रजनी उर्फ कुंजावती अपने भाईबहनों में सब से बड़ी ही नहीं बल्कि कदकाठी से भी ठीक ठाक थी. इसलिए अपनी उम्र से काफी बड़ी लगती थी. उस का परिवार उत्तर प्रदेश के शहर इटावा में रहता था. उस के पिता किसान थे. जैसे ही वह जवान हुई तो उस के मातापिता उस के लिए योग्य वर की तलाश में लग गए.
उन्हें इस बात का डर था कि कहीं रजनी के कदम बहक गए तो उन की इज्जत पर दाग लग जाएगा. उन्होंने रजनी की शादी के लिए ग्वालियर जिले के महाराजपुरा कस्बे के गांव गुठीना में रहने वाले सुलतान माहौर को पसंद कर लिया. फिर जल्द ही उन्होंने उस की शादी सुलतान के साथ कर दी.
रजनी सुंदर तो थी ही, दुलहन बनने के बाद उस की सुंदरता में पहले से ज्यादा निखार आ गया. रजनी जैसी सुंदर पत्नी पा कर सुलतान बेहद खुश था. दोनों के दांपत्य की गाड़ी खुशहाली के साथ चलने लगी. समय का पहिया अपनी गति से घूमता रहा और रजनी 3 बच्चों की मां बन गई. लेकिन कुछ दिनों बाद आर्थिक परेशानियों ने परिवार की खुशी पर ग्रहण लगाना शुरू कर दिया.
शादी से पहले सुलतान छोटामोटा काम कर के गुजरबसर कर लेता था, लेकिन 3 बच्चों का बाप बन जाने से घर के खर्चे भी बढ़ गए थे. वहीं रजनी की बढ़ती ख्वाहिशों ने उस के खर्चों में काफी इजाफा कर दिया था.
आर्थिक परेशानी से उबरने के लिए वह एक शोरूम में रात के समय चौकीदारी भी करने लग गया था. इस दौरान उसे शराब पीने की भी लत लग गई, जिस की वजह से वह पैसे शराबखोरी में उड़ा देता था. इस के चलते घर की माली हालत डांवाडोल होने लगी थी. यहां तक कि उस ने कई लोगों से कर्ज ले लिया था.
उधर जब से कोविड के कारण लौकडाउन लगा, तब से सुलतान की मजदूरी और चौकीदारी का काम भी छूट गया था. इस के बावजूद वह लोगों से पैसा उधार ले कर शराब पी लेता था और हद तो तब हो गई जब अपनी पत्नी रजनी उर्फ कुंजावती को शराब के नशे में जराजरा सी बात पर पीटना शुरू कर देता था.
पति की ये आदतें रजनी को काफी सालती थीं. सुलतान के पड़ोस में अजीत उर्फ छोटू कोरी रहता था. वह रजनी को भाभी कहता था, इसलिए दोनों में हंसीमजाक होता रहता था.
रजनी को अजीत से मजाक करने में किसी तरह का संकोच नहीं होता था. एक दिन दोनों हंसीमजाक कर रहे थे तो रजनी ने कहा, ‘‘देवरजी, कब तक इस तरह हंसीमजाक कर के दिन काटोगे? कहीं से घरवाली ले आओ.’’
‘‘भाभी, घरवाली मिलती तो जरूर ले आता. जब तक कोई नहीं मिल रही आप से हंसीमजाक कर संतोष करना पड़ रहा है.’’ अजीत ने मुसकराते हुए कहा.
‘‘जब तक घरवाली नहीं मिल रही तो इधरउधर से जुगाड़ कर लो.’’ रजनी ने बिना किसी हिचकिचाहट के अजीत की आंखों में आंखें डाल कर कहा.
‘‘कौन फिक्र करता है भाभी भूखे आदमी की. जिस का पेट भरा रहता है, उसे ही हर कोई पूछता है,’’ अजीत ने शरमाते हुए कहा.
‘‘क्या तुम ने कभी किसी से अपनी परेशानी का जिक्र कर के देखा है?’’
‘‘कोई फायदा नहीं भाभी, लोग मेरी हंसी ही उड़ाएंगे.’’ वह बोला.
