कानपुर शहर से 30 किलोमीटर दूर बेला-बिधूना मार्ग पर एक गांव है-कंजती. कंजती गांव कानपुर देहात जनपद के चौबेपुर थाना अंतर्गत आता है. इसी गांव में रहने वाले सुनील की बेटी सोनी शिवली में स्थित ताराचंद्र इंटर कालेज में पढ़ती थी. इस कालेज में लड़केलड़कियां साथ पढ़ते थे. सोनी के साथ उसी की कक्षा में शिववीर भी पढ़ता था.

शिववीर धनपत का बेटा था. वह सोनी के घर के पास ही रहता था. शिववीर पढ़ने में होशियार था. जब वह 8वीं कक्षा में पढ़ता था, तभी उस की दोस्ती सोनी से हो गई थी. गंभीर प्रवृत्ति का शिववीर सोनी को इतना अच्छा लगता था कि उस का दिल चाहता था कि हर घड़ी वह उसी के साथ रहे. शायद उस का यही लगाव जल्दी ही प्यार में बदल गया. शिववीर को भी सोनी अच्छी लगती थी. वैसे तो क्लास में और भी लड़कियां थीं, लेकिन शिववीर को सोनी सब से अलग दिखती थी.

जैसे ही दोनों को लगा कि वे एकदूसरे से प्यार करने लगे हैं, अन्य प्रेमियों की तरह उन्होंने भी साथ जीनेमरने की कसमें खा लीं. उसी बीच एक दिन सोनी के पिता ने उसे बुला कर कहा, ‘‘पता चला है कि तू किसी जाटव के लड़के के साथ घूमतीफिरती है. तुझे पता नहीं कि हम यादव हैं. यादव और जाटव का कोई जोड़ नहीं, इसलिए तू उस से दूर ही रह.’’

पिता की बातें सुन कर सोनी सन्न रह गई. जाति की बात तो उस ने सोची ही नहीं थी. बस, शिववीर उसे अच्छा लगता था, इसलिए वह उसे प्यार करने लगी थी. अब उस की समझ में आया कि प्यार भी जाति पूछ कर किया जाता है. वह सोच में पड़ गई कि अब क्या होगा.

अगले रोज शिववीर कालेज में मिला तो उस ने उसे पिता की चेतावनी के बारे में बताया. शिववीर ने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘प्यार करने वालों की राह आसान नहीं होती सोनी. हमें मजबूत बनना होगा. तभी हमें मंजिल मिलेगी.’’

सोनी को लगा कि शिववीर सब संभाल लेगा. लेकिन 8वीं पास करतेकरते सोनी और शिववीर के प्यार की चर्चा गांव वालों तक पहुंच गई थी. इस के बाद गांव वाले सुनील से कहने लगे कि वह अपनी बेटी पर नजर रखें, वरना वह नाक कटा कर रहेगी.

सुनील को लगा कि गांव वाले सच कह रहे हैं, इसलिए उस ने सोनी की पढ़ाई पर रोक लगा दी. जबकि शिववीर पढ़ता रहा. सुनील का सोचना था कि शिववीर से अलग हो कर सोनी उसे भूल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. दोनों लगातार मिलते रहे. जब इस बात की जानकारी सुनील को हुई तो उसे गहरा आघात लगा. उस ने बेटी को डांटा कि अगर उस ने उस जाटव के लड़के से मिलना नहीं छोड़ा, तो सख्त रुख अपनाना पड़ेगा.

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गांव में सुनील की बेटी की आशिकी चर्चा का विषय बनती जा रही थी. लेकिन सुनील को ही नहीं, पूरे गांव को चिंता थी कि अगर यादव की बेटी जाटव के साथ भाग गई, तो उन की बिरादरी पर कलंक लग जाएगा. सुनील पर गांव वालों का दबाव बढ़ने लगा कि वह अपनी बेटी को संभाले.

सोनी को जब पता चला कि उसे शिववीर से दूर करने की साजिश रची जा रही है तो वह घबरा गई. लेकिन उस के इरादे कमजोर नहीं पड़े. उस ने तय कर लिया कि कुछ भी हो, वह किसी भी कीमत पर शिववीर को नहीं छोड़ेगी.

इस के बाद वह बागी होती गई. एक दिन उस ने अपनी मां संतोषी से खुल कर कह दिया, ‘‘आखिर क्या कमी है शिववीर में? दिखने में भी अच्छा है. पढ़ाई में भी ठीक है. सब से बड़ी बात तो यह है कि वह मुझे प्यार करता है.’’

बेटी की बात सुन कर संतोषी सन्न रह गई. उसे लगता था कि अभी बेटी छोटी है. डांटनेफटकारने से रास्ते घर आ जाएगी. लेकिन बेटी तो बहुत आगे निकल चुकी थी. तब मां ने सोनी को डांटा, ‘‘एक जाटव के लड़के के साथ तेरी शादी कभी नहीं हो सकती. समाज में रहने के लिए उस के नियमों को मानना पड़ता है.’’

