सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस गाने के बोल और शब्द दोनों ही 14 वर्षीय मासूम मंगलू राजकुमार पांडेय उर्फ राज के हैं, जो 10 जून, 2021 को अपने दोस्तों के साथ इंदिरानगर मैदान में क्रिकेट खेलने के लिए गया तो फिर वापस नहीं लौटा.

सुबह 11 बजे क्रिकेट खेलने गया राज जब शाम 5 बजे तक घर नहीं आया तो मां गीता देवी को उस की चिंता हुई. अकसर वह घर पर 3 बजे तक आ जाता था. अगर किसी दिन उसे देर हो जाती तो वह इस की जानकारी अपने घर वालों को फोन कर के दे देता था. लेकिन उस दिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.

कई बार फोन करने के बाद भी जब उन्हें राज के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो वह घबरा उठी. राज कहां है, क्या कर रहा है, उस का फोन स्विच्ड औफ क्यों है, इस बात की जानकारी उन्होंने अपने पति राजकुमार पांडेय को दी.

मगर राजकुमार पांडेय ने पत्नी की बातों को गंभीरता से न लेते हुए कहा, ‘‘इस में इतना परेशान होने की क्या बात है, अपने किसी दोस्त के यहां चला गया होगा. हो सकता है वहां फोन का नेटवर्क न हो.’’

पति की इन बातों से गीता देवी को थोड़ी राहत तो मिली लेकिन मन अशांत ही रहा. राजकुमार पांडेय ने पत्नी गीता देवी को तो धीरज दे दिया लेकिन अपने काम में उन का भी मन नहीं लग रहा था. उन्होंने अपने चचेरे भाई मनोज कुमार पांडेय को फोन पर सारी बातें बताई और वह घर जल्दी आ गए थे. फिर वह मनोज के साथ मिल कर राज की तलाश में लग गए थे.

अपने आसपास और जानपहचान वालों से पूछताछ करने के बाद जब उन्होंने राज के उन दोस्तों से संपर्क किया, जिन के साथ वह अकसर क्रिकेट खेलने जाया करता था तो उन की बेचैनी और बढ़ गई.

उस के साथ क्रिकेट खेलने वाले दोस्तों ने उन्हें बताया, ‘‘अंकल, राज हमारे साथ क्रिकेट खेलने आया तो जरूर था लेकिन वह 2 बजे मैदान से यह कह कर निकल गया था कि 15-20 मिनट में वापस आएगा. मैदान में एक मोटरसाइकिल आई थी. उस पर बैठे लड़के ने जब राज को पुकारा तो वह उस की ओर देख कर मुसकराया था और वह उस की मोटरसाइकिल पर बैठ कर निकल गया तो फिर वापस नहीं आया.’’

राज के दोस्तों की बातें सुन कर राजकुमार और काका मनोज पांडेय के चेहरे पर मायूसी छा गई थी. उन्होंने पूछा, ‘‘बेटा, आप लोग उस मोटरसाइकिल वाले को पहचानते हो?’’

‘‘नहीं अंकल, वह हेलमेट लगाए हुए था, जिस से हम उस का चेहरा नहीं देख पाए.’’ एक बच्चे ने कहा.

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अपने बेटे राज के किसी अपरिचित के साथ जाने की बात सुन कर राजकुमार और उन का परिवार बुरी तरह डर गया था. वह व्यक्ति जिस प्रकार से उन के बेटे को ले गया था, उस से उन की नीयत ठीक नहीं लग रही थी. उन्हें दाल में कुछ काला नजर आ रहा था.

इस बात की जानकारी जब मोहल्ले वालों को हुई तो सारा मोहल्ला उन के साथ आ गया था. सभी राजकुमार पांडेय और उन के परिवार के साथ राज की तलाश में जुट गए और उन्हें पुलिस के पास जाने की सलाह दी.

इस के पहले कि राज के पिता और चाचा मनोज कुमार पांडेय पुलिस में जा कर राज की गुमशुदगी दर्ज कराते, उन्होंने जो सोचा था वही हुआ. राज के गायब होने का रहस्य सामने आ गया था. राज का अपहरण हो गया था. इस बात की पुष्टि तब हुई, जब फिरौती का फोन आया. अपहर्त्ता ने राज की फिरौती के लिए जो शर्त रखी थी, वह सुन कर राज का सारा परिवार स्तब्ध रह गया.

