साल 2020 समाप्त होने में गिनती के दिन बचे थे. नया साल शीत लहर की चौखट पर खड़ा था. ऐसे में खरगोन जिला मुख्यालय से कुछ दूरी पर स्थित भीकनगांव के टीआई जगदीश प्रसाद गोयल पुलिस टीम के साथ गांव में रहने वाली छायाबाई के पिता को ले कर मोहनखेड़ी पहुंचे. पुलिस को देख कर गांव वालों की भीड़ भी संतोष गोलकर के नए बने मकान के सामने जमा हो गई.

दरअसल 2 दिन पहले गांव में अपने पिता के घर पर रहने वाली 25 वर्षीय छायाबाई अचानक लापता हो गई थी. जिस दिन छायाबाई लापता हुई, उसी रोज संतोष भी गांव से गायब था. दोनों का पे्रम प्रंसग पूरे गांव के लोगों की जुबान पर था, इसलिए गांव वालों का मानना था कि संतोष ही छायाबाई को ले कर भाग गया.

लेकिन छायाबाई के पिता को शक था कि उस की बेटी को संतोष ने अपने नए मकान में छिपा रखा है. इसी बात की जांच करने के लिए पुलिस मोहनखेड़ी आई थी.

संतोष के मकान में ताला पड़ा था. गांव में रहने वाले उस के मातापिता भी गायब थे. इसलिए पुलिस ने ताला तोड़ कर पूरे घर की तलाशी ली, लेकिन वहां केवल छिपकली और मकडि़यों के अलावा कोई तीसरा जीव दिखाई  नहीं दिया. इसलिए पुलिस टीम वापस लौट आई.  गांव वाले तो पहले ही मान चुके थे कि छायाबाई संतोष के साथ कहीं भाग गई है. अब पुलिस ने भी ऐसा ही मान लिया, लेकिन ऐसा मानने वालों के बीच केवल छायाबाई का परिवार ही ऐसा था, जो इस बात को मानने को राजी नहीं हो रहा था.

इसलिए  उन के बारबार कहने पर संतोष के मकान में एक कमरे के फर्श की खुदाई भी कर के देखी गई, लेकिन कुछ हाथ नहीं आया. धीरेधीरे गांव के लोग छायाबाई और संतोष को भूलने लगे और अपने कामों में जुट गए थे.

लेकिन छायाबाई के पिता लगातार बेटी की खोज में लगे हुए थे. कोई महीने भर बाद संतोष के बंद पडे़ मकान से आने वाली अजीब सी बदबू से लोग परेशान होने लगे. पहले तो लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन बदबू लगातार बढ़ने से पड़ोसियों का ध्यान संतोष के बंद मकान पर गया.

इस बात की खबर छायाबाई के पिता को लगी तो वह दौड़ेदौड़े अपने समाज के नेता के पास पहुंचे और उन्हेें सारी बात बताई. वह नेता छायाबाई के पिता को खंडवा एसपी के पास ले गया और एसपी को सारी कहानी से अवगत कराया. संतोष छायाबाई के लापता होने के मामले में संदिग्ध तो था ही, इसलिए उस के मकान से आने वाली बदबू की जानकारी को खंडवा एसपी शैलेंद्र सिंह चौहान ने गंभीरता से लिया.

उन के निर्देश पर एएसपी (ग्रामीण) जितेंद्र पंवार ने एसडीपीओ प्रवीण कुमार उइके के नेतृत्व में एक पुलिस टीम प्रशासनिक अधिकारियों के साथ 27 जनवरी, 2021 को एक बार फिर मोहनखेड़ी भेजी.

संतोष गोलकर का मकान खोलते ही बदबू का तेज झोंका आने से पुलिस समझ गई की यह मांस सड़ने की बदबू है. इसलिए पूरे मकान की बारीकी से जांच की गई. जिस से पता चला कि तीसरे कमरे के फर्श में ताजा सीमेंट लगाया गया है.

