नृत्य एक ऐसी कला है, जिस पर किसी का एकाधिकार नहीं है. नृत्य करने और सिखाने वालों में स्त्री और पुरुष दोनों होते हैं. किन्नरों में भी अच्छे नर्तकों और नर्तकियों की कमी नहीं है. लेकिन नृत्य सीखना अलग बात है और नृत्य की प्रस्तुति देना अलग बात. नृत्यकला अत्यधिक सुंदरता की मुरीद हो, ऐसा भी नहीं है. कहने का तात्पर्य यह है कि पुरुष भी नृत्य प्रवीण हो सकते हैं और स्त्री भी. यहां हम जिस नृत्य के पुजारी का जिक्र कर रहे हैं, वह पुरुष था नाम था हरीश कुमार सुथार.
हरीश कुमार भले ही पुरुष नर्तक था, लेकिन लोग उसे क्वीन कहते थे. खास बात यह कि हजारों नहीं लाखों दीवाने थे इस क्वीन के नृत्य के. राजस्थान के रेतीले धोरों वाले शहर जैसलमेर की शान माना जाता था क्वीन हरीश को.
जब वह राजस्थानी वेशभूषा में घाघराचोली पहन, पूरा शृंगार कर स्टेज या रेतीले धोरों पर नृत्य करता था तो लोग आंखें झपकाना भूल जाते थे. वह राजस्थान का ऐसा कलाकार था, जिस ने मरुभूति की लोक संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया.
हरीश का मेकअप किट किसी फिल्मी सितारे से कम नहीं था. उस के मेकअप किट में देसीविदेशी सौंदर्य प्रसाधन का सारा सामान रहता था. मेकअप कर तैयार होने में उसे घंटा भर लग जाता था. वजह यह कि अपना मेकअप वह खुद करता था. नाक में नथुनी, पैरों में पायल और हाथों में चूडि़यां पहन कर खनकाते हुए जब वह चुस्त चोली और गोटापत्ती से सजे घाघरे में नृत्य करता था, जो नौजवानों के दिल पर छुरियां सी चल जाती थीं.
क्वीन हरीश ने हाल ही रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी और अजय पीरामल के बेटे आनंद पीरामल की शादी में अपनी परफौरमेंस दे कर सुर्खियां बटोरी थीं. इसी दौरान हरीश ने अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन और उन की बेटी आराध्या को नृत्य के टिप्स दिए थे. यह वीडियो पूरे देश में वायरल हुआ था.
हरीश ने मशहूर फिल्म निर्माता प्रकाश झा की फिल्म ‘जय गंगाजल’ में आइटम सौंग ‘नजर तोरी राजा…’ पर नृत्य किया था. इस फिल्म के कितने ही दर्शकों को आज तक इस बात का अहसास नहीं होगा कि आइटम डांसर कोई लड़की नहीं, बल्कि एक लड़का हरीश सुथार था.
हरीश ने कई बंगाली और मराठी फिल्मों में भी काम किया था. वह 2010 में इंडियन फैशन वीक में रैंप वाक भी कर चुका था. क्वीन हरीश राजस्थानी लोकनृत्य घूमर, कालबेलिया, चंग, भवई, चरी सहित कई लोक कलाओं में पारंगत था.
हरीश ने अपनी कला के बल पर ही दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई थी. वह दुनिया के 60 से अधिक देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुका था. उस ने इन में सब से ज्यादा शो जापान और कोरिया में किए. अमेरिका, फ्रांस और इंग्लैंड में भी हरीश ने अपनी कला के जलवे दिखाए.
राजस्थानी लोकनृत्य के अलावा हरीश को बैले डांस के लिए भी दुनिया भर में जाना जाता रहा. उस ने कई बैले डांस चैंपियनशिप में हिस्सा लिया. राजस्थानी स्टाइल में बैले डांस परफौर्म करने के कारण उसे डेजर्ट क्वीन भी कहा जाता था. हरीश कलर्स चैनल के इंडियाज गौट टैलेंट का हिस्सा भी बना.
करीब 38 साल की उम्र के हरीश सुथार उर्फ क्वीन हरीश का इसी 2 जून को जोधपुर में कापरड़ा के पास हुए हादसे में निधन हो गया. वह जैसलमेर से एक टवेरा कार में अपने साथी कलाकारों के साथ जयपुर में प्रस्तावित कार्यक्रम में भाग लेने आ रहा था.
