जरा नब्बे के दशक की मुंबई को याद करें. महानगर मुंबई में सक्रिय दरजनों छोटेबडे़ क्रिमिनल गैंग के खौफ ने लोगों की नींद उड़ा रखी थी. अपहरण, फिरौती, हफ्तावसूली आम बात थी. क्रिमिनल गैंग के बीच की रंजिश और अंडरवर्ल्ड में वर्चस्व की लड़ाई को ले कर खूनी गैंगवार भी अपने चरम पर था. उस समय मुंबई में इतने क्रिमिनल गैंग सक्रिय थे कि पुलिस के लिए उन्हें सूचीबद्ध करना मुश्किल हो रहा था. फिर भी अंडरवर्ल्ड में दाऊद, छोटा राजन, सुलेमान, छोटा शकील और अरुण गावली जैसे बड़े नाम थे.
इस समय पंजाब में भी नब्बे के दशक वाले मुंबई जैसी हालत बन चुके हैं, जो काफी चिंताजनक होने के साथसाथ हैरान करने वाली बात है. पंजाब ने अतीत में सिख चरमपंथियों द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का खूनी और हिंसक दौर अवश्य देखा था, लेकिन संगठित, आक्रामक और खुल्लमखुल्ला कानून एवं व्यवस्था को चुनौती देने वाले संगठित अपराध के मामले में उस का कोई इतिहास नहीं रहा है.
मादक पदार्थों के धंधे ने पंजाब में अनेक क्रिमिनल गैंग पैदा किए हैं. कल तक जो आपराधिक मानसिकता वाले नौजवान आतंकवाद की तरफ आकर्षित हो रहे थे, वे अब मादक पदार्थों के धंधे में ऊंचे मुनाफे को देखते हुए क्रिमिनल गैंग तैयार करने लगे हैं.
देखते ही देखते पंजाब में अनेक खतरनाक क्रिमिनल गैंग तैयार हो गए और पुलिस एक तरह से कुंभकर्णी नींद सोती रही. इन क्रिमिनल गैंगों को किसी न किसी रूप से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था. शायद यह भी एक बड़ी वजह थी कि पुलिस लगातार चुनौती बनते जा रहे गैंगों के विरुद्ध प्रभावी काररवाई नहीं कर सकी और ये गैंग दुस्साहसी और खतरनाक होते गए.
कुकुरमुत्तों की तरह पंजाब में क्रिमिनल गैंग पैदा हुए तो जल्दी ही जरायम की दुनिया में वर्चस्व को ले कर उन में आपसी मारकाट शुरू हो गई. यह गैंगवार पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया. खूनी गैंगवार को रोकने के लिए पुलिस पर जब दबाव पड़ा तो उस ने कुछ गैंगस्टरों को गिरफ्तार कर के जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.
पर गैंगस्टरों के खिलाफ कोई भी काररवाई करने में पुलिस ने बड़ी देर कर दी. गैंगस्टर अब तक बडे़ खतरनाक और दुस्साहसी हो चुके थे. सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल करने वाले गैंगस्टरों की धमक और हिम्मत का सही अंदाजा पुलिस को उस समय कुछकुछ हुआ, जब वे पुलिस पर हमला कर के हिरासत से अपने साथियों को छुड़ाने के साथ अपने विरोधियों को मारने जैसी अत्यंत दुस्साहस से भरी काररवाइयां करने लगे.
सभी गैंगस्टर कमोवेश जवान हैं और उन के काम करने का स्टाइल फिल्मों से प्रभावित लगता है. वे सोशल मीडिया पर पुलिस को खुल्लमखुल्ला चुनौती देते हुए विरोधी ग्रुप के लोगों की हत्या करने और जेल में बंद अपने साथियों को छुड़ाने जैसी बात कहने लगे हैं. पुलिस ने शुरू में ऐसी धमकियों को गंभीरता से नहीं लिया. आतंकवाद जैसा गंभीर समस्या का सामना कर चुकी पंजाब पुलिस का खयाल था कि गैंगस्टरों में इतनी हिम्मत नहीं कि जेलों में बंद अपने साथियों को जेल से छुड़ा सकें.
