प्रियंका तनेजा को भले ही कम लोग जानते हैं, लेकिन हनीप्रीत की चर्चा आज घरघर में हो रही है. हनीप्रीत का नाम लेते ही मेकअप से लकदक जो लुभावना चेहरा आंखों के सामने आता है, वह दुष्कर्म के जुर्म में 20 साल की सजा पाए कथित संत गुरमीत राम रहीम द्वारा बनाई गई फिल्मों की नायिका ही नहीं, उन की सहनिर्देशक एवं सहनिर्मात्री भी थी. लेकिन सब के बीच बाबा गुरमीत राम रहीम उसे अपनी दत्तक पुत्री कहते थे.
बाबा के जेल जाते ही हनीप्रीत अचानक गायब हो गई. कई राज्यों की पुलिस उस की तलाश में मारीमारी फिरती रही, पर उस के बारे में पता नहीं कर सकी. उस के नेपाल में होने की आशंका पर वहां भी उस की तलाश की गई, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला.
उसी बीच वकील प्रदीप कुमार आर्य ने हनीप्रीत की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में 25 सितंबर, 2017 को एक याचिका दाखिल की, जिस में हनीप्रीत 3 सप्ताह की अंतरिम ट्रांजिट जमानत मांग रही थी. इस याचिका में उस ने कहा था कि उस की जान को खतरा है. इस याचिका में उसे अदालत में पेश न होने की अनुमति मिल गई थी.
26 सितंबर की सुबह साढ़े 10 बजे वकील प्रदीप कुमार आर्य ने कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल के सम्मुख पेश हो कर कहा था कि उन की मुवक्किल हनीप्रीत को जान का खतरा है, इसलिए उन्हें 3 सप्ताह के लिए अंतरिम ट्रांजिट जमानत दी जाए.
अदालत द्वारा जब पूछा गया कि हनीप्रीत को किस से जान का खतरा है तो वकील प्रदीप कुमार आर्य ने बताया, ‘‘ड्रग माफिया से. वे हनीप्रीत को ढूंढ रहे हैं और मिलते ही उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं.’’
‘‘पर पूरा देश तो यह जानना चाहता है कि हनीप्रीत कहां है? सिंगल बेंच आप के मामले की सुनवाई करेगा. सब को नोटिस भेजे जा चुके हैं.’’ यह कहते हुए जस्टिस गीता मित्तल ने वकील प्रदीप कुमार आर्य को फारिग कर दिया.
दोपहर बाद पौने 3 बजे जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल की अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई. दिल्ली पुलिस की ओर से स्टैंडिंग काउंसिल राहुल मेहरा, एपीपी अनिल अहलावत, वकील जैमल अख्तर तथा हरियाणा सरकार की ओर से एएजी अनिल ग्रोवर, वकील नूपुर सिंघल के साथ पेश हुए.
वकील प्रदीप कुमार आर्य के साथ उन के आधा दरजन से ज्यादा सहयोगी वकील भास्कर भारद्वाज,राजकरन शर्मा, कपिल ढाका, राणा कुनाल, अमरेश आनंद, अश्विन कालरा और के.के. छाबड़ा आए थे.
बहस शुरू होते ही वकील प्रदीप कुमार आर्य ने अदालत के सामने दलील रखी कि हनीप्रीत के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, सिर्फ बयानों से कोई अपराधी नहीं बन जाता. वह एक शांतिप्रिय और कानून को मानने वाली नागरिक है. ड्रग माफिया से उसे पहले से ही खतरा था और अब उस पर ये आरोप लगा दिए गए हैं.
इस के जवाब में राहुल मेहरा ने कहा, ‘‘किसी भी आरोपी की मदद करना ठीक नहीं है. हनीप्रीत तो कहती है कि उस के पिता भगवान हैं, फिर उसे खतरा किस बात का है?’’
अनिल ग्रोवर का कहना था कि हनीप्रीत को सिर्फ अपनी गिरफ्तारी का खतरा है, बाकी उसे किसी से कोई खतरा नहीं है. उस पर पंचकूला में हिंसा करवाने का गंभीर आरोप है, इसीलिए पुलिस उस की तलाश कर रही है.
दोनों तरफ की दलीलें सुन कर जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल ने कहा कि जमानत देने के बाद भी हनीप्रीत को पंजाब अथवा हरियाणा की कोर्ट में जाना पड़ेगा. इसलिए वह सीधे वहीं क्यों नहीं जाती. जाने में 4 घंटे तो ही लगेंगे. आत्मसमर्पण ही उस के लिए सब से आसान रास्ता है.
