जून, 2017 की बात है. उस दिन दोपहर से ही अमनप्रीत कौर काफी परेशान थी. उस के साथी सिपाहियों ने पूछा भी कि क्या बात है, पर उस ने किसी को कुछ नहीं बताया. पूरा दिन इसी तरह बीत गया. रात को वह ड्यूटी खत्म कर के घर जाने लगी तो हैड मुंशी निर्भय सिंह ने उसे रोक कर कहा, ‘‘अभी तुम रुको, तुम से कुछ काम है.’’
यह समय थाने में ड्यूटी बदलने का था. कुछ लोगों की ड्यूटी लग रही थी तो कुछ लोग घर जाने की तैयारी कर रहे थे. थाने का पूरा स्टाफ वहां मौजूद था. अमनप्रीत कौर जब एक जगह खड़ीखड़ी बोर होने लगी तो वह आराम करने की गरज से रेस्टरूम में चली गई. रात करीब पौने 9 बजे एक सिपाही किसी काम से रेस्टरूम में गया तो अंदर का दृश्य देख कर उस के होश उड़ गए. महिला सिपाही अमनप्रीत कौर की लाश पंखे से लटक रही थी.
सिपाही शोर मचाते हुए बाहर निकला और यह बात मुंशी निर्भय सिंह सहित वहां मौजूद सभी लोगों को बताई. अमनप्रीत कौर पंखे से लटक रही है, यह सुन कर सभी के होश उड़ गए. मुंशी निर्भय सिंह का तो बुरा हाल था.
आननफानन में यह सूचना पुलिस अधिकारियों को देने के साथ अमनप्रीत के घर वालों को भी दी गई. अमनप्रीत पंखे से झूल रही है, यह सुन कर अमनप्रीत का भाई गुरिंदर सिंह थोड़ी ही देर में थाने पहुंच गया. बहन की लाश देख कर उस ने तुरंत कहा, ‘‘अमनप्रीत आत्महत्या नहीं कर सकती. उस की हत्या कर के लाश पंखे से लटकाई गई है और यह काम मुंशी निर्भय सिंह का है.’’
कुछ ही देर में गुरिंदर सिंह के घर वालों के साथ जानपहचान वाले तथा रिश्तेदार भी थाना जोधां पहुंच गए थे. गुरिंदर ने उन लोगों से कहा कि थाने के मुंशी निर्भय सिंह ने अमनप्रीत कौर को मार कर पंखे से लटका दिया है. उस का इतना कहना था कि वहां आए लोगों ने नाराज हो कर थाने को घेर लिया.
उसी बीच मौका देख कर मुंशी निर्भय सिंह फरार हो गया. सूचना पा कर थाने पहुंचे डीआईजी यूरेंदर सिंह हायर और एसएसपी सुरजीत सिंह ने थानाप्रभारी मोहनदास को लाइन हाजिर कर दिया और इस मामले को अपराध संख्या 80 पर हवलदार निर्भय सिंह के खिलाफ अमनप्रीत कौर को प्रताडि़त करने और आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मुकदमा दर्ज करा दिया, साथ ही उस की गिरफ्तारी के आदेश दे दिए.
मुकदमा दर्ज होते ही एक पुलिस टीम निर्भय सिंह के घर भेज दी गई. लेकिन पुलिस टीम के पहुंचने से पहले ही वह परिवार सहित घर से फरार हो चुका था. पुलिस टीम पूरी रात निर्भय सिंह की तलाश में उस के रिश्तेदारों के यहां छापे मारती रही, पर वह नहीं मिला.
अगले दिन यानी 9 जून, 2017 को सवेरा होते ही अमनप्रीत की आत्महत्या के विरोध में लोग लुधियाना के सिविल अस्पताल के बाहर इकट्ठा होने लगे. धीरेधीरे यह भीड़ बढ़ती ही जा रही थी. वहां इकट्ठा लोग काफी उत्तेजित थे. भीड़ और उन का गुस्सा देख कर अस्पताल के कर्मचारी सहमे हुए थे, लेकिन वे अपना काम कर रहे थे. कुछ ही देर में भीड़ इतनी ज्यादा बढ़ गई कि अस्पताल के बाहर की सड़क जाम हो गई.