पुलिस का उक्त खयाल उस की खुशफहमी ही साबित हुआ. गैंगस्टरों ने जैसा कहा, वैसा कर के दिखा भी दिया. आतंकवादी भी ऐसी हिम्मत कर सके थे, जैसी हिम्मत इन गैंगस्टरों ने कर दिखाई. पंजाब की नाभा जेल काफी सुरक्षित मानी जाती रही है.
नाभा जेल को सुरक्षित और अभेद्य समझते हुए खूंखार और खतरनाक अपराधियों को उसी में रखने को सुरक्षा एजेंसियां प्राय: प्राथमिकता देती रही हैं. गिरफ्तारी के बाद पंजाब के खतरनाक विक्की गौंडर गैंग के कुछ खूंखार सदस्यों को इसी जेल में रखा गया था.
27 नवंबर, 2016 को चौंकाने वाली अप्रत्याशित काररवाई करते हुए विक्की गौंडर गैंग के सदस्यों ने पूरी तैयारी के साथ बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली नाभा जेल पर धावा बोल कर सारी सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए वहां बंद अपने 6 साथियों को छुड़ा कर फिल्मी अंदाज में भाग खड़े हुए. गौंडर गैंग के सारे सदस्य पुलिस की वरदी में आए थे.
नाभा जेल की इस घटना ने यह साबित कर दिया कि पंजाब में सक्रिय क्रिमिनल गैंग कितने खतरनाक हो चुके हैं और वे जैसा कहते हैं, वैसा करने में समर्थ भी हैं. नाभा जेल से अपराधियों को भगाने के मास्टरमाइंड विक्की गौंडर ने इस के बाद विरोधी गैंग के लोगों पर हमले शुरू कर के गैंगवार को और भयानक रूप दे दिया.
सारी कोशिशों के बाद भी पुलिस खतरनाक और तेजतर्रार गैंगस्टरों के सामने असहाय और फिसड्डी साबित हुई. पुलिस की सारी सावधानियां और दावों के बावजूद नाभा जेल से अपराधियों को भगाने के लिए जिम्मेदार गैंगस्टर विक्की गौंडर ने अपने कुछ साथियों के साथ मिल कर 20 अप्रैल, 2017 को गुरदासपुर के गांव कोठे पराला में दुश्मन गैंग के सरगना हरप्रीत उर्फ सूबेदार और उस के 2 साथियों सुखचैन तथा हैप्पी को सरेआम मौत के घाट उतार दिया.
इतना ही नहीं, अपने खूनी कारनामे को महिमामंडित करते हुए इस घटना को फेसबुक पर भी डाला. इस वारदात के बाद पंजाब पुलिस के एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि गैंगस्टरों को ले कर पंजाब में स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है और अगर शीघ्र ही इस से निपटा नहीं गया तो पंजाब की शांति को एक बार फिर से खतरा हो सकता है. हिंसा, हिंसा है, यह आप की मर्जी है कि इस पर आतंकवाद का ठप्पा लगाएं या आम अपराध का.
पंजाब में गैंगवार की स्थिति कितनी विस्फोटक और गंभीर हो रही है, इस का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि पंजाब सरकार मकोका की तर्ज पर पकोका कानून बनाने की तैयारी कर रही है. स्मरण रहे कि मकोका की मदद से मुंबई पुलिस को अपराधियों से निपटने में आसानी हुई थी.
पंजाब पुलिस की माने तो इस समय पंजाब में 60 के करीब छोटेबड़े गैंग सक्रिय हैं. इन गैंगों से जुड़े 35 गैंगस्टर को पुलिस बेहद खतरनाक मानती है और शीघ्र ही उन्हें जेल की सलाखों के पीछे देखना चाहती है. गैंगस्टरों को काबू किए बिना नशे के कारोबार पर अंकुश लगाना मुश्किल है.
पंजाब के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की छवि अपराधियों के प्रति कठोर रवैया रखने वाले प्रशासक वाली रही है. हालिया चुनाव उन्होंने पंजाब के लिए नासूर बन चुके नशे के मुद्दे पर जीता है. ऐसे में नशे की समस्या के साथसाथ गैंगस्टरों से भी निपटना उन के लिए दोहरी चुनौती है.