हारनपुर के थाना नागल क्षेत्र के गांव उमाही के रहने वाले हाजी आबिद उर्फ मुल्ला का अपने गांव के ही मोड़ के पास खेत है. चूंकि उन का खेत हाईवे के किनारे पर है, इसलिए उन्होंने सड़क के किनारे अपना ढाबा बना कर रूड़की के रहने वाले इरफान को किराए पर दे दिया था. ढाबे के ऊपर 2 कमरे भी बने हुए थे. वे दोनों कमरे उन्होंने बिजनौर निवासी एक ठेकेदार को किराए पर दे रखे थे.

इसी ढाबे के पीछे बने मकान में रह कर मोहम्मद अख्तर भी गेहूं की खरीदफरोख्त करते थे. वह भी आबिद के किराएदार थे. लेकिन 13 मई, 2019 को अख्तर के यहां ऐसी घटना घटी कि आम लोग ही नहीं, पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए.

दरअसल उस दिन तड़के 3 बजे पुलिस की वरदी पहने बदमाशों ने डकैती डाल कर लगभग 9 लाख रुपए लूट लिए और कार से फरार हो गए. अलसुबह वरदीधारी बदमाशों द्वारा डाली गई डकैती की खबर ने इलाके में सनसनी फैला दी थी.

जैसे ही यह सूचना पुलिस को दी गई तो मौके पर नागल थाना पुलिस सहित आसपास के थानों की पुलिस भी वहां पहुंच गई. तब तक मौके पर सैकड़ों की संख्या में आसपास के कई गांवों के लोग जुट गए थे.

घटनास्थल पर पहुंची नागल पुलिस ने जांचपड़ताल की तो आढ़त पर काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि बदमाश पुलिस की वरदी में आए थे और उन के पास हथियार भी थे.

पुलिस ने ढाबा मालिक इरफान से पूछताछ की तो उस ने बताया कि तड़के करीब 3 बजे एक कार में सवार हो कर 6 लोग उस के ढाबे पर आए थे. इन में से 2 लोग पुलिस की वरदी में थे, जो पिस्टल भी लगाए हुए थे. उन सभी ने ढाबे पर चाय पी. इस के बाद उन्होंने बाग में रह रहे ठेकेदार शराफत और गेहूं कारोबारी अख्तर के यहां धावा बोल दिया.

बदमाशों ने हथियारों के बल पर उन से लगभग 9 लाख रुपए लूट लिए. फिर जिस कार से आए थे, उसी में सवार हो कर असलहा लहराते हुए फरार हो गए. उन के जाने के बाद आढ़त के मजदूरों ने शोर मचाया तो आसपास के लोग इकट्ठा हुए लेकिन तब तक लुटेरे नजरों से ओझल हो चुके थे.

सूचना मिलने पर एसएसपी दिनेश कुमार सहित अन्य पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए. तब तक सुबह की लालिमा जमीन पर उतरने लगी थी. घटना को ले कर सभी हैरान थे. पुलिस वरदी में आए बदमाशों को ले कर तरहतरह की चर्चाएं हो रही थीं.

घटना के समय हाजी आबिद उर्फ मुल्लाजी के ढाबे के पीछे खेत में बने मकान में ठेकेदार और उस के मजदूर सोए हुए थे, जिन के साथ बदमाशों ने मारपीट भी की थी. ढाबे के पीछे आम के बाग में आबिद के बेटे जाकिर का भी मकान था. उस ने भी अपना मकान बिजनौर निवासी शराफत को किराए पर दिया हुआ था. शराफत के साथ 22 लोग रह रहे थे. दोनों ठेकेदार क्षेत्र के किसानों से गेहूं खरीद कर मंडी में बेचने का काम करते थे.

पुलिस ने इस मामले में सब से पहले मोहम्मद अख्तर की तहरीर के आधार पर भादंवि की धारा 395 के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

एसएसपी सहारनपुर दिनेश कुमार द्वारा इस लूट की घटना के खुलासे के लिए एसपी (देहात) विद्यासागर मिश्र के नेतृत्व में एक टीम बनाई, जिस में सीओ (देवबंद) अजय शर्मा, थानाप्रभारी नागल सहित कई तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया.

अभियुक्तों की गिरफ्तारी एवं बरामदगी के लिए थाना नागल पुलिस को निर्देशित करने के साथसाथ उन्होंने क्राइम ब्रांच की टीम को भी लगा दिया. अखबारों में भी इस मामले के सुर्खियों में बने रहने के कारण पुलिस की किरकिरी हो रही थी.