शाम 7 बजे के करीब राज की मां गीता देवी के मोबाइल स्क्रीन पर जो नंबर उभरा था, उसे देख कर परिवार वालों की आंखों में चमक आ गई थी. वह नंबर उन के बेटे राज का था.

फोन रिसीव करने पर दूसरी तरफ से जो आवाज आई थी, उस से उन की आंखों की चमक वापस चली गई थी. आवाज सख्त और कर्कश थी,  ‘‘तुम्हारा लाडला मेरे पास है. उस की आवाज सुनना चाहोगी.’’

यह कहते हुए अपहर्त्ता ने जब उन्हें उन के बेटे की आवाज सुनाई तो उन का दिल दहल उठा.

राज बुरी तरह रो रहा था. वह कह रहा था, ‘‘मां मुझे बचा लो. भैया मुझे मार डालेंगे.’’

इस के बाद अपहर्त्ता ने उस से फोन ले लिया और कहा, ‘‘देखो, मेरी तुम लोगों से कोई दुश्मनी नहीं है. मेरा दुश्मन राज का चाचा मनोज पांडेय है. मुझे उस का कटा हुआ सिर चाहिए. उस का सिर काट कर मुझे दिखाओ और मेरे वाट्सऐप पर डालो तो मैं तुम्हारे बेटे को छोड़ दूंगा. इस के लिए मैं तुम्हें 12 घंटे का समय दे रहा हूं. इस के बाद मैं तुम्हारे बच्चे का क्या करूंगा, यह तुम सोच भी नहीं सकते.’’

यह कहते हुए अपहर्त्ता ने फोन कट कर दिया. फोन पर राज के घर वालों को जिस प्रकार की धमकी मिली थी, उस से राज की मां गीता देवी की तबीयत बिगड़ गई थी. वह रहरह कर बेहोश हो जा रही थी.

राज के पिता राजकुमार पांडेय बारबार अपहर्त्ता को फोन कर मिन्नतें कर रहे थे, ‘‘देखो, राज उन का बेटा नहीं है. उस बच्चे ने आप का क्या बिगाड़ा है. आप की जो भी दुश्मनी है, उस के चाचा मनोज से है, फिर उस की सजा उसे क्यों दे रहे हो. वह मासूम है, उसे छोड़ दो.’’

लेकिन राजकुमार पांडेय और परिवार वालों की बातों का उस पर कोई असर नहीं हुआ. अपनी बात पर कायम रहते हुए उस ने फोन काट दिया था.

अब तक रात के 9 बज चुके थे. कई बार अपहर्त्ता से फोन पर संपर्क करने के बाद राजकुमार पांडेय और उन का परिवार आवाज पहचान कर इतना तो जान चुका था कि उन के मासूम बच्चे का अपहर्त्ता कोई और नहीं बल्कि सूरज साहू है और वह राज के चाचा मनोज पांडेय का सिर क्यों मांग रहा है, यह भी जानते थे.

मामला नाजुक था, जो बिना पुलिस के नहीं सुलझ सकता था. अत: वे बिना कोई देरी किए अपने भाई मनोज पांडेय और इलाके के कुछ लोगों के साथ थाना एमआईडीसी चले गए.

वहां के थानाप्रभारी युवराज हांडे से मिल कर उन्हें सारी बातें बताई और बेटे के अपहरण के मामले में सूरज साहू के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करवा दी. उन्होंने थानाप्रभारी को सूरज साहू के बारे में सारी जानकारी दे दी. अपहर्त्ता सूरज साहू की विचित्र मांग पर थानाप्रभारी युवराज हांडे भी सकते में आ गए थे.

55 वर्षीय राजकुमार पांडेय महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर के आजाद नगर इलाके में परिवार के साथ रहते थे. परिवार में उन की पत्नी गीता देवी के अलावा उन का एक चचेरा भाई मनोज पांडेय भी रहता था. उन के 2 बच्चों में एक बेटी कंचन थी, जो करीब 16 साल की थी और एक बेटा मंगलू पांडेय उर्फ राज जो लगभग 14 साल के आसपास का था.

