—श्वेता पांडेय
महासमुंद जिले में स्थित श्रीराम कालोनी के पास स्वीपर कालोनी भी है. दोनों कालोनियों के बीच एक छोटा सा मैदान है. अगर वह मैदान नहीं होता तो दोनों कालोनियों को एक ही माना जाता. इसी श्रीराम कालोनी में पूनम यादव रहती थी, उस के 3 बेटे थे रोहित, शिव और कान्हा यादव.
इसी कालोनी में जीवन साहू भी अपने परिवार के साथ रहता थ. उस के 3 बेटियां थीं. हम इस कहानी में सिर्फ नीतू का ही उल्लेख कर रहे हैं जिस का संबंध इस कहानी से है. 24 वर्षीय नीतू साहू जीवन साहू की ही बेटी थी. एक ही मोहल्ले के बाशिंदे होने के कारण स्वाभाविक रूप से रोहित यादव और नीतू साहू की अकसर मुलाकात हो जाया करती थी.
इस का परिणाम यह निकला कि कब दोनों एकदूसरे को चाहने लगे, उन्हें पता ही नहीं चला. दोनों का एकदूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा था. 3 महीने तक दोनों ने अपनी चाहतों को मन में ही छिपा कर रखा.
कभी न कभी तो इस चाहत को मुखर होना ही था. पहल रोहित यादव की ओर से हुई. एक दिन वह अपनी बाइक से कहीं जा रहा था कि उस की नजर कपड़े के शोरूप में गई. उस शोरूम के भीतर नीतू कपड़े पसंद करती दिखाई दी.
उस शोरूम का दरवाजा कांच का बना हुआ था, अत: अंदर की हलचल बाहर आतेजाते लोगों को दिखाई देती थी. उस शोरूम के बाहर रोहित ने बाइक खड़ी की और दरवाजा खोल कर अंदर घुस गया. वह सीधे उस काउंटर पर पहुंचा जहां नीतू कपड़े पसंद कर रही थी.
वहां ढेरों कपड़े बिखरे पड़े थे लेकिन उसे कुछ पसंद नहीं आ रहा था. नीतू के चेहरे पर झुंझलाहट साफसाफ दिखाई दे रही थी. रोहित ने उस के करीब पहुंच कर उस के कंधे पर हाथ रखा. नीतू चिहुंक कर पीछे पलटी. रोहित मुसकराते हुए बोला, ‘‘सूट खरीद रही हो क्या?’’
‘‘हां, कोई सूट जंच ही नहीं रहा.’’
‘‘क्या मैं इस में तुम्हारी कोई मदद कर सकता हूं?’’ बगैर नीतू को बोलने का मौका दिए काउंटर पर खड़ी लड़की की ओर मुखातिब होता हुआ अंगुली से इशारा करते हुए रोहित बोला, ‘‘मैडम, वो जो तीसरे रैक पर पिंक कलर का है, उसे दिखाइए.’’
पिंक कलर वाला सूट निकाल कर उस सेल्सगर्ल ने काउंटर पर रख दिया. रोहित सूट की तह खोल कर नीतू के सामने रखते हुए बोला, ‘‘यह तुम पर बहुत फबेगा.’’
उलटपलट कर देख कर नीतू ने भी उसे पसंद कर लिया. सहयोग के लिए शुक्रिया. पैक्ड सूट का पेमेंट कर नीतू काउंटर के स्टैंड पर रखा एक कैप हाथ में लेते हुए बोली, ‘‘ये कैप तुम पर बहुत जंचेगी.’’
फिर रोहित को कुछ बोलने का मौका दिए बगैर उस के सिर पर कैप लगाते हुए बोली, ‘‘देखो, बहुत जंच रहे हो.’’
रोहित ने पेमेंट करनी चाही, पर उस ने रोहित को ऐसा करने से रोका, ‘‘ये मेरी ओर से तुम्हारे लिए, प्लीज.’’
दोनों शोरूम से बाहर आए. नीतू बोली, ‘‘अच्छा किया तुम ने यहां आ कर. मेरी मदद हो गई.’’
