घटना 13 मार्च, 2021 की है, उस समय दिन के यही कोई 10 बज रहे थे, मनीषा गेडाम अपनी पेइंगगेस्ट सहेली जेनेट के साथ बैठ कर गपशप कर रही थी कि तभी जेनेट के मोबाइल पर काल आई, ‘‘जेनेट, फोन मत काटना प्लीज, मुझे मनीषा से कुछ खास बात करनी है. एक मिनट के लिए उसे फोन दो.’’
‘‘मनीषा, मैं सागर बोल रहा हूं, मैं तुम से एक बार मिलना चाहता हूं. फिर मैं तुम्हें कभी नहीं मिलूंगा. मैं इस समय तुम्हारी बिल्डिंग के नीचे खड़ा हूं. प्लीज, तुम नीचे आ जाओ.’’
उस की यह बात सुन कर जेनेट और मनीषा दोनों इमारत के नीचे आईं और पूछा, ‘‘तुम यहां क्यों आए हो?’’
‘‘मैं जौब के लिए विदेश जा रहा हूं. यह देखो मेरी टिकट आ गई है,’’ अपने मोबाइल में टिकट का फोटो दिखाते हुए बोला.
‘‘ठीक है, अब तुम मुझे भूल जाओ. तुम विदेश जाते हो तो जाओ, इस से मुझे क्या.’’ मनीषा ने कहा
‘‘पर मेरी एक विनती है मनीषा, तुम मेरे साथ सिर्फ एक दिन बिताओ. हम कहीं घूमनेफिरने चलते हैं. शाम को मैं तुम्हें वापस घर पर छोड़ दूंगा. हम दोनों महाबलेश्वर जाएंगे.’’ सागर ने विनती करते हुए कहा, ‘‘अगर तुम आती हो तो… क्योंकि इस के बाद मैं तुम्हें कभी नहीं मिलूंगा, तुम्हें यहां छोड़ने के बाद मैं सीधे अपने गांव चला जाऊंगा.’’
अपने पूर्व प्रेमी आनंदराव गुडव उर्फ सागर की इस विनती पर मनीषा यह सोच कर उस के साथ जाने को तैयार हो गई कि चलो इस के बाद उस से पीछा तो छूट जाएगा. वह उस की बाइक पर बैठ कर निकल गई.
सुबह 10 बजे की गई मनीषा जब काफी रात तक नहीं लौटी तो मनीषा की सहेली जेनेट को उस की चिंता हुई, उस ने उसे कई बार फोन लगाया. लेकिन हर बार उस का फोन स्विच्ड औफ बता रहा था.
आखिरकार परेशान हो कर जेनेट ने सारी बातें मनीषा के भाई प्रतीक को बताईं. जेनेट की बातें सुन कर प्रतीक के होश उड़ गए थे. प्रतीक ने कहा, ‘‘ये सारी बातें तुम मां को बताओ, मैं भी मां से बात करता हूं.’’
प्रतीक की सलाह पर जेनेट ने मनीषा की मां चित्रा से संपर्क किया और उन्हें सारी बातें बताईं. यह सुन कर वह बेहोश सी हो गई थीं. जब उन्हें होश आया तो मां ने पुलिस थाने में मनीषा की शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा था.
परिवार वालों के कहने पर जेनेट पुणे के चंदननगर थाने पहुंच कर थानाप्रभारी सुनील जाधव से मिली और उन्हें सारी जानकारी दी. तब थानाप्रभारी ने मनीषा की गुमशुदगी दर्ज कर ली.
थानाप्रभारी सुनील जाधव ने इस मामले को संज्ञान में तो लिया, लेकिन जिस तरह से उन्हें काररवाई करनी चाहिए थी, वैसा कुछ नहीं हुआ. पुलिस इस मामले को एक साधारण शिकायत की तरह जांच करती रही. गायब मनीषा की बरामदगी की कोशिश करने के बजाय पुलिस सामान्य तौर पर मनीषा की तलाश करती रही.
