साधु आश्रम रोड पर पनैठी से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर जली हुई एक कार खड़ी है, जिस में एक लाश पड़ी है. सूचना मिलते ही डा. विनोद कुमार उस स्थान पर पहुंच गए, जहां जली हुई कार खड़ी होने की बात बताई गई थी.

जहां वह जली हुई कार खड़ी थी, वह इलाका सुनसान था. दूरदूर तक कोई बस्ती नहीं थी. शाम होते ही उधर आनाजाना बंद हो जाता था. इस से थानाप्रभारी ने अंदाजा लगाया कि इस कार को कहीं बाहर से ला कर यहां जलाया गया है. घटनास्थल के निरीक्षण में उन्हें कार से कुछ दूरी पर शराब और पैट्रोल की बोतलें पड़ी मिलीं. इस से लगा कि वारदात को अंजाम देने में कई लोग शामिल थे.

इस से पुलिस को लगा कि हत्यारे मृतक के दोस्त रहे होंगे. किसी बात पर आपस में झगड़ा हुआ होगा और मारपीट में इस की मौत हो गई होगी. अपराध छिपाने के लिए इसे यहां ला कर कार सहित जला दिया गया होगा. कार की नंबर प्लेट सलामत थी. डा. विनोद कुमार ने घटना की जानकारी एसएसपी राजेश पांडेय को दे दी थी. इस के बाद कार के नंबर के आधार पर मृतक के बारे में पता किया गया.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, मृतक का नाम रिजवान था. वह दिल्ली का रहने वाला था, जहां उस का बिल्डिंग बनाने का कारोबार था. शिनाख्त होने के बाद घटना की जानकारी उस के घर वालों को दे दी गई थी. इस के बाद उसी दिन घटना की सूचना देने वाले अर्जुन सिंह की ओर से अपराध संख्या 445/2017 पर धारा 302, 201, 427 के अंतर्गत रिजवान की हत्या का मुकदमा थाना हरदुआगंज में दर्ज हो गया.

सूचना पा कर मृतक रिजवान के घर वाले अलीगढ़ पहुंच गए थे. पुलिस को कार की तलाशी में लाश के साथ एक जला हुआ मोबाइल फोन मिला था. घर वालों के पहुंचने के बाद पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा कर कार में मिला सामान जब्त कर लिया था.

पुलिस ने घर वालों से पूछताछ शुरू की. घर वालों का कहना था कि उन्हें पता नहीं कि रिजवान यहां कैसे पहुंचा. वह तो अलीगढ़ जाने की बात कह कर घर से निकला था. उस ने कहा था कि अलीगढ़ में उसे किसी से डेढ़ लाख रुपए लेने हैं.

पूछताछ में पुलिस को पता चला कि रिजवान ने 2 शादियां की थीं. दोनों पत्नियों से उस का तलाक हो चुका था. दूसरी पत्नी शाजिया परवीन से विवाद के कारण तलाक हो गया था. शाजिया ने रिजवान के खिलाफ थाने में रिपोर्ट भी दर्ज करा रखी थी, जिस से रिजवान को जेल जाना पड़ा था. 16 दिन पहले ही वह जमानत पर जेल से बाहर आया था.

रिजवान की 2-2 तलाकशुदा बीवियों की जानकारी मिलने पर पुलिस की जांच का दायरा बढ़ गया. दोनों ही बीवियां शक के घेरे में थीं. रिजवान की दूसरी बीवी शाजिया परवीन अध्यापिका थी, जिस की पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर के एक सरकारी स्कूल में थी.

घर वालों से थानाप्रभारी डा. विनोद कुमार ने विस्तार से पूछताछ की. शाजिया परवीन और उस के घर वालों से भी पूछताछ की गई. पुलिस ने मृतक रिजवान की पहली पत्नी नाजरीन के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया था. क्योंकि उस की हरकतों से पुलिस को उस पर शक हो गया था. पुलिस की समझ में आ गया था कि कातिल इलाके की भौगोलिक स्थिति से परिचित थे, इसीलिए उन्होंने घटना को यहां अंजाम दिया था.