‘‘कहां जाओगी?’’ रोहित ने पूछा.
नीतू जिस काम से आई थी, वह तो पूरा हो गया था. अब घर ही जाना था. वह कुछ कहती उस के पहले रोहित बोला, ‘‘कुछ समय मेरे लिए नहीं निकालोगी? एकएक कप कौफी हो जाए, उस के बाद मैं तुम्हें छोड़ दूंगा.’’
फिर खामोशी से उस ने उस के प्रस्ताव पर स्वीकृति दे दी. दोनों बाइक पर सवार हो कर कौफी शौप पर पहुंचे. रोहित ने बाइक स्टैंड पर खड़ी की. नीतू के एक हाथ में पौलीथिन का कैरीबैग था. उस के खाली हाथ को रोहित ने थाम लिया. नीतू ने देखा मगर बोली कुछ नहीं.
एक खाली टेबल पर दोनों पहुंचे. उस समय कौफी शौप में बहुत भीड़ थी. टेबल के आमनेसामने दोनों बैठ गए.
‘‘कुछ और लोगी?’’ रोहित ने पूछा.
नीतू ने इनकार में अपना सिर हिलाया.
‘‘सिर्फ कौफी,’’ रोहित ने 2 कप कौफी का और्डर दिया.
5 मिनट बाद कौफी सर्व हुई. खामोशी के साथ दोनों कौफी का सिप लेते रहे.
लब खामोश थे. निगाहें बातें कर रही थीं. कौफी खत्म कर दोनों कौफी शौप से बाहर आए. बाइक पर नीतू को बिठा कर रोहित श्रीराम कालोनी पहुंचा.
नीतू के घर से थोड़ी दूरी पर उस ने बाइक रोकी. नीतू बाइक से उतर कर अपने घर की ओर बढ़ी ही थी कि रोहित ने आवाज लगाई, ‘‘नीतू, सुनो.’’
नीतू ने पलट कर रोहित की ओर सवालिया निगाहों से देखा. रोहित बोला, ‘‘कल वहीं मिलोगी क्या उस सूट के साथ? सच्ची कह रहा हूं, उस सूट में तुम्हें देखना चाहता हूं.’’
नीतू मुसकराते हुए बोली, ‘‘सोचूंगी.’’
फिर वह वहां रुकी नहीं. घर की ओर बढ़ गई. उस ने एक बार पीछे पलट कर देखा तो रोहित बाइक की सीट पर बैठा उसे बाय कर रहा था.
करार के मुताबिक अगले दिन नीतू उस से नहीं मिली और न ही 3-4 दिन तक दिखाई दी. परेशान हो कर रोहित नीतू के घर के सामने बाइक की सीट पर बैठा टकटकी बांधे उस के घर की ओर देखता रहा.
एक घंटे इंतजार के बाद नीतू उसे घर की छत पर कपड़े डालती हुई दिखाई दी. रोहित ने हाथ हिला कर अपनी ओर आकर्षित करना चाहा लेकिन जानबूझ कर नीतू ने अनदेखा कर दिया.
रोहित को बहुत गुस्सा आया. इधरउधर देखा और पास से एक पत्थर उठा कर जोर से छत की ओर उछाल दिया. पत्थर नीतू के पास जा कर गिरा.
नीतू को मालूम था कि ऐसा किस ने किया होगा. उस ने चौंकने की शानदार एक्टिंग की. इधरउधर निगाहें घुमाने के बाद रोहित पर जा कर ठहर गईं. रोहित ने उसे हाथ से इशारा किया साथ ही हवा में मुक्का घुमाया.
रोहित के ऐसा करने पर नीतू खिलखिला कर हंस पड़ी. उस के हंसने से रोहित का गुस्सा और बढ़ गया. उस ने गुस्से में अपने सिर के बालों को नोचने का नाटक किया. नीतू को हाथ का पंजा दिखा कर इशारे से बताया 5 बजे. फिर उस ने हाथ उठा कर चाय की चुस्की का इशारा किया.
