10 अगस्त को भागवत नाम के एक बुजुर्ग व्यक्ति की शिकायत सुन कर थाना समानपुर के प्रभारी उमाशंकर यादव सन्न रह गए. उन्होंने हैरत से उस बुजुर्ग पर नाराजगी जताते हुए कहा, ‘‘क्या अनापशनाप बोल रहे हो? ऐसा भी भला कहीं होता है क्या?’’
‘‘जी साहब, मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मेरी बहू कविता ने ही 15 साल के अपने बेटे को मारा है क्योंकि वह बदचलन है,’’ बुजुर्ग विश्वास दिलाते हुए बोला.
‘‘तुम्हारे पोते की लाश कहां है?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.
‘‘साबजी, लाश दफना दी गई है. आप उस का पोस्टमार्टम करवा लेंगे तो सच्चाई सामने आ जाएगी,’’ बुजुर्ग बोले.
थानाप्रभारी यादव को जब बुजुर्ग भागवत ने अपनी बहू कविता के बारे में विस्तार से जानकारी दी तो वह माजरा समझ गए. भागवत ने थानाप्रभारी को जो कुछ बताया, वह इस प्रकार है—
3 अगस्त, 2021 की सुबह 9 साढ़े 9 बजे के करीब भागवत को अपने 15 वर्षीय पोते सोनू की मृत्यु की खबर मिली थी. सोनू अपने गांव में ही अपनी मां कविता के साथ रहता था. वह घर पास में ही था. कविता का पति शिवराज घर वालों से अलग गांव के बाहर ही रहता था. काम की वजह से उस का आसपास गांवों में आनाजाना लगा रहता था. वह अपने पिता से 8-10 दिनों बाद मिलने आ जाया करता था.
शिवराज डिंडोरी में पिछले कुछ महीने से रह रहा था. उस के अलग रहने का कारण उस की पत्नी कविता ही थी. वह उस के व्यवहार और आचरण से वह दुखी था.
भागवत की बातें सुनने के बाद थानाप्रभारी यादव ने मामले को गंभीरता से लिया. उन्होंने इस की जानकारी एसपी संजय कुमार सिंह को दी. उस के बाद अदालत के आदेश पर सोनू की दफन लाश को निकलवा कर उस का पोस्टमार्टम कराया. पोस्टमार्टम से यह स्पष्ट हो गया कि उस की मृत्यु किसी बीमारी से नहीं, बल्कि सिर में चोट लगने से हुई थी.
पोस्टमार्टम में हत्या की बात सामने आते ही पुलिस ने तुरंत सोनू की मां कविता और उस के तथाकथित प्रेमी लालसिंह को पूछताछ के लिए थाने बुलवा लिया. उन से सख्ती से पूछताछ की गई.
थाने में उन के खिलाफ सबूत होने की बात कही गई तो कविता ने भी सोनू की मौत से जुड़ी सारी बातें बता दीं. इस के बाद सोनू की हत्या का सच कुछ इस प्रकार सामने आया—
कविता की जब शिवराज के साथ शादी हुई थी, तब वह मात्र 16-17 साल की थी. आदिवासी परिवार में जन्मी कविता सांवली हो कर भी काफी सुंदर दिखती थी. उस के जैसा समाज में दूरदूर तक कोई नहीं था.
उस की नाकनक्श, बड़ीबड़ी आंखें, काले लहराते केश, उन्नत उभार, सुडौल मांसल देह के कमर की लचक आदि पहली नजर में ही किसी को भी आकर्षित करने के लिए काफी थी.
इसलिए उस के चाहने वालों की कमी नहीं थी. इस में कविता को भी अच्छा लगता था कि वह कइयों की पसंद बन चुकी है. वह गांव में सभी से हंसबोल कर बातें करती थी, लेकिन किसी को अपने करीब आने से रोकने में भी चतुर थी. बड़ी चतुराई से अपने दीवानों से पल्ला झाड़ लिया करती थी.
शिवराज की दुलहन बनने के बाद कविता और भी बेफिक्री के साथ कभी अपने मायके तो कभी ससुराल आतीजाती रहती थी. क्योंकि उस की ससुराल मायके के पास स्थित गांव में ही थी. बहुत जल्द ही उस के अल्हड़पन से ससुराल के युवक और दूसरे उम्रदराज मर्द भी परिचित हो गए थे.
उस पर प्यार का भूत सवार हो चुका था. वह चाहती थी कि पति शिवराज हमेशा उस के साथ रहे. सारे कामधंधे को छोड़ उस की मरजी के मुताबिक उस के साथ बना रहे. और वह हमेशा शिवराज की बाहों में ही सिमटी रहे.
