सोनिया भारद्वाज को अपने 2 पतियों से वह नहीं मिला, जिस की उसे आकांक्षा थी. तभी तो उस ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्वमंत्री उमंग सिंघार को तीसरा पति बनाने के लिए कदम बढ़ाए. लेकिन शादी के बंधन में बंधने से पहले ही जिस तरह सोनिया ने नेताजी के बंगले में सुसाइड किया, उस से कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं.
‘अब मैं और सहन नहीं कर सकती. मैं ने अपनी तरफ से सब कुछ किया लेकिन उमंग का गुस्सा बहुत ज्यादा है. मुझे डर लगता है कि उमंग मुझे अपनी लाइफ में जगह नहीं देना चाहते… उन की किसी भी चीज को टच करो तो उन्हें बुरा लगता है. इस बार भी मैं खुद भोपाल आई, जबकि वह नहीं चाहते थे कि मैं यहां आऊं. मैं कभी तुम्हारे जीवन का हिस्सा नहीं बन पाई. आर्यन सौरी, मैं तुम्हारी लाइफ के लिए कुछ नहीं कर पाई. मैं जो कुछ भी कर रही हूं अपनी मरजी से कर रही हूं, इस में किसी की कोई गलती नहीं है.
‘उमंग, आप के साथ मैं ने सोचा था कि लाइफ सेट हो जाएगी. आई लव यू. मैं ने बहुत कोशिश की एडजस्ट करने की, पर आप ने मुझे अपनी लाइफ में जगह नहीं दी. सौरी.’
यह लाइनें हैं उस पत्र की, जो सोनिया भारद्वाज ने एक पूर्वमंत्री के बंगले में आत्महत्या करने से पहले लिखा था.
37 वर्षीय सोनिया भारद्वाज की जिंदगी कई मायनों में आम औरतों से काफी अलग थी. बहुत कुछ होते हुए भी उस के पास कुछ नहीं था. वह निहायत खूबसूरत थी और उम्र उस पर हावी नहीं हो पाई थी. कोई भी उसे देख कर यह नहीं मान सकता था कि वह 19 साल के एक बेटे की मां भी है.
औरत अगर खूबसूरत होने के साथसाथ विकट की महत्त्वाकांक्षी भी हो तो जिंदगी की बुलंदियां छूने से उसे कोई रोक नहीं सकता. लेकिन अगर वह अपनी शर्तों पर मंजिल और मुकाम हासिल करने की कोशिश करती है तो अकसर उस का अंजाम वही होता है जो सोनिया का हुआ.
बीती 16 मई की रात सोनिया ने आत्महत्या कर ली. भोपाल के पौश इलाके शाहपुरा के बी सेक्टर के बंगला नंबर 238 में फांसी के फंदे पर झूलने और सुसाइड नोट लिखने से पहले उस ने और क्याक्या सोचा होगा, यह तो कोई नहीं बता सकता. लेकिन अपने सुसाइड नोट में उस ने जो लिखा, उस से काफी हद तक यह समझ तो आता है कि वह अपने तीसरे प्रेमी और मंगेतर पूर्वमंत्री उमंग सिंघार की तरफ से भी नाउम्मीद हो चुकी थी.
सोनिया जिंदगी भर प्यार और सहारे के लिए भटकती सी रही. हरियाणा के अंबाला के बलदेव नगर इलाके के सेठी एनक्लेव की रहने वाली सोनिया ने आखिरकार भोपाल आ कर पूर्व मंत्री उमंग सिंघार के बंगले पर ही खुदकुशी क्यों की. इस सवाल के जबाब में सामने आई है 2 अधेड़ों की अनूठी लव स्टोरी. जिसे शुरू हुए अभी बहुत ज्यादा वक्त नहीं हुआ था.
हालांकि 2 साल एकदूसरे को समझने के लिए कम नहीं होते, पर ऐसा लगता है कि उमंग और सोनिया दोनों ही एकदूसरे को समझ नहीं पाए थे. अगर वह समझ गए थे तो काफी दूर चलने के बाद वह कदम वापस नहीं खींच पा रहे थे.
सोनिया की पहली शादी कम उम्र में अंबाला के ही संजीव कुमार से हो गई थी. शादी के बाद कुछ दिन ठीकठाक गुजरे. इस दौरान उस ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम आर्यन रखा. 19 साल का हो चला आर्यन इन दिनों शिमला के एक इंस्टीट्यूट से होटल मैनेजमेंट का डिप्लोमा कर रहा है.