लेकिन सोनी ने तय कर लिया था कि वह किसी की नहीं मानेगी. वह वही करेगी जो उस का दिल चाहता है. दूसरी ओर शिववीर के पिता धनपत को पता नहीं था कि वह यादव की बेटी से प्यार करता है. लेकिन जब इस बात की जानकारी उन्हें हुई तो उन्होंने उसे समझाया कि वह जो कुछ कर रहा है, वह ठीक नहीं है.

आज भी समाज में ऊंचनीच की दीवार कायम है. अगर किसी ने उस दीवार को तोड़ने की कोशिश की है तो उस के साथ बुरा ही हुआ है.

धनपत बेटे के लिए परेशान रहने लगा था, उसे डर था कि यादव जाति के लोग उसे कोई नुकसान न पहुंचा दें. उसे शिववीर के सिर पर खतरा मंडराता नजर आया तो वह उस पर नजर रखने लगा. ऐसे में सोनी ने जब शिववीर से पूछा कि उस ने भविष्य के बारे में क्या सोचा है तो उस ने कहा, ‘‘हम समाज की बेडि़यों से बंधे हैं. अगर यह समाज हमें साथ जीने नहीं देगा तो हमें साथ मरने से तो नहीं रोक सकता.’’

‘‘मरने की बात कहां से आ गई शिववीर? मैं अभी जीना चाहती हूं, वह भी तुम्हारे साथ.’’ सोनी बोली.

शिववीर ने उसे समझाया कि जीना तो वह भी चाहता है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है. तब सोनी ने कहा, ‘‘चलो, हम घर छोड़ कर भाग चलते हैं.’’

तभी शिववीर ने कहा, ‘‘नहीं, ऐसा करने से दोनों के घर बरबाद हो जाएंगे. हम अपनी खुशियों के लिए अपने घर वालों की खुशियां नहीं छीन सकते. सोनी, हमारे सामने जो हालात हैं, उन्हें देख कर यही लगता है कि अब हमारे सामने एक ही रास्ता है कि हम मर कर सभी को दिखा दें कि हमारा प्यार सच्चा था. हमें मिलने से कोई नहीं रोक सका.’’

इधर सोनी पर घर वालों की बंदिशें इतनी बढ़ चुकी थीं कि वह परेशान रहने लगी थी. एक दिन उस ने शिववीर को फोन कर के बताया, ‘‘शिव, मुझे तो लगता है कि हम कभी नहीं मिल पाएंगे. क्योंकि घर वाले मेरी शादी की बात कर रहे हैं.’’

शिववीर ने सोचा कि अब उसे कोई निर्णय ले ही लेना चाहिए. समाज की पाबंदियों की वजह से जीवन के प्रति उस की उदासीनता बढ़ रही थी. उस के पास न तो ऐसे कोई साधन थे और न ही हिम्मत कि वह अपनी प्रेमिका को कहीं दूर ले जा कर अपना आशियाना बसा ले.

ऐसे में उस के सामने एक ही रास्ता था कि वह प्रेमिका के साथ मौत को गले लगा ले. ताकि इस जहान में न सही, उस जहान में तो मिल सके. वहां उन्हें रोकने के लिए न तो समाज होगा और न ही ऊंचनीच की कोई दीवार.

एक शाम गांव के बाहर रवि के बगीचे में दोनों का आमनासामना हुआ. बातचीत के दौरान सोनी ने पूछा, ‘‘शिववीर, क्या सोचा है तुम ने? क्योंकि अब मैं बंदिशों से परेशान हो गई हूं. घर वाले मुझ से काफी नाराज हैं.’’

‘‘सोनी, हम ने साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं. अब तक हमारी समझ में यह आ गया है कि हम साथसाथ जी नहीं सकते. लेकिन हम साथसाथ इस जालिम दुनिया को अलविदा तो कर ही सकते हैं.’’

‘‘शिववीर, मैं ने तुम्हें जीवन भर साथ निभाने का वचन दिया है, इसलिए पीछे नहीं हटूंगी. लेकिन मेरी इच्छा है कि मैं सुहागन हो कर मरूं. अगर हम ने इस जन्म में शादी नहीं की तो अगले जन्म में भी साथ नहीं रह सकेंगे.’’

शिववीर ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘तुम जैसा चाहती हो, वैसा ही होगा. मरने से पहले हम शादी कर लेंगे.’’

इधर परेशान सुनील ने अपनी बेटी सोनी की शादी बिल्हौर थाना क्षेत्र के धंसी निवादा रहने वाले मेवाराम यादव के बेटे अमर के साथ तय कर दी. 20 मार्च को तिलक और 30 मार्च, 2021 को शादी की तारीख भी तय हो गई. इस के बाद वह शादी की तैयारी में जुट गया.