कोर्ट ने हनीप्रीत की जमानत याचिका पर कोई फैसला सुनाने के बजाय उसे रिजर्व कर लिया. हनीप्रीत का क्या हुआ, यह जानने से पहले आइए थोड़ा उस के बारे में जान लेते हैं.
कौन है हनीप्रीत हनीप्रीत का असली नाम प्रियंका तनेजा उर्फ अनु था. सन 1975 में वह रामानंद तनेजा के घर पैदा हुई थी. हरियाणा के नगर फतेहाबाद के जगजीवनपुरा के रहने वाले रामानंद का नैशनल हाइवे पर किसान टायर्स नाम से शोरूम था.
रामानंद के पिता यानी प्रियंका के दादाजी सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रबल अनुयायी थे और नियमित वहां जाते थे. धीरेधीरे इस परिवार के सभी लोग डेरा से जुड़ गए. हनीप्रीत भी घर वालों के साथ डेरे पर जाती थी.
जल्दी ही प्रियंका डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम इंसां की करीबी बन गई. बाबा उसे पसंद करते थे, इसलिए उसे खुश करने की कोशिश करते रहते थे. उसी बीच बाबा ने उसे अपनी दत्तक पुत्री घोषित कर के उस का नया नाम रखा हनीप्रीत इंसां.
सन 1999 में बाबा ने डेरा के ही एक अनुयायी के बेटे विश्वास गुप्ता से हनीप्रीत की शादी करा दी. बाबा जहां हनीप्रीत को अपनी दत्तक पुत्री कहते थे, वहीं विश्वास गुप्ता को बेटा कहते थे. जबकि विश्वास गुप्ता का कहना है कि उस के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ था. कहने को हनीप्रीत उस की ब्याहता थी, लेकिन उस के बाबा गुरमीत राम रहीम से संबंध थे.
विश्वास गुप्ता के अनुसार, बाबा ने एक दिन कहा कि डेरे के खास लोगों के साथ वह ‘बिग बौस’ खेलेंगे. उस में बाबा के परिवार के भी लोग शामिल थे. हनीप्रीत और विश्वास गुप्ता खास लोगों में थे, इसलिए उन्हें भी शामिल किया गया था. खेल की शर्तों में था कि खेल में जिस से भी कोई गलती होगी, उसे बाबा की गुफा में बैठ कर उन के नाम का जाप करना होगा.
विश्वास गुप्ता का कहना है कि हनीप्रीत जानबूझ कर गलती करती और नियम के अनुसार बाबा की गुफा में चली जाती, जहां से एक रास्ता बाबा के बैडरूम तक जाता था. इस तरह वह जानबूझ कर गलतियां कर रही थी, जिस की वजह से उसे घंटों गुफा में रहना पड़ता था.
जब हनीप्रीत हो गई बाबा गुरमीत राम रहीम की विश्वास गुप्ता के बताए अनुसार, उसे हनीप्रीत की इन हरकतों से लगा कि कहीं बाबा और उस के बीच कोई खिचड़ी तो नहीं पक रही है. लेकिन उस समय वह किसी से कुछ कहने की स्थिति में नहीं था. क्योंकि उस ने अपनी आंखों से कुछ गलत देखा भी नहीं था, इसलिए कुछ कहना उचित भी नहीं था. उस ने मन ही मन तय कर लिया कि जब तक वह अपनी आंखों से ऐसा कुछ देख नहीं लेता, तब तक वह किसी से कुछ नहीं कहेगा.
विश्वास गुप्ता के अनुसार, डेरे में खेले गए बिग बौस का शो समाप्त होतेहोते हनीप्रीत पूरी तरह बाबा गुरमीत राम रहीम की हो गई थी. कहने को सोती वह उस के साथ थी, लेकिन रात में गुप्त दरवाजे से निकल कर वह बाबा के पास पहुंच जाती थी. पूरी रात बाबा के पास बिता कर वह सुबह उस के पास आ जाती थी.
न चाहते हुए भी विश्वास गुप्ता ने एक दिन इस बारे में हनीप्रीत से पूछ लिया तो उस ने तुनक कर जवाब दिया कि पिताजी की तबीयत ठीक नहीं रहती, इसलिए वह उन की सेवा के लिए जाती है. इस के बाद उस ने उसे धमकी दी कि अगर उस ने उस पर इस तरह बेवजह शक किया तो वह पिताजी से यह बात बता देगी. उस के बाद वह उसे जान से मरवा देंगे.
बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह इंसां के कहने पर विश्वास गुप्ता डेरे पर ही रहने लगा था. बाबा हनीप्रीत को बेटी कहता था, इसलिए विश्वास गुप्ता को दामाद कहता था. उसे डेरे में कहीं भी घूमनेफिरने की पूरी आजादी थी. यहां तक कि वह बाबा की गुफा में भी बिना अनुमति के आजा सकता था. इस से उसे बाबा की कई करतूतों की जानकारी हो गई थी. बाबा ने अपने बैडरूम के बगल वाले कमरे को विश्वास गुप्ता का बैडरूम बनवा दिया था.
इन दोनों कमरों के बीच एक गुप्त दरवाजा था, जिस से रात में हनीप्रीत बाबा के बैडरूम में चली जाती थी. विश्वास गुप्ता अपने बैडरूम में करवटें बदलते हुए रात बिताता था. दूसरी ओर उस की ब्याहता बाबा के साथ मौजमस्ती कर रही होती. एक रात विश्वास गुप्ता हिम्मत कर के बाबा के बैडरूम में चला गया तो दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया.
बस, उसी दिन के बाद विश्वास गुप्ता के बुरे दिन शुरू हो गए. उस से साफ कह दिया गया कि जैसा चल रहा है, आगे भी वैसा ही चलता रहेगा. आंखें मूंद कर उसे चुपचाप यह सब सहन करना होगा. अगर उस ने इस बारे में किसी से कुछ कहा या विरोध जताने की कोशिश की तो यह उस के लिए ठीक नहीं होगा. उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
विश्वास गुप्ता हनीप्रीत का पति था. पत्नी की हरकतें उस के लिए बरदाश्त से बाहर थीं. न चाहते हुए भी हलकाफुलका ही सही, हनीप्रीत और बाबा के संबंधों पर वह अंगुली उठाने लगा. फिर क्या था, उसे परेशानियों ने घेरना शुरू कर दिया. उसे जान का खतरा भी महसूस होने लगा. ऐसे में उसे हनीप्रीत से भी ज्यादा परिवार की चिंता सताने लगी.
उस के पिता का अच्छाखासा चलता कारोबार था, जिसे बाबा ने बिकवा कर करोड़ों की सारी रकम अपने डेरे में निवेश करवा दी थी. उस के बाद उस के घर वाले घरबार बेच कर डेरा सच्चा सौदा में ही रहने लगे थे.
डेरे की बदली स्थिति देख कर विश्वास गुप्ता हनीप्रीत को वहीं छोड़ कर किसी तरह अपने मांबाप के साथ डेरे से निकलने में कामयाब हो गया. पंचकूला में किराए का मकान ले कर एक बार फिर व्यवस्थित होने की कोशिश करने लगा. भले ही वह पंचकूला आ गया था, लेकिन हनीप्रीत ने उस का पीछा नहीं छोड़ा.
हनीप्रीत ने विश्वास गुप्ता के खिलाफ ही नहीं, उस के पूरे परिवार के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के अलावा डेरे की ओर से डीफेमेशन व चैक बाउंस के मुकदमे दर्ज करवा दिए गए.
विश्वास गुप्ता द्वारा बताए अनुसार, इन मुकदमों में जब वह विचाराधीन कैदी के रूप में पटियाला की सैंट्रल जेल में बंद था तो बाबा गुरमीत राम रहीम ने 10 लाख रुपए की सुपारी दे कर उसे जेल में मरवाने की कोशिश की थी. लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के आरोप में जेल में बंद बलवंत सिंह राजोआना ने उसे बचा लिया था.
विश्वास गुप्ता उस से अकसर बातें किया करता था. उसे विश्वास के बारे में सारी जानकारी थी. उसे पता था कि बाबा गुरमीत राम रहीम ने उस की पत्नी को हथिया कर उसे झूठे आरोपों में फंसा कर जेल भिजवा दिया है. जेल में अपराधी गिरोहों को 10 लाख रुपए की सुपारी दे कर उस की हत्या की कोशिश चल रही है. इसलिए यह बात उस ने जेलर को तो बता ही दी थी. यही नहीं, उस ने विश्वास गुप्ता की जान भी बचाई. बाबा के 10 लाख रुपए भी वापस भिजवा दिए गए थे.
