उन्नाव जिले के असोहा थाना अंतर्गत एक गांव है बबुरहा. करीब 300 की आबादी वाले इस गांव में ज्यादातर घर ब्राह्मणों और गोस्वामियों के हैं. कुछ परिवार दलितों के भी हैं. बबुरहा में दलित सूरज पाल, संतोष व सूरजबली अपने परिवार के साथ रहते हैं. इन में सूरज पाल व सूरजबली सगे भाई हैं, जबकि संतोष उन का भतीजा है.
सूरज पाल के परिवार में पत्नी विटोला के अलावा 4 बेटे सरयू, मनीष, सुमित, अमित तथा 2 बेटियां काजल व नैंसी थी. बड़ी बेटी काजल 15 साल की थी. हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद उस की पढ़ाई बंद हो गई थी. वह मां के साथ घर खेत में काम करने लगी थी.
सूरजबली के परिवार में पत्नी गंगाजली के अलावा 3 बेटे विशाल, कल्लू, मल्लू तथा एक बेटी रोशनी थी. 3 भाइयों के बीच वह इकलौती थी, इसलिए घर की दुलारी थी. उस ने 9वीं कक्षा पास करने के बाद स्कूल जाना बंद कर दिया था और घर के काम में हाथ बटाने लगी थी. 17 वर्षीय रोशनी का रंगरूप तो साधारण था, लेकिन दिखने में सुंदर थी.
संतोष के परिवार में पत्नी सुनीता के अलावा एक बेटा शिवांग तथा बेटी मोनिका थी. संतोष की पहली पत्नी का नाम सन्नो था. उस की 12 साल पहले मौत हो चुकी थी. सन्नो की एक बेटी कोमल थी. सुनीता कोमल की सौतेली मां थी. 14 वर्षीय कोमल 10वीं की छात्रा थी.
चूंकि रोशनी, कोमल तथा काजल हमउम्र और एक ही परिवार की थीं, सो उन में गहरी दोस्ती थी. तीनों का एकदूसरे के घर आनाजाना बना रहता था. दोस्ती के चलते वे हर बात एकदूसरे से शेयर करती थीं. साथ खातीपीती थीं तथा हंसतीबतियाती थीं. खेतों पर भी साथ ही जाती थीं और साथ ही लौटती थीं.
रोशनी, काजल और कोमल दिन में 2 बार पशुओं का चारा (वरसीम) काटने खेत पर जाती थीं. पहली पाली में वे सुबह 8 बजे जातीं और 11 बजे घर वापस आ जातीं. फिर नहातीधोती, खानाखाती और आराम करतीं. दूसरी पाली में वे शाम 3 बजे खेत पर जातीं और शाम 5 बजे तक पशुओं का चारा ले कर वापस घर आ जातीं. इस के बाद घरेलू काम करतीं.
हर रोज की तरह 17 फरवरी, 2021 को भी रोशनी, काजल व कोमल शाम 3 बजे पशुओें का चारा काटने बबुरहा नाला स्थित अपने खेतों पर गई थीं. उन्हें शाम 5 या साढ़े 5 बजे तक आ जाना चाहिए था, लेकिन जब शाम 6 बजे तक वापस घर नहीं आईं, तो घर वालों को चिंता हुई.
काजल के पिता सूरज पाल से नहीं रहा गया तो वह उन की तलाश में खेत की ओर निकल पड़ा. लड़कियों की खोज करते हुए जब वह भतीजे संतोष के सरसों के खेत पर पहुंचा, तो उस के मुंह से चीख निकल गई. रोशनी, कोमल व काजल एक के ऊपर एक पड़ी थीं. उन के मुंह से झाग निकल रहे थे और गले में दुपट्टे कसे हुए थे.
सूरज पाल बदहवास हालत में गांव की ओर भागा और परिवार तथा पड़ोसियों को सूचना दी. इस के बाद तो गांव में सनसनी फैल गई. घर व गांव के लोग घटनास्थल पर आ गए.
केवनी गांव के निवासी जिला पंचायत सदस्य उमाशंकर दीक्षित उर्फ पवन अपनी कार से असोहा जा रहे थे. उन्होंने बबुरहा नाला के पास खेत में भीड़ देखी तो कार सड़क किनारे खड़ी कर दी और खेत पर जा पहुंचे. वहां 3 लड़कियों को मरणासन्न स्थिति में देख कर उन का दिल पसीज गया.
इस के बाद तीनों अचेत किशोरियों को उन्होंने अपनी कार से सीएचसी असोहा पहुंचाया. जहां डा. विमल आर्या ने काजल और कोमल को तो मृत घोषित कर दिया, जबकि रोशनी जीवित थी. उस की सांसें चल रही थीं. डा. आर्या ने आशंका जताई कि किशोरियों की मौत जहर पीने से हुई है. काजल और
कोमल की मौत से असोहा के सरकारी अस्पताल में सनसनी फैल गई. घर वाले रोनेधोने लगे.