इस बात की जानकारी मिलते ही वहां पुलिस की 2 गाडि़यां आ पहुंचीं. इन में एक में डीएसपी (दाखां) जसमीत सिंह थे तो दूसरी में एसएसपी सुरजीत सिंह. दोनों ही अधिकारी अपनीअपनी गाडि़यों से उतर कर अस्पताल की ओर बढ़े तो अब तक शांत खड़ी भीड़ ‘पुलिस हायहाय’, ‘आ गई कातिल पुलिस’, ‘आ गई हत्यारी पुलिस’ और ‘पुलिस मुर्दाबाद’ के नारे लगाने लगी.
पुलिस अधिकारियों ने आगे बढ़ कर कुछ कहना चाहा तो उन लोगों ने उन की बात सुनने के बजाय और जोरजोर से नारे लगाना शुरू कर दिया. मजबूरन पुलिस अधिकारियों को पीछे हटना पड़ा, क्योंकि वे बीती रात लोगों के आक्रोश का सामना कर चुके थे.
पिछली रात नाराज लोगों ने सरकार एवं पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए थाना जोधां के घेराव के साथसाथ लुधियाना-राजकोट रोड पर 6 घंटे तक जाम लगाए रखा था. जाम की सूचना मिलने पर एसएसपी सुरजीत सिंह घटनास्थल पर पहुंचे तो उन के आक्रोश को देखते हुए ही उन्होंने थाना जोधां के थानाप्रभारी मोहनदास को लाइन हाजिर कर दिया था.
इसी के साथ हवलदार मुंशी निर्भय सिंह के खिलाफ भादंवि की धारा 306 के तहत मामला दर्ज करा दिया था. लेकिन वह गिरफ्तार होने से पहले ही फरार हो गया था. उस की तलाश में पुलिस टीमें रवाना कर दी गई थीं. इस के बावजूद अमनप्रीत के घर वालों ने शहर वालों के साथ मिल कर सुबह 10 बजे ही बठिंडालुधियाना हाईवे जाम कर दिया था. ऐसे मौकों पर लोग अकसर सरकारी वाहनों को अपना निशाना बनाते हैं. इसलिए पुलिस ने अपने वाहन काफी दूर खड़े कर दिए थे.
रोड जाम किए लोग मुंशी निर्भय सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने उन्हें समझाया कि पुलिस उसे जल्द ही गिरफ्तार कर लेगी. महिला सिपाही अमनप्रीत की लाश उसी दिन सवेरे करतार सिंह सराभा मैमोरियल अस्पताल से एंबुलेंस के जरिए सिविल अस्पताल ले जाई गई थी.
पर वहां पहले से ही मौजूद लोगों ने एंबुलेंस को घेर लिया. वह शव को अंदर नहीं ले जाने दे रहे थे. उन्होंने एंबुलेंस में तोड़फोड़ करने की कोशिश की. पुलिस ने एंबुलेंस को भगा कर किसी तरह मोर्चरी तक पहुंचाया. लोग उस के पीछे वहां जा कर भी प्रदर्शन करने लगे. वे शव का पोस्टमार्टम न करने की मांग कर रहे थे.
इस के बाद पूर्व विधायक तरसेम जोधां की अगुवाई में 11 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया. यह कमेटी सुधार सिविल अस्पताल की एसएमओ डा. नीना नाकरा पिलानी से बात करने पहुंची. एसएमओ ने कमेटी को बताया कि डा. प्रियंका, डा. नीलम भाटिया और डा. वरिंदर जोशी का पैनल मृतका का पोस्टमार्टम करेगा.