हनीप्रीत ने बरबाद कर दिया ससुराल वालों को विश्वास गुप्ता ने जो बताया, उस के अनुसार, इस के बाद भी हनीप्रीत और बाबा गुरमीत राम रहीम ने ऐसेऐसे हथकंडे अपनाए कि वह परिवार के साथ बुरी तरह टूट गया. बाबा उन की करोड़ों की संपत्ति तो डकार ही गया था, झूठे मुकदमे दर्ज करवा कर सभी को खूब प्रताडि़त भी करवाया. विश्वास गुप्ता ने पत्नी हनीप्रीत को कभी कुछ नहीं कहा था, इस के बावजूद उस ने उस के परिवार को तरहतरह की धमकियां दे कर खूब परेशान किया.
डेरे के कोप से बचने के लिए विश्वास गुप्ता के सामने 2 शर्तें रखी गईं. पहली शर्त यह थी कि सत्संग के वक्त वह अपने परिवार को ले कर डेरे में आएगा और वह और उस के पिता डेरे के लाखों श्रद्धालुओं के सामने रोते हुए बाबा गुरमीत राम रहीम से माफी मांगेंगे. दूसरी शर्त यह थी कि वह हनीप्रीत से तलाक ले लेगा. यह सन 2009 की बात है.
विश्वास गुप्ता ने बाबा की ये दोनों ही शर्तें मानते हुए परिवार के साथ डेरे में जा कर बाबा से माफी भी मांगी और हनीप्रीत को तलाक भी दे दिया. इस के बाद उसे और उस के परिवार को डेरे की ओर कभी न देखने की चेतावनी दे कर भगा दिया गया था.
इस के बाद हनीप्रीत और उस का परिवार डेरे में ही रहने लगा था. उस के पिता रामानंद ने बेटे साहिल के साथ मिल कर सीड्स प्लांट का कारोबार शुरू कर दिया. हनीप्रीत की छोटी बहन निशा की शादी फतेहाबाद निवासी संजू बजाज से हुई तो डेरे की ओर से इस शादी में उम्मीद से बढ़ कर मदद की गई.
कहते हैं, धीरेधीरे हनीप्रीत इस तरह बाबा की चहेती बन गई कि डेरा में बाबा के बाद उसी का हुक्म चलता था. बाबा के परिवार में भी अगर किसी को किसी चीज की जरूरत होती थी तो वह बिना हनीप्रीत की अनुमति के नहीं मिलती थी. पैसों तक के लिए उन्हें हनीप्रीत के सामने हाथ फैलाने पड़ते थे.
बाबा गुरमीत राम रहीम जहां अपने घर वालों से भी कम मिलते थे, वहीं हनीप्रीत हमेशा उन के साथ रहती थी. बाबा जब फिल्में बनाने लगे तो हनीप्रीत को उन फिल्मों की नायिका बनाने के साथसाथ उन की सहनिर्देशक और सहनिर्मात्री भी बनाया गया.
कैटरीना कैफ बनने के सपने देख रही थी हनीप्रीत कहा जाता है कि हनीप्रीत खुद को परदे पर अभिनय करते हुए देखने को बेताब थी. वह कैटरीना कैफ बनने के सपने देख रही थी. उस की इसी इच्छा पूरी करने के लिए बाबा ने फिल्में बनाई थीं. कहते हैं, हनीप्रीत ने ही बाबा के मन में यह बात बैठा दी थी कि वह इतना बढि़या अभिनय करते हैं कि बड़ेबड़े फिल्मी सितारे उन के सामने बेकार हैं. इसी के बाद करोड़ों रुपए खर्च कर के बाबा फिल्में बनाने लगे थे.
बाबा अकसर हनीप्रीत को साथ ले कर मुंबई जाते थे,जहां दोनों ने कई फिल्मी सितारों से अच्छे रिश्ते बना लिए थे. उन के हिसाब से सब बहुत बढि़या चल रहा था. धार्मिक डेरे के नाम पर उन्होंने अपना ऐसा साम्राज्य स्थापित कर लिया था, जहां राजाओंमहाराजाओं जैसी सुखसुविधाएं उपलब्ध थीं. उन्हें लगता था कि जल्दी फिल्म इंडस्ट्री में भी उन की तूती बोलने लगेगी.
