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मौडलिंग और क्षेत्रीय फिल्मों की दुनिया में अनगिनत लड़कियां कदम रखती हैं. अपवाद को छोड़ दिया जाए तो किस्मत के सितारे उन्हीं के चमकते हैं, जो प्रतिभा के साथ मेहनत करती हैं. खूबसूरती के अपने मायने होते हैं. आकर्षक नैननक्श वाले चेहरों को लोग पसंद करते हैं. रिचा खूबसूरत थी तो उस के भी कद्रदानों की कोई कमी नहीं थी. सैकड़ों लोग उस के दीवाने थे. वह एक बेहद हसीन मौडल और अदाकारा थी. कई साल पहले उस के कदम सफलता की सीढि़यों पर पड़ने शुरू हुए तो उस की खुशियों को जैसे पंख लग गए थे.

उस ने सालों से अपनी आंखों में बसे सपनों को साकार किया था. ऐसी कई मौडल थीं जो वक्त के साथ गुमनामी के अंधेरे में खो गई थीं, लेकिन रिचा का जादू लोगों के सिर पर चढ़ कर बोलता था. वह लगातार ऊंचाइयों को छू रही थी.

रिचा हिमाचल प्रदेश के सुंदर उपजाऊ पहाडि़यों वाले कांगड़ा जिले के प्रसिद्ध शहर धर्मशाला से लगे उपनगर नगरोटाबंगवां की रहने वाली थी. पहाड़ी वादियों में उस की फिल्में और म्यूजिक वीडियो एलबम धूम मचाती थीं. वह कई दरजन हिमाचली फिल्मों और एलबमों में काम कर चुकी थी. उस ने कुछ तमिल व पंजाबी फिल्मों में भी काम किया था.

इतना ही नहीं वह साउथ के चर्चित अभिनेता नागार्जुन के साथ भी फिल्म कर चुकी थी. रिचा मिस नगरोटा भी रह चुकी थी. इसके बाद वह मिस हिमाचल बनी. उस की गिनती हिमाचल की सब से खूबसूरत मौडलों में होती थी. लोग उस के इस कदर दीवाने थे कि वह जहां भी शूटिंग के लिए जाती थी, वहां लोगों की भीड़ लग जाती थी.

रिचा के पास नाम था, शोहरत थी और अच्छी जिंदगी जीने लायक दौलत भी थी. वह खुश रहने वाली लड़की थी और निजी जिंदगी में भी हंसतीमुसकराती रहती थी. कोई भी उसे देख कर नहीं कह सकता था कि रिचा परेशान होगी.

बाहरी दिखावे को छोड़ दिया जाए तो किसी के अंदर के खालीपन, अवसाद या उस के दिमाग में क्या चल रहा है, को जानना संभव नहीं होता. कई बार जो होता है वैसा दिखता नहीं है और जो दिखता है वह होता है. रिचा के साथ भी शायद ऐसा ही कुछ था. यह बात अलग थी कि लोग उस सब से बेखबर थे.

दिसंबर, 2016 में मौसम बेहद सर्द हो चला था. कभी बर्फबारी होती तो कभी बारिश. पर्यटकों के लिहाज से ऐसा मौसम जरूर लुभावना होता है, लेकिन इस से स्थानीय लोगों की दिनचर्या बिगड़ जाती है. रिचा को गायकी और अदाकारी के अभ्यास के लिए प्रतिदिन नगरोटा से धर्मशाला आना पड़ता था. ठंड में मुश्किल आई तो उस ने धर्मशाला के मोहल्ला गमरू में अपने लिए किराए पर कमरा ले लिया और वहां अकेले रहने लगी. इस से उस का आनेजाने का समय भी बचा और सर्दी से भी बचाव हो गया.

रिचा सुबह जल्दी उठ जाया करती थी और 9 बजे से 10 बजे के बीच स्टूडियो या प्रैक्टिस के लिए चली जाती थी, लेकिन 20 जनवरी, 2017 को ऐसा नहीं हुआ. उस दिन रिचा के कमरे का दरवाजा नहीं खुला तो घर में रहने वाले मकान मालिक के परिवार को उस की फिक्र हुई. पहले उन्होंने सोचा कि रिचा शायद देर से सोई होगी, जब थोड़ा और समय बीता तो वह सोचने पर मजबूर हो गए. उन से नहीं रहा गया तो उन्होंने रिचा के कमरे के दरवाजे पर दस्तक दी, लेकिन अंदर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई.

जब कई बार दस्तक व आवाज देने पर भी रिचा ने कोई उत्तर नहीं दिया तो उन्होंने खिड़की के रास्ते अंदर देखने का प्रयास किया.  अंदर का नजारा देख कर उन के होश उड़ गए. रिचा पंखे के सहारे लटकी हुई थी. अविलंब इस की सूचना पुलिस को दी गई. सूचना पा कर धर्मशाला थानाप्रभारी कुलदीप राजा मौके पर आ पहुंचे.