इसी बीच थाना असोहा पुलिस को 2 दलित किशोरियों की मौत की खबर लगी तो थानाप्रभारी ओम प्रकाश रजक पुलिस टीम के साथ सीएचसी असोहा पहुंच गए. उन्होंने घटना की जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी तथा नाजुक हालत में पड़ी रोशनी को जिला अस्पताल उन्नाव में भरती कराया.
सूचना पा कर एसपी आनंद कुलकर्णी, डीएम रवींद्र कुमार, एडीएम राकेश सिंह, सिटी मजिस्ट्रैट चंदन पटेल, डीएसपी गौरव त्रिपाठी तथा कोतवाल दिनेश चंद्र जिला अस्पताल आ गए और रोशनी के संबंध में जानकारी ली.
इमरजेंसी के डा. गौरव अग्रवाल ने पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को बताया कि रोशनी की हालत बेहद नाजुक है. उसे इलाज हेतु कानपुर रेफर करना होगा. इस पर पुलिस अधिकारियों ने रोशनी को कानपुर के सर्वोदय नगर स्थिति रीजेंसी अस्पताल में भरती करा दिया.
इधर 2 दलित किशोरियों की संदिग्ध मौत की खबर टीवी चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज के रूप में चलने लगी तो हड़कंप मच गया. एडीजी (लखनऊ जोन) एस.एन. सावंत तथा आईजी लक्ष्मी सिंह असोहा थाना पहुंच गईं. वहां एसपी आनंद कुलकर्णी, एएसपी विनोद कुमार पांडेय, कमिश्नर रंजन कुमार, एसडीएम राजेश चौरसिया तथा डीएम रवींद्र कुमार पहले से मौजूद थे.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने रोतेबिलखते मृतका के घर वालों को धैर्य बंधाया, फिर उन से घटना के संबंध में जानकारी हासिल की. इस के बाद मृतका काजल और कोमल के शवों को पोस्टमार्टम के लिए उन्नाव के जिला अस्पताल भिजवा दिया.
पुलिस अधिकारियों को डर था कि कहीं यह मामला हाथरस कांड की तरह तूल न पकड़ ले. अत: आईजी लक्ष्मी सिंह ने कड़ा रुख अपनाया और बबुरहा गांव को छावनी में तब्दील करा दिया. बबुरहा गांव को जाने वाला हर रास्ता सील कर दिया गया. सतर्कता के नाते पुलिस का कड़ा पहरा बैठा दिया गया.
लक्ष्मी सिंह ने यह भी आदेश दिया कि कोई भी व्यक्ति पीडि़त परिवार से न मिलने पाए. मीडियाकर्मियों को भी गांव में जाने तथा पीडि़त परिवार के सदस्यों से बातचीत करने को मना कर दिया गया.
प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने भी दलित किशोरियों की मौत की घटना को गंभीरता से लिया और इस मामले में डीजीपी हितेशचंद्र अवस्थी से पूरी रिपोर्ट मांगी.
उन्होंने घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया तथा मृतकों के घर वालों को 5-5 लाख रुपया मुआवजा देने का आदेश दिया. वहीं अस्पताल में भरती पीडि़त रोशनी के घर वालों को 2 लाख रुपया नकद देने को कहा गया. साथ ही उन्नाव के डीएम रवींद्र कुमार को सरकारी खर्चे पर उस का बेहतर से बेहतर इलाज कराने का आदेश दिया गया.
18 फरवरी, 2021 को 2 दलित किशोरियों की संदिग्ध मौत का मामला अखबारों की सुर्खियों में छपा तो राजनीतिक पार्टियां मुद्दा गरमाने में लग गईं.
आईजी लक्ष्मी सिंह इस मामले का खुलासा जल्द करना चाहती थीं, सो उन्होंने असोहा थाने में डेरा डाल दिया और उन्नाव कप्तान आनंद कुमार कुलकर्णी को जल्द खुलासे का आदेश दिया.
कुलकर्णी ने खुलासे हेतु एएसपी विनोद कुमार पांडेय के निर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम में असोहा थानाप्रभारी ओम प्रकाश रजक, उन्नाव कोतवाल दिनेश चंद्र, डीएसपी गौरव त्रिपाठी तथा एक दरजन तेजतर्रार पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया. डौग स्क्वायड तथा फोरैंसिक टीम को भी साथ लिया गया.