दोनों बच्चे होनहार और समझदार थे. राज पांडेय कौन्वेंट स्कूल में तो बेटी एक कालेज में पढ़ती थी. राजकुमार की पत्नी गीता देवी एक कुशल गृहिणी थीं, जो अपने बच्चों का हर तरह से खयाल रखती थी.

राजकुमार पांडेय एमआईडीसी परिसर की एक प्राइवेट फर्म में औपरेटर थे. राज उन का एकलौता बेटा था. उसे अपनी पढ़ाई के साथसाथ गाने और क्रिकेट खेलने का बड़ा शौक था. वह अपने स्कूल में तो गाने गाता ही था, पार्टियों में अपनी बहन के साथ भी गाता था.

उस की बहन के साथ उस के कई ऐसे मार्मिक गाने थे, जो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुए थे, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया और सराहा था.

हालांकि पिता राजकुमार पांडेय की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी फिर भी अपने लाडले को वह चोटी का गायक बनाना चाहते थे. वह अपनी दमदार अवाज के साथ जिस लयबद्ध तरीके से गाता था, उस से उस के जानने वाले भी कायल थे. लेकिन उन का यह सपना बस सपना ही रह गया था.

उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उस के गाने के शब्द उस के न रहने पर उन्हें और उन के परिवार को सारी उम्र रुलाएंगे.

राजकुमार पांडेय की शिकायत दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी युवराज हांडे ने उन्हें सांत्वना देने के बाद यह कह कर घर भेज दिया कि वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे और मामले की खबर अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी.

मामले का संज्ञान लेते हुए नागपुर पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार, अपर पुलिस कमिश्नर दिलीप झलके तत्काल एमआईडीसी पुलिस थाने आ गए थे. उन्होंने थानाप्रभारी युवराज हांडे के साथ मामले पर गंभीरता से विचार किया और जांच की रूपरेखा तैयार कर अपने अधिकारियों की 4 टीमें बना कर उन्हें जिम्मेदारियां सौंप दी.

वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में पुलिस जांच टीम अपनीअपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही थी. चूंकि मामले में सूरज साहू आरोपी था, अत: पूरी टीम का ध्यान उस पर  था. पहले पुलिस ने उस के घर पर छापा मारा लेकिन वह उन्हें वहां नहीं मिला.

इस के साथ उन्होंने सूरज साहू और राज के फोन नंबरों को सर्विलांस पर लगा दिया था, जिस में उन्हें कामयाबी मिली और उसे आधी रात को वर्धा रोड बोरखेड़ के परिसर से दबोच कर एमआईडीसी पुलिस थाने ले आए.

थाने में सरसरी तौर से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर वहां से 22 किलोमीटर दूर हुड़केश्वर बंजारी कालेज परिसर के एक सुनसान जगह से मासूम राज पांडेय का शव बरामद कर लिया. जरूरी काररवाई करने के बाद पुलिस ने उसे नागपुर मैडिकल कालेज भेज दिया था.

रात भर चली पुलिस की इस काररवाई से जहां इलाके के लोग खुश थे, वहीं अपहर्त्ता सूरज साहू के प्रति लोगों में रोष था. सुबह होते ही पुलिस थाने में इलाके के लोग इकट्ठा हो कर सूरज साहू को उन के हवाले करने की मांग करने लगे, ताकि वे अपनी तरह से उसे सजा दें. इस भीड़ में राज का परिवार सब से आगे था.

मामला बिगड़ता देख डीसीपी नूरुल हसन को सामने आना पड़ा. उन के समझाने पर लोगों की भीड़ इस बात पर शांत हो गई कि राज का मामला फास्टट्रैक कोर्ट में चले और जल्द से जल्द अपराधी को फांसी की सजा मिले.