पुलिस कमरे का दरवाजा तोड़ कर अंदर दाखिल हुई. पुलिस ने देखा रिचा ने ग्रे कलर की टी-शर्ट और छींटदार लोअर पहना हुआ था. उस का शव एक गर्म चादर के सहारे पंखे से लटका हुआ था. लटकने के बाद उस के घुटने लगभग जमीन पर टिक गए थे. कमरे में एक बेड के अलावा एक कंप्यूटर व जरूरत का अन्य सामान मौजूद था.

रिचा के परिजनों को भी सूचना दे दी गई. खबर मिलते ही उन के होश उड़ गए. वे लोग तुरंत धर्मशाला के लिए चल दिए. रिचा आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा सकती है, ऐसा उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था.

सोचने वाली बात यह थी कि चकाचौंध भरी जिंदगी के पीछे आखिर कौन सा अंधेरा था, जिस के लिए रिचा को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा. आखिर उस की ऐसा कौन सी मजबूरी थी जिस की वजह से वह जिंदगी की जंग हार कर अपनी सांसों की डोर को खुद ही तोड़ने पर मजबूर हो गई थी. पुलिस ने रिचा के शव को नीचे उतारा.

मामला सीधे तौर पर आत्महत्या का था. बिस्तर पर ही रिचा का मोबाइल रखा था. एसपी संजीव गांधी को इस की सूचना मिली तो उन्होंने इस मामले में गहनता से जांच करने के निर्देश दिए. फोरैंसिक लैब की निदेशक मीनाक्षी महाजन के निर्देशन में फोरैंसिक एक्सपर्ट की टीम भी वहां आ गई.

पुलिस ने रिचा का मोबाइल अपने कब्जे में ले कर उस की जांच की तो पता चला कि उस ने एक नंबर पर रात 2 से 3 बजे के बीच कई बार काल की थी लेकिन संभवत: उस की बात नहीं हुई थी, क्योंकि काल के साथ ड्यूरेशन टाइम जीरो था.

इस से यह बात साफ हो गई कि वह देर रात तक किसी बात को ले कर परेशान थी. सुबह के समय उस के नंबर पर अलगअलग नंबर से कई मिस काल जरूर आई थीं. लेकिन तब तक वह दुनिया को अलविदा कह चुकी थी. इन में एक नंबर वह भी था जिस पर रिचा ने देर रात कई बार बात करने की कोशिश की थी.

पुलिस ने कमरे के सामान की बारीकी से जांच की तो घटनास्थल पर एक 3 पेज का सुसाइड नोट मिला. उस नोट से पता चला कि रिचा का संदीप नामक किसी युवक से प्रेमप्रसंग चल रहा था और वह उस की बेरुखी से बेहद आहत थी. रिचा ने 3 पेजों में कई बातों का जिक्र किया था. संदीप का मोबाइल नंबर भी सुसाइड नोट में लिखा था.

संदीप के नंबर से रिचा के मोबाइल पर सुबह भी काल की गई थी. निस्संदेह वह उस से बात करना चाहता था. इस के अलावा उस के कई एसएमएस भी थे, जिन्हें पढ़ कर पता चलता था कि दोनों के बीच अनबन थी.

चर्चित अदाकारा की आत्महत्या की खबर पूरे शहर में फैल चुकी थी. वहां लोगों का जमावड़ा लग गया. तब तक रिचा के घर वाले भी वहां आ गए थे. पुलिस ने उन से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि रिचा और संदीप एकदूसरे से प्यार करते थे और शादी करने वाले थे. यह बात परिवार में किसी से छिपी नहीं थी. लेकिन संदीप अकसर उस के साथ मारपीट करता था. उस की मौत का जिम्मेदार वही है. उन से संदीप के बारे में पता चला कि वह प्रशिक्षु कांस्टेबल है और ऊना में उस का प्रशिक्षण चल रहा है.

पुलिस ने मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए डा. राजेंद्र प्रसाद मैडिकल कालेज एवं अस्पताल भिजवा दिया. साथ ही उस के घर वालों की तरफ से संदीप के खिलाफ भादंवि की धारा 303 व 34 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया. अगले दिन अखबारों में रिचा आत्महत्या प्रकरण सुर्खियों में आ गया.

पोस्टमार्टम के बाद उस का शव उस के घर वालों को सौंप दिया. पुलिस ने रिचा के मोबाइल की काल डिटेल्स हासिल की तो पता चला कि संदीप व उस के बीच अकसर बातें हुआ करती थीं. बातों का यह दौर कभी कम तो कभी ज्यादा चलता था. पुलिस ने रिचा की काल रिकौर्डिंग्स को भी सुना, जिस से दोनों के रिश्ते की कड़वाहट पुख्ता हो गई.