‘‘अजीत, जब तक तुम किसी से कहोगे नहीं, कोई तुम्हारी मदद कैसे करेगा?’’ रजनी ने कहा.
‘‘भाभी, अगर आप से कहूं तो क्या आप मेरी मदद करना पसंद करेंगी? भलाबुरा कहते हुए गालियां जरूर देंगी,’’ अजीत ने रजनी के चेहरे पर नजरें गड़ा कर कहा.
रजनी ने चेहरे पर मुसकान लाते हुए कहा, ‘‘एक बार कह कर तो देखो. अरे, मैं तुम्हारी मुंहबोली भाभी हूं अजीत, भला पड़ोसी पड़ोसी की मदद नहीं करेगा तो क्या बाहर वाला मदद करने आएगा.’’
अब इस से भी ज्यादा रजनी क्या कहती. अजीत इतना भी नासमझ नहीं था कि वह रजनी की बात का मतलब न समझ पाता.
‘‘जरूर भाभी, मौका मिलने पर कह दूंगा.’’ वह मुसकराते हुए बोला.
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संयोग से अगले दिन अजीत को पता चला कि सुलतान किसी काम से बाहर गया है. उस दिन अजीत का मन अपने काम में नहीं लगा रहा था. दिन भर उसे रजनी की याद सताती रही. शाम होने पर घर आने पर वह रजनी की एक झलक देखने को बेचैन हो उठा.
रजनी भी पति की गैरमौजूदगी में अजीत को रिझाने के लिए जैसे ही सजसंवर कर दरवाजे पर आई तो उस की नजर अजीत पर पड़ी. अजीत भी रजनी को देख कर बिना वक्त जाया किए उस के घर पर जा पहुंचा.
अजीत को अचानक इस तरह आया देख कर रजनी ने हंसते हुए कहा, ‘‘देवरजी, आज आप अपने काम से जल्दी लौट आए?’’
‘‘क्या बताऊं भाभी, आज मेरा मन काम में जरा भी नहीं लगा.’’
‘‘क्यों?’’ रजनी ने आश्चर्य से पूछा.
‘‘सच बताऊं?’’
‘‘हां, मुझे तो सचसच बताओ.’’
‘‘भाभी, जब से तुम्हें और तुम्हारी सुंदरता को देखा है, मेरा मन किसी काम में लगता ही नहीं है. आप सच में बेहद खूबसूरत है.’’
‘‘ऐसी सुंदरता किस काम की, जिस की कोई कदर ही न हो,’’ रजनी ने लंबी सांस लेते हुए कहा.
‘‘क्या भैया तुम्हारी कोई कदर नहीं करते भाभी?’’
‘‘सब कुछ जानते हुए भी अनजान मत बनो, तुम तो जानते हो कि मेरे वो रात में चौकीदारी करते हैं, सो रात को घर से बाहर रहते हैं. ऐसे में मेरी रातें कैसे गुजरती हैं, वो तो मुझे ही पता है.’’
‘‘भाभीजी, जिस स्थिति से आप गुजर रही हैं, ठीक वही स्थिति मेरी है. मैं भी रात भर करवटें बदलता रहता हूं. अगर आप मेरा साथ दें तो हम दोनों की समस्या खत्म हो सकती है,’’ यह कहते हुए अजीत ने रजनी को अपनी बांहों में भर लिया.
पुरुष सुख से वंचित रजनी चाहती तो यही थी, मगर उस ने हावभाव बदलते हुए बनावटी गुस्से में कहा, ‘‘यह क्या कर रहे हो, छोड़ो मुझे. बच्चे देख लेंगे.’’
‘‘बच्चे तो अपनी मौसी के बच्चों के साथ बाहर खेल रहे हैं. भाभी, आप ने तो मेरा सुखचैन सब छीन रखा है,’’ अजीत ने कहा.
‘‘नहीं अजीत, छोड़ो मुझे. मैं बदनाम हो जाऊंगी, कहीं की नहीं रहूंगी मैं.’’ वह बनावटी बोली.