गठित टीम ने सब से पहले आपस में विचारविमर्श किया, जिस से तय हुआ कि किशोरियों की मौत के 3 कारण हो सकते हैं. पहला उन्होंने आत्महत्या के लिए जहर पिया. दूसरा हत्या के लिए उन्हें जहर दिया गया और तीसरा मामला औनर किलिंग का हो सकता है.
पुलिस टीम ने इन्हीं बिंदुओं पर जांच शुरू की. टीम ने सब से पहले घर के एकएक सदस्य से अलगअलग पूछताछ की, फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. रिपोर्ट के अनुसार कोमल और काजल की मौत जहर से हुई थी. उन के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं थे और न ही दुष्कर्म किया गया था.
रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद पुलिस टीम खोजी कुत्ता टीम व फोरैंसिक टीम के साथ घटना वाले खेत पर पहुंची. यहां पुलिस टीम ने बारीकी से निरीक्षण किया तथा घर वालों के अलावा कई अन्य लोगों के बयान दर्ज किए.
खोजी कुत्ता टीम ने घटनास्थल पर कुत्ता छोड़ा, तो वह सूंघ कर पाठकपुरा गांव की ओर भागा और गुलशन की परचून की दुकान पर जा कर रुका.
टीम ने उस से कड़ाई से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस की दुकान पर दरजनों लोग आते हैं, कब कौन क्या सामान ले गया, वह नहीं बता पाएगा. पूछताछ के बाद जब कुछ हासिल नहीं हुआ तो टीम वापस आ गई.
फोरैंसिक टीम ने जांच शुरू की तो घटनास्थल से 25 मीटर दूर एक खेत के बाहर कुरकुरे के 2 तथा नमकीन के 2 खाली रैपर मिले. पास में ही कीटनाशक का खाली रैपर भी मिला. करीब 10 मीटर आगे सोडा बोतल भी पड़ी थी. यहीं पर पान मसाले का खाली रैपर तथा अधजली सिगरेट पड़ी थी.
फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल से मिले सामान को सुरक्षित कर लिया. टीम ने बबुरहा गांव के परचून के दुकानदार साबिर से पूछताछ की तो उस ने बताया कि रोशनी जब खेत पर जा रही थी, तब उस ने कुरकुरे के 2 पैकेट खरीदे थे.
अब सवाल यह था कि रोशनी ने जब 2 पैकेट खरीदे थे, तो रैपर 4 कैसे मिले. इस का मतलब किशोरियों के अलावा कोई और भी था.
पर वह कौन था? फोरैंसिक और पुलिस टीम अभी माथापच्ची कर ही रही थी कि एक मुखबिर ने आ कर जानकारी दी कि उस ने 17 फरवरी की शाम 6 बजे के आसपास पाठकपुरा गांव के विनय उर्फ लंबू तथा उस के दोस्त सचिन को खेत से गांव की ओर भाग कर आते देखा था.
पुलिस के लिए यह जानकारी महत्त्वपूर्ण थी. चूंकि रैपर व अन्य सामान भी विनय के खेत से ही मिला था, अत: पुलिस का शक उस पर और भी गहरा गया. इस के बाद पुलिस टीम ने रात में पाठकपुरा गांव में छापा मार कर विनय उर्फ लंबू तथा सचिन को उन के घर से गिरफ्तार कर लिया. दोनों को थाना असोहा लाया गया.
थाने पर आईजी लक्ष्मी सिंह तथा एसपी आनंद कुलकर्णी ने डीएम रवींद्र कुमार की उपस्थिति में विनय व सचिन से घटना के संबंध में पूछताछ की. पूछताछ में विनय व सचिन ने जुर्म का कबूल कर लिया. उस के बाद आईजी लक्ष्मी सिंह ने प्रैसवार्ता की और आरोपियों को मीडिया के समक्ष पेश कर घटना का खुलासा किया.
चूंकि विनय उर्फ लंबू तथा सचिन ने जुर्म कबूल कर लिया था, अत: थानाप्रभारी ओमप्रकाश रजक ने मृतका काजल के पिता सूरज पाल की तहरीर पर भादंवि की धारा 302/201 के तहत विनय उर्फ लंबू तथा सचिन के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ में एक नाकाम आशिक के षडयंत्र की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.
बबुरहा गांव निवासी रोशनी, काजल और कोमल तथा पाठकपुरा गांव निवासी किशन पाल के बेटे विनय उर्फ लंबू के खेत अगलबगल थे. दोनों का अपनेअपने खेतों पर आनाजाना लगा रहता था. खेतों पर ही एक रोज 17 वर्षीय रोशनी की मुलाकात विनय से हुई. विनय मन ही मन रोशनी को चाहने लगा और उस से ब्याह रचाने की सोचने लगा.