हनीप्रीत नायिका के रूप में सलमान खान के साथ एक ऐसी फिल्म में आना चाहती थी, जो तमाम भव्यता से बनाई जाए. उसे अपना यह सपना जल्दी पूरा होता भी नजर आ रहा था. क्योंकि इस फिल्म में बाबा गुरमीत राम रहीम को ही पैसा लगाना था, जो अकूत संपत्ति के मालिक तो थे ही, वह फिल्म पर पैसा लगाने को भी तैयार थे.
लेकिन एक बात यह भी सच है कि इंसान जैसे कर्म करता है, उसे वैसे ही फल भी भोगने पड़ते हैं. अपने बारे में ये लोग कुछ भी कहते रहे, पर सच्चाई यह थी कि इन के बुरे दिन शुरू हो गए थे. लोग कहने भी लगे थे कि बाबा गुरमीत राम रहीम ने जिंदगी में जो बुरे कर्म किए हैं, अब उन्हें उन का परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाना चाहिए.
ऐसा ही हुआ भी. बाबा के खिलाफ चल रहे कई आपराधिक मामलों में डेरे की 2 साध्वियों से दुष्कर्म वाला मामला अंतिम चरण में था. 25 अगस्त, 2017 को 100 से ज्यादा गाडि़यों के काफिले के साथ बाबा पंचकूला पहुंचे तो हनीप्रीत भी उन के साथ थी. बाबा को अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकूला में दंगे भड़क उठे. इस बीच बाबा को एक हेलीकौप्टर में बिठा कर रोहतक की सुनारिया जेल ले जाया गया तो हनीप्रीत भी उन के साथ हेलीकौप्टर से गई थी.
रात में वह सफेद रंग की कार नंबर एचआर 26बीएस 5426 पर कुछ लोगों के साथ सवार हो कर सिरसा के लिए चल पड़ी थी. यहां तक अधिकांश लोगों को उस के बारे में यही जानकारी थी कि वह बाबा गुरमीत राम रहीम की मुंहबोली बेटी थी और अदालत से अनुमति ले कर अपने कथित पिताजी के साथ उन्हें जेल तक छोड़ने गई थी.
लेकिन इस के बाद हनीप्रीत का नाम रोज ही चर्चा में आने लगा. इस की वजह यह थी कि सिरसा स्थित डेरे पर पहुंचने के बाद वह गायब हो गई थी. दरअसल, बाबा की गिरफ्तारी के बाद पंचकूला में भड़के दंगों के आरोप में मुकदमे दर्ज कर के पुलिस ने गिरफ्तार किए गए लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि इन दंगों के पीछे डेरे के कुछ प्रमुख लोगों के अलावा मुख्यरूप से हनीप्रीत का हाथ था.
लिहाजा पुलिस की वांछित सूची में हनीप्रीत का नाम सब से ऊपर था. इस मामले की तह में जाने के लिए पुलिस की एसआईटी का गठन किया गया. 21 सितंबर को इस टीम के कुछ सदस्यों ने सिरसा जा कर डेरे पर छापा मार कर हनीप्रीत के बारे में जानकारियां जुटाने का प्रयास किया तो पता चला कि वह वहां रुकी तो थी, लेकिन पुलिस के आने से पहले ही निकल गई थी.
पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में पता चला था कि इस दंगे की प्लानिंग पहले ही हो चुकी थी. डेरा ने 8 दिनों पहले ही पंचकूला का सर्वे करा लिया था. इसे ले कर कुल 10 मीटिंग हुई थीं.
23 सितंबर तक पंचकूला में हुई हिंसा को ले कर साढ़े 11 सौ लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी थी. लेकिन हनीप्रीत के बारे में कहीं से कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल रही थी. उसी दिन बौलीवुड अदाकारा राखी सावंत के भाई राकेश सावंत ने सार्वजनिक रूप से खुलासा किया कि हनीप्रीत अब जिंदा नहीं है. चूंकि वह बाबा गुरमीत राम रहीम के कई राज जानती थी, इसलिए बाबा ने उसे मरवा दिया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द की हनीप्रीत की जमानत याचिका हरियाणा के डीजीपी बी.एस. संधू को पूरी उम्मीद थी कि हनीप्रीत जल्दी ही पकड़ी जाएगी. उन्होंने संकेत भी दिया था कि अगर वह पकड़ी न गई तो पुलिस उसे भगोड़ा घोषित कर देगी.