‘‘नहीं भाभी, अब यह संभव नहीं है. कोई बेवकूफ ही होगा जो रूपयौवन के इस प्याले के इतने नजदीक पहुंच कर पीछे हटेगा,’’ इतना कह कर अजीत ने बांहों का कसाव बढ़ा दिया.
दिखाने के लिए रजनी न…न…न करती रही, जबकि वह स्वयं अजीत के जिस्म से बेल की तरह लिपटी जा
रही थी.
इस के बाद वह पल भी आ गया, जब दोनों ने मर्यादा भंग कर दी. एक बार मर्यादा मिटी तो यह सिलसिला चल निकला. जब भी उन्हें मौका मिलता, इच्छाएं पूरी कर लेते.
दोनों पड़ोस में रहते थे, इसलिए उन्हें मिलने में कोई परेशानी भी नहीं होती थी. रजनी अब कुछ ज्यादा ही खुश रहने लगी थी, क्योंकि उस का प्रेमी मौका मिलने पर बिस्तर पर धमाल मचाने आ जाता था.
अब उस की आर्थिक परेशानी भी दूर हो गई थी. रजनी खर्चे के लिए अजीत से जब भी रुपए मांगती, वह बिना नानुकुर के चुपचाप निकाल कर रजनी के हाथ पर रख देता था.
रजनी और अजीत के बीच अवैध संबंध बने तो उन की बातचीत और हंसीमजाक का लहजा बदल गया. अब दोनों एकदूसरे का खयाल भी कुछ ज्यादा ही रखने लगे थे, इसलिए आसपड़ोस वालों को शक होने लगा.
लोग इस बात को ले कर चर्चा करने लगे. नतीजा यह निकला कि इस बात की जानकारी सुलतान को भी हो गई. सुलतान ने लोगों की बातों पर विश्वास न कर के खुद सच्चाई का पता लगाने का निश्चय किया.
वह जानता था कि यदि इस बारे में पत्नी से पूछताछ करेगा तो वह सच बात बताएगी नहीं, बल्कि होशियार हो जाएगी. सच पता लगाने के लिए वह एक दिन बाहर जाने के बहाने घर से निकला और छिप कर रजनी और अजीत पर नजर रखने लगा.
एक दिन दोपहर के समय उस ने रजनी और अजीत को रंगेहाथों पकड़ लिया. गुस्से में उस ने रजनी की जम कर पिटाई कर दी. रजनी के पास सफाई देने को कुछ नहीं था, इसलिए वह भविष्य में कभी ऐसा न करने की कसम खाते हुए माफी मांगने लगी.
गुस्से में सुलतान ने अजीत को भी कई थप्पड़ जड़ दिए. साथ ही चेतावनी दी कि आज के बाद वह उस के घर के आसपास भी दिखाई दिया तो ठीक नहीं होगा.
रजनी सुलतान की सिर्फ पत्नी ही नहीं, उस के 3 बच्चों की मां भी थी, इसलिए बच्चों के भविष्य की फिक्र करते हुए उस ने दोबारा ऐसी गलती न करने की चेतावनी दे कर उसे माफ कर दिया.
यह बात सच है कि जिस महिला का पैर एक बार बहक चुका हो, उसे संभालना मुश्किल होता है. यही हाल रजनी का भी था.
कुछ दिनों तक अपनी कामोत्तेजना पर जैसेतैसे काबू रखने के बाद वह फिर चोरीछिपे अजीत से मिलने लगी.
इस का पता सुलतान को चला तो उस ने रजनी को काफी बुराभला कहा. इस के बाद रजनी का अजीत से मेलजोल कुछ कम हो गया, लेकिन बंद नहीं हुआ.
जब मिलने में परेशानी होने लगी तो एक दिन रजनी ने अजीत से कहा, ‘‘मुझ से तुम्हारी दूरी बरदाश्त नहीं होती. अब मैं सुलतान के साथ नहीं रहना चाहती.’’
‘‘अगर ऐसा है तो उसे ठिकाने लगा देते हैं. न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी. वह शराब पीता ही है, खाना खा कर बेसुध हो जाता है, इसलिए उस की हत्या करना भी आसान है.’’
इसी के साथ दोनों ने सुलतान की हत्या की योजना बना ली.