एक रोज विनय ने बातों ही बातों में रोशनी से प्यार का इजहार किया तो उस ने उसे बुरी तरह झिड़क दिया. अपमानित होने के बावजूद विनय ने रोशनी से बातचीत बंद नहीं की. रोशनी पशुओं का चारा लेने कोमल व काजल के साथ खेत पर आती थी. रोशनी से बतियाने विनय भी उन के पास पहुंच जाता था.
वह अपने साथ कभी नमकीन तो कभी चिप्स लाता था. वह बतियाने के लालच में चिप्स व नमकीन रोशनी को देता था, जिसे वे तीनों मिलबांट कर खा लेती थीं.
रोशनी विनय से हंसतीबोलती जरूर थी, लेकिन विनय से प्यार नहीं करती थी. जबकि विनय उस का आशिक बन चुका था. एक दिन रोशनी ने विनय से पूछा, ‘‘तुम्हारे खेत से चारा काट लूं?’’
विनय मुसकरा कर बोला, ‘‘काट लो, तुम्हारे ससुर का ही खेत है.’’
‘‘ऐसी बात क्यों कर रहे हो? मेरे ससुर का खेत कैसे हुआ?’’ रोशनी ने तुनक कर पूछा.
‘‘मुझ से शादी के बाद मेरे पिता तुम्हारे ससुर ही तो होंगे.’’ विनय ने जवाब दिया.
रोशनी गुस्से से बोली, ‘‘तुम्हें शरम नहीं आ रही, क्या बोल रहे हो? तुम मेरी जाति के जरूर हो, लेकिन तुम ने सोच कैसे लिया कि मैं तुम से प्यार… शादी करूंगी. आगे से ऐसी बात की तो अच्छा नहीं होगा. समझे.’’
शादी से इनकार करने और अपमानित होने के बाद विनय ने निश्चय कर लिया कि अगर रोशनी उस की नहीं हुई तो किसी और की भी नहीं होगी. उस ने रोशनी की हत्या की योजना बना ली और दोस्त सचिन को भी शामिल कर लिया. इस के बाद वह उचित समय का इंतजार करने लगा.
17 फरवरी, 2021 की शाम 4 बजे विनय उर्फ लंबू अपने दोस्त सचिन के साथ अपने खेत पर पहुंचा. विनय के हाथ में पानी की बोतल थी तथा सचिन के हाथ में नमकीन के 2 पैकेट और पान मसाला की पुडि़या थी, जिसे विनय ने ही गुलशन की दुकान से मंगाया था.
खेत के किनारे बैठ कर विनय ने कीटनाशक दवा की पुडि़या जेब से निकाली और उसे फाड़ कर पानी की बोतल में अच्छी तरह से मिला दिया. फिर नमकीन का एक पैकेट खोल कर खाता हुआ संतोष के खेत पर पहुंचा, जहां रोशनी, कोमल व काजल वरसीम काट रही थीं.
विनय ने नमकीन का पैकेट रोशनी की तरफ बढ़ाया, लेकिन उस ने नहीं लिया और बोली वह कुछ देर पहले कुरकुरे खा चुकी है. लेकिन लालचवश काजल ने पैकेट ले लिया और आधा नमकीन कोमल को दे कर खाने लगी.
नमकीन कड़वा था सो काजल ने विनय से पानी की बोतल मांग ली, फिर बारीबारी से काजल और कोमल ने पानी पिया. कुछ पानी बचा जिसे रोशनी ने पी लिया.
पानी पीने के चंद मिनट बाद ही उन तीनों की आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा और वे अचेत हो कर गिर पड़ीं. उन के मुंह से झाग निकलने लगे. विनय तो केवल रोशनी को मारना चाहता था, लेकिन तीनों की बिगड़ी हालत देख कर वह घबरा गया. उस ने सचिन की मदद से एक के ऊपर दूसरी को लिटाया. फिर पान मसाला खाया और सिगरेट पी. उस के बाद दोनों गांव की ओर भाग गए.
इधर जब रोशनी, कोमल व काजल खेत से घर नहीं लौटीं तो सूरज पाल उन की खोज में गया. वहां वह बेहोश मिलीं. उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां कोमल व काजल को मृत घोषित कर दिया गया तथा रोशनी को रीजेंसी अस्पताल में भरती कराया गया. सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में ले कर जांच शुरू की और हत्या का परदाफाश किया.
20 फरवरी, 2021 को असोहा पुलिस ने अभियुक्त विनय उर्फ लंबू तथा सचिन को उन्नाव कोर्ट में सीजेएम की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
कथा संकलन तक उन की जमानत नहीं हुई थी. रीजेंसी अस्पताल में रोशनी का इलाज सरकारी खर्च पर चल रहा था. साथ ही सहायता राशि पीडि़त परिवारों को उन्नाव डीएम द्वारा दे दी गई थी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित