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26 जून, 2018 की बात है. दिन के करीब 11 बज रहे थे. जयसिंहपुर पुलिस थाने के असिस्टेंट इंसपेक्टर शाहाजी निकम और समीर गायकवाड़ किसी मामले को ले कर बातचीत कर रहे थे, तभी 11 वर्षीय बच्चे के साथ सूर्यकांत शिंदे वहां पहुंचा. उसे देख कर निकम और शिंदे गायकवाड़ स्तब्ध रह गए. उस की घायलावस्था और कपड़ों पर लगा खून किसी बड़ी वारदात की तरफ इशारा कर रहा था.

दोनों पुलिस अधिकारी सूर्यकांत शिंदे को अच्छी तरह से जानते पहचानते थे. इस से पहले कि वे सूर्यकांत शिंदे से कुछ पूछते उस ने पुलिस अधिकारियों को जो बताया, उसे सुन कर वे चौंक गए.

मामला काफी गंभीर और सनसनीखेज था. असिस्टेंट इंसपेक्टर शाहाजी निकम और समीर गायकवाड़ ने सूर्यकांत शिंदे को तुरंत अपनी हिरासत में ले कर उसे उपचार के लिए जिला अस्पताल भेज दिया. फिर मामले की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रोलरूम को भी दे दी. इस के बाद वह बिना कोई देर किए पुलिस टीम ले कर घटनास्थल के लिए रवाना हो गए.

मामला एक प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था की महिला कार्यकर्ता की हत्या का था. इस से पहले कि घटनास्थल पर पुलिस टीम पहुंच पाती, हत्या की खबर जंगल की आग की तरह पूरे गांव और इलाके में फैल चुकी थी, जिस से घटनास्थल पर काफी भीड़ एकत्र हो गई थी.

असिस्टेंट इंसपेक्टर शाहाजी निकम ने पहले मौके पर जा कर घटनास्थल का मुआयना किया. अभी वह लोगों से पूछताछ कर ही रहे थे कि खबर पा कर कोल्हापुर के एसएसपी कृष्णांत पिंगले भी वहां पहुंच गए. उन के साथ फोरैंसिक टीम भी आई थी.

पुलिस अधिकारियों ने जब घटनास्थल का निरीक्षण किया तो वहां दिल दहला देने वाला मंजर मिला. किचन में एक महिला का शव पड़ा हुआ था. शव के चारों तरफ खून ही खून फैला था. घटनास्थल का दृश्य दिल दहला देने वाला था. मृतका के शरीर और सिर पर कई घाव थे, जो काफी गहरे और चौड़े थे. खून से सनी कुल्हाड़ी भी वहीं पड़ी थी. लग रहा था कि मृतका पर उसी कुल्हाड़ी से हमला किया गया था.

फोरैंसिक टीम का काम खत्म होने के बाद एसएसपी कृष्णांत पिंगले ने मामले की जांच असिस्टेंट इंसपेक्टर शाहाजी निकम और समीर गायकवाड़ को करने का निर्देश दिया. पुलिस ने खून सनी कुल्हाड़ी अपने कब्जे में ले ली और लाश पोस्टमार्टम के लिए स्थानीय अस्पताल भेज दी. पता चला मृतका का नाम माधुरी था. इस बीच सूचना पा कर उस के घर वाले भी आ गए थे.

यह घटना महाराष्ट्र के जिला कोल्हापुर के उदगांव में घटी थी. चूंकि आरोपी सूर्यकांत शिंदे ने घटना के बारे में पुलिस को पहले ही बता दिया था, इसलिए पुलिस ने उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. सूर्यकांत शिंदे ने अपने ऊपर हुए हमले और पत्नी की हत्या की जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली थी.

सूर्यकांत और माधुरी का मिलन

42 वर्षीय सूर्यकांत शिंदे के पिता महादेव शिंदे गांव के एक साधारण किसान थे. वह सीधेसादे और नेकदिल इंसान थे. गांव वालों की मदद के लिए वह अकसर तैयार रहते थे, इसी वजह से गांव वालों के बीच उन के प्रति आदर और सम्मान था.

परिवार में उन की पत्नी आनंदी बाई के अलावा एकलौता बेटा सूर्यकांत था. वह हाईस्कूल तक ही पढ़ सका था. ज्यादा पढ़ालिखा न होने की वजह से उसे ठीक सी नौकरी नहीं मिली तो वह सांगली के एक बिल्डर के यहां सुपरवाइजर का काम करने लगा.

माधुरी पाटिल और सूर्यकांत शिंदे की मुलाकात करीब 18 साल पहले सांगली की एक कंस्ट्रक्शन साइट पर हुई थी. माधुरी अपने परिवार के साथ सांगली के बैरणबाजार में रहती थी. परिवार के मुखिया लक्ष्मण पाटिल का निधन हो चुका था. मां मंगला पाटिल पर 2 बेटियों की जिम्मेदारी थी. बड़ी बेटी सविता की शादी हो चुकी थी. माधुरी की जिम्मेदारी बाकी थी.

परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. पूरा परिवार खाने के टिफिन तैयार कर अपना गुजारा किया करता था. सूर्यकांत शिंदे जब कंस्ट्रक्शन साइट पर गया तो उस के खाने का बंदोबस्त माधुरी के टिफिन बौक्स से हो गया था.

माधुरी देखने में सुंदर और चंचल स्वभाव की आधुनिक विचारों वाली युवती थी. शिंदे की तरह वह भी ज्यादा पढ़लिख नहीं पाई थी लेकिन जितनी भी पढ़ी थी, उस के लिए काफी था. वह इतनी होशियार थी कि किसी से भी बेझिझक बात करती थी. वह जिस से भी एक बार बातें कर लेती, वह उस की तरफ खिंचा चला आता था.

यही हाल सूर्यकांत शिंदे का भी हुआ. वह माधुरी की पहली झलक में ही उस का दीवाना हो गया था. वह जब भी माधुरी के घर पर खाना खाने जाता था, उस की नजर खाने पर कम माधुरी पर ज्यादा रहती थी. टिफिन की तारीफ तो वह करता ही था, साथसाथ उसे अच्छी टिप भी दिया करता था.
शुरू में तो 20 वर्षीय माधुरी को सूर्यकांत शिंदे के इरादों का आभास नहीं हुआ, लेकिन वह जल्द ही उस की आंखों की भाषा समझ गई. धीरेधीरे माधुरी भी उस की ओर आकर्षित होने लगी. उसे अपने सपने और अरमान सूर्यकांत शिंदे में ही पूरे होते दिख रहे थे.

माधुरी जल्दी ही मन ही मन सूर्यकांत शिंदे को जीवनसाथी के रूप में देखने लगी. विचार मिले तो दोनों ने शादी का फैसला कर लिया. यह बात जब दोनों के परिवार वालों को पता चली तो उन्होंने दोनों की शादी पर कोई ऐतराज नहीं किया. जल्दी ही साधारण तरीके से दोनों की शादी हो गई.

शादी के बाद सूर्यकांत शिंदे माधुरी के साथ अपने गांव में रहने लगा. इसी बीच सूर्यकांत के पिता की मृत्यु हो गई तो घर की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर आ गई. वह बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाने लगा. प्राइवेट नौकरी होने की वजह से सूर्यकांत सप्ताह में एक दिन ही आ पाता था. एक रात रुक कर वह अगले दिन वापस सांगली चला जाता था. घर में सिर्फ सूर्यकांत की बूढ़ी मां और भाई ही रह जाते थे.

बिखरने लगे माधुरी के अरमान

ऐसी स्थिति में माधुरी को अपने सारे सपने और अरमान बिखरते नजर आ रहे थे. ऊपर से पुराने खयालों की सूर्यकांत की बूढ़ी मां को माधुरी का आधुनिक विचारों वाला आचरण पसंद नहीं था. जिसे ले कर घर में कलह और सासबहू में अकसर लड़ाईझगड़े होने लगे.

पहले तो सूर्यकांत शिंदे ने माधुरी को समझाया. लेकिन जब उस ने साफ कह दिया कि वह सास के साथ हरगिज नहीं रहेगी तो सूर्यकांत माधुरी को ले कर शिरोल तालुका के चिपरी गांव में किराए के मकान में रहने लगा.

समय अपनी गति से चल रहा था. माधुरी एक बेटी और एक बेटे की मां बन गई. पतिपत्नी ने दोनों बच्चों को अच्छी परवरिश दी. बेटी 12वीं में पढ़ रही थी तो बेटा कक्षा 2 में था.

बच्चे बड़े हुए तो घर के खर्चे भी बढ़ गए, जबकि आमदनी सीमित थी. इस सब के चलते माधुरी को अपने खुद के खर्चों में कटौती करने की नौबत आ गई. उसे अपने सपने धूमिल होते नजर आने लगे. फलस्वरूप इसे ले कर उस की पति से नोंकझोंक शुरू हो गई, जो रोजाना के झगड़े में बदलती चली गई.