इसी तरह 13-14 दिन निकल जाने के बाद मनीषा के घर वालों का धैर्य टूटने लगा तो मनीषा का भाई पुणे आया और एसीपी नामदेव चौहान से मिल कर उन्हें सारी बातें बताईं और अपनी बहन मनीषा के गायब होने में सागर का हाथ बताया. उस ने कहा कि वह उस से एकतरफा प्यार करता था और अकसर उसे परेशान किया करता था. एसीपी नामदेव चौहान ने मामले की जांच इंसपेक्टर (क्राइम) सुनील थोपटे को सौंप दी.
वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन पर इंसपेक्टर सुनील थोपटे ने सहायकों की एक टीम बनाई, जिस में उन्होंने एएसआई गजानंद जाधव, भालचंद जाधव, सिपाही गणेश आवाले को शामिल कर मामले की जांच शुरू कर दी.
जांच में पता चला कि आनंदराव गुडव उर्फ सागर अमरावती जिले के थाना चादुर बाजार क्षेत्र में स्थित पपलपुरा गांव का रहने वला था. पुणे पुलिस ने जब सागर का फोन ट्रैक किया तो उस की लोकेशन चादुर बाजार क्षेत्र की मिली.
यह जानकारी मिलने पर पुणे पुलिस सक्रिय हो गई. तुरंत चादुर बाजार थाने से संपर्क कर उन्हें सारी बातें बता कर पुणे पुलिस की एक टीम सागर के गांव के लिए रवाना हो गई. गांव पहुंच कर पुलिस टीम ने चादुर बाजार पुलिस की सहायता से आनंदराव गुडव उर्फ सागर को अपनी गिरफ्त में लिया.
इंसपेक्टर सुनील थोपटे ने उस से पूछताछ की तो वह पहले तो इधरउधर की बातें कर पुलिस टीम को गुमराह करता रहा. लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सी सख्ती दिखाई तो वह टूट गया और अपना गुनाह कुबूल करते हुए कहा कि वह मनीषा की हत्या कर चुका है. उस ने मनीषा हत्याकांड की जो कहानी बताई, वह कुछ इस प्रकार थी.
28 साल की सुंदर और महत्त्वाकांक्षी मनीषा गेडाम महाराष्ट्र के जिला अमरावती के गांव श्रीकृष्ण नगर की रहने वाली थी. उस के पिता का नाम बापूराव गेडाम था.
परिवार में मां चित्रा के अलावा 3 भाईबहन थे. भाई का नाम प्रतीक और बड़ी बहन का नाम सुहासिनी गेडाम था. सुहासिनी की शादी हो चुकी थी. वह अपने परिवार के साथ पुणे के हडपसर की शिंदे बस्ती में रहती थी. भाई प्रतीक अमरावती के पाटे कालेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था.
परिवार में प्यार था. पिता बापूराव गेडाम अपनी बड़ी बेटी सुहासिनी से कभीकभी मिलने के लिए पुणे आतेजाते रहते थे.
मनीषा बीए तक पढ़ाई करने के बाद पुणे के मंत्री अपार्टमेंट विजयनगर में स्थित आईजीटी कंपनी में नौकरी करने लगी थी. वह अपनी एक सहेली जेनेट अमित पारकर के साथ पेइंगगेस्ट की तरह रहने लगी थी.
बेटी की राजदार मां होती है. मनीषा हर छोटीबड़ी बात मां से शेयर करती थी, इसलिए मनीषा ने जब अपनी मां चित्रा को बताया कि वह अपने कालेज के एक लड़के सागर गुडव से प्यार करती है और दोनों शादी कर के अपना एक सुनहरा संसार बसाना चाहते हैं तो मां को एक झटका सा लगा था.
उन्होंने कुछ सोचते हुए कहा, ‘‘वह लड़का कैसा है?’’