पुलिस ने उस से गहराई से पूछताछ की, जिस के बाद पता चला कि संदीप के साथ दोस्ती से शुरू हुआ उस का सफर पहले प्यार में बदला और बाद में प्यार के इस रिश्ते में ऐसा बेरुखी भरा बदलाव आया कि वह उस की जिंदगी को भी लील गया.

दरअसल 24 वर्षीय खूबसूरत रिचा मौडलिंग के क्षेत्र में जाना चाहती थी. उस की खूबसूरती की सभी तारीफ किया करते थे. जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही पढ़ाई के साथसाथ उस ने इस के लिए प्रयास भी शुरू कर दिए थे. अपनी मेहनत के बल पर उस ने कम उम्र में ही एक्टिंग व मौडलिंग के क्षेत्र में खुद को स्थापित भी कर लिया. उस ने स्थानीय वह बाहरी कई म्यूजिक कंपनियों के साथ हिमाचली, गढ़वाली व पंजाबी वीडियो एलबम के साथ ही फिल्मों में भी काम किया.

रिचा व्यवहारकुशल भी थी और सुंदर भी. अभ्यास भी वह जम कर करती थी, जिस के बल पर उसे खूब काम मिला. वह ऐसी अदाकारा थी, जिस ने बिना किसी गौडफादर के अपनी प्रतिभा को साबित किया. वह काफी ऊंचाइयों पर पहुंच गई थी.

रिचा को हिंदी सीरियलों के औफर भी मिले, लेकिन वह हिमाचल प्रदेश में रह कर ही काम करना चहती थी. करीब एक साल पहले रिचा की मुलाकात एक प्रोग्राम के दौरान संदीप से हुई. पहली मुलाकात में ही दोनों ने एकदूसरे के दिलों पर अपनी छाप छोड़ी और मोबाइल नंबरों का आदानप्रदान भी कर लिया. दोनों के बीच अकसर बातें होने लगीं.

दोनों के बीच बातों के अलावा कुछ मुलाकातें भी हुईं. दिन, तारीख व साल के साथ उन की दोस्ती गहराती गई. उन की यह दोस्ती प्यार में कब बदल गई, इस का पता उन दोनों को पता ही नहीं चला. बातोंमुलाकातों के इसी दौर में दोनों के दिलों में चाहत ने जन्म ले लिया और यही चाहत एक प्यार का पौधा बन कर अंकुरित हो गई. रिचा के दिल में पहली बार किसी युवक ने अपनी जगह बनाई थी.

प्यार उस शै का नाम है जो बिना आहट किए दिल के दरवाजे खोल कर उस में चुपके से बस जाती है. इस का पता इंसान को तब चलता है, जब उस के दिल की धड़कनें खुदब खुद कुछ कहने लगती हैं. जब कोई प्यार का पाठ पढ़ता है तो दिल की धड़कनें उसी का नाम लेती हैं, जिस की सूरत उस में बसी होती है. दोनों अपने प्यार को कैद किए हुए थे. रिचा व संदीप प्यार का इजहार करने के लिए उचित अवसर की तलाश में रहने लगे. एक दिन संदीप ने अपने दिल की बात रिचा से कह दी.

रिचा को उस की बात पर कोई हैरानी नहीं हुई, क्योंकि वह जानती थी कि संदीप उसे चाहने लगा है. उस के सामने प्यार का इजहार करने के लिए उस के दिल की कलीकली खिल गई. वह मुस्करा दी. हालांकि उस की मुसकराहट में ही वह सच्चाई छिपी थी जो संदीप उस के मुंह से सुनना चाहता था. फिर भी उस ने पूछ लिया, ‘‘बताओ न, करती हो मुझ से प्यार?’’

‘‘बहुत ज्यादा, लेकिन ये बताओ कि कभी तुम मेरा साथ छोड़ तो नहीं दोगे?’’ रिचा ने आशंकित होते हुए कहा तो संदीप बोला, ‘‘ऐसा कभी हो सकता है क्या?’’ बात वहीं खत्म हो गई.

बीतते वक्त के साथ दोनों ने एक साथ जीनेमरने की कसमें खा लीं. समय अपनी गति से चलता रहा. रिचा दिल की सच्ची लड़की थी. वह संदीप को टूट कर चाहती थी. प्यार में दोनों ने हमेशा एक होने का फैसला कर लिया था. संदीप ने उसे यकीन दिलाया था कि वह अपनी बात से कभी पीछे नहीं हटेगा. देखतेदेखते कई महीने बीत गए.