5 जून, 2021 की रात सुलतान शराब पी कर बेसुध सो गया. सोने से कुछ समय पहले ही उस ने रजनी के साथ मारपीट की थी. पति के सोने के बाद रजनी ने प्रेमी अजीत को फोन कर के बुला लिया. मगर जैसे ही अजीत आया सुलतान की नींद खुल गई.
रजनी और अजीत ने सुलतान को पकड़ा और उस के गले में रस्सी का फंदा बना कर उस का गला घोंट दिया. इस के बाद अजीत काफी डर गया तो वह अपने घर भाग गया, मगर रजनी कशमकश में फंस गई. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे?
आखिर उस का मन नहीं माना तो वह घर के पास में रहने वाली अपनी बहन के घर चली गई. यहां पर रजनी की मां भी आई हुई थी. उस ने हिचकियां लेले कर रोते हुए बहन और मां को बताया कि उस के पति ने आत्महत्या कर ली है.
इन लोगों को रजनी की बात पर विश्वास नहीं हो रहा था. शायद इसी वजह से एक बार तो लगा कि वह फूटफूट कर रो पड़ेगी, लेकिन किसी तरह खुद को संभालते हुए आखिर उस ने पूछ ही लिया, ‘‘क्या आप लोगों को मेरी बात पर विश्वास नहीं हो रहा है?’’ बाद में यह बात पूरे मोहल्ले में फैल गई.
सुबह होते ही गंधर्व सिंह ने महाराजपुरा थानाप्रभारी प्रशांत यादव को फोन कर इस घटना की सूचना दे दी. थानाप्रभारी प्रशांत यादव ने इस घटना को काफी गंभीरता से लिया.
बात सिर्फ आत्महत्या कर लेने भर तक सीमित नहीं थी, बल्कि इस से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि गुठीना जैसे छोटे से गांव में इस तरह की घटना घट गई और किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई.
सूचना मिलते ही थानाप्रभारी प्रशांत यादव एसआई जितेंद्र मवाई के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. चलने से पहले उन्होंने इस की सूचना सीएसपी रवि भदौरिया को भी दे दी थी.
प्रशांत यादव घटनास्थल का निरीक्षण शुरू करने वाले थे कि सीएसपी भदौरिया भी आ पहुंचे. उन के साथ फोरैंसिक टीम भी आई थी.
फोरैंसिक टीम का काम खत्म हो गया तो सीएसपी लौट गए. उन के जाने के बाद थानाप्रभारी प्रशांत यादव ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और घटनास्थल की औपचारिक काररवाई निपटा कर सुलतान की लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.
रजनी और उस के प्रेमी ने जिस रस्सी से फंदा बना कर सुलतान का गला घोंटा था, वह भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले ली. उस के बाद थानाप्रभारी ने गंधर्व सिंह की तरफ से अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली.
थानाप्रभारी इस केस की जांच में जुट गए. उन्होंने इस बारे में मृतक की पत्नी रजनी से पूछताछ की. थाने पहुंचते ही रजनी डर गई और उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अपने प्रेमी अजीत के साथ मिल कर पति को ठिकाने लगाया था.
पुलिस ने 6 जून, 2021 को ही रजनी के प्रेमी अजीत को भी गिरफ्तार कर लिया. दोनों ने ही सुलतान की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया.
इस के बाद दोनों ने सुलतान की हत्या की जो सनसनीखेज कहानी सुनाई, वह परपुरुष की बांहों में सुख तलाशने वाली औरत के अविवेक का नतीजा थी.
पूछताछ और सारे साक्ष्य जुटाने के बाद पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. रजनी के साथ उस का 3 वर्षीय सब से छोटा बेटा भी जेल गया है.
रजनी ने जो सोचा था, वह पूरा नहीं हुआ. वह एक हत्या की अपराधिन बन गई. उस के साथ उस का पे्रमी भी. जो सोच कर उन दोनों ने सुलतान की हत्या की, वह अब शायद ही पूरा हो, क्योंकि यह तय है कि दोनों को सुलतान की हत्या के अपराध में सजा होगी.