आर्यन के जन्म के बाद संजीव और सोनिया में खटपट होने लगी, जिस का दोष सोनिया के सिर ही मढ़ा गया. जिस का नतीजा अलगाव की शक्ल में सामने आया. कुछ समय तनहा गुजारने के बाद सोनिया ने एक बंगाली युवक से दूसरी शादी कर ली. लेकिन उस का दूसरा पति भी उसे जल्द छोड़ कर भाग खड़ा हुआ.
फिर जरूरत हुई सहारे की
अब सोनिया के सामने सब से बड़ी चुनौती आर्यन की परवरिश की थी, जिस के लिए उस ने एक नामी कौस्मेटिक कंपनी में नौकरी कर ली. थोड़ा पैसा आया और जिंदगी पटरी पर आने लगी तो सोनिया को फिर एक सहारे की जरूरत महसूस हुई. यह सहारा उसे दिखा और मिला भी 47 वर्षीय उमंग सिंघार में, जिन से उस की जानपहचान एक मैट्रीमोनियल पोर्टल के जरिए हुई थी.
उमंग सिंघार की गिनती मध्य प्रदेश के दबंग जमीनी और कद्दावर नेताओं में होती है. वह निमाड़ इलाके की गंधवानी सीट से तीसरी बार विधायक हैं और कमलनाथ मंत्रिमंडल में वन मंत्री भी रह चुके हैं.
उमंग की बुआ जमुना देवी अपने दौर की तेजतर्रार आदिवासी नेता थीं. उन की मौत के बाद उमंग को उन की जगह मिल गई. निमाड़ इलाके में जमुना देवी के बाद उमंग कांग्रेस के प्रमुख आदिवासी चेहरा हो गए, जिन के राहुल गांधी से अच्छे संबंध हैं. कहा यह भी जाता है कि वह उन गिनेचुने नेताओं में से एक हैं, जिन की पहुंच सीधे राहुल गांधी तक है.
विरासत में मिली राजनीति को उमंग ने पूरी ईमानदारी और मेहनत से संभाला और पार्टी आलाकमान को कभी निराश नहीं किया. झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें वहां की जिम्मेदारी भी दी थी, जिस पर वह खरे उतरे थे.
वहां उन्होंने आदिवासी इलाकों में ताबड़तोड़ दौरे किए थे, नतीजतन कांग्रेस और जेएएम का गठबंधन भाजपा से सत्ता छीनने में सफल हो गया था. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी एक अंतरंग इंटरव्यू के दौरान, जो रांची में उन के घर पर लिया गया था, इस प्रतिनिधि से उमंग की भूमिका की तारीफ की थी.
उमंग सिंघार भी आदिवासियों को हिंदू नहीं मानते और आदिवासी इलाकों में हिंदूवादी संगठनों की गतिविधियों का अकसर विरोध करते रहते हैं. पिछले साल तो उन्होंने इन इलाकों में रामलीला किए जाने का भी विरोध किया था.
राजनीतिक जीवन में सफल रहे उमंग की व्यक्तिगत जिंदगी बहुत ज्यादा सुखी और स्थाई नहीं रही. सोनिया की तरह उन की भी 2 शादियां पहले टूट चुकी हैं. पहली पत्नी से तो उन्हें 2 बच्चे भी हैं. यानी सोनिया से शादी हो पाती तो यह उन की भी तीसरी शादी होती.
बहरहाल, दोनों की जानपहचान जल्द ही मेलमुलाकातों में बदल गई और दोनों अकसर मिलने भी लगे. दिल्ली, अंबाला और भोपाल में इन दोनों ने काफी वक्त साथ गुजारा और दिलचस्प बात यह कि किसी को इस की भनक भी नहीं लगी. और जब लगी तो खासा बवंडर मच गया.
आत्महत्या करने से पहले सोनिया ने अपने सुसाइड नोट में उमंग की तरफ इशारा करते हुए जो लिखा, वह ऊपर बताया जा चुका है.
कोरोना की दूसरी लहर के कहर और लौकडाउन के चलते भोपाल भी सन्नाटे और दहशत में डूबा था. लोग अपने घरों में कैद थे. जैसे ही उमंग के बंगले पर एक युवती के आत्महत्या करने की खबर आम हुई तो इस की हलचल सियासी हलकों में भी हुई.
पुलिस की जांच में उजागर हुआ कि सोनिया भोपाल करीब 25 दिन पहले आई थी और तब से यहीं रह रही थी. एक तरह से दोनों लिवइन रिलेशनशिप में थे. हादसे के 3 दिन पहले ही दोनों के बीच कहासुनी भी हुई थी. इस के तुरंत बाद उमंग अपने विधानसभा क्षेत्र गंधवानी चले गए थे.
