25 साल से ज्यादा का अरसा गुजर जाने के बाद भी बौलीवुड के खूबसूरत और प्रतिभाशाली अभिनेता राज किरण मेहतानी आज भी हिन्दी फिल्मों के दर्शकों के जेहन में जिंदा हैं तो इसकी वजहें भी हैं. वे वाकई एक ज़िंदादिल अभिनेता थे. जिसने सौ से भी ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया और रोल छोटा होते हुये भी अपनी दमदार एक्टिंग की छाप छोड़ी.
कर्ज से हुए थे फेमस.
साल 1980 में सुभाष घई द्वारा निर्देशित सुपर डुपर हिट कर्ज फिल्म में वे एक ऐसे ही छोटे रोल में थे लेकिन पूरी फिल्म के फ्रेम्स में दिखाई दिये थे. इस फिल्म में सिम्मी ग्रेवाल एक लालची पत्नी की भूमिका में थीं जो पति की जायदाद हड़पने के लिए उसकी हत्या कर देती है. बाद में राज किरण का पुनर्जन्म ऋषि कपूर के रूप में होता है और वह पूर्वजन्म में की गई अपनी हत्या का बदला पत्नी से लेता है. हालांकि कर्ज अंधविश्वास पर आधारित फिल्म थी फिर भी वह खूब चली थी क्योंकि उसमें वह सब कुछ था जो दर्शकों को चाहिए रहता है. फिल्म में ऋषि कपूर मोंटी नाम के सिंगर बने थे जो राज किरण का दूसरा जन्म था.
सेट पर हुई थी राज और ऋषि की दोस्ती.
इसी फिल्म से ऋषि और राज की दोस्ती परवान चढ़ी थी. कर्ज हिट हुई तो राज किरण को धडाधड़ फिल्में मिलने लगीं. इनमें घर हो तो ऐसा, बसेरा, बुलंदी और तेरी मेहरबानियां उल्लेखनीय हैं लेकिन यह उनकी बदकिस्मती ही कही जाएगी कि उन्हें अधिकतर रोल सहायक अभिनेता के ही मिले.
सी ग्रेड फिल्मों में भी किया काम.
राज किरण महत्वाकांक्षी थे लेकिन उन्होने एक पेशेवर अभिनेता की तरह अपनी हालत से समझौता कर लिया और अच्छी फिल्म और किरदार की चाह में सी ग्रेड तक की फिल्में करते रहे. फिर हर चौथी पांचवी फिल्म में राज किरण दिखने लगे पर अपने अभिनय की छाप छोड़ी
‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’…
उन्होने महेश भट्ट निर्देशित कला फिल्म अर्थ से जिसमें वे एक फ्रीलान्स सिंगर के रोल में थे जो पति कुलभूषण खरबन्दा की परित्यक्ता शबाना आजमी से प्यार करने लगता है. इस फिल्म में उन पर फिल्माई एक गजल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो…. क्या गम है जिसको छुपा रहे हो’, आज भी शिद्दत से सुनी और गुनगुनाई जाती है. 1995 तक राज किरण फिल्मों और शेखर सुमन के एक टीवी सीरियल रिपोर्टर में दिखे लेकिन फिर एकाएक ही रहस्यमय तरीके से न केवल फिल्मों से बल्कि भारत से ही गायब हो गए.
डिप्रेशन में थे राज.
1949 में मुंबई में जन्मे राज किरण दिखते रहते यानि फिल्मी ढंग से ही लापता न होते तो तय एक बेहतर चरित्र अभिनेता होते. उनके घर में पत्नी कथिजा नाचियार उर्फ रूपा और बेटी ऋषिका के अलावा दो भाई भी हैं. राज किरण की यूं गुमशुदगी के बारे में तरह तरह की अफवाहें फिल्म इंडस्ट्री में उड़ने लगीं. कइयों ने तो उन्हें मृत ही मान लिया. इसके पहले यह बात भी उजागर हुई थी कि राज किरण नामालूम वजहों के चलते गहरे अवसाद में आ गए हैं. जिनका इलाज मुंबई के भायखला स्थित मसीना अस्पताल में चला था लेकिन इसके बाद वे कहां गए इसकी जानकारी उनकी पत्नी और बेटी भी नहीं दे पाईं.