इसलिए शक के आधार पर पुलिस ने उस जगह की खुदाई करवाई तो डेढ़ फुट नीचे एक कान की बाली और लगभग ढाई फुट नीचे एक लेडीज चप्पल मिली. जिन के बारे में बताया कि ये दोनों ही चीजें छायाबाई की हैं.

hindi-manohar-family-crime-story

खुदाई की गहराई बढ़ने के साथ बदबू भी बढ़ती जा रही थी. वास्तव में पुलिस का शक उस समय सही साबित हुआ, जब कोई 4 फुट की गहराई पर छायाबाई का सड़ागला शव बरामद हो गया.

इस के बाद जांच के लिए एफएसएल अधिकारी सुनील मकवाना भी पहुंच गए. जांच के बाद उन्होंने शव को लगभग एक महीने पुराना बताया. जिस के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. लेकिन शव की हालत अत्यधिक खराब होने की वजह से उस का पोस्टमार्टम इंदौर के एमवाई अस्पताल में किया गया.

जाहिर सी बात है कि अब तक पुलिस का मानना था कि संतोष छायाबाई को ले कर भाग गया है. लेकिन अब छायाबाई की लाश संतोष के मकान में दफन मिल चुकी थी. जबकि संतोष और उस का परिवार गायब था. इसलिए पुलिस का सीधा शक यही था की संतोष ने ही छायाबाई की हत्या की है.

चूंकि उस के परिवार के सभी सदस्य गायब थे, इसलिए वे भी शक के घेरे में थे. एसपी शैलेंद्र सिंह चौहान ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एक टीम गठित कर दी, जिस ने मुखबिरों से मिली सूचना के आधार पर 6 फरवरी, 2021 को संतोष की मां सकुबाई, भाई सुनील एवं बुआ के बेटे अनिल को गिरफ्तार कर लिया.

संतोष की तलाश पुलिस तत्परता से कर रही थी. जिस के चलते टीआई जगदीश प्रसाद गोयल की टीम में शामिल एसआई अंतिमवाला भूरिया, एएसआई लक्ष्मीनारायण पाल, प्रधान आरक्षक नंदकिशोर राय, आरक्षक अभिलाष डोंगरे, जितेंद्र, कांस्टेबल अंजली रिछारिया एवं कमलेश की टीम ने सूचना मिलने पर उसे बैतूल से गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद यह कहानी कुछ इस तरह सामने आई—

16 साल की उम्र में छायाबाई की शादी पास के ही गांव एकतासा में रहने वाले युवक  के साथ हुई थी. दोनों के 3 बच्चे भी हुए किंतु दोनों के बीच रिश्ता कुछ यूं बिगड़ा कि छायाबाई अपने पति का घर छोड़ कर मोहनखेड़ी में पिता के घर आ कर रहने लगी.

मोहनखेड़ी में ही संतोष भी रहता था. संतोष छायाबाई की उम्र का था और छायाबाई की शादी से पहले वह उस की गली में चक्कर लगाया करता था. संतोष की दीवानगी की जानकारी छायाबाई को भी थी, लेकिन उन का इश्क परवान चढ़ पाता, उस से पहले ही छायाबाई की शादी हो गई थी. इस के बाद यह कहानी वहीं खत्म हो गई थी.

कुछ दिन बाद संतोष की भी शादी हो गई. लेकिन करीब 3 साल पहले ही उस की पत्नी भी उसे छोड़ कर अपने मायके में जा कर रहने लगी. संतोष ने कुछ दिनों तक तो ध्यान नहीं दिया, लेकिन पत्नी की गैरमौजूदगी में शारीरिक जरूरतें परेशान करने लगीं तो उसे छायाबाई का ध्यान आया जो खुद भी अपने पति को छोड़ कर बैठी थी. इसलिए उस ने अगले दिन ही छायाबाई की खातिर उस की गली में चक्कर लगाने शुरू कर दिए.