एक सरकारी और एक प्राइवेट कैमरामैन द्वारा पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी करवाई जाएगी. एसएमओ ने कमेटी के सदस्यों से यह भी कहा कि वीडियोग्राफी की एक कौपी अस्पताल प्रशासन अपने पास रखेगी और दूसरी कौपी पुलिस को दी जाएगी.
कमेटी के सदस्यों ने वीडियो की एक कौपी की मांग की तो एसएमओ ने कहा कि वह वीडियोग्राफी की कौपी कोर्ट के जरिए अस्पताल प्रशासन से ले सकते हैं. उन का इतना कहना था कि प्रदर्शनकारी भड़क उठे और उन्होंने वहां हुड़दंग मचाना शुरू कर दिया.
प्रदर्शनकारियों ने एसएमओ पर भी हमला करने की कोशिश की. किसी तरह वह अपनी जान बचा कर भाग गईं. इस के बाद भीड़ ने उन के औफिस का दरवाजा उखाड़ दिया और अस्पताल में भी तोड़फोड़ की. भीड़ को वहां से हटाने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
थाना जोधां में 8 जून, 2017 दिन गुरुवार की रात रहस्यमय हालत में कांस्टेबल अमनप्रीत कौर की मौत के मामले में उस के घर वालों ने 10 जून को भी प्रदर्शन जारी रखा. मृतका के घर वाले अस्पताल के अंदर और बाहर प्रदर्शन कर मुंशी निर्भय सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे. उसी बीच डीआईजी यूरेंदर सिंह हायर, एसएसपी सुरजीत सिंह, एसडीएम लुधियाना दमनजीत सिंह भी आ पहुंचे, पर इन की बात कोई सुनने को तैयार नहीं था.
आखिरकार, इन अधिकारियों के आश्वासन के बाद शव का पोस्टमार्टम हो सका. पोस्टमार्टम के बाद भी महिला सिपाही अमनप्रीत कौर की लाश मोर्चरी में ही रख कर घर वाले कहने लगे कि अगर सोमवार तक आरोपी निर्भय सिंह की गिरफ्तारी नहीं हुई तो वे लाश को थाना जोधां के बाहर रख कर धरना देंगे.
विधायक सिमरजीत बैंस ने कहा कि जब तक पीडि़त परिवार को इंसाफ नहीं मिलेगा, तब तक वह विधानसभा की काररवाई नहीं चलने देंगे.
दरअसल, यह मामला कुछ इस तरह था. महिला सिपाही अमनप्रीत कौर थाना जोधां में तैनात थीं. वहां का हैड मुंशी निर्भय सिंह पिछले काफी समय से उसे बेवजह परेशान कर रहा था. उस की ड्यूटी इधरउधर लगाना, छोटीछोटी बात पर बेइज्जती करना और बातबात पर डांटना आम बात थी.
मुंशी निर्भय सिंह की इन हरकतों से अमनप्रीत कौर काफी परेशान रहती थी. वह अपनी ड्यूटी पर कभी कोई कोताही नहीं करती थी, फिर भी निर्भय सिंह उसे परेशान करता था. जब बात बरदाश्त से बाहर हो गई तो उस ने अपने छोटे भाई गुरिंदर को सारी बात बता कर पुलिस की नौकरी छोड़ने के लिए कहा.
बहन की बात सुन कर गुरिंदर परेशान हो उठा. उसे समझाते हुए उस ने कहा, ‘‘नौकरी में इस तरह की छोटीमोटी टेंशन तो होती ही रहती है. इतनी सी बात में कोई नौकरी थोड़े ही छोड़ देता है. फिर नौकरी छोड़ना समस्या का समाधान नहीं है. मान लो तुम यह नौकरी छोड़ कर कहीं और नौकरी करोगी तो क्या गारंटी कि वहां भी इस तरह की परेशानी नहीं होगी? कहांकहां नौकरी छोड़ती फिरोगी. ऐसे में लोग तुम्हें ही गलत कहेंगे. फिर तुम्हें कोई नौकरी भी नहीं देगा.’’
‘‘तब मैं क्या करूं?’’ अमनप्रीत ने दुखी हो कर पूछा.