25 सितंबर को बाबा की ओर से उस के वकीलों ने सीबीआई द्वारा सुनाई 20 साल कैद की सजा को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी. उसी दिन बाबा गुरमीत राम रहीम के बेटे जसमीत की पत्नी खुशप्रीत के ममेरे भाई भूपेंद्र सिंह गोरा ने हनीप्रीत की सूचना देने वाले को 5 लाख रुपए रकद ईनाम देने की घोषणा कर दी.
उसी दिन दिल्ली के हाईकोर्ट में हनीप्रीत की ओर से 3 हफ्ते का ट्रांजिट बेल हासिल करने की याचिका दायर कर दी गई, जिस पर 26 सितंबर को सुनवाई हुई. जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
रात में पौने 8 बजे सुनाए अपने फैसले में सक्षम न्यायाधीश ने हनीप्रीत को अंतरिम ट्रांजिट बेल देने की याचिका रद्द कर दी. उस की ओर से दी जाने वाली एक भी दलील को अदालत ने नहीं माना. उन्होंने कहा कि अगर हनीप्रीत खुद को कानून की इज्जत करने वाला मानती है तो आगे आ कर जांच में मदद करे. पर हनीप्रीत तो शायद दूसरी मिट्टी की बनी थी. वह छिपतीछिपाती दिल्ली के लाजपतनगर स्थित वकील प्रदीप कुमार आर्य के औफिस पहुंच गई और वहां 2 घंटे तक रुकी पर आत्मसमर्पण नहीं किया. वह अच्छी तरह जानती थी कि पुलिस ने कुछ लोगों के साथ उस का भी गिरफ्तारी वारंट हासिल कर लिया है. किसी बात की चिंता किए बगैर हनीप्रीत ट्रांजिट बेल की अर्जी रद्द होने के बाद एक बार फिर अंडरग्राउंड हो गई.
3 अक्तूबर की सुबह अचानक ‘आजतक’ टीवी चैनल पर उस का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू शुरू हुआ, जो दिन भर बारबार दिखाया जाता रहा.
यह भी बताया गया कि पिछली रात साढ़े 11 बजे हनीप्रीत का इंटरव्यू करने के लिए आजतक के औफिस में इस निर्देश के साथ फोन आया कि इंटरव्यू की खातिर सिर्फ एक रिपोर्टर व एक फोटोग्राफर ही बताई गई जगह पर पहुंचेंगे.
रिपोर्टर सतिंदर चौहान अपने कैमरामैन के साथ तय जगह पर पहुंच गए, जहां उन के चेहरों पर काले मास्क चढ़ा कर उन्हें दूसरी गाड़ी में बैठा कर ले जाया गया. जहां इन के चेहरों से मास्क हटाया गया तो वहां हनीप्रीत मौजूद थी.
बिना मेकअप के हनीप्रीत पहचान में नहीं आ रही थी. साक्षात्कार में ज्यादातर रोते हुए वह खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश कर रही थी. इंटरव्यू के अंत में रिपोर्टर ने उसे सलाह दी कि 38 दिनों से वह जो लुकाछिपी का खेल खेल रही है, उस के लिए बेहतर यही है कि वह आत्मसमर्पण कर दे.
जब हनीप्रीत चढ़ी पुलिस के हत्थे पर हनीप्रीत ने ऐसा नहीं किया. अब तक वह नेपाल सहित 7 राज्यों की पुलिस को गच्चा दे चुकी थी. उसका सोचना था कि पुलिस उस तक पहुंच नहीं पाएगी. लिहाजा शिमला रोड पर पंचकूला को पार कर के पटियाला जाने के लिए वह जीरकपुर क्रौस कर गई. 3 अक्तूबर की दोपहर को वह जीरकपुर से थोड़ा आगे गई थी कि पंचकूला पुलिस के हत्थे चढ़ गई. उस समय उस के साथ एक अन्य महिला थी. वह बठिंडा की सुखप्रीत कौर थी, जिस का पति हनीप्रीत का ड्राइवर था.
शुरुआती पूछताछ में हनीप्रीत बस एक ही बात कहती रही कि उसे कुछ याद नहीं है और वह तथा बाबा गुरमीत राम रहीम निर्दोष हैं. अगले दिन उसे सीजेएम की अदालत पर पेश कर के 6 दिनों के कस्टडी रिमांड पर लिया गया. लेकिन पुलिस उस से कुछ भी उगलवा नहीं सकी. 3 दिनों का रिमांड और बढ़ाया गया. आखिर हनीप्रीत टूट गई और उस ने माना कि बाबा गुरमीत राम रहीम को छुड़ा कर भगाने की खातिर ही पंचकूला में दंगा करवाने की योजना बनाई गई थी, जिस में वह भी शामिल थी.