सोनी को अपनी शादी की बाबत पता चला तो वह परेशान हो उठी. उस ने शादी तय होने और 30 मार्च को बारात आने की जानकारी शिववीर को दी तो वह भी परेशान हो उठा. उस ने सोनी को समझाया भी. लेकिन सोनी ने साफ कह दिया कि वह दुलहन तो बनेगी, लेकिन किसी और की नहीं, केवल अपने मन के मीत की.

सुनील बेटी की शादी धूमधाम से करना चाहता था. घर में खुशी का माहौल था. घर में नातेरिश्तेदारों का आना शुरू हो गया था. मंडप भी गड़ गया था और मंडप के नीचे मंगल गीत गाए जाने लगे थे. सोनी की काया को निखारने के लिए उस के शरीर पर उबटन लगाया जाने लगा था.

28 मार्च, 2021 को होली का त्यौहार था. रात 10 बजे होली जलाई गई. रात 12 बजे जब घर के लोग सो गए तो सोनी ने शिववीर को फोन किया और पूरी तैयारी के साथ उसे गांव के बाहर शीतला देवी के मंदिर पर मिलने को कहा.

उसी रात शिववीर घर से निकल कर शीतला देवी मंदिर पहुंच गया, जहां सोनी उस का इंतजार कर रही थी. रात में ही उन्होंने मां शीतला को साक्षी मान कर मंदिर में शादी कर ली. शिववीर ने सोनी की मांग भर कर उसे पत्नी बना लिया.

रात भर दोनों एकदूसरे की बांहों में समाए रहे. रात का अंधेरा और तारे उन की मोहब्बत के गवाह बने.

सुबह 4 बजे शिववीर ने कहा, ‘‘सोनी, अब हमें लंबे सफर पर चलना होगा.’’

इस के बाद सोनी और शिववीर कमल कटियार के खेत पहुंचे. खेत के किनारे नीम का पेड़ था. इस पेड़ पर दोनों चढ़ गए. सामान को उन्होंने 2 शाखाओं के बीच रखा, फिर रस्सी का फंदा गले में डाल कर दोनों झूल गए. कुछ देर में ही उन के प्राणपखेरू उड़ गए.

सुबह 7 बजे कंजती गांव का आशू कटियार दिशामैदान को गया तो उस ने नीम के पेड़ पर रस्सी के सहारे प्रेमी युगल को लटकते देखा. वह भाग कर गांव आया और गांव वालों को जानकारी दी. इस के बाद तो कंजती गांव में सनसनी फैल गई. कुछ ही देर में वहां भीड़ जुट गई.

सुनील की बेटी सोनी तथा धनपत का बेटा शिववीर भी अपनेअपने घर से नदारद थे. उन का माथा ठनका. सुनील अपनी पत्नी संतोषी के साथ घटनास्थल पहुंचा. वहां अपनी बेटी सोनी को फांसी के फंदे पर झूलता देख कर वह दहाड़ मार कर रो पड़ा. धनपत भी बेटे की मौत पर आंसू बहाने लगा.

इसी बीच गांव के प्रधान राजेश ने प्रेमी युगल द्वारा जीवनलीला समाप्त करने की सूचना थाना चौबेपुर पुलिस को दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी कृष्णमोहन राय पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया.

मृतका सोनी और मृतक शिववीर कंजती गांव के ही रहने वाले थे. सोनी करीब 21 वर्ष की थी, जबकि शिववीर 22 वर्ष का था. सोनी की मांग में सिंदूर था. देखने से ऐसा लग रहा था कि मरने के पहले दोनों ने शादी कर ली थी.

थानाप्रभारी कृष्णमोहन राय अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि यादव और जाटव बिरादरी के लोगों में कहासुनी होने लगी. तनाव बढ़ता देख श्री राय ने सूचना पुलिस अधिकारियों को दी. सूचना पा कर एसपी (देहात) केशव कुमार चौधरी तथा डीएसपी संदीप सिंह वहां आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा दोनों पक्षों के लोगों को समझा कर शांत किया. इस के बाद उन्होंने फंदे पर लटके दोनों शवों को नीचे उतरवाया. उन्होंने मृतकों के घर वालों से पूछताछ की.

मृतक शिववीर की जामातलाशी ली गई तो उस की जेब से मोबाइल फोन, पैन कार्ड, आधार कार्ड, डेबिट कार्ड तथा 597 रुपए मिले. इस के अलावा पेड़ की डाल पर चुनरी, गमछा, मोबाइल फोन, हाथ घड़ी, 2 जींस, पेड़ के नीचे लेडीज चप्पलें तथा पानी की बोतल मिली. पुलिस ने बरामद सामान को सुरक्षित किया तथा दोनों शवों को पोस्टमार्टम हाउस माती भिजवा दिया.

थाना चौबेपुर पुलिस ने प्रेमी युगल आत्महत्या प्रकरण को जीडी में दर्ज तो किया, लेकिन दोनों की मृत्यु होने से उन्होंने इस प्रकरण की फाइल बंद कर दी. बेटी के गलत कदम से सुनील का सिर झुक गया था. यादव समाज का तिरस्कार उसे भारी पड़ रहा था.

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