एसएसपी के निर्देश पर पुलिस की अलगअलग टीमें जांच में लगी हुई थीं. घटना के बाद से ही एसपी (देहात) विद्यासागर मिश्र के दिलोदिमाग में न जाने क्यों रहरह कर एक सवाल कौंध रहा था.

सवाल यह था कि बदमाश पुलिस की वरदी में आए थे और वारदात को अंजाम देने के बाद जिस कार से आए, उसी कार से गए भी थे. इस का मतलब वह हाईवे से ही गए होंगे यानी उन की कोई न कोई पहचान हाईवे के टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी कैमरों में जरूर कैद हुई होगी.

ऐसे में उन्होंने बिना कोई देर किए जांच की शुरुआत यहीं से शुरू की. वह अपनी पूरी टीम के साथ देवबंद-मुजफ्फरनगर बौर्डर पर स्थित टोल प्लाजा पहुंच गए, जहां उन्होंने सुबह 3 बजे भोर से ले कर पौ फटने तक आनेजाने वाले वाहनों की फोटो खंगालनी शुरू कर दीं.

एक फुटेज में कार सवार पुलिसकर्मी दिखाई दे गए. यह जानकारी मिलते ही उन्होंने देवबंद-रोहाना टोल प्लाजा से आगरा तक रोड पर लगे सीसीटीवी कैमरों को एकएक कर खंगाला. पुलिस टीम ने एकएक कड़ी को जोड़ना प्रारंभ किया. साथ ही सर्विलांस की मदद से सबूत जुटाए तो डकैती की पूरी वारदात का खुलासा होने लगा.

पुलिस टीम ने सारी जानकारी एकत्र करने के बाद लूट की घटना के 18 घंटे के अंदर ही घटना में शामिल बशीर खान निवासी शहीदनगर, थाना सदर बाजार, जिला आगरा, सुभाष शर्मा निवासी गौधला, थाना जगदीशपुर जिला आगरा, ललित कुमार त्यागी निवासी करौंदा चौधर, थाना कोतवाली देहात जिला बिजनौर को राजा की मंडी रेलवे स्टेशन, आगरा से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने इन के पास से लूट के 4,94,500 रुपए भी बरामद कर लिए.

तीनों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने डकैती की पूरी वारदात का खुलासा कर दिया. चौंकाने वाला तथ्य यह था कि इस वारदात का मास्टरमाइंड पकड़ा गया ललित कुमार त्यागी था, जो जीआरपी आगरा का इंसपेक्टर था. जीआरपी इंसपेक्टर ललित त्यागी वरदी का रौब दिखा कर लोगों को धमकाया करता था. यहां तक कि वह जीआरपी थाने में आने वाले फरियादियों को भी धमकाता था.

ललित कई सालों तक आगरा फोर्ट जीआरपी का भी प्रभारी रहा था. उस दौरान उस पर कई बार थाने में आने वाली महिला फरियादियों से दुर्व्यवहार से ले कर निर्दोष लोगों को जेल भेजने, ट्रेनों में यात्रियों से जहरखुरानी और लूटपाट करने वाले गिरोहों से संबंध रखने के भी आरोप लगते रहे थे. साथियों के साथ औन ड्यूटी रहते हुए उस पर वरदी की गरिमा को तारतार करने के आरोप भी लगते रहे थे.

लूट की घटना को अंजाम देने वाले ललित त्यागी के शौक भी निराले थे, उस के ठाठबाट देखते ही बनते थे. लग्जरी लाइफस्टाइल में जीवन जीने के आदी ललित को महंगे ब्रांडेड मोबाइल, घडि़यां, चश्मे आदि खरीदने का शौक था. उस की कार्यशैली सदैव सवालों के घेरे में रही थी.

पुलिस टीम को पहला क्लू पीडि़त व्यापारी अख्तर से ही मिला था. अख्तर ने लूट करने वालों में से एक युवक की पहचान बशीर के रूप में करते हुए उसे पहचानने की बात बताई थी. लूट की वारदात में शामिल बशीर को अख्तर पहले से ही जानता था, जो आगरा में रहता था. पुलिस के लिए इतनी जानकारी काफी अहम होने के साथ उन्हें आगे बढ़ने में मददगार साबित हुई.

इसी के साथ पुलिस ने देवबंद और मुजफ्फरनगर सीमा पर स्थित टोल प्लाजा के सीसीटीवी कैमरे को खंगालने के साथ सहारनपुर से ले कर मेरठ आगरा तक के कुल 7 टोल प्लाजा की फुटेज खंगाल डाली थी.