दरअसल, पहले तो उन्हें लगता ही नहीं था कि दुष्कर्म के आरोप में बाबा को सजा होगी. उस ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि वे तो यह सोच कर चले थे कि खुशीखुशी पंचकूला जाएंगे और खुशीखुशी लौट आएंगे. लेकिन उन्हें इस बात की भी आशंका थी कि अगर अदालत ने बाबा को दोषी ठहराते हुए जेल भेज दिया तो बड़ी बदनामी होगी.
इसी आशंका के तहत जो योजना बनाई गई, उस का संचालन हनीप्रीत और कुछ अन्य लोगों को करना था. इस संबंध में डेरे के अंदर कई बैठकें हुईं. 17 अगस्त, 2017 को जो अंतिम निर्णय लिया गया, उस के लिए 5 करोड़ रुपए मुहैया कराए गए.
योजना के अनुसार, 25 अगस्त को पंचकूला की सीबीआई कोर्ट के पास लाखों लोगों को इकट्ठा करना था. उन लोगों को यही कहना था कि वे अपने गुरुजी के दर्शन को आए हैं. चूंकि सभी लोग खाली हाथ रहेंगे, इसलिए धार्मिक भावना के चलते उन से ज्यादा टोकाटाकी नहीं होगी. आने वालों को प्रति व्यक्ति एक हजार रुपए अदा करना था.
अगर बाबा बरी हो जाते तो वे बाबा की जयकार करते हुए उन्हें ट्राइसिटी में घुमाते. लेकिन अगर कहीं अदालत बाबा को दोषी करार देते हुए गिरफ्तार करने का आदेश देती तो वे हंगामा शुरू कर देते.
पुलिस इन्हें संभालने लगती तो उसी बीच हथियारों से लैस गुंडे आ कर बाबा को छुड़ा ले जाते. उन गुंडों को मोटी रकम दी गई थी. पूछताछ में हनीप्रीत ने माना कि दंगा करवाने के लिए उस ने उन्हें सवा करोड़ रुपए एडवांस दिए थे. असलियत सामने लाने के लिए पुलिस हनीप्रीत का ब्रेन मैपिंग करवाना चाहती है.
कस्टडी रिमांड के दौरान 8 अक्तूबर को हनीप्रीत ने करवाचौथ का व्रत रखा. यह व्रत किस के लिए रखा, इस बारे में उस ने किसी को कुछ नहीं बताया. बाद में पता चला कि दोपहर में ही उस ने व्रत तोड़ कर खाना खा लिया था.
हनीप्रीत ने बनाई थी दंगे की योजना पुलिस पूछताछ में हनीप्रीत ने 10 अक्तूबर को बताया कि बाबा को दोषी करार दिए जाने से पहले ही समर्थक पंचकूला पहुंचने लगे थे. वहां से वीडियो बना कर हनीप्रीत को भेजी जाती रही. हनीप्रीत देखती रही कि कहां समर्थक ज्यादा हैं और कहां लोगों को व्यवस्थित करना है. इस के बाद वह दोबारा वीडियो बना कर उसे वायरल करती.
इस तरह दिन में 10-12 वीडियो बनवाए जाते थे. हनीप्रीत ने माना कि दुनिया से हिंदुस्तान का नक्शा मिटाने का वीडियो बना कर उसी ने वायरल किया था. उस की निशानदेही पर पुलिस ने कई दस्तावेज बरामद किए. सिरसा डेरे से उस का निजी मोबाइल और लैपटौप भी बरामद किया गया. एक बार डेरे की चेयरपरसन विपासना इंसां को भी हनीप्रीत के सामने बैठा कर साढ़े 4 घंटे तक पूछताछ की गई.
सुनारिया जेल, रोहतक से निकल कर पहले वह सिरसा स्थित डेरे पर आई और वहां तमाम दस्तावेज नष्ट कर के वह कुछ दस्तावेजों और धनदौलत के साथ राजस्थान से ले कर नेपाल तक कई स्थानों पर छिपती रही. उस ने ज्यादातर समय बठिंडा में अपने ड्राइवर की पत्नी सुखदीप कौर के यहां बिताया, जो आखिर तक उस के साथ रही और दोषी को पनाह देने के आरोप में गिरफ्तार की गई. अन्य आरोपों के अलावा हनीप्रीत पर देशद्रोह का केस भी दर्ज है.