‘‘अच्छा है मां,’’ मनीषा ने बताया.
‘‘ठीक है, इस विषय में मैं तुम्हारे पापा से बात करती हूं.’’
शाम को घर आए पति बापूराव गेडाम को चित्रा ने जब बेटी मनीषा के बारे में बताया तो वह दंग रह गए. लेकिन करते भी तो क्या, मामला नाजुक था.
उन्होंने सागर के बारे में पता लगाया तो उस के विषय में उन्हें जो जानकारी मिली, उस से उन की आंखों के आगे अंधेरा छा गया था. वह उन का दामाद बनने लायक नहीं था. क्योंकि वह शराब सप्लायर के अलावा कई गलत काम करता था.
मौका देख कर मनीषा को परिवार वालों ने समझाया और कहा, ‘‘बेटी, तुम जिस से शादी करना चाहती हो वह संभव नहीं है.’’
‘‘क्यों पापा, सागर में बुराई क्या है?’’ मनीषा ने पूछा.
‘‘बेटी, उस में एक बुराई हो तो बताऊं, वह अपराधी प्रवृत्ति का लड़का है. तुम होशियार और समझदार हो. तुम जो करोगी, अच्छा करोगी. लेकिन बेटी समाज में अपनी भी कुछ इज्जत और मानसम्मान है. क्या तुम चाहती हो कि समाज में अपनी गरदन झुक जाए.’’ पिता ने कहा.
परिवार वालों के समझाने पर मनीषा ने सागर से शादी करने का अपना इरादा बदल दिया और उस से शादी करने से साफसाफ मना कर दिया था. कहा कि वह अपने परिवार वालों की पंसद से शादी करेगी.
मनीषा की इस बात से सागर के तनबदन में आग सी लग गई थी. पहले उस ने मनीषा को कई बार फोन किया. फोन बंद पा कर सागर ने मनीषा का रास्ता रोकना, उस पर दबाब और धमकाना शुरू किया, ‘‘देखो मनीषा, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं. अगर तुम मुझे से शादी नहीं करोगी तो अंजाम बहुत बुरा होगा. मैं तुम्हें तो तकलीफ दूंगा ही, तुम्हारे पूरे परिवार को खत्म कर दूगा.’’
सागर के इस तरह के बर्ताव से परेशान हो कर मनीषा अपनी बहन सुहासिनी के घर पुणे चली गई थी. यह बात 2018 की है.
पुणे आने के कुछ दिनों बाद मनीषा को एक अच्छी सी नौकरी मिल गई थी. मनीषा की नौकरी लगने के बाद वह अपनी बहन का घर छोड़ जेनेट के साथ जा कर शेयरिंग में रहने लगी और अपना मोबाइल नंबर भी बदल दिया था.
मनीषा का नंबर बदल जाने के बाद सागर पागल सा हो गया था. मनीषा का नंबर पाने के लिए वह एक दिन उस के घर पहुंच गया. घर पर मनीषा की मां मिली. पूछने पर मां चित्रा ने उसे मनीषा के बारे में कुछ नहीं बताया तो सागर ने मां चित्रा को उन के साथ मारपीट की और उन्हें डरायाधमकाया.
उस की धमकियों से डरी चित्रा अपने एक रिश्तेदार के साथ चादुर बाजार थाने पहुंच गईं और सागर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवा दी. जिस पर पुलिस ने सागर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. उस के जेल जाने के बाद थोडे़ दिनों तक तो माहौल शांत रहा.
लेकिन जेल से छूटने के बाद सागर का वही नाटक शुरू हो गया था. उसे इस बीच किसी तरह मनीषा की सहेली जेनेट का फोन नंबर मिल गया था और वह मनीषा से बातें करने लगा. उसे शादी के लिए परेशान करने लगा. उस ने धमकी दी, ‘‘तुम अगर मुझ से शादी नहीं करोगी तो मैं तुम्हारी मां को खत्म कर दूंगा.’’ इस तरह की धमकी से कुछ दिन निकल गए थे.