सस्पेंस पर सस्पेंस.
राज किरण को भारत में आखिरी दफा देखने का दावा महेश भट्ट ने ही किया था जो उनकी मिजाजपुर्सी के लिए मसीना अस्पताल गए थे और मीडिया को उनके डिप्रेशन में होने की जानकारी दी थी. बाद मे जब यही मीडिया उनकी पत्नी और बेटी के पीछे पड़ गया तो उन्होने बताया कि राज किरण लापता हैं और पुलिस उन्हें ढूंढ रही है इसके अलावा प्राइवेट जासूसों की सेवाएं भी ली जा रहीं हैं.
दीप्ति नवल ने फेसबुक पर चलाई मुहिम.
फिल्म इंडस्ट्री में जिन इने गिने लोगों से राज किरण की गहरी छनती थी उनमें से एक अभिनेत्री दीप्ति नवल भी हैं. जिन्होने अपने इस दोस्त को ढूंढने के लिए फेसबुक पर मुहिम भी चलाई थी और बाद में बताया भी कि राज किरण को अमेरिका में टैक्सी चलाते देखा गया. लेकिन अब तक फिल्म इंडस्ट्री में काफी कुछ बदल गया था जिसमें राज किरण एक खूबसूरत हादसे की तरह भुला दिये गए थे.
ऋषि कपूर ने दिया था ये बयान.
अमेरिका से राज किरण का नाता था क्योंकि उनके भाई गोविद मेहतानी वहां के बड़े कारोबारी हैं जिनके कारोबार को जमाने में उन्होने काफी मदद की थी. यह एक संभावना भर थी कि राज किरण अपने भाई के पास चले गए होंगे लेकिन दीप्ति नवल के खुलासे के बाद साल 2009 में उनके एक और दोस्त ऋषि कपूर ने यह बयान देकर फिर से राज किरण को जिंदा कर दिया था कि वे अमेरिका में ही हैं और टेक्सास के एक मेंटल हास्पिटल में इलाज करा रहे हैं और इलाज का खर्च वहां काम करके उठा रहे हैं. ऋषि कपूर ने यह भी कहा था कि वे जल्द अपने दोस्त को भारत वापस ले आएंगे और उन्हें पूरी सहूलियत से रखेंगे. हालांकि ऋषिकपूर अपनी बात पर अमल नहीं कर पाए.
उधर राज किरण की पत्नी और बेटी ने इस बात को झूठा बताकर पल्ला झाड लिया. इसी दौरान यह बात भी सामने आई कि राज किरण अपनी पत्नी के लालच और बेबफाई के चलते डिप्रेशन का शिकार हुये थे. यानि कर्ज फिल्म की कहानी उनकी जाती ज़िंदगी में भी लागू हो रही थी . फर्क इतना भर था कि हकीकत में ऋषिकपूर या किसी और ने फिल्म की तरह उनके लिए कुछ नहीं किया.
किसी को नहीं पता कहां हैं राज किरण.
अब राज किरण के बारे में अधिकृत रूप से कोई कुछ नहीं कह पा रहा. आए दिन उनके होने न होने के बारे में तरह तरह की अफवाहें जरूर उड़ती रहती हैं और अब तो यह सिलसिला भी बंद हो गया है. ऐसे में यह कह पाना मुश्किल है कि वे जिंदा हैं भी या नहीं. लेकिन यह कहना जरूर लाजिमी है कि वाकई राज किरण परवीन बाबी की तरह फिल्म इंडस्ट्री की क्रूरता और अपनों की ही की अनदेखी का शिकार हुये हैं. जब तक वे काम कर रहे थे तब तक सुर्खियों और खबरों में बने रहे लेकिन जैसे ही बीमारी और नाकामयाबी का दौर आया तो सभी ने आंखे फेर लीं. उनकी फिल्मों से कमाई गई शौहरत तो जिंदा है और रहेगी लेकिन दौलत कहां गई यह राज अब उनके नाम की तरह राज ही रहेगा.