पूछताछ में सूरज साहू ने पुलिस टीम को पहले बताया कि 7 साल पहले पांडेय परिवार के मनोज पांडेय ने उस की मां पर अत्याचार किया था, जिस का उस ने बदला लिया है. लेकिन उस के इस बयान पर पुलिस टीम संतुष्ट नहीं हुई. पुलिस ने जब मामले की जांच की तो कहानी कुछ और ही थी, जो इस प्रकार थी—

25 साल का सूरज रामभुज साहू एक आशिकमिजाज युवक था और अपनी मां के साथ सीआरआरपी स्थित रायसैनी कालेज के पास रहता था. परिवार में उस के अलावा 3 भाई और थे. परिवार शिक्षित था. तीनों भाई पोस्ट ग्रैजुएट और इंजीनियर थे. उन की शादी हो चुकी थी. वे अपने परिवार के साथ अलगअलग रह रहे थे.

सूरज साहू सब से छोटा और मां का लाडला था. इस नाते मां ने उसे अपने पास ही रखा था. तीनों भाई उसे भी अपने जैसा बनाना चाहते थे लेकिन वह बन नहीं सका. 12वीं कक्षा पास करने के बाद उस ने पालीटेक्निक में प्रवेश लिया पर साल भर बाद ही पढ़ाई छोड़ कर फैब्रिकेशन का काम करने लगा था.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि इसी बीच उस के दिल में एक लड़की को लेकर हलचल मच गई थी. वह उस का दीवाना हो गया था.

दरअसल, हुआ यह था कि सूरज साहू अपने काम से फ्री होने के बाद अकसर दोस्तों से मिलने आजाद नगर इलाके में आताजाता था. यहीं उस की नजर पांडेय परिवार के रिश्ते में आने वाली सुंदर खूबसूरत कुसुम पर पड़ गई थी और वह उस से एकतरफा प्यार करने लगा.

अपने प्यार का अहसास कराने के लिए सूरज साहू कई बार उस के रास्ते आया था. इस के पहले कि वह अपने मकसद में कामयाब होता, इस बात की खबर पांडेय परिवार को लग गई.

इस बात से नाराज राज पांडेय के चाचा मनोज पांडेय ने सूरज साहू को कुसुम से दूर रहने के लिए कहा. लेकिन सूरज पर मनोज की बातों का कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने उस की जम कर पिटाई कर दी गई और जल्द ही कुसुम की शादी करवा दी.

मामला लड़की का था इसलिए सूरज साहू के परिवार वालों ने उसे ही आड़े हाथों लिया. जिस से नाराज सूरज साहू ने पांडेय परिवार को सबक सिखाने का फैसला कर लिया था.

एक साल बीत जाने के बाद लगभग 5 महीने पहले से उस ने पांडेय परिवार के खिलाफ प्लानिंग शुरू कर दी और लगातार अपराध से जुड़ी घटनाओं की वीडियो, क्राइम वेब सीरीज देखनी शुरू कर दीं.

घटना के एक हफ्ते पहले उस ने एक मैडिकल स्टोर से एक सर्जिकल ब्लेड खरीद कर अपने पास रख लिया था और पांडेय परिवार को गहरा दर्द देने के लिए उन की सारी कमजोरियों का अध्ययन किया. इस के लिए उस ने उन के एकलौते बेटे राज को चुना था. इस घटना को अंजाम देने के लिए क्रिकेट प्रेमी राज को फोन कर 2 दिन पहले किसी बहाने से उसे 10 जून, 2021 को इंदिरा नगर क्रिकेट मैदान से अपनी बाइक पर बैठा कर ले गया.

वह बाइक को सुनसान इलाके में ले गया. सुनसान इलाका देख कर राज जब घबरा कर रोने लगा तो उस ने राज को मारापीटा. इस के बाद उस ने उस का फोन द्वारा संपर्क उस की मां से करवा कर उसे पत्थर से मार कर बेहोश किया.

फिर सर्जिकल ब्लेड से उस के हाथ की नसें काट कर उस की निर्मम हत्या कर दी. इस के बाद उस ने राज के घर वालों से राज के चाचा मनोज पांडेय का सिर काटने को कहा. फोन कर के वह वहां से निकल गया था. लेकिन 4 घंटे पहले ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया था.

सूरज साहू से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश कर के नागपुर की सेंट्रल जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक मामले की आगे की जांच थानाप्रभारी युवराज हांडे कर रहे थे.

—कथा में कंचन और कुसुम परिवर्तित नाम है

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