बात 7 फरवरी, 2019 की है. मथुरा जिले के बरसाना थाने में किसी ने सुबह 7 बजे फोन कर के सूचना दी कि बरसाना-छाता मार्ग पर आजनौख गांव के पास एक कार जली हुई हालत में खड़ी है.
सूचना मिलते ही बरसाना थाने की पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने जली हुई कार का निरीक्षण किया तो उस में 2 आदमियों की लाशें मिलीं. वह मारुति की ईको कार थी, उस के 2 पहिए सड़क पर थे जबकि 2 फुटपाथ पर. थानाप्रभारी ने यह सूचना एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज को दे दी. मामला गंभीर था, इसलिए एसएसपी भी घटनास्थल पर पहुंच गए. मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया गया.
जांच में एक शव कार के बाहर खिड़की के पास पड़ा मिला और दूसरा अंदर ड्राइविंग सीट और पीछे की सीट पर. दोनों शव कंकाल मात्र थे. पुलिस ने अनुमान लगाया कि कार में शार्ट सर्किट की वजह से आग लगी होगी. दोनों शव इतनी बुरी तरह से जले हुए थे कि उन की शिनाख्त तक नहीं हो सकी. अलबत्ता कार में एक जला हुआ पर्स जरूर मिला, जिस में एक अधजला फोटो था. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. लाशों की शिनाख्त के लिए पुलिस ने इस की सूचना सीमावर्ती जिले की पुलिस को दे दी.
अगले दिन अखबारों में जब कार में 2 जली हुई लाशें मिलने का समाचार छपा तो हरियाणा के जिला पलवल के हथीन थाने की पुलिस टीम बरसाना पहुंच गई. हथीन पुलिस ने बताया कि 4 युवक मंडकोला से कार से गोवर्धन आए थे, वे अभी तक घर नहीं पहुंचे हैं.
उन्होंने जब कार नंबर बताया तो जांच में कार वही निकली, जिस में 2 लाशें जली हालत में मिली थीं. अब सवाल यह उठा कि जब कार में 4 युवक लालाराम, लेखन, रोहताश और कुंवरपाल आए थे तो 2 कहां चले गए. यह भी पता नहीं था कि जो 2 लाशें जली हालत में मिली थीं, वे किसकिस की थीं. यह जानकारी भी मिली कि लालाराम और रोहताश घर से डेढ़ लाख रुपए ले कर निकले थे.
हथीन पुलिस ने छाता पुलिस को मारुति ईको कार के मालिक लालाराम का फोन नंबर दिया. उस का फोन नंबर स्विच्ड औफ आ रहा था. बरसाना पुलिस ने वह नंबर सर्विलांस पर लगा दिया. जैसे ही उस ने अपना मोबाइल औन किया तो कालडिटेल्स और लोकेशन के आधार पर वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया.
थाने ला कर पुलिस ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सारी सच्चाई बता दी. उस ने बताया कि उस ने ही अपने दोस्त रोहताश के साथ मिल कर लेखन और कुंवरपाल को साजिशन कार में जला कर मार डाला. कार से मिले जले हुए पर्स में जो फोटो था, वह लेखन का था. उस ने उन की हत्या की जो कहानी बताई, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली निकली—
हरियाणा के पलवल जिले का एक गांव है मंडकोला. इसी गांव में लालाराम और रोहताश रहते थे. ये दोनों साझे में चप्पलों का कारोबार करते हैं. लालाराम एक शातिरदिमाग इंसान था. वह हमेशा मोटी कमाई करने के उपाय खोजता रहता था.
दोनों दोस्त अकसर जल्द अमीर बनने के बारे में सोचते रहते थे. इसी दौरान उन के दिमाग में आया कि क्यों न बड़ी रकम की इंश्योरेंस पौलिसी ले कर खुद को मृत दिखा दिया जाए. इंश्योरेंस कंपनी वह पैसा नौमिनी को दे देगी.
यही योजना बना कर उन्होंने जनवरी 2019 में अपना 3 करोड़ 20 लाख का जीवनबीमा करा लिया. बीमा कराने के बाद वह अगली काररवाई की योजना बनाने लगे. इस के लिए उन्होंने गांव के ही लेखन और कुंवरपाल को चुना. योजना के अनुसार 6 फरवरी, 2019 को ये दोनों दोस्त लेखन और कुंवरपाल को मथुरा घुमाने के बहाने अपनी मारुति ईको कार में बैठा कर ले गए.
मथुरा घूमने के बाद 7 फरवरी को चारों वापस घर लौटने लगे. रात को लौटते समय चारों ने साथसाथ शराब पी. लालाराम और रोहताश ने कुंवरपाल और लेखन के गिलासों में नींद की गोलियां डाल दीं. शराब और नींद की गोलियों के असर से वे दोनों सीट पर ही लुढ़क गए. उस समय उन की कार बरसाना-छाता रोड पर आजनौख गांव के नजदीक थी.
उसी समय लालाराम ने कार सड़क किनारे खड़ी कर दी और सीएनजी लीक करने के बाद कार में आग लगा दी. आग लगाने के बाद लालाराम अपने दोस्त रोहताश के साथ वहां से चला गया. उधर कुछ ही देर में कार से तेजी से लपटें उठने लगीं. लेखन और कुंवरपाल जीवित ही कार में जल गए.
इधर लालाराम के बड़े भाई चिरंजीलाल ने थाना हथीन में उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी. उस ने पुलिस को बताया कि लालाराम से उस की बात उस समय हुई थी, जब वह मथुरा में था. उस के बाद उस से कोई संपर्क नहीं हो सका. उधर लेखन के भाई अजीत ने भी हथीन थाने में भाई के गुम होने की सूचना दी तो पुलिस ने उसे टाल दिया.
लालाराम के खुलासे के बाद पुलिस भी हैरान रह गई. पुलिस ने बीमा करने वाले एजेंट से भी पूछताछ की तो उस ने भी 3 करोड 20 लाख रुपए का बीमा करने वाली बात बता दी.
बेहद शातिरदिमाग लालाराम और रोहताश ने अपने स्वार्थ के लिए लेखन और कुंवरपाल को अपनी खौफनाक साजिश का शिकार तो बना लिया लेकिन यह नहीं सोचा कि उन के बीवीबच्चों का क्या होगा. लेखन के 3 बच्चे हैं 2 बेटे और 1 बेटी.
दरअसल उस की पत्नी मेमवती उस के बड़े भाई महेंद्र की पत्नी थी लेकिन महेंद्र की मौत हो जाने के बाद उस का विवाह लेखन से करा दिया था. इस तरह वह दूसरी बार विधवा हो गई.
उधर कुंवरपाल के भी 9 और 12 साल के 2 बच्चे हैं. उस की पत्नी का पहले ही निधन हो चुका था. बच्चों की देखरेख कुंवरपाल ही कर रहा था.
पुलिस ने लालाराम से पूछताछ के बाद उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया, जबकि रोहताश का पता नहीं चल सका. पुलिस यह भी जांच कर रही है कि इस मामले में इन दोनों अभियुक्तों के घर वालों की तो कोई भूमिका नहीं है.
सौजन्य- सत्यकथा, अप्रैल 2018