रिचा ने संदीप से अपने प्रेमिल रिश्तों की बात अपने घर वालों को भी बता दी थी. उस ने घर वालों को विश्वास दिलाया था कि संदीप अच्छा लडका है और वह उस से जरूर शादी करेगा. रिचा अपने पैरों पर खड़ी थी. अच्छाबुरा भी समझती थी, इसलिए उस की खुशी के लिए किसी ने उस के रिश्ते पर कोई आपत्ति नहीं की. लेकिन प्यार में हर किसी को मुकाम मिल जाए, यह जरूरी नहीं. रिचा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. प्यार में कुछ बातों की हकीकत वक्त के साथ ही पता चलती है. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ.

रिचा संदीप को उस का शादी का वादा याद दिलने लगी तो वह कटाकटा सा रहने लगा. उसे संदीप से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी. वह किसी न किसी बहाने से बात को टाल जाता था. इस से रिचा परेशान रहने लगी. इसी बीच उसे पता चला कि संदीप की दोस्ती किसी अन्य युवती के साथ भी है. रिचा को लगा कि वह उसे धोखा दे रहा है. एक दिन उस ने इस मुद्दे पर संदीप से बात की तो वह हत्थे से उखड़ गया और उस ने रिचा को ही कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की. यह दिसंबर, 2016 की बात थी.

इस घटना के बाद दोनों के बीच अकसर झगड़ा होने लगा. हालांकि कुछ दिनों में धीरेधीरे दोनों सामान्य हो गए. 1 जनवरी, 2017 को नए साल का जश्न मनाने के लिए रिचा संदीप व अन्य दोस्तों के साथ हिमाचल के ही मैक्लोडगंज गई. कुछ दिन सब ठीक रहा, लेकिन उन के बीच फिर झगड़ा शुरू हो गया. हालात तब बिगड़े जब संदीप उस के साथ मारपीट व दुर्व्यवहार भी करने लगा. उस के बदले व्यवहार ने रिचा को तोड़ कर रख दिया.

रिचा चाहती तो किनारा कर सकती थी उसे कई चाहने वाले भी मिल सकते थे लेकिन वह संदीप को दिलोजान से प्यार करती थी. उस से दूर होने की कल्पना कर के ही वह निराश हो जाती थी. गलती संदीप की होने पर भी वह खुद हारने में यकीन रखती थी. खुद हार कर वह प्यार को जिताती थी. उस के बेपनाह प्यार का आलम यह था कि वह किसी भी सूरत में संदीप को खोना नहीं चाहती थी.

संदीप से उस की शादी जल्द हो इस के लिए उस ने बाहर शूटिंग पर जाने के कई प्रोग्राम छोड़ दिए थे. हालांकि यह सब उस के  कैरियर के लिए अच्छा नहीं था, लेकिन संदीप के लिए वह यह कुर्बानी देने को भी तैयार थी. दूसरी ओर संदीप पूरी तरह बेरुखी पर उतर आया था, जबकि वह चाहती थी कि वह उस से जल्द से जल्द शादी कर ले. रिचा तनाव के दौर से गुजर रही थी. अपनी परेशानियों का जिक्र वह अपनी सहेलियों से किया करती थी.

रिश्तों के मनमुटाव को दूर करने के लिए वह एक दिन संदीप के पास ऊना भी गई, लेकिन दोनों के बीच झगड़ा हो गया तो वह वापस आ गई.

11 जनवरी की रात मोबाइल फोन पर भी उस की संदीप से नोकझोंक हुई तो संदीप ने शादी करने से साफ इनकार कर दिया. उस ने रिचा के साथ दुर्व्यवहार भी किया. अचानक दिल पर लगी इस बड़ी चोट ने उसे तोड़ कर रख दिया. अवसाद के दौर में उस ने देर रात अपनी एक सहेली को कई बार फोन किया. लेकिन उस की बात नहीं हो सकी. कोई हालात को संभाल पाता, उस से पहले ही रिचा ने सुसाइड नोट पर कलम के जरिए अपना दर्द उकेरा. शुरुआती 2 पन्नों पर उस ने अपनी व संदीप की मौजूदा स्थिति के बारे में लिखा, जबकि अंतिम आधे पन्ने में आत्महत्या का कारण बताया.

रिचा ने अपनी मौत का जिम्मेदार संदीप को बताते हुए घातक कदम उठा लिया. उस की मौत उस के चाहने वालों को भी निराश कर गई.

पूछताछ के बाद पुलिस ने संदीप को माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किया, जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. काश! रिचा की तरह संदीप  ने भी प्यार के रिश्ते को उतनी ही खूबसूरती से निभाया होता और वक्त पर रिचा को संभाल लिया होता तो निश्चित तौर पर आज वह प्रतिभाशाली खूबसूरत अदाकारा जिंदा होती. कथा लिखे जाने तक संदीप की जमानत नहीं हो सकी थी.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
सहयोगी : आर. गुलेरिया     

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