वरदीधारी लुटेरों के पीछे लगी पुलिस टीम को सभी लुटेरों की लोकेशन मंडी रेलवे स्टेशन आगरा के पास मिली थी, जहां पर पुलिस ने दबिश दी तो इंसपेक्टर ललित त्यागी, बशीर व सुभाष मिल गए. जबकि जीआरपी का सिपाही रिंकू, शायर बेग व कार चालक छोटू फरार हो थे.

पुलिस टीम ने जब आरोपी इंसपेक्टर ललित त्यागी को हिरासत में लिया तो वह तन कर खड़ा हो गया. उस ने रौब गांठते हुए कहा, ‘‘आप को पता नहीं है कि मैं कौन हूं? एक पुलिस अधिकारी को हाथ लगाने से पहले आप को सोचना होगा कि आप किस पर हाथ डाल रहे हैं?’’

उस की बात पूरी हो भी नहीं पाई थी कि थानाप्रभारी नागल सत्येंद्र कुमार राय तपाक से बोले, ‘‘पता है, तभी तो यहां आए हैं. कौन हो तुम? वरदी की आड़ में छिपे लुटेरे.’’

इतना सुनते ही इंसपेक्टर ललित त्यागी थोड़ा घबराया. उस के माथे पर उभरी परेशानी की लकीरें साफ बता रही थीं कि वह अंदर से घबराया हुआ है. फिर भी वह अपने आप को संभालते हुए बोला, ‘‘शायद आप को कोई गलतफहमी हुई होगी, मैं आगरा जीआरपी का इंसपेक्टर हूं.’’

उस का इतना बोलना था कि पुलिस टीम ने बिना कोई देर किए उसे और उस के साथी बशीर व सुभाष को अपनी गाड़ी में बैठा लिया. इस दौरान वह जांच टीम को अपनी पहुंच का हवाला देते हुए अंजाम भुगतने की भी धमकी देता रहा, लेकिन पुलिस टीम के आगे उस की एक नहीं चली.

इसे महज इत्तफाक कहा जाए कि इस लूट कांड का सब से रोचक पहलू यह रहा था कि लूट का शिकार हुआ गेहूं का आढ़ती मोहम्मद अख्तर और लूट की घटना को अंजाम देने वाला जीआरपी का इंसपेक्टर ललित त्यागी दोनों ही उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के रहने वाले हैं.

अख्तर बिजनौर के मोहल्ला मंडावली सैदू का रहने वाला है तो अभियुक्त ललित त्यागी बिजनौर के देहात कोतवाली क्षेत्र के करौंदा गांव का है. वह सन 2006 में उत्तर प्रदेश पुलिस में एसआई के पद पर भरती हुआ था.

इस के अलावा पीडि़त अख्तर ने लूट में शामिल रहे जिस बशीर की पहचान की थी, वह भी मूलरूप से बिजनौर का ही रहने वाला था, जो पिछले कई सालों से आगरा में आ कर रहने लगा था. यह भी इत्तफाक ही रहा कि लुटेरे इंसपेक्टर ललित को पता नहीं था कि वह जहां लूट की वारदात को अंजाम दे रहा है, वह उसी के जिले का रहने वाला है.

मजे की बात यह कि बशीर पुलिस का मुखबिर था, जिस ने जीआरपी इंसपेक्टर ललित को लाखों रुपए मिलने की बात कही थी. इतना ही नहीं, बशीर ने उस की मदद के लिए अन्य लोगों को शामिल कर लिया था. लाखों मिलने के लालच में ललित और उस के सिपाही भी मुखबिर बशीर के इस प्लान में शामिल हो गए थे.

पुलिस की मानें तो सभी अभियुक्तों का प्लान था कि कारोबारी को आगरा ले जा कर वहां से वसूली कर के छोड़ देंगे, लेकिन आसपास के लोगों को आता देख वहां से लूटपाट कर के जल्दी से सभी भाग निकले थे.

छानबीन के दौरान पता चला कि बशीर भी अख्तर का बगलगीर रहा है. चूंकि बशीर पुलिस का मुखबिर था, इसलिए वह लाइजनिंग में भी माहिर था. अख्तर बड़े पैमाने पर गेहूं की खरीदफरोख्त का कारोबार करता था. उस के पास 15-20 मजदूर भी काम पर लगे रहते थे. अख्तर को भी पुलिस और अन्य सरकारी महकमों को साधने के लिए लाइजनर की जरूरत होती थी. उन के लिए यह काम बशीर ही किया करता था.