सुबह करीब 6 बजे उस की कार सड़क किनारे खड़े एक ट्रक से जा टकराई और चकनाचूर हो गई. इस हादसे में 3 अन्य लोक कलाकारों की भी मौके पर ही मौत हो गई. इन में जैसलमेर के रहने वाले लोक कलाकार लतीफ खां, रवींद्र उर्फ बंटी गोस्वामी और बाड़मेर के भीखे खां शामिल थे.
लोक कलाकार क्वीन हरीश के असामयिक निधन पर पूरे देश के कला जगत में शोक छा गया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष डा. सी.पी. जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित अनेक राजनेताओं और कलाकारों के अलावा उन के प्रशंसकों ने हरीश के निधन को अपूरणीय क्षति बताया.
हरीश के परिवार में पत्नी व 2 बेटों के अलावा एक बहन है. दुनिया भर में नाम कमाने वाले हरीश का जन्म जैसलमेर के एक छोटे से गांव में गरीब परिवार में हुआ था. उन के पिता का भी कम उम्र में ही निधन हो गया था. गरीबी के कारण हरीश ने अपनी स्कूली पढ़ाई भी पूरी नहीं की. बाद में उस ने जीवन यापन के लिए डाकघर में भी काम किया.
हरीश को बचपन से ही डांस का शौक था. जब भी मौका मिलता, वह राजस्थानी लोकगीतों पर डांस करने लगता. उसे लड़की बन कर डांस करना अच्छा लगता था. इस का कारण यह था कि राजस्थानी नृत्य मूलरूप से महिलाएं ही करती हैं. जबकि हरीश कुछ अलग हट कर करना चाहता था.
डाकघर की नौकरी करते हुए भी हरीश ने अपने डांस के शौक को नहीं छोड़ा. वह दिन में काम करता और रात को डांस की प्रैक्टिस. हरीश ने सब से पहले 1995 में जैसलमेर में अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन किया.
बाद में वह जैसलमेर आने वाले विदेशी सैलानियों के सामने महिला नर्तकी के रूप में अपनी कला का प्रदर्शन करने लगा. विदेशी मेहमानों के लिए क्वीन हरीश के नृत्य की महफिल जैसलमेर के रेतीले धोरों पर खुले आसमान तले चांद की दूधिया रोशनी में सजती थी.
बाद में हरीश की कला में जैसेजैसे निखार आया, उस के प्रशंसकों की संख्या बढ़ती गई. बाद में वह 1997 से राजस्थान के डांस ग्रुप्स के साथ मिल कर विदेशों में मेहमान कलाकार के रूप में अपनी कला दिखाने जाने लगा. यह सिलसिला उस की मौत से पहले तक चल रहा था.
जैसलमेर में हरीश ने अपनी डांस एकेडमी भी शुरू की. यहां वह विदेशी और भारतीय युवाओं को डांस की बारीकियां सिखाता था. उन के पास कई देशों के लड़केलड़कियां और सांस्कृतिक ग्रुप डांस के गुर सीखने के लिए जैसलमेर आते थे. हजारों विदेशी बालाएं हरीश के नृत्य की फैन थीं.
हर साल सैकड़ों विदेशी सैलानी खासतौर से हरीश से नृत्य का हुनर सीख कर जाते और अपने देश में परफौरमेंस देते. हरीश की पूरी दुनिया में 15 हजार से ज्यादा विदेशी युवतियां शिष्य हैं. उन्हें अपने गुरु की असामयिक मौत का यकीन ही नहीं हो रहा.
हरीश की सफलता का कारवां विदेशी डौक्युमेंटरी फिल्म ‘जिप्सी’ से शुरू हुआ था. यह फिल्म जैसलमेर के लोक संगीत से जुड़े लोगों पर बनी थी. इस के बाद हरीश पर्यटन से जुड़ गए और देश के विभिन्न शहरों और विदेशों में स्टेज शो के दौरान राजस्थान की मरुभूमि की लोक संस्कृति से दर्शकों का मन मोहा. हरीश भारत से ज्यादा विदेशों में विख्यात थे. उन्होंने बौलीवुड और लोक संगीत के फ्यूजन पर शानदार डांस किए.
उन्होंने पेरिस फुटबाल कप, बैली डांस रेग्स फैस्टिवल बेल्जियम, सेंट्रल पार्क समर स्टेज अमेरिका, हौलीवुड बाउल अमेरिका, दिवाली मेला न्यूजीलैंड, इंडिया शो जर्मनी में शानदार प्रस्तुतियां दे कर राजस्थन का नाम ऊंचा किया. वर्ल्ड रिकौर्ड और इंडिया की ओर से सन 2018 में उन्हें डांस जीनियस का अवार्ड दिया गया था.
कहानी सौजन्य: सत्यकथा, जुलाई 2019