हरी झंडी मिलते ही रोहित के चेहरे पर रौनक आ गई. बाइक पर बैठा और चल पड़ा. तय समय से 15 मिनट पहले रोहित कौफी शौप में जा कर एक टेबल के पास लगी कुरसी पर बैठ गया. घड़ी की सुइयां धीरेधीरे सरक रही थीं. सवा 5 होने जा रहा था. वह उठ कर बाहर जाने ही वाला था कि दरवाजा खोल कर नीतू आती दिखाई दी.
उठने को तत्पर रोहित फिर से वहीं बैठ गया. नीतू पिंक कलर का वही सूट पहन कर आई थी. टेबल के करीब पहुंच कर कुरसी पर बैठती हुई बोली, ‘‘ज्यादा इंतजार तो नहीं करना पड़ा हुजूर को? बस 15 मिनट लेट हुई हूं.’’
‘‘और वो 5 दिन जिस में तुम ने मुझ से मिलने का वादा किया था? वो इंतजार में शामिल नहीं है?’’
‘‘गुस्सा ठंडा कीजिए हुजूर.’’
फिर रोहित ने नारमल होते हुए कौफी मंगाई. कौफी पीते समय इधरउधर की बातें होती रहीं. मौका देख कर नीतू बोली, ‘‘तुम ने बुलाया मैं आ गई. हो गई तसल्ली.’’
‘‘5 दिन के इंतजार का ये सिला?’’
‘‘15 मिनट बहुत होते हैं जनाब.’’ कहते हुए नीतू कौफी शौप से बाहर निकल गई.
वक्त के साथ दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. प्यार का अंकुर अब बड़ा दरख्त बन चुका था. दोनों साल भर से एकदूसरे को प्यार कर रहे थे. इन दिनों में इन लोगों ने साथ जीनेमरने की कसमें भी खाईं लेकिन इस का क्या किया जाए कि समय को कुछ और ही मंजूर था.
10 जुलाई, 2021 को श्रीराम कालोनी में रात 9 बजे किसी की जन्मदिन की पार्टी चल रही थी. उस वक्त रोहित नीतू के घर के सामने बल्कि दरवाजे पर चिल्लाचिल्ला कर नीतू का नाम ले कर दरवाजा पीटे जा रहा था.
पार्टी में व्यवधान हो रहा था. सोनू प्रजापति और जागेश्वर साहू ने रोहित को ऐसा करने से मना किया. इस बीच सोनू ने किशन पांडेय को फोन कर श्रीराम कालोनी पहुंचने को कहा. सोनू ने जिस समय किशन को फोन किया, उस वक्त वह थोड़ी ही दूरी पर था. 2 मिनट में ही वह वहां पहुंच गया.
आननफानन बाइक को स्टैंड पर खड़ी कर गुत्थमगुत्था हो रहे सोनू, जागेश्वर और रोहित के बीच में वह भी घुस गया. ये 3 और रोहित अकेला. फिर भी तीनों पर भारी पड़ रहा था.
स्ट्रीट लाइट की रोशनी उन तक पहुंच रही थी. होहल्ला सुन कर नीतू छत पर पहुंच गई. रोहित काबू में नहीं आ रहा था. तीनों को मांबहन की गालियां देते हुए देख लेने की धमकी दिए जा रहा था.
नीतू ने रोहित को पहचान लिया. नीतू ने देखा कि उन तीनों में से एक के हाथ में चाकू था जिसे उस ने ऊपर उठाया और बगैर मौका दिए रोहित पर वार करता चला गया. छत पर खड़ी नीतू चिल्लाई, ‘‘छोड़ दो उसे…छोड़ दो उसे. कोई बचाओ.’’
उन चारों के पास कोई मोहल्ले वाला नहीं आया तब नीतू ने प्रेमी को बचाने के लिए छत से नीचे छलांग लगा दी और रोहित की ओर बढ़ना चाहा लेकिन उस के पैरों ने जवाब दे दिया. उस के पैर फ्रैक्चर हो चुके थे. एक पैर टूट ही गया. फिर भी वह वहीं जमीन पर पड़ी हुई चीखतीचिल्लाती रही.