सर्विलांस द्वारा पुलिस को पता चला कि नाजरीन की सोनू से लगातार फोन पर बातें हो रही हैं. सोनू गाजियाबाद का रहने वाला है. पुलिस ने दोनों की बातचीत सुन कर पुलिस को पता चल गया कि सोनू नाजरीन का प्रेमी है. घर वालों ने भी इस की पुष्टि कर दी थी. पुलिस के सामने कुछ नाम और भी आए, जिस में एक शाहरुख था, जो नाजरीन का भाई था. इस के अलावा अफरोज और आशु के नाम भी थे.

थानाप्रभारी ने गाजियाबाद पुलिस से संपर्क किया तो पता चला कि सोनू और अफरोज 25 आर्म्स एक्ट के तहत अपनी गिरफ्तारी दे चुके हैं, जिन में से अफरोज को जेल भेजा जा चुका था. डा. विनोद कुमार ने तुरंत सोनू को जेल भेजने से रुकवाया और गाजियबाद पहुंच कर उसे हिरासत में ले लिया. सोनू को ले कर पुलिस हरदुआगंज आ गई.

सोनू से सख्ती से पूछताछ की गई तो पता चला कि रिजवान की हत्या में उस की प्रेमिका और रिजवान की पूर्वपत्नी नाजरीन भी शािमल थी.

इस के बाद पुलिस ने नाजरीन को भी हिरासत में ले लिया. पूछताछ में पहले तो वह इधरउधर की बातों से पुलिस को गुमराह करने की कोशिश करती रही, लेकिन जब उसे बताया गया कि सोनू गिरफ्तार हो चुका है और उस ने सच्चाई बता दी है. यह पता चलते ही वह डर गई और उस ने हकीकत बता दी. दोनों से की गई पूछताछ के बाद रिजवान की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी—

मोहम्मद सुलतान मूलरूप से आलमबाग, अलीगढ़ के के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटे और 5 बेटियां थीं. रोजीरोटी के सिलसिले में करीब 25 साल पहले वह दिल्ली आ गए थे. दिल्ली की एक कंपनी में सुरक्षागार्ड की नौकरी कर के वह अपने परिवार का पालनपोषण करने लगे.

बच्चे जवान हुए और कारोबार से लग गए. बड़ा बेटा रिहान उबेर कैब में टैक्सी चलाने लगा तो रिजवान ने बिल्डिंग बनाने का काम शुरू कर दिया, फरहान किसी कंपनी में नौकरी करने लगा. बेटों के काम पर लगने से सुलतान का परिवार सुखी और संपन्न हो गया. उस ने मुरारी रोड बटला हाउस में अपना मकान बनवा लिया. परिवार में सब कुछ ठीकठाक था, लेकिन समय कब करवट ले ले, इस की खबर किसी को नहीं होती.

बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के काम से रिजवान की अच्छी कमाई हो रही थी. उस के लिए रिश्ते की तलाश शुरू हुई. किसी के माध्यम से दक्षिणपूर्वी दिल्ली के शाहीनबाग निवासी साबिर अली की बेटी नाजरीन से शादी का प्रस्ताव आया. दोनों तरफ से बातचीत के बाद उन का रिश्ता तय हो गया. फिर जल्दी ही रिजवान और नाजरीन का निकाह हो गया. यह सन 2008 की बात है.

निकाह के कुछ दिनों बाद ही नाजरीन के व्यवहार में बदलाव आ गया, जिस की वजह से घर में कलह रहने लगी. दरअसल, नाजरीन पति के संयुक्त परिवार से अलग रहना चाहती थी. इसी बात को ले कर वह रिजवान से लड़तीझगड़ती रहती थी, जबकि रिजवान घर वालों से अलग नहीं होना चाहता था. पर पत्नी की जिद के आगे उसे झुकना पड़ा. उस की बात मानते हुए उस ने ओखला विहार में किराए का एक फ्लैट ले लिया और उसी में नाजरीन के साथ रहने लगा.

नाजरीन और रिजवान भले ही संयुक्त परिवार से अलग रहने लगे थे, पर उन के रिश्ते मधुर नहीं हो पाए. इस की वजह यह थी कि रिजवान को नाजरीन का किसी से मिलनाजुलना या बातचीत करना पसंद नहीं था. रिजवान नाजरीन पर अंकुश लगाना चाहता था, जबकि नाजरीन को अपनी आजादी में रिजवान का दखल पसंद नहीं था. इसी वजह से उन के दांपत्य में तनाव रहने लगा. उसी बीच नाजरीन एक बेटी की मां बन गई. उस का नाम रखा गया फलक.

रिजवान फलक से बेहद प्यार करता था, पर बेटी के आने के बाद भी मांबाप के रिश्ते नहीं सुधर पाए. धीरेधीरे दोनों के रिश्ते टूटने की कगार पर आ गए.

आखिर नाजरीन ने रिजवान से साफ कह दिया कि वह उस के साथ नहीं रह सकती. रिजवान ने उसे समझाने की कोशिश की और बेटी के भविष्य की दुहाई दी. लेकिन नाजरीन कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी.

आखिर कुछ रिश्तेदार बीच में पड़े और पंचायतें हुईं. फिर भी बात नहीं बनी और दोनों का तलाक हो गया. रिजवान ने अपनी प्रौपर्टी से अपनी बेटी फलक के भरणपोषण के लिए और सुखद भविष्य के लिए अपना दादरी वाला 900 वर्गगज का प्लौट और एक फ्लैट उस के नाम कर दिया. यह सन 2012 की बात है.

फिर शाजिया आई रिजवान की जिंदगी में तलाक के बाद नाजरीन अपने मांबाप के साथ रहने लगी. अब रिजवान तनहा हो गया. वह अपने कारोबार में मन लगाने की कोशिश करने लगा. इस बीच घर के लोग उस के लिए फिर से रिश्ता तलाश करने लगे. 2 साल तक बात नहीं बनी तो रिजवान शादी डौटकौम के जरिए अपने लिए जीवनसाथी खोजने लगा.

मार्च, 2014 में शादी डौटकौम के जरिए रिजवान की मुलाकात शाजिया परवीन से हुई, जो विधवा थी. वह एक बेटी की मां भी थी. लेकिन वह पढ़ीलिखी और काफी खूबसूरत थी. बातचीत में भी काफी सलीके वाली थी. वह सरकारी स्कूल में अध्यापिका भी थी. उस की पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में थी.

आपस में बातचीत के बाद दोनों निकाह कर दांपत्य में बंधने को तैयार हो गए. शाजिया परवीन के पहले पति की मृत्यु सन 2010 में हो गई थी. वह अपने मांबाप और बेटी के साथ दिल्ली के वजीराबाद में रहती थी. बाद में उस की उत्तर प्रदेश में अध्यापक के पद पर नौकरी लग गई थी. बेटी को मांबाप के पास छोड़ कर वह सीतापुर में रह कर नौकरी करती थी.

निकाह के बाद शाजिया परवीन रिजवान के साथ ओखला विहार दिल्ली में रहने लगी. लेकिन 15 दिनों बाद ही वह अपनी नौकरी करने सीतापुर चली गई. जब स्कूल की छुट्टियां होतीं, तभी वह दिल्ली में पति के साथ रहती थी. रिजवान से निकाह कर के शाजिया को लगता था कि उसे और उस की बेटी को सहारा मिल गया है. निकाह के बाद कुछ दिनों तक सब ठीकठाक चला, लेकिन उस के बाद शाजिया को लगने लगा कि रिजवान में बदलाव आ रहा है.

रिजवान शाजिया की तनख्वाह अपने पास रखना चाहता था. यह बात शाजिया को बिलकुल पसंद नहीं थी. उस ने रिजवान से निकाह इसलिए किया था कि उस की बेटी को पिता का प्यार मिलेगा. पर जैसा उस ने सोचा था, हालात वैसे नहीं थे. अत: पतिपत्नी के रिश्तों में दरार पैदा होने लगी.

कुछ दिनों बाद शाजिया को पता चला कि रिजवान अपनी तलाकशुदा पत्नी नाजरीन के पास आनेजाने लगा है. यह बात शाजिया को अच्छी नहीं लगी. शाजिया ने रिजवान से पूछा तो उस ने वादा किया कि अब वह नाजरीन के पास नहीं जाएगा.

नाजरीन अपने प्रेमी सोनू से निकाह करना चाहती थी. इस के लिए सोनू भी तैयार था. सोनू को पता था कि नाजरीन की 7 साल की बेटी फलक के नाम रिजवान ने 900 वर्गगज का प्लौट और एक फ्लैट किया हुआ है तो वह कुछ और ही हिसाब लगाने लगा.

नाजरीन भी इस प्रौपर्टी को समय से पहले भुनाना चाहती थी. अत: सोनू के साथ मिल कर वह सोचने लगी कि यह प्रौपर्टी उसे कैसे मिले.

तलाक के बाद नाजरीन को रिजवान से कुछ भी नहीं मिला था, जो भी मिला था, फलक को मिला था. इसलिए नाजरीन सोनू के साथ मिल कर षडयंत्र रचने लगी. इस के बाद षडयंत्र के तहत एक दिन उस ने रिजवान को फोन कर के मिलने को बुलाया. रिजवान नाजरीन से मिलने पहुंचा तो उस ने अपने व्यवहार पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि जो कुछ भी हुआ, वह उसे भूल जाए. मैं अब भी तुम से मोहब्बत करती हूं.

इस पर रिजवान को कोई आपत्ति नहीं थी. उस समय उस की दूसरी पत्नी शाजिया से उस के रिश्ते ठीक नहीं थे. नाजरीन के इरादों से बेखबर रिजवान का उस के घर आनाजाना शुरू हो गया. वह शाजिया से किया वादा भी भूल गया. उसे साथ ले कर वह घूमता भी था, जिस का पता शाजिया को चल गया. शाजिया को यह कतई पसंद नहीं था कि उस का पति अपनी तलाकशुदा पत्नी से संबंध बनाए रखे. शाजिया को अब महसूस होने लगा कि रिजवान से निकाह कर के उस ने बहुत बड़ी भूल की है.

रिजवान की एक आदत गलत यह थी कि वह शाजिया की तनख्वाह पर अपना अधिकार समझता था. वह जबतब सीतापुर पहुंच जाता और उस से पैसे मांगता. पैसे न देने पर उस से मारपीट, गालीगलौज करता. कुल मिला कर शाजिया उस से काफी परेशान रहने लगी थी.

आखिर शाजिया ने रिजवान से तलाक लेने का फैसला कर लिया. 13 सितंबर, 2016 को उस ने मुसलिम रीतिरिवाज के अनुसार रिजवान से तलाक ले लिया. रिजवान से तलाक ले कर शाजिया ने राहत की सांस ली. पर यह मुक्ति स्थाई नहीं थी.

शाजिया के न्यूड फोटो बांट दिए रिश्तेदारों में

रिजवान जबतब उसे फोन करता और पैसे की मांग करता. तलाक होने के बाद भी वह शाजिया के पास सीतापुर पहुंच जाता था. वह उसे धमकाता, जिस से शाजिया परेशान रहने लगी थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे.

एक दिन रिजवान ने उस से 15 लाख रुपयों की मांग की. शाजिया ने पैसे देने से साफ मना कर दिया. तब रिजवान ने उस पर पिस्टल तान दी. वह उसे जान से मारने की धमकी देने लगा.

किसी तरह नाजरीन को जब इस बात का पता चला तो वह आग में घी डालने का काम करने लगी. वह रिजवान को और भड़काने लगी. शाजिया मानसिक रूप से काफी परेशान थी. अचानक रिजवान ने उस की परेशानी और बढ़ा दी. उस ने शाजिया के न्यूड फोटो उस के कुछ रिश्तेदारों को भेज दिए.

शाजिया को जब यह पता चला तो वह सन्न रह गई. अब पानी सिर से ऊपर गुजरने लगा था. इतना ही नहीं, रिजवान ने शाजिया को फोन कर धमकी दी कि वह उस का वीडियो भी उस के रिश्तेदारों को भेजेगा. इस के बाद तो शाजिया की घबराहट और बढ़ गई.

नाजरीन ने रची खूनी साजिश शाजिया ने अपने रिश्तेदारों से सलाह की तो सब ने पुलिस से शिकायत करने का सुझाव दिया. इस के बाद वह थाना तिमारपुर पहुंची और थानाप्रभारी को सारी बात बताई.

थानाप्रभारी ने इस मामले की जांच एसआई मीनाक्षी को सौंप दी. एसआई मीनाक्षी ने जांच में मामला सही पाया और इस मामले की रिपोर्ट पहली जून, 2017 को थानाप्रभारी को सौंप दी.

इस के बाद पुलिस ने रिजवान के खिलाफ भादंवि की धारा 384, 354, 506 के तहत मामला दर्ज कर रिजवान को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के बाद उसे अदालत में पेश किया, जहां से जेल भेज दिया था.