छायाबाई भी कई साल से पति से अलग रह रही थी. जैसे ही उस ने संतोष को देखा तो उसे अपने किशोर उम्र की याद आ गई, जब संतोष उस के लिए गली में चक्कर लगाया करता था.

इसलिए एक दिन छायाबाई ने भी मौका देख कर उसे सकारात्मक संदेश दे दिया. जिस के 4 दिन बाद ही दोनों गांव के बाहर एकांत में मिले और अपनी हसरतें पूरी कर प्यार के बंधन में बंध गए.

छायाबाई मायके में रहते हुए अपने मातापिता के ऊपर बोझ नहीं बनना चाहती थी. इसलिए वह गांव के कुछ घरों में झाड़ूपोंछा करने लगी थी. वह सुबह घर से निकल कर पहले अपना काम करती थी फिर सीधे संतोष के पास पहुंच जाती थी, जहां दोनों एकदूसरे के तन की प्यास पूरी करते थे. फिर छायाबाई वापस घर चली जाती थी.

दोनों एकांत में रोज मिला करते थे, इसलिए इस बात की जानकारी गांव वालों को हो गई थी. छायाबाई के परिवार तक भी यह खबर पहुंच चुकी थी. पिता ने अपनी बेटी को समझाने की कोशिश की, लेकिन मामला हाथ से निकल चुका था.

इधर छायाबाई के साथ घर बसाने की ठान चुके संतोष ने अपना खेत बेच कर छायाबाई के लिए सपनों का घर बनवा दिया था. कुछ दिनों में संतोष का मकान बन कर तैयार हो गया तो वह छायाबाई को इस मकान में ला कर अय्याशी करने लगा.

बताया जाता है कि इसी दौरान छायाबाई की नजरें गांव के ही एक दूसरे युवक से लड़ गई थीं. वह संतोष की तुलना में रईस और जवान था. इसलिए छायाबाई संतोष से दूर जाने की कोशिश करने लगी.

इस बात की जानकारी लगने पर संतोष काफी खफा था. बताया जाता है कि उस ने छायाबाई की हत्या की योजना पहले से ही बना रखी थी. इसलिए उस ने पानी का एक अंडरग्राउंड टैंक बनाने के नाम पर एक कमरे में गहरा गड्ढा खुदवा लिया था. जिस के बाद उस ने 24 दिसंबर की रात को छायाबाई को अपने घर बुला कर पहले तो उस के साथ संबंध बनाए और फिर इसी दौरान मौका पा कर उस का गला दबा कर हत्या कर के शव को गड्ढे में डाल कर उस के ऊपर मिट्टी डाल दी और फरार हो गया.

उस ने सोचा था कि घर के अंदर लाश की खबर पुलिस को कभी नहीं मिल पाएगी. लेकिन एक महीने के बाद मकान से आ रही बदबू के बाद शक होने पर पुलिस ने लाश बरामद कर हत्या में सहयोग करने वाली संतोष की मां, भाई और अन्य 2 को गिरफ्तार कर लिया.

छायाबाई के लापता होने पर उस के पिता को उस की हत्या का शक हो गया था. इसलिए पिता के कहने पर पुलिस ने पहले भी एक बार संतोष के घर नए पर बने फर्श की खुदाई लाश की तलाश करने के लिए की थी. लेकिन उस समय कुछ नहीं मिला था. लेकिन बदबू आने पर जब दूसरे कमरे में खुदाई की गई तो वहां से छायाबाई का शव बरामद हुआ. गिरफ्तार किए मुख्य आरोपी संतोष के भाई ने बताया कि छायाबाई की हत्या कर लाश को गड्ढे में दबाने वाली बात संतोष ने सुबह घर आ कर बताई थी. इस के बाद वह घर से भाग गया था. संतोष के भाग जाने के बाद घर वालों ने पुलिस से बचने के लिए खुदाई वाली जगह पर फर्श बनवा दिया और घर का ताला लगा कर फरार हो गए.

पुलिस ने सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...