सोनू प्रजापति, जागेश्वर साहू और किशन पांडेय रोहित को चाकू से मार कर फरार हो गए. उन के भागने के बाद मोहल्ले वाले वहां पहुंचे, जहां रोहित अपने ही खून में डूबा हुआ था. किसी ने रोहित के चाचा लालू यादव और पिता पूनम यादव को दौड़ कर यह सूचना दी.
दोनों भाई वहां पहुंचे. रोहित खून से तरबतर पड़ा था. आननफानन में पुलिस को बुलाया गया. तत्काल रोहित को पास के जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां चैकअप के बाद डाक्टरों ने रोहित को मृत घोषित कर दिया गया.
लालू यादव की रिपोर्ट पर महासमुंद सिटी कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई. थानाप्रभारी शेर सिंह बंदे अपने साथ टीकाराम सारथी, सुशील शर्मा, योगेश सोनी आदि पुलिसकर्मियों को ले कर घटनास्थल पर पहुंचे.
वहां लोगों से पूछताछ करने पर पता चला कि रोहित पर 3 लोगों ने हमला किया था. लोगों ने यह भी बता दिया कि एक हमलावर कुम्हारपाड़ा का रहने वाला जग्गू साहू उर्फ जागेश्वर रायपुर की ओर भागा है.
तीनों फरारों के हुलिए के हिसाब से पुलिस ने जिले से बाहर जाने वाले रास्तों पर नाकाबंदी कर दी.
इस का नतीजा यह निकला कि महासमुंद के घोड़ारी के पास से पुलिस ने जागेश्वर को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ करने पर उस ने 2 लोग सोनू प्रजापति जोकि मूर्तिकार है और किशन पांडेय को घटना में शामिल बताया.
घटना के अगले दिन पुलिस ने दोनों को अलगअलग जगहों से धर दबोचा. इन लोगों ने अपने बयानों में बताया कि रोहित की दबंगई पहले से ही उन की आंखों में खटक रही थी.
उस दिन हम ने रोहित को समझाया लेकिन वह उत्तेजित हो कर हम तीनों को ही गालियां देने लगा था. रोहित हाथापाई पर उतर आया था. तब हम लोगों ने मजबूर हो कर उसे सबक सिखाया.
उसी रात नीतू को जिला अस्पताल में एडमिट कराया गया. वह बारबार बेहोश हो रही थी. और जब भी होश आता तो एक ही सवाल करती, ‘‘रोहित…मेरा रोहित कैसा है?’’
जो भी हालचाल पूछने अस्पताल पहुंचता, हर किसी से यही पूछती कि रोहित कैसा है. ठीक तो है न. कथा लिखने तक वह अस्पताल में भरती थी. लोगों की खामोशी ने नीतू को बहुत कुछ समझा दिया है. अपने दर्द को भूल कर वह रोहित की सलामती की कामना करती हुई बैड पर पड़ी थी.
रोहित के चाचा लालू यादव की रिपोर्ट पर महासमुंद पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 34 कायम कर आरोपियों को कोर्ट में पेश कर 14 दिनों के रिमांड पर ले लिया.
कहानी लिखी जाने तक पुलिस पड़ताल में जुटी हुई थी. हत्या में प्रयुक्त चाकू और घटना के समय पहन रखे कपड़े पुलिस ने जब्त कर लिए.
प्रेमी की जान बचाने के लिए नीतू ने छत से छलांग लगा दी थी, लेकिन इस के बाद भी उस का प्रेमी नहीं बच सका. कथा लिखने तक नीतू का अस्पताल में इलाज चल रहा था.
उसे इस बात की सूचना नहीं दी कि उस का प्रेमी रोहित अब इस दुनिया में नहीं है. प्रेमी की मौत की जब भी उसे जानकारी मिलेगी, यकीनन उसे बहुत बड़ा सदमा लगेगा.