14 फरवरी को बापूराव अपने बेटे प्रतीक के साथ पुणे में अपनी बड़ी बेटी सुहासिनी के यहां गए हुए थे, वहां उन की दोनों बेटियों के साथ उन का महाबलेश्वर घूमने का कार्यक्रम बन गया था. यहां सागर ने मनीषा को कई बार फोन किया था, पर मनीषा ने उस के एक भी फोन का जवाब नहीं दिया था, बल्कि अपना फोन स्विच्ड औफ कर दिया था.
इस से नाराज सागर वापस मनीषा के घर गया और उस की मां चित्रा से मारपीट की, मनीषा को जब यह जानकारी मिली तो वह अपने पापा और भाई के साथ गांव आई और चादुर बाजार थाने में सागर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा दिया. फिर वह वापस पुणे लौट आई थी.
पुलिस ने सागर को फिर से जेल भेज दिया. 15 दिन जेल में रहने के बाद जब सागर बाहर आया तो उसे मनीषा से सख्त नफरत हो गई थी और इस के लिए उस ने एक खतरनाक योजना तैयार कर ली थी. अपनी योजना के अनुसार वह पुणे आ गया था और उस की सहेली जेनेट को फोन किया. लेकिन उस दिन उस का काम नहीं बना, मनीषा ने उस दिन उस से बात करने से मना कर दिया था.
घटना के दिन मनीषा को आखिर सागर ने अपनी बातों के जाल फंसा ही लिया था और उस के साथ कुछ समय बिताने के लिए तैयार हो गई थी.
मनीषा के साथ सागर ने पहले महाबलेश्वर जाने की योजना बनाई. लेकिन चंदननगर पुणे रोड पर आने के बाद उस ने अपना इरादा बदल दिया. उस का मानना था कि वहां तक जाने में काफी रात हो जाएगी, इसलिए उस ने अपनी बाइक भाटघर की तरफ मोड़ दी.
जोगवाड़ी, ब्राह्मण घर घूमने के बाद भाटघर वाटर बैंक के पास एक पत्थर पर जा कर दोनों बैठ गए थे. इस के पहले कि वे कुछ बात करते, मनीषा का फोन आ गया था. जिस पर उस की लंबी बातचीत चलने लगी.
इस पर जब सागर ने पूछा कि फोन किस का था, तो मनीषा ने कहा, ‘‘तुम्हें क्या करना है, मेरा फोन है.’’
‘‘लेकिन…’’ सागर कुछ आगे बोलता. मनीषा ने उस की बातों को काटते हुए कहा, ‘‘मेरी तुम से शादी नहीं हुई है, जो तुम मुझ पर इतना दबाव बनाओगे.’’
इस बात को ले कर दोनों में काफी कहासुनी हुई और क्रोध में आ कर सागर ने पास में ही पडे़ पत्थर को उठा कर मनीषा के सिर पर दे मारा. पत्थर के जोरदार हमले से मनीषा की एक दर्दनाक चीख निकल कर वहां के शांत वातावरण में खो गई थी.
कुछ समय के बाद मनीषा के खत्म होते ही उस ने अपनी बाइक उठाई और अपने गांव अमरावती आ गया था. गांव आ कर अपना फोन बंद कर चुपचाप बैठ गया था, जहां से पुलिस ने उसे अपनी गिरफ्त में ले लिया था. फौरी तौर पर पूछताछ करने के बाद उसे उस जगह ले कर गए, जहां मनीषा की हत्या हुई थी.
उस जगह पहुंच कर के पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मनीषा का मोबाइल आदि को अपने कब्जे में ले कर लाश का पंचनामा तैयार किया. फिर वह पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.
आनंदराव गुडव उर्फ सागर से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने भादंवि की धारा 364, 302, 34 के अंतर्गत मुकदमा कर उसे पुणे की यरवदा जेल भेज दिया.