नतीजा यह हुआ कि दोनों के रिश्तों में दरार आ गई, जिस की वजह से सूर्यकांत शिंदे को मजबूरन कंस्ट्रक्शन साइट की नौकरी छोड़नी पड़ी. माधुरी को किनारे कर के वह गांव में अपनी बूढ़ी मां के साथ रहने लगा. माधुरी ने सास के साथ रहने से मना कर दिया था, इसलिए वह बच्चों को ले कर अपने मायके चली गई थी.

घर तो चलाना ही था, लिहाजा सूर्यकांत ने एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर ली. अब वह पत्नी के साथ नहीं रहना चाहता था, लिहाजा उस ने अदालत में पत्नी से तलाक लेने की अर्जी दाखिल कर दी, जिस का माधुरी ने विरोध किया.

उस के विरोध पर कोर्ट ने तलाक के मामले को कुछ दिनों के लिए पेंडिंग में रख कर सूर्यकांत शिंदे को आदेश दिया कि वह माधुरी को गुजारा और रहने के लिए आधा घर दे. अदालत के आदेश के बाद माधुरी दोनों बच्चों के साथ आ कर रहने लगी.

दोनों के बीच गहराती गईं दरारें

माधुरी और सूर्यकांत शिंदे के बीच आई दरारें तब और गहरी हो गईं, जब वह संतोष माने और प्रमोद पाटिल के संपर्क में आई और उन की सामाजिक संस्था भूमाता ब्रिगेड व शिवाजी छत्रपति से जुड़ गई. प्रमोद पाटिल इस संस्था का संस्थापक और संतोष माने सक्रिय कार्यकर्ता था. एक तरह से संतोष माने प्रमोद पाटिल का दायां हाथ था. इस संस्था की पूरे कोल्हापुर जिले में कई शाखाएं थीं, जिस में हजारों कार्यकर्ता थे.

यह संस्था गरीब, लाचार महिलाओं की सहायता करती थी. साथ ही तमाम तरह के कार्यक्रमों का आयोजन और प्रोत्साहन वाले काम भी करती थी. संतोष माने ने माधुरी को करीब लाने के लिए उस के दिल में समाजसेवा का बीज बो दिया था.

दरअसल, माधुरी सुंदर और स्मार्ट थी. संतोष माने ने जब उसे देखा तो वह उस का दीवाना हो गया था. 2 बच्चे होने के बाद भी उस के शरीर का कसाव वैसे का वैसा ही था. संतोष माने उस के गांव के पड़ोस में ही रहता था. वैसे उस का विवाह हो चुका था और उस के 2 बच्चे भी थे. फिर भी जब से उस ने माधुरी को देखा था, वह उसी के बारे में सोचता रहता था. बहाने से उस ने माधुरी के घर भी आनाजाना शुरू कर दिया.

गांव का पड़ोसी और एक प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था का सदस्य होने के कारण माधुरी उस की इज्जत करती थी. माधुरी और संतोष माने के बीच की दूरियां कम हुईं तो वह माधुरी की रगों में सामाजिक कार्यक्रमों के रंग भरने लगा. पहले तो माधुरी ने इस में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, लेकिन संतोष के काफी जोर देने पर वह संस्था के सामाजिक कार्यों में शरीक होने के लिए तैयार हो गई.

संतोष माने ने माधुरी को संस्था के संस्थापक प्रमोद पाटिल से मिलवाया. प्रमोद पाटिल ने माधुरी की दिलचस्पी देख कर उसे संस्था का जिला उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया. संस्था के सामाजिक कार्यों का दायरा बड़ा होने के नाते अब उसे संस्था के हर छोटेबड़े कार्यक्रमों और मीटिंगों में जाना पड़ता था.
व्यस्तता की वजह से माधुरी का समय अपने बच्चों के साथ कम और बाहर अधिक बीतने लगा. यह बात सूर्यकांत शिंदे को अच्छी नहीं लगी. उस ने कई बार माधुरी को बच्चों के प्रति सचेत कर के समझाया. लेकिन उस ने पति की बातों पर ध्यान नहीं दिया. वह संतोष माने के साथ अधिक रहने लगी, जिस का नतीजा यह हुआ कि माधुरी अपनी सीमा लांघ गई.

जब यह बात धीरेधीरे गांव और गलियों में होते हुए सूर्यकांत के कानों तक पहुंची तो उस का खून खौल उठा. उस ने भले ही माधुरी को तलाक का नोटिस दिया था, लेकिन अभी तक तलाक हुआ नहीं था. वह अभी भी कानूनी और सामाजिक तौर पर उस की पत्नी थी.

पत्नी की वजह से उस की और उस के परिवार की समाज में बुराई हो, वह सहन नहीं कर सकता था. जिस की वजह से माधुरी और सूर्यकांत शिंदे के बीच अकसर लड़ाईझगड़ा, मारपीट होने लगी.

बनने लगी अपराध की भूमिका

मामला पुलिस थाने तक जाता था लेकिन पुलिस इसे एक पारिवारिक झगड़ा समझ कर कोई काररवाई नहीं करती थी. माधुरी को परेशान देख कर संतोष माने से रहा नहीं गया तो उस ने प्रमोद पाटिल से मशविरा कर के सूर्यकांत शिंदे को आड़े हाथों लिया.

उस ने शिंदे को चेतावनी दी कि अगर वह माधुरी और उस के बीच दीवार बनने की कोशिश करेगा तो प्रमोद पाटिल और वह उसे हमेशाहमेशा के लिए माधुरी के रास्ते से हटा देंगे. लेकिन हुआ इस का उलटा.
26 जून, 2018 को सूर्यकांत शिंदे जब माधुरी के घर के अंदर गया तो उस का धैर्य जवाब दे गया. उस ने किचन के दरवाजे के सुराख से अंदर देखा तो माधुरी और संतोष माने आपत्तिजनक स्थिति में थे.
यह देख कर उस के होश उड़ गए. वह अपने आप को रोक नहीं सका और उन्हें भद्दीभद्दी गालियां देते हुए दरवाजा जोरजोर से पीटने लगा. आवाज सुन कर सूर्यकांत शिंदे की बूढ़ी मां और अन्य लोग भी वहां आ गए.

इस के पहले कि लोग कुछ समझ पाते, किचन का दरवाजा खुला और हाथ में कुल्हाड़ी लिए संतोष माने किचन से बाहर निकला. आते ही उस ने सूर्यकांत शिंदे पर हमला बोल दिया. सूर्यकांत ने कुल्हाड़ी का पहला वार अपने हाथों पर झेल लिया.

दूसरा वार करने से पहले ही सूर्यकांत संभल गया और उस ने संतोष माने को जोर से धक्का दे कर जमीन पर गिरा दिया. जिस से उस के हाथों से कुल्हाड़ी छूट गई और वह सूर्यकांत शिंदे ने उठा ली.
अपने ऊपर हुए हमले के कारण सूर्यकांत शिंदे भी अपना आपा खो बैठा था. उस ने संतोष माने पर कुल्हाड़ी का वार कर दिया. इस से पहले कि कुल्हाड़ी माने को लगती माधुरी बीच में आ गई और कुल्हाड़ी का सीधा वार माधुरी के सिर पर हुआ. तभी संतोष माने यह कहते हुए वहां से भाग निकला कि प्रमोद पाटिल उसे छोड़ेगा नहीं.

संतोष माने तो वहां से निकल गया लेकिन माधुरी पति के गुस्से का शिकार बन गई. शिंदे ने उस पर कई वार किए. कुछ ही देर में माधुरी की मौत हो गई. इस के बाद सूर्यकांत शिंदे अपने बेटे शिवराज को साथ ले कर जयसिंहपुर थाने पहुंच गया और उस ने पुलिस को पूरी बात बता दी. पुलिस ने उस का इलाज कराकर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

सूर्यकांत शिंदे से पूछताछ करने के बाद जांच अधिकारी शाहाजी निकम और समीर गायकवाड़ ने भूमाता ब्रिगेड व छत्रपति शिवाजी सामाजिक संस्था के संस्थापक प्रमोद पाटिल और संतोष को सूर्यकांत शिंदे के ऊपर जानलेवा हमला करने और धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

प्रमोद पाटिल और संतोष माने की गिरफ्तारी पर भूमाता ब्रिगेड और शिवाजी छत्रपति सामाजिक संस्था के कार्यकर्ताओं के बीच में हड़कंप मच गया. शिरोल तालुका की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने कार्यकर्ताओं के साथ प्रमोद पाटिल और संतोष माने की गिरफ्तारी का विरोध किया, लेकिन कानून सब के लिए बराबर होता है, चाहे कोई समाज सेवक हो या खास आदमी.

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