21अप्रैल, 2021 को सुबह के यही कोई 6 बजे थे. तभी गांव सबरामपुरा के रहने वाले राकेश ओझा के घर से रोने की आवाज आने लगी. घर में एक महिला जोरजोर से रोते हुए कह रही थी, ‘‘अरे मेरे भाग फूट गए रे..मेरे पति ने फांसी लगा ली रे..कोई आओ रे. बचाओ रे..’’

रुदन सुन कर आसपड़ोस के लोग दौड़ कर राकेश ओझा के घर पहुंचे. तब तक मृतक की पत्नी मंजू ओझा ने कमरे में पंखे के हुक से साड़ी का फंदा बना कर झूलते मृत पति को फंदे से नीचे उतार लिया था.

राकेश ओझा की लाश के पास उस की पत्नी मंजू सुबकसुबक कर रो रही थी. मृतक का बड़ा भाई राजकुमार ओझा भी खबर सुन कर वहां पहुंच गया था. वह भी भाई की मौत पर आश्चर्यचकित रह गया.

राजकुमार ओझा ने यह सूचना थाना कालवाड़ में दे दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी गुरुदत्त सैनी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे.

घटनास्थल की जांच कर वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई गई. मृतक की पत्नी मंजू ओझा से भी पूछताछ की गई. मंजू ने बताया कि रात में राकेश ने किसी समय साड़ी का फंदा गले में डाल कर फांसी लगा ली. आज सुबह जब मैं उठ कर कमरे में आई तो इन्हें फांसी पर लटका देख कर नीचे उतारा कि शायद जिंदा हों. मगर यह तो चल बसे थे. इतना कह कर वह फिर रोने लगी.

पुलिस ने वहां मौजूद मृतक के भाइयों और अन्य परिजनों से भी पूछताछ की. पूछताछ के बाद पुलिस को मामला संदिग्ध लग रहा था. आसपास के लोगों ने थानाप्रभारी को बताया कि राकेश आत्महत्या नहीं कर सकता. उसी समय मंजू रोने का नाटक करते हुए पुलिस की बातों को गौर से सुन रही थी. पुलिस वाले जब चुप होते तो वह रोने लग जाती. पुलिस वाले आपस में बोलते तो मृतक की पत्नी चुप हो कर सुनने लगती.

थानाप्रभारी गुरुदत्त सैनी ने संदिग्ध घटना की खबर उच्चाधिकारियों को दे कर दिशानिर्देश मांगे. जयपुर (पश्चिम) डीसीपी प्रदीप मोहन शर्मा के निर्देश पर एडिशनल डीसीपी राम सिंह शेखावत, एसीपी (झोटवाड़ा) हरिशंकर शर्मा ने कालवाड़ थानाप्रभारी से राकेश ओझा की संदिग्ध मौत मामले की पूरी जानकारी ले कर उन्हें कुछ दिशानिर्देश दिए.

थानाप्रभारी गुरुदत्त सैनी ने घटनास्थल की काररवाई पूरी करने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया. मृतक राकेश का शव ले कर उस की पत्नी मंजू ओझा अपने देवर, जेठ वगैरह एवं तीनों बच्चों के साथ अपने पति के पुश्तैनी गांव रुआरिया, मुरैना लौट गई.

गांव रुआरिया में राकेश का अंतिम संस्कार कर दिया गया. राकेश ओझा बेहद जिंदादिल इंसान था. ऐसे में उस के इस तरह आत्महत्या करने की बात किसी के भी गले नहीं उतर रही थी. राकेश ओझा की मौत पुलिस को संदिग्ध लगी थी. पुलिस को जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली तो शक पुख्ता हो गया.

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पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृतक राकेश को गला घोंट कर मारा गया था. तब डीसीपी प्रदीप मोहन शर्मा ने एक टीम गठित कर निर्देश दिए कि जल्द से जल्द राकेश ओझा हत्याकांड का परदाफाश कर हत्यारोपियों को गिरफ्तार किया जाए. टीम में एसीपी हरिशंकर शर्मा, थानाप्रभारी गुरुदत्त सैनी आदि को शामिल किया गया. टीम का निर्देशन एडिशनल डीसीपी रामसिंह शेखावत के हाथों सौंपा गया.

पुलिस टीम ने साइबर सेल की मदद लेने के साथ मृतक के पड़ोस के लोगों से भी जानकारी ली. पुलिस टीम को जानकारी मिली कि मृतक की बीवी मंजू के पड़ोस में रहने वाले बीरेश उर्फ सोनी ओझा से अवैध संबंध थे. राकेश और बीरेश ओझा दोस्त थे और दोनों पीओपी का काम करते थे.