लेकिन रोज खानेकमाने वाले शिवराज के लिए यह कतई संभव नहीं था. कविता तन की प्यासी थी, जबकि उस का पति शिवराज पेट की आग बुझाने की चिंता में घुलता रहता था.
उस ने प्यार से कविता को समझाया कि वह उस के साथ हमेशा कमरे में ही बंद रहेगा तो उन का और परिवार का पेट कैसे भरेगा. कविता को शिवराज की बातों का कोई असर नहीं होता था.
तन की प्यासी कविता अपने मन को नहीं समझा पाई. नतीजा यह हुआ कि वह दूसरी राह तलाशने लगी. सुंदर तो वह थी ही, इसलिए ससुराल के गांव में भी उस के चाहने वालों की कमी नहीं थी. फिर क्या था, उस ने शिवराज की गैरमौजूदगी का नाजायज फायदा उठाया और कई युवकों से संबंध बना लिए. किसी के साथ मजेदार बातें कर दिल बहलाया तो किसी के साथ हमबिस्तर हो कर तनमन की प्यास बुझाई.
इस की जानकारी जल्द ही शिवराज के मातापिता को भी हो गई. लोग गांव में ही दबी जुबान से कविता की बदचलनी की चर्चा करने लगे. भागवत को इस से काफी दुख पहुंचा.
भागवत ने बहू पर लगाम लगाने की कोशिश की. किंतु कोई नतीजा नहीं निकला. उल्टे घर में आए दिन विवाद होने लगा. फिर एक दिन विवाद इतना अधिक बढ़ गया कि शिवराज और कविता गांव में ही अलग रहने लगे.
अपनी ससुराल के घर से अलग रहना कविता के लिए यह और भी अच्छी बात हुई. उस की एक तरह से मन की मुंहमांगी मुराद पूरी हो गई थी. संयोग से पड़ोस में ही रहने वाले लालसिंह को वह पहले से जानती थी.
वह भी कविता का आशिक बना हुआ था, लेकिन उस ने कभी भी अपनी मंशा जाहिर नहीं की थी. कविता के पड़ोस में आने पर एक दिन उस ने मौका पा कर अपने दिल की बात कह डाली.
बदले में छोटीमोटी जरूरतों के लिए घर और बाजार के काम में वह उस की मदद करने लगा. इस तरह से वह शिवराज का दोस्त बन गया. संयोग से दोनों शराब के प्रेमी थे. अभी तक शिवराज घर से बाहर ही शराब पीता था, लेकिन लालसिंह के कहने पर शिवराज घर पर ही शराब पीने लगा.
लालसिंह उस के लिए शराब लाया करता था. दोनों शराब की पार्टी करने लगे. शिवराज और लालसिंह के साथसाथ कविता भी शराब पीने लगी.
उधर कविता ने मर्दों की आशिकी और मतलबी दुनिया को काफी नजदीक से देखा था. इसलिए वह जल्द ही लालसिंह की मंशा को भी भांप गई. एक समय ऐसा भी आया जब लालसिंह ने शिवराज को नशे में धुत कर दिया और कविता को अपनी बाहों में भर लिया. कविता इसी इंतजार में थी. उस की मंशा पूरी हो गई.
गांव में काम नहीं मिलने की स्थिति में शिवराज मजदूरी करने के लिए कई हफ्तों और महीनों तक बाहर रहता था. इस का फायदा उठाकर कविता की रातें लालसिंह के जरिए ही रंगीन होती थी.
समय बीतते देर नहीं लगती है. कविता एक बच्चे की मां बनी और धीरेधीरे उस का बेटा सोनू 15 साल को भी हो गया. फिर भी कविता के चालचलन में कमी नहीं आई.
थोड़ा फर्क यह हुआ कि अब वह शिवराज के अलावा सिर्फ लालसिंह की ही चहेती थी. एक के लिए वैध बीवी थी, तो दूसरे के साथ अवैध रखैल की जिंदगी से खुश थी. उसे भी शराब की लत लग चुकी थी.
उधर उस का बेटा सोनू किशोरावस्था में पहुंच चुका था. उस का लगाव जितना अपनी मां और पिता से नहीं था, उस से कहीं अधिक वह दादादादी के करीब था. उस का ज्यादा समय दादादादी के साथ ही बीतता था. वे भी सोनू को बहुत प्यार करते थे.
