थाने के फोन की घंटी बजी तो हलवदार ने रिसीवर उठाते ही कहा, ‘‘सर, थाना सुलतानपुरा से हवलदार जसवंत सिंह.’’

‘‘मैं सरकारी टीचर संदीप शर्मा बोल रहा हूं. कोठी नंबर 534 बी, आदर्श नगर से. आप जल्दी यहां आ जाइए. किसी ने कोठी की मालकिन सतनाम कौर की हत्या कर दी है. उन की लाश बेडरूम में पड़ी है.’’ दूसरी ओर से कहा गया.

हवलदार जसवंत सिंह ने यह सूचना थाने के एसएचओ इंसपेक्टर ओंकार सिंह बराड़ को दे दी. आेंकार सिंह पुलिस टीम के साथ आदर्श नगर स्थित घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां पहले से ही लोगों की भीड़ जमा थी. भीड़ में से एक व्यक्ति ने आगे बढ़ कर बताया, ‘‘सर, मेरा नाम संदीप शर्मा है, मैं ने ही थाने में फोन किया था.’’

‘‘लाश कहां है?’’ इंसपेक्टर ओंकार सिंह ने पूछा तो संदीप शर्मा ने कोठी की ऊपरी मंजिल की ओर इशारा करते हुए बताया, ‘‘सर, लाश बेडरूम में पड़ी है.’’

ओंकार सिंह अपनी टीम के साथ कोठी के ऊपर वाले भाग में पहुंचे. बेडरूम में बेड पर एक बुजुर्ग महिला की लाश पड़ी थी. इंसपेक्टर ओंकार सिंह ने घटना की सूचना उच्च अधिकारियों को दी और घटनास्थल पर क्राइम टीम को बुलवा लिया.

फौरेंसिक एक्सपर्ट और फिंगरपिं्रट विशेषज्ञों ने आते ही अपना काम शुरू कर दिया. इस बीच सूचना पा कर एसपी कपूरथला मनदीप सिंह भी मौकाए वारदात पर पहुंच गए थे. घटनास्थल और लाश का निरीक्षण करने से पता चला कि मृतका की हत्या गला घोंट कर की गई थी.

पूछताछ के दौरान संदीप शर्मा ने बताया कि मृतका सतनाम कौर कनाडा की रहने वाली थीं. वह करीब 5 महीने पहले अपने रिश्तेदारों से मिलने यहां आई थीं. संदीप शर्मा ने यह भी बताया कि उस ने मृतका के बेटे मनमोहन सिंह को कनाडा फोन कर के घटना की सूचना दे दी है.

इंसपेक्टर ओंकार सिंह अभी संदीप शर्मा का बयान नोट कर ही रहे थे कि राजपुर महतानियां, जिला होशियारपुर निवासी राजिंदर सिंह ने वहां आ कर बताया कि मृतका उस की बहन सतनाम कौर है. दरअसल, संदीप शर्मा ने मृतका के बेटे मनमोहन सिंह को फोन कर के घटना के बारे में बता दिया था.

मनमोहन ने अपने मामा को फोन कर के कहा कि वह मां के पास जा कर देखें, खबर सच है या किसी ने भद्दा मजाक किया है. भांजे का फोन मिलने के बाद राजिंदर सिंह आदर्शनगर आ गए थे.

बहरहाल, राजिंदर सिंह के बयान पर 30 मार्च, 2019 को अज्ञात लोगों के खिलाफ सतनाम कौर की हत्या का मुकदमा भादंवि की धारा 302 के तहत दर्ज कर लिया गया. इस के साथ ही मृतक की लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृतका की हत्या दम घुटने के कारण हुई थी. उन के गले पर दुपट्टे वगैरह से कसने के निशान थे. हत्या का दिन 29 मार्च और समय दिन के 11 बजे से 12 बजे के बीच बताया गया था.