बीरेश अकसर राकेश की गैरमौजूदगी में उस के घर आयाजाया करता था. लोगों ने यहां तक कहा कि बीरेश जैसे ही राकेश की गैरमौजूदगी में उस के घर जाता, मंजू और बीरेश कमरे में बंद हो जाते थे.

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मंजू और बीरेश उर्फ सोनी ओझा के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स से पता चला कि जिस रात को राकेश की हत्या हुई थी, उस रात 10 बजे मंजू और बीरेश के बीच बात हुई थी. उस के बाद भी हर रोज दिन में कईकई बार बात होती रही. राकेश की हत्या से पहले भी मंजू और बीरेश के बीच दिन में कई बार बात होने का पता चला.

पुलिस को पुख्ता प्रमाण मिल गए थे कि राकेश की हत्या कर के उसे आत्महत्या दिखाने की साजिश रची गई थी. इस के बाद पुलिस ने बीरेश ओझा की गिरफ्तारी के प्रयास शुरू किए. मगर वह कहीं चला गया था. कुछ दिन बाद वह जैसे ही अपने घर आया, कांस्टेबल सुनील कुमार को इस की खबर मिल गई. तब पुलिस ने 27 अप्रैल, 2021 को उसे हिरासत में ले लिया.

बीरेश को थाना कालवाड़ ला कर पूछताछ की गई. पूछताछ में वह ज्यादा देर तक पुलिस के सवालों के आगे टिक नहीं पाया और अपनी प्रेमिका मंजू ओझा के कहने पर राकेश ओझा की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. इस के बाद पुलिस ने मृतक की पत्नी मंजू को भी गिरफ्तार कर लिया.

मंजू ओझा और बीरेश ओझा उर्फ सोनी से पूछताछ के बाद जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार से है—

राकेश ओझा मूलरूप से मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के गांव रुआरिया का रहने वाला था. वह काफी पहले गांव से जयपुर आ कर पीओपी का कामधंधा करने लगा था. राकेश की शादी मंजू से हुई थी. मंजू गोरे रंग की अच्छे नैननक्श की खूबसूरत युवती थी. शादी के कुछ महीने बाद राकेश पत्नी मंजू को भी अपने साथ जयपुर ले आया था.

राकेश तीजानगर इलाके के सबरामपुरा में किराए का घर ले कर बीवी के साथ रहता था. वक्त के साथ मंजू 3 बच्चों की मां बन गई. इन में एक बेटी और 2 बेटे हैं, जिन की उम्र 7 साल, 4 साल और 2 साल है.

राकेश पीओपी का अच्छा कारीगर था. इस कारण उस की मजदूरी भी अच्छी थी. वह महीने में 20-25 हजार रुपए आसानी से कमा लेता था. इस कारण उस के परिवार कागुजरबसर अच्छे से हो जाती थी. राकेश का छोटा भाई घनश्याम और बड़ा भाई राजकुमार भी जयपुर में काम करते थे. ये भी अपने परिवारों के साथ अलगअलग किराए पर रहते थे.

राकेश के पड़ोस में बीरेश उर्फ सोनी ओझा भी रहता था. बीरेश भी पीओपी का काम करता था. इसलिए दोनों दोस्त बन गए. बीरेश कुंवारा था और देखने में हैंडसम था. दोस्ती के नाते वह राकेश के घर आनेजाने लगा.

बीरेश की नजर राकेश की बीवी मंजू पर पड़ी तो वह उस के रूपयौवन पर मर मिटा. मंजू की उम्र उस समय 33 साल थी और वह उस समय 2 बच्चों की मां थी. इस के बावजूद उस की उम्र 20-22 से ज्यादा नहीं लगती थी.

मंजू का गोरा रंग व मादक बदन बीरेश की निगाहों में चढ़ा तो वह मंजू के इर्दगिर्द मंडराने लगा. बीरेश अकसर मौका पा कर राकेश की गैरमौजूदगी में उस के घर आता और मंजू की खूबसूरती की तारीफें करता. मंजू समझ गई कि आखिर बीरेश उस से क्या चाहता है.