हालांकि बशीर कुछ सालों से आगरा के शहीदनगर में रह रहा था, लेकिन मूलरूप से वह बिजनौर का ही रहने वाला था. इसलिए अख्तर उस पर काफी भरोसा किया करता था.

लाइजनिंग के एवज में अख्तर बशीर को हर महीने 10 हजार रुपए देता था. लेकिन इधर पिछले 2 महीनों से उस ने उसे कुछ भी नहीं दिया था.

ऐसे में बशीर अख्तर से खार खाए हुए था. अख्तर को सबक सिखाने के लिए उस ने तानाबाना बुनना शुरू कर दिया. पुलिस के मुखबिर बशीर की आगरा में जीआरपी इंसपेक्टर ललित त्यागी से भी खूब छनती थी. वह इसलिए कि वह उन्हें कमवाने के साथ जीआरपी के लिए मुखबिरी भी किया करता था. दूसरे वह यह भी जानता था कि इंसपेक्टर ललित कितना लोभी है.

वह पैसे के लिए कुछ भी कर सकता था. बस इसी प्लान के मुताबिक बशीर ने इंसपेक्टर ललित और सिपाही को लाखों रुपए मिलने का लालच देते हुए राजी कर लिया. इंसपेक्टर सहित सिपाही ने सोचा कि ड्यूटी पर हैं तो कानूनी पचडे़ में भी नहीं फंसेंगे और गेहूं का कारोबारी है तो कहीं न कहीं उस के कारोबार में झोल तो मिल ही जाएगा. इस कारण ज्यादा होहल्ला भी नहीं मचेगा.

सिपाही सुभाष भी बशीर का बगलगीर था. सो उसे भी इस में शामिल कर लिया गया था. वारदात को अंजाम देने के लिए बगैर नंबर की कार ली गई. इस से एक फायदा यह था कि पुलिस को देख रास्ते में कोई रोकेगा नहीं दूसरे गाड़ी का नंबर कहीं भी ट्रेस हो नहीं पाएगा.

लूटकांड के मुख्य आरोपी ललित त्यागी सहित 3 अन्य की गिरफ्तारी के बाद सहारनपुर के एसएसपी दिनेश कुमार ने बताया कि इस मामले में जीआरपी आगरा के सिपाही रिंकू और शायर बेग तथा कार चालक छोटू अभी फरार हैं, जिन की सरगरमी से तलाश की जा रही है. उन्होंने बताया कि आरोपी कार में सवार हो कर आगरा से चले और यहां सोमवार को तड़के वारदात को अंजाम दे कर वापस आगरा पहुंच गए.

एसएसपी के मुताबिक सहारनपुर में इन के द्वारा की गई यह पहली वारदात है. जांचपड़ताल में सामने आया है कि आगरा जीआरपी में इन्होंने खुद को औन ड्यूटी दिखाया था, जिन की बाकायदा पुलिस जीडी में उपस्थिति भी दर्ज थी. इस संबंध में एसपी (जीआरपी) आगरा से बात कर सभी के खिलाफ विभागीय काररवाई भी शुरू करा दी गई.

फरार सिपाही रिंकू और शायर बेग की ड्यूटी कहांकहां रही है, इस का भी पता लगाया जा रहा है. पुलिस की छानबीन में तथा अभियुक्तों से पूछताछ करने पर यह भी पता चला कि वारदात को अंजाम देने के लिए जिस कार का प्रयोग किया गया था, वह किराए पर ली गई थी.

इंसपेक्टर जीआरपी आगरा ललित कुमार त्यागी और उस के 2 साथियों से आवश्यक पूछताछ के बाद उन्हें देवबंद जेल भेज दिया गया.

वारदात का खुलासा हो जाने के बाद पुलिस प्रमुख ने खुलासा करने वाली टीम के सत्येंद्र कुमार राय थानाप्रभारी नागल, एसआई सुधीर उज्ज्वल प्रभारी स्वाट टीम, एसआई मुबारक हसन प्रभारी सर्विलांस सेल, हैडकांस्टेबल संजीव स्वाट टीम, विनीत हुड्डा, विपिन, मनोज चौहान, विनीत पंवार सर्विलांस सेल की पीठ थपथपाते हुए उन्हें पुरस्कृत करने की घोषणा की.

कहानी लिखे जाने तक फरार चल रहे अन्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी, जिन की धरपकड़ के लिए पुलिस टीम बराबर उन के संभावित ठिकानों पर छापेमारी की काररवाई में जुटी थी.

सौजन्य- सत्यकथा, जुलाई 2019

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