नाजरीन को रिजवान से हमदर्दी जताने का यह अच्छा मौका मिल गया था. विश्वास बढ़ाने के लिए वह जेल में रिजवान से मिलने भी जाने लगी. सोनू के साथ वह केस की पैरवी भी कर रही थी. इस से रिजवान को लगा कि नाजरीन उस की अपनी है, जो बुरे वक्त में उस के साथ है. जबकि नाजरीन के मन में तो कुछ और ही था.

नाजरीन सोनू से निकाह कर के अपनी जिंदगी को व्यवस्थित करना चाहती थी. इस के लिए उसे पैसों की भी जरूरत थी. वह यही चाह रही थी कि फलक के नाम लिखी प्रौपर्टी किसी तरह उसे मिल जाए.

रिजवान की जमानत के लिए उस के बहनोई जाकिर हुसैन ने काफी भागदौड़ की. आखिर 26 अक्तूबर, 2017 को यानी हत्या के 16 दिन पहले उसे जमानत मिल गई. रिजवान के जेल से बाहर आने पर घर वालों ने राहत की सांस ली. नाजरीन, सोनू और उस के साथी यह सोच रहे थे कि शाजिया और रिजवान की दुश्मनी को किस तरह भुनाए.

आखिर योजना के अनुसार, 10 नवंबर, 2017 को सोनू ने रिजवान को फोन कर के वैशाली मैट्रो स्टेशन पर मिलने के लिए बुलाया. रिजवान वहां अपनी कार से पहुंचा तो सोनू ने कहा कि वे लोग अलीगढ़ घूमने जा रहे हैं. वह भी उन के साथ चले तो ठीक रहेगा. रिजवान काफी समय तक जेल में रहा था, इसलिए मन बहलाने के लिए वह खुशीखुशी उन के साथ जाने को तैयार हो गया.

रिजवान ने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह खुद को खतरे में डाल रहा है. सोनू, शाहरुख, अफरोज और आशू के साथ रिजवान चल पड़ा. रिजवान की कार के अलावा उन लोगों के पास एक कार और थी. बुलंदशहर आने के बाद उन्होंने रास्ता बदल लिया. अनूपशहर होते हुए वे लोग हरदुआगंज पहुंचे.

रास्ते में उन्होंने रिजवान को जम कर शराब पिलाई, जिस से वह एक तरह से बेहोश सा हो गया था. रास्ते में ही उन्होंने प्लास्टिक की बोतलों में एक पैट्रोल पंप से पैट्रोल ले लिया था. नाजरीन और सोनू मोबाइल के जरिए एकदूसरे के संपर्क में बने थे.

रात 12 बजे के करीब सभी अलैहदादपुर पहुंचे. रिजवान अपनी कार में बेसुध सीट पर गरदन टिकाए लेटा था. ऐस में ही सोनू और आशू ने उस का गला घोंट दिया. इस के बाद उन्होंने बोतलों में भरा पैट्रोल रिजवान पर डाल दिया और आग लगा दी. रिजवान के साथसाथ कार भी धूधू कर जलने लगी. सुनसान इलाका होने की वजह से किसी को पता नहीं चला कि वहां क्या हुआ था. चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था. सभी अपने काम को अंजाम दे कर अपनी कार से चले गए. नाजरीन और उस के साथियों ने सोचा था कि पुलिस उन तक पहुंच नहीं पाएगी, लेकिन यह उन की भूल थी.

रात साढ़े 10 बजे रिजवान का फोन बंद हो गया तो घर वाले परेशान हो उठे. उन्होंने नाजरीन को भी फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. घर वालों ने थाने में गुमशुदगी की तहरीर भी दे दी, लेकिन रिजवान का कुछ पता नहीं चला.

अगले दिन घर वालों को अलीगढ़ पुलिस से रिजवान की जली हुई लाश और कार मिलने की खबर मिली. घर वाले अलीगढ़ पहुंचे. उन के साथ नाजरीन भी थी. घर वालों ने रिजवान की झुलसी हुई लाश की पुष्टि कर दी, इस के बाद भी नाजरीन के चेहरे पर शिकन तक नहीं थी. वह अंदर ही अंदर सुकून महसूस कर रही थी.

डा. विनोद कुमार ने अभियुक्तों से पूछताछ कर के उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. फलक अपने दादादादी के पास है. 7 साल की फलक अनाथ हो चुकी है. पिता की हत्या कर दी गई है और मां जेल में है. कथा लिखने तक नाजरीन अपने साथियों के साथ जेल में थी.  ?

 

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