‘‘अपने अफसरों से निर्भय सिंह की शिकायत कर दो. सब ठीक हो जाएगा.’’ गुरिंदर ने कहा.
अपने भाई गुरिंदर की बात मान कर अमनप्रीत कौर ने 1 जून, 2017 को इलाके के डीएसपी जसमीत सिंह के सामने पेश हो कर निर्भय सिंह की मौखिक ही नहीं, लिखित शिकायत कर दी. डीएसपी साहब ने इस मामले में निर्भय सिंह को कुछ कहने के बजाय अमनप्रीत की ड्यूटी थाना जोधां से हटा कर अपने औफिस में लगा दी. यह अमनप्रीत के लिए अच्छी बात थी.
अमनप्रीत की निर्भय सिंह से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी तो थी नहीं, जिस से वह उसे सजा देने की मांग करती. इस तरह वह निर्भय सिंह से दूर हो गई. अमनप्रीत के लिए यह अच्छी बात थी. वहां पर गए हुए उसे 4 दिन भी नहीं बीते थे कि उसे पुन: थाना जोधां बुलवा लिया गया. एक बार अमनप्रीत का सामना फिर मुंशी निर्भय सिंह से हुआ. अमनप्रीत ड्यूटी करने थाना जोधां पहुंची तो मुंशी निर्भय सिंह ने कहा, ‘‘डीएसपी साहब से शिकायत कर के तुम ने मेरा क्या बिगाड़ लिया, आखिर तुम्हें मेरे पास ही आना पड़ा ना?’’
उस ने यह बात कुछ इस ढंग से कही कि अमनप्रीत को बहुत बुरी लगी. पर वह कर भी क्या सकती थी. चुपचाप अपना सिर झुका कर ड्यूटी करने लगी. इस के बाद निर्भय सिंह मनमाने ढंग से उस से काम कराने लगा. शायद इसी का नतीजा था कि अमनप्रीत को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा.
मजबूरी में आत्मसमर्पण करना पड़ा है मुंशी निर्भय सिंह को पुलिस जब ताबड़तोड़ छापे मारने लगी तो मजबूर हो कर मुंशी निर्भय सिंह ने थाने आ कर आत्मसमर्पण कर दिया. उस का कहना था कि इस मामले में वह निर्दोष है. अमनप्रीत को वह अपनी छोटी बहन जैसी मानता था. बहरहाल, पुलिस ने निर्भय सिंह को गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर जिला जेल भेज दिया है.
पुलिस ने मृतका अमनप्रीत कौर के दोनों मोबाइल फोन कब्जे में ले लिए थे. उस ने एक फोन से मरने से पहले अपनी एक सहेली को मैसेज किए थे, जो पुलिस जांच के लिए अहम सबूत हैं. दूसरे फोन के लौक को खोलने की कोशिश की जा रही थी. इस के अलावा मृतका का विसरा भी जांच के लिए लैब भेज दिया गया था. इस सारे प्रकरण की जांच का जिम्मा एसआईटी को सौंपा गया था.
अमनप्रीत कौर खुदकुशी मामले में कुछ ऐसे सवाल हैं, जो लोगों के गले नहीं उतर रहे हैं. उस के भाई गुरिंदर का कहना है कि अमनप्रीत कौर ने खुदकुशी नहीं की, बल्कि उस की हत्या कर के लाश पंखे से लटकाई गई है. क्योंकि कमरे में जहां लाश लटक रही थी, उस के पैरों के पास चारपाई पड़ी थी और उस के पैर जमीन पर रखे थे.
ऐसे में पंखे से लटक कर उस की मौत कैसे हो गई? उस कमरे में पुरुष पुलिसकर्मियों की 2 पगडि़यां पड़ी थीं. इस के अलावा कुछ और बातें हैं, जो जांच में सामने आएंगी. जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि यह आत्महत्या का मामला है या हत्या का ?
सौजन्य- सत्यकथा, नवंबर 2017