13 अक्तूबर को कस्टडी रिमांड की समाप्ति पर हनीप्रीत और सुखदीप कौर को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में अंबाला की सैंट्रल जेल भेज दिया गया. हनीप्रीत अदालत से रोरो कर एक ही गुहार लगाती रही कि उसे कहीं और न भेज कर बाबा गुरमीत राम रहीम वाली जेल में भेजा जाए.
उसी बीच खबर आई कि 16 अक्तूबर को बाबा गुरमीत राम रहीम के परिवार के लोग उस से मिलने सुनारिया जेल पहुंचे तो बाबा अपनी पत्नी हरजीत कौर से मिल कर फूटफूट कर रोया. उस के बाद परिवार के अन्य सदस्यों से मिला. उस की दाढ़ी और सिर के बाल सफेद हो चुके थे. चेहरे पर झुर्रियां भी झलकने लगी थीं.
18 अक्तूबर को डीजीपी (जेल) के.पी. सिंह से अनुमति ले कर हनीप्रीत के पिता रामानंद तनेजा, मां आशा तनेजा, भाई साहिल तनेजा, भाभी सोनाली और कजिन सिद्धार्थ सिंगला उस से मिलने अंबाला की जेल पहुंचे. यहां हनीप्रीत को जेल की .32 चक्की की 11 नंबर सैल में कड़ी सुरक्षा में रखा गया था. मिठाई और मोमबत्ती ले कर वहां पहुंचे घर वालों से उस की मुलाकात कांच के मोटे शीशे के पीछे से और बातचीत इंटरकौम पर करवाई गई.
हनीप्रीत से की गई पूछताछ के आधार पर गिरफ्तार हो रहे हैं लोग हनीप्रीत द्वारा की गई पूछताछ के आधार पर लगभग रोज ही किसी न किसी को गिरफ्तार किया जा रहा है. 19 अक्तूबर को गिरफ्तार किए गए डेरे से जुड़े 2 लोगों सी.पी. अरोड़ा और लालचंद ने पूछताछ में बताया कि बिगड़ते हालात को देख कर जब सरकार ने इंटरनेट बंद करने के आदेश दिए तो उन लोगों ने 100 वायरलैस सैट मंगवा लिए थे, जिन की फ्रीक्वेंसी कई किलोमीटर की एरिया में काम करती थी.
पंचकूला के सैक्टर-3 में एक कंट्रोल रूम बनाया गया था, ताकि संदेश आराम से फ्लैश हो सके. इन सेटों के इस्तेमाल के लिए एक खास टीम लगाई गई थी, जो उन लोगों से संपर्क करती थी, जिन्हें 17 अगस्त को डेरा में हुई विशेष मीटिंग के दौरान हनीप्रीत और डेरा के डा. आदित्य इंसां ने जिम्मेदारियां सौंपी थीं. ऐसे ही एक सेट से सी.पी. अरोड़ा ने सैक्टर 2 और 4 की डिवाइडिंग रोड पर दंगा भड़काने का संदेश प्रसारित करवाया था.
उसी के बाद ढकौली की ओर जाने वाले हाईवे पर इकट्ठा हुए लोगों को पता चला था कि बाबा को दोषी करार दे दिया गया है. इस के बाद बाबा के समर्थकों की भीड़ भड़क उठी थी, जिस में आ मिले असामाजिक तत्वों ने भयंकर गुंडागर्दी शुरू कर दी थी.
पकड़े गए लोगों के अनुसार, हनीप्रीत के निर्देश पर सारा काम प्लानिंग के अनुसार किया गया था. अगर उन की यह योजना सफल हो जाती तो आज बाबा गुरमीत राम रहीम जेल में न होता. हनीप्रीत भी खुला घूम रही होती.
हनीप्रीत के घर के कुछ लोगों को आज इस बात का भारी अफसोस है कि उन की सीधीसादी और भोलीभाली प्रियंका तनेजा ने हनीप्रीत बन कर खुद को परेशानियों के दलदल में झोंक दिया है. शादी के बाद उस ने घर संभाल रखा होता तो आज वह जवान हो रहे बच्चों की मां होती. चमकदमक के चक्कर में फंसी हनीप्रीत ने हमदर्दी वाला कोई काम नहीं किया. ?
सौजन्य- सत्यकथा, नवंबर 2017