राकेश ज्यादातर समय अपने काम पर बिताता और रात को घर लौटता तो खाना खा कर सो जाता. पत्नी की इच्छा पर वह ध्यान नहीं देता था. ऐसे में मंजू ने अपने से उम्र में 6 साल छोटे बीरेश से पहले नजदीकियां बढ़ाईं और फिर अपनी हसरतें पूरी कीं. इस के बाद यह सिलसिला चलता रहा.

बीरेश नई उम्र का जवान लड़का था. ऊपर से वह कुंवारा भी था. ऐसे में मंजू उसे पति से ज्यादा चाहने लगी.

काफी समय तक दोनों लुपछिप कर गुलछर्रे उड़ाते रहे. किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई. मगर जब अकसर राकेश की गैरमौजूदगी में बीरेश उस के घर आ कर दरवाजा बंद करने लगा तो आसपास के लोगों में कानाफूसी होने लगी. इसी दौरान मंजू तीसरे बच्चे की मां बन गई.

मंजू और बीरेश की बातें और आपस में व्यवहार देख कर राकेश को उन के संबंधों पर शक होने लगा था. ऐसे में राकेश को एक पड़ोसी ने इशारों में कह दिया कि बीरेश से दोस्ती खत्म करो. उस का घर आना बंद कराओ. यही तुम्हारे लिए ठीक रहेगा.

इस के बाद राकेश ने मंजू से सख्ती करनी शुरू कर दी तो मंजू बौखला गई. उस की आंखों में पति खटकने लगा.

मौका मिलने पर मंजू अपने प्रेमी बीरेश से मिली. दोनों काफी दिनों बाद मिले थे. मंजू ने बीरेश से कहा, ‘‘राकेश को हमारे संबंधों पर शक हो गया है. वह तुम से बात करने की मनाही करता है. लेकिन मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं पाऊंगी. राकेश हम दोनों को जीने नहीं देगा. ऐसा कुछ करो कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.’’

‘‘मंजू, मैं भी तुम्हारे बिना जी नहीं सकता. राकेश को रास्ते से हटा कर हम दोनों शादी कर लेंगे. इस के बाद हम अपने हिसाब से मौजमजे से जिंदगी जिएंगे.’’ बीरेश बोला.

‘‘मैं भी तुम से शादी करना चाहती हूं, मगर यह राकेश की मौत के बाद ही संभव है. हमें ऐसी योजना बनानी है कि राकेश की हत्या को आत्महत्या साबित करें. बाद में जब मामला ठंडा पड़ जाएगा तब हम शादी कर लेंगे.’’ मंजू ने कहा.

इस के बाद दोनों ने योजना बना ली. 20 अप्रैल, 2021 की रात मंजू ने तीनों बच्चों को खाना खिला कर कमरे में सुला दिया और उन के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया.

मंजू ने राकेश को खाने में नींद की गोलियां दे दी थीं, जिस से वह कुछ ही देर में गहरी नींद में चला गया. फिर रात 10 बजे मंजू ने बीरेश को फोन कर घर बुला लिया.

बीरेश और मंजू राकेश के कमरे में पहुंचे. बीरेश ने राकेश के गले में कपड़ा लपेट कर कस दिया. थोड़ा छटपटाने के बाद वह मौत की आगोश में चला गया.

राकेश मर गया. तब बीरेश और मंजू ने साड़ी राकेश के गले में लपेट कर उस के शव को पंखे के हुक से लटका दिया ताकि लोगों को लगे कि राकेश ने आत्महत्या की है.

इस के बाद बीरेश अपने घर चला गया और मंजू सो गई. अगली सुबह 6 बजे उठ कर मंजू ने योजनानुसार राकेश के कमरे में जा कर रोनाचिल्लाना शुरू कर दिया.

तब रोने की आवाज सुन कर आसपड़ोस के लोग और मृतक के भाई वगैरह घटनास्थल पर आए. तब तक मंजू ने राकेश का शव फंदे से उतार कर फर्श पर रख लिटा दिया था. इस के बाद पुलिस को सूचना दी गई और पुलिस ने काररवाई कर राकेश ओझा हत्याकांड का परदाफाश किया.

पुलिस ने राजकुमार ओझा की तरफ से मंजू ओझा और उस के प्रेमी बीरेश ओझा उर्फ सोनी के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

आरोपियों से मोबाइल और गला घोंटने का कपड़ा व साड़ी जिस का फंदा बनाया गया था, पुलिस ने बरामद कर ली. पूछताछ के बाद मंजू और बीरेश को 28 अप्रैल, 2021 को कोर्ट में  पेश कर न्यायिक हिराससत में भेज दिया गया.

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