्या का मोबाइल नंबर ले लिया. मोबाइल से बात नहीं बनी, लेकिन आटो और दूसरे दरजनों टैक्सी वालों से पूछताछ के बाद आर्या दंपति को उत्तर प्रदेश के बरेली से 12 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें दिल्ली लाया गया. उन से गहन पूछताछ की गई.

जल्द ही दोनों ने कविता ग्रोवर की हत्या की बात स्वीकार ली. उन्होंने जो बताया, वह किसी हैवानियत से जरा भी कम नहीं था. मानवता को शर्मसार करने वाली घटना को बड़ी क्रूरता से अंजाम दिया गया.

उन्होंने स्वीकार कर लिया कि 30 जून की रात को क्याक्या हुआ था. उन्होंने कविता ग्रोवर की हत्या करने का कारण भी बताया.

इवेंट मैनेजमेंट का काम करने वाले अनिल आर्या के अनुसार उस के लालच और स्वार्थ से भरे इस हत्याकांड की नींव 2 साल पहले ही पड़ गई थी. उस ने कविता ग्रोवर से जानपहचान बढ़ा कर उन से डेढ़ लाख रुपए उधार लिए थे, जिस की मांग वह लगातार करती थीं.

अनिल ने बताया कि 30 जून, 2021 को मनीष और मेघा सिरसा चले गए थे. उसी रात वह पत्नी के साथ पूरी तैयारी के साथ कविता के पास जा पहुंचा था. कविता ग्रोवर उन दोनों को अपना हितैषी समझती थीं, इसलिए देर रात को आने पर कोई सवालजवाब नहीं किया.

उन के बीच देर रात तक इधरउधर की बातें होती रहीं. इसी बीच कविता अपनी उधारी मांग बैठीं. बात बढ़ गई. कविता ने नाराजगी दिखाते हुए कह दिया कि पैसे वापस नहीं लौटाए तो वह इस बारे में अपने बहूबेटे को बता देगी.

फिर क्या था. तब तक अनिल को भी काफी गुस्सा आ गया था. उस ने तुरंत कविता के मुंह पर जबरदस्त मुक्का जड़ दिया. वह बिछावन पर वहीं गिर पड़ीं. अनिल ने उन के सीने पर सवार हो कर साथ लाई नायलौन की रस्सी से गला घोंट डाला.

कविता की मौत हो जाने के बाद अनिल लाश को बाथरूम में ले गया और साथ लाए बड़े चाकू से लाश के 18 टुकड़े कर डाले. सारे टुकड़े उस ने 2 बड़ेबड़े बैगों में भरे. इस काम में उन दोनों को करीब 4 घंटे का समय लगा.

उस की पत्नी कामिनी ने इस में पूरा साथ दिया और उस ने बाथरूम की दीवारें साफ कीं. फिर टुकड़े ठिकाने लगाने के लिए अपने जानपहचान के आटो वाले को फोन कर बुला लिया.

आटो से वह दोनों नजफगढ़ तक आए. आटो के जाने के बाद वहीं नाले में बैग फेंक दिए. उस के बाद वह उसी रोज कविता के घर से लाए जेवरों को मुथुट फाइनैंस में गिरवी रख आए. उस से मिले 70 हजार रुपए ले कर उन्होंने अपने कुछ जेवर छुड़वाए और रानीखेत चले गए.

पकड़े जाने के डर से वह वहां 2 घंटे ही रुके. यहां तक कि अपने घर भी नहीं गए. रास्ते में ही अपने मोबाइल का सिम और हत्या में इस्तेमाल चाकू आदि सामान को फेंक दिया. फिर बरेली जा कर एक कमरा किराए पर लिया और रहने लगे.

पुलिस ने उस के बताए अनुसार न केवल थैले से लाश के टुकड़े बरामद कर लिए, बल्कि हत्या में इस्तेमाल सामान भी हासिल कर लिया.

लाश के कुल 18 टुकड़े किए गए थे, जो सड़गल चुके थे. पुलिस ने मुथुट फाइनैंस से गिरवी रखे जेवर भी हासिल कर लिए. उन की शिनाख्त मेघा ग्रोवर ने कर दी.

इस तरह अनिल और कामिनी द्वारा हत्या का जुर्म स्वीकार करने के बाद अपहरण के केस को हत्या कर लाश ठिकाने लगाने की धारा 302, 201 आईपीसी में तरमीम कर दिया गया. फिर दोनों को अदालत में पेश कर तिहाड़ जेल भेज दिया गया.

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