वह कभीकभार ही अपने घर जाता था. कविता के लिए यह और भी अच्छा था. क्योंकि लालसिंह बेफिक्री से उस के पास आताजाता था.
सोनू के दादा भागवत को भी कविता और लालसिंह के संबंधों के बारे में भनक लग चुकी थी. इस कारण वह रात के समय सोनू को अपनी मां के पास सोने के लिए भेजने लगे थे.
इसे ले कर कविता और लालसिंह के अवैध संबंधों की जिंदगी में खलल पड़ने लगी. कविता ने जल्द ही इस का हल निकाल लिया. वह बेटे सोनू के सो जाने के बाद लालसिंह को पीछे के दरवाजे से घर बुलाने लगी.
सब कुछ पहले जैसा चलने लगा. घटना 2 अगस्त, 2021 की है. सोनू अपने नियत समय पर मां कविता के पास आया और सीधे अपने कमरे में सोने के लिए चला गया.
आधी रात होने पर लालसिंह शराब की बोतल ले कर कविता के पास पहुंचा. दोनों ने पहले बोतल खाली की, फिर अय्याशी के नशे मे डूब गए.
उस रोज कविता को कुछ ज्यादा ही नशा हो गया था. इसलिए उसे इस बात का ध्यान नहीं रहा कि उस का किशोर उम्र का बेटा भी घर में मौजूद है.
नशे में दोनों कुछ ज्यादा ही मस्ती करने लगे, जिस से शोर होने पर सोनू की नींद टूट गई. उसे मां अपने कमरे में नहीं दिखी तो वह पास वाले दूसरे कमरे में चला गया. कमरे के खुले दरवाजे पर जा कर उस ने जो देखा तो उस की आंखें फटी की फटी रह गईं. मां और पड़ोस के काका लालसिंह को निर्वस्त्र लिपटे देख कर वह सन्न रह गया.
सोनू इतना तो समझ ही गया था कि उस की आंखों के सामने जो कुछ था, वह गलत था. वह समझ नहीं पाया कि क्या करे. वह तुरंत वहां से भाग कर अपने बिस्तर में आ कर एक चादर के नीचे दुबक गया.
दरवाजे पर सोनू के आने और उस के हड़बड़ा कर भागने से हुई आवाज की आहट कविता और लालसिंह को भी हुई. वह समझ गए कि उन्हें सोनू ने देख लिया है. लालसिंह तुरंत कपड़े पहन कर भागने लगा, तो कविता ने उसे रोक दिया.
उस ने धीमी आवाज में कहा, ‘‘सोनू ने हम दोनों को रंगेहाथों देख लिया है. सुबह होते ही वह सारी बात अपने दादादादी को बता देगा. उस के बाद बखेड़ा खड़ा हो जाएगा. फिर हम दोनों के खिलाफ कुछ भी कदम उठाए जा सकते हैं.’’
‘‘इस पर क्या किया जाए?’’ लालसिंह ने पूछा तो कविता चुपचाप उठी और कमरे में गई, वहां कोने से 2 लाठी निकाल लाई. एक लाठी लालसिंह को पकड़़ाई और दूसरी अपने हाथ में ले कर सोनू के कमरे की ओर जाने के लिए मुड़ी.
तब तक लालसिंह भी समझ चुका था कि आगे क्या करना है. कुछ पल में ही दोनों बिछावन पर चादर के नीचे बिस्तर में दुबके सोनू के कमरे में थे. उन्होंने एकदूसरे को देखा और एक साथ लाठी से उस के ऊपर वार करने लगे. लगातार लाठी की मार से सोनू की वहीं मृत्यु हो गई.
यह देख कर कविता ने राहत की सांस ली. उस के बाद सुबह होते ही लालसिंह अपने घर चला गया और कविता ने फोन लगा कर अपने पति को बेटे सोनू के मौत की खबर दे दी. उस ने पति को बताया कि रात में उठी खांसी से उस की मौत हो गई. चूंकि सोनू किशोर था, इसलिए उस की लाश दफन कर दी गई थी.
कविता अपनी योजना मे सफल हो गई थी, लेकिन सोनू की मौत उस के दादा के गले नहीं उतर रही थी. इसलिए उन्होंने 8 दिन बाद थाने में जा कर अपना शक जाहिर करते हुए थानाप्रभारी से हत्या की शिकायत दर्ज की.
उस के बाद पुलिस ने काररवाई कर आरोपी कविता और उस के प्रेमी लालसिंह के खिलाफ काररवाई कर उन दोनों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.