नौकर के बयान पर मामला दर्ज
बंगले पर ड्यूटी बजा रहे उमंग के नौकर गणेश और उस की पत्नी गायत्री ने अपने बयान में इन दोनों के बीच होने बाली कलह की पुष्टि की. 17 मई, 2021 की सुबह जब गायत्री उमंग के औफिस, जो सोनिया के कमरे में तब्दील हो गया था, पहुंची तो वह अंदर से बंद था. सोनिया चूंकि पहले भी 2 बार इस बंगले में आ चुकी थी, इसलिए दोनों उस की वक्त पर उठने और कसरत करने की आदत से वाकिफ हो गए थे.
गायत्री ने यह बात गणेश को बताई और गणेश ने मोबाइल पर उमंग को बताई तो उमंग ने अपने नजदीकियों को बंगले पर देखने जाने को कहा. उमंग के परिचितों ने जैसेतैसे जब कमरा खोला तो वह यह देख कर सन्न रह गए कि सोनिया ग्रिल पर लटकी है और उस के गले में फांसी का फंदा कसा हुआ है.
तुरंत ही इस की खबर उन्होंने उमंग और फिर पुलिस को दी. घबराए उमंग बिना देर किए भोपाल रवाना हो लिए. अब तक मध्य प्रदेश में अटकलों और अफवाहों का बाजार गरमा चुका था और पुलिस बंगले को घेर चुकी थी.
शुरुआती जांच और पूछताछ के बाद सोनिया की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. उस की मौत की खबर अंबाला में रह रही उस की मां कुंती, बेटे आर्यन और भांजे दीपांशु को भी दी गई . दीपांशु ने पुलिस को बताया कि पिछली रात को ही सोनिया ने घर वालों से वीडियो काल के जरिए बात की थी, लेकिन तब वह खुश दिख रही थी. ये लोग भी भोपाल के लिए चल दिए.
उमंग ने दिया सधा हुआ बयान
अब हर किसी को उमंग की प्रतिक्रिया का इंतजार था, जिन्होंने भोपाल आ कर बेहद सधे ढंग से कहा कि सोनिया उन की अच्छी मित्र थी. उस के यूं आत्महत्या करने से मैं हैरान हूं. हम दोनों जल्द ही शादी करने वाले थे.
सोनिया के अंतिम संस्कार के वक्त वह उस की मां के गले से लिपट कर रोए तो बहुत कुछ स्पष्ट हो गया कि अब इस हाईप्रोफाइल मामले में कुछ खास नहीं बचा है सिवाय कानूनी खानापूर्ति करने के. क्योंकि सोनिया के परिजन उमंग को उस की आत्महत्या का जिम्मेदार नहीं मान रहे थे.
इधर फुरती दिखाते हुए पुलिस ने उमंग के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने आईपीसी की धारा 306 के तहत मामला दर्ज कर लिया था, जिस का आधार सोनिया के सुसाइड नोट और नौकरों के बयानों को बनाया गया था.
आर्यन के बयान से मिला नेताजी को लाभ
अब आर्यन का बयान अहम हो चला था उस ने कहा, ‘‘मेरी मां की पिछली रात ही नानी से बात हुई थी. बातचीत के दौरान उन्होंने खुशीखुशी बात की थी. अगर वह मानसिक तनाव में होतीं तो नानी को जरूर बतातीं और न भी बतातीं तो बातचीत से उन की तकलीफ उजागर जरूर होती. अगले महीने उमंग सिंघार मां से शादी करने बाले थे. हमें पिछले साल दिसंबर में इन के संबंधों के बारे में पता चला था. उमंग सिंघार पर हमें कोई शक नहीं है ऐसा कोई सबूत भी नहीं है.’’
आर्यन का यह बयान उमंग की कई दुश्वारियां दूर करने वाला था, लिहाजा उन्होंने सरकार पर चढ़ाई करते कहा कि सरकार इस मामले पर राजनीति कर रही है. मैं पुलिस को अपना बयान दे चुका हूं.
सोनिया से मेरी बात 15 मई को हुई थी, तब तक वह ठीक थीं और उस ने खाना भी खाया था. मैं पुलिस को सहयोग कर रहा हूं. गिरफ्तारी से बचने के लिए वह आला पुलिस अफसरों से भी मिले और दूसरे राजनैतिक हथकंडे भी इस्तेमाल किए.
इसी दौरान सोनिया के भांजे दीपांशु ने भी यह उजागर किया कि उस की मौसी सोनिया डिप्रेशन की मरीज थीं और इस की गोलियां भी खा रहीं थीं. दीपांशु की इस बात से उमंग का कानूनी पक्ष तो मजबूत हुआ, लेकिन वह पूरी तरह बेगुनाह हैं यह नहीं कहा जा सकता.
मुमकिन है कि वह सोनिया से ऊब गए हों या फिर उस की उन्हीं बेजा हरकतों से आजिज आने लगे हों, जिन के चलते उस के दोनों पतियों ने उसे छोड़ दिया था. ऐसे में उन्हें अपनी प्रेमिका को सहारा देना चाहिए था, जो अगर चाहती तो उन्हें बदनाम भी कर सकती थी और सुसाइड नोट में सीधे भी उन्हें दोषी ठहरा सकती थी. लेकिन उस ने ऐसा कुछ किया नहीं.
हालांकि सोनिया जैसी औरतें बहुत मूडी और जिद्दी होती हैं क्योंकि वे अपनी शर्तों पर जीने में यकीन करती हैं. लेकिन आत्महत्या कर लेने का उन का फैसला कतई समझदारी या बुद्धिमानी का नहीं माना जा सकता. सफल और सुखी जिंदगी के लिए हर किसी को कई समझौते करने पड़ते हैं, यह बहुत ज्यादा हर्ज की बात भी नहीं.
अगर सोनिया थोड़ा सब्र रखती तो मनचाही जिंदगी जी भी सकती थी. लेकिन डिप्रेशन उसे ले डूबा, जिस की सजा अगर कोई भुगतेगा तो वह उस का लाडला आर्यन होगा, जिसे कभी पिता का सुख मिला ही नहीं.
फंस गए कमलनाथ
इस मामले पर राजनीति उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई, क्योंकि बात धीरेधीरे साफ हो गई थी. कुछ छोटे भाजपा नेताओं जैसे रंजना बघेल ने जरूर उमंग सिंघार और कांग्रेस को घेरने की कोशिश की, लेकिन भाजपा आलाकमान ने ज्यादा दिलचस्पी इस में नहीं दिखाई. कांग्रेसी इस पर एकजुट दिखे खासतौर से कमलनाथ खेमा.
इस की अपनी वजहें भी हैं. उमंग घोषित तौर पर कमलनाथ के साथ हैं और दिग्विजय सिंह के धुर विरोधी हैं. पिछले साल जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 विधायकों सहित भाजपा में चले गए थे, जिस से कांग्रेस सरकार गिर गई थी. तब उमंग के भी सिंधिया के साथ जाने की अफवाह उड़ी थी, क्योंकि दिग्विजय विरोधी होने के चलते वह सिंधिया के भी काफी नजदीक हैं.
लेकिन उन्होंने एक ईमानदार और वफादार कांग्रेसी होने का परिचय दिया. सोनिया का मामला ठंडा पड़ता जा रहा था कि तभी कमलनाथ ने बयान दे डाला कि उन के पास भी एक पेनड्राइव प्रदेश के चर्चित हनीट्रैप कांड की है.
दरअसल, अगस्त 2019 में इंदौर नगर निगम के एक इंजीनियर हरभजन सिंह को ब्लैकमेल करने के आरोप में पुलिस ने 5 महिलाओं को गिरफ्तार किया था. इंदौर क्राइम ब्रांच ने इन के पास से पेनड्राइव और हार्ड डिस्क भी बरामद की थी, जिन में प्रदेश के कई अधिकारीयों और बड़े नेताओं की रंगीनियां कैद हैं. लेकिन यह सब कथित रूप से है क्योंकि मामले पर लीपापोती हो रही है.
वे अधिकारी और बड़े भाजपा नेता कौन हैं, इस का अंदाजा ही आम लोग लगाया करते हैं क्योंकि सच अब सरकारी एजेंसियों के पास है. उमंग सिंघार को गिरफ्तारी से बचाने की गरज से कमलनाथ ने पेनड्राइव अपने पास होने का बयान दिया तो भाजपा नेताओं और इस मामले की जांच कर रही एसआईटी ने उन पर चढ़ाई कर दी. क्योंकि साक्ष्य छिपाना भी अपराध होता है. गौरतलब है कि हनीट्रैप कांड के समय कमलनाथ सूबे के मुख्यमंत्री थे.
इस नाते पेनड्राइव का उन के पास होना हैरानी की बात नहीं. 2 जून, 2021 को बुलावे के बाद भी वह एसआईटी के सामने नहीं आए और दिल्ली चले गए. फिर बाद में अपने बयान से यह कहते हुए मुकर गए कि यह कई पत्रकारों के पास है, इसलिए उन्होंने ऐसा कहा. अब आगे जो भी हो, लेकिन इस से उमंग सिंघार का राजनैतिक कद और महत्त्व तो उजागर होता ही है.