अब तक की पूछताछ में यह बात स्पष्ट हो गई थी कि मृतका की किसी से कोई दुश्मनी या अनबन नहीं थी. वह 2-3 साल में एक बार कुछ दिनों के लिए कनाडा से अपने रिश्तेदारों से मिलने आया करती थी. वह जब भी आती थीं, ज्यादातर अपनी आदर्शनगर वाली कोठी में ही रहा करती थीं.

चूंकि मामला एक एनआरआई बुजुर्ग महिला से जुड़ा था इसलिए एसपी मनदीप सिंह के आदेश पर इसे जल्द से जल्द सुलझाने के लि ए 3 टीमें गठित की गईं.

हत्या के इस मामले में अजीब बात यह थी कि घर में कोई चीज चोरी नहीं हुई थी. घर का सारा सामान ज्यों का त्यों था. किसी चीज को छेड़ा तक नहीं गया था. बेडरूम में चाय के 3 खाली गिलास रखे मिले. इस से साफ था कि घर में सतनाम कौर का कोई परिचित आया था.

पुलिस ने मृतका सतनाम कौर के पारिवारिक सदस्यों और निजी जिंदगी के बारे में पूछताछ की तो पता चला कि सतनाम कौर के पति बलदेव सिंह की साल 1998 में मौत हो गई थी. मृतका के 2 बेटे थे बड़ा बेटा जगमोहन सिंह जग्गा और छोटा मनमोहन सिंह उर्फ मनी.

मनमोहन सिंह उर्फ मनी कनाडा में रहता था. जबकि बड़े बेटे जगमोहन उर्फ जग्गा की साल 2017 में मृत्यु हो गई थी. जगमोहन की पत्नी हरजोत कौर अपने बच्चों के साथ गांव दादूवाल में रहती थी.

बलदेव सिंह की मौत के समय इस परिवार के पास 12 किले उपजाऊ जमीन थी, जिसे 3 बराबर हिस्सों में बोट दिया गया था. हरेक के हिस्से में 4-4 किले जमीन आई थी. दोनों बेटों के साथसाथ एक हिस्सा सतनाम कौर का था.

पति की मौत के बाद सतनाम कौर छोटे बेटे मनमोहन के पास कनाडा चली गई थीं. पुलिस जांच में एक अहम बात यह सामने आई कि बड़े बेटे जगमोहन की पत्नी हरजोत कौर की अपनी सास सतनाम कौर से बिलकुल नहीं बनती थी. जगमोहन की मौत के समय भी सतनाम कौर केवल उस की अंतिम अरदास पर ही गई थीं.

इस पूरे मामले की जांच के बाद शक की सुई हरजोत कौर की ओर घूम गई. इस बीच इंसपेक्टर ओंकार सिंह ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज निकालवा कर चेक किए तो एक सरकारी दफ्तर के बाहर लगे कैमरे में एक्टिवा पर सवार एक पुरुष और उस के पीछे बैठी महिला को सतनाम कौर की कोठी में जाते देखा गया.

हालांकि दोनों ने अपने चेहरे कपड़े से ढक रखे थे. लेकिन एक्टिवा का नंबर- पीबी 37 एच-3277 स्पष्ट दिखाई दे रहा था.

आरटीओ औफिस से पता चला कि उक्त नंबर की एक्टिवा मृतका की बड़ी बहू हरजोत कौर की है. पुलिस का शक अब पूरी तरह यकीन में बदल गया था. जब हरजोत कौर को उस के गांव दादूवाल से हिरासत में ले कर पूछतछ की गई तो उस ने तुरंत अपन अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि उस ने पैसों के लालच में अपनी सास की हत्या की थी.

इस हत्याकांड में उस के साथ उस का परिचित विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की भी था जो गांव समरावा, जिला जालंधर का रहने वाला है. पुलिस ने हरजोत की निशानदेही पर विक्की को भी गिरफ्तार कर लिया.

दोनों आरोपियों को 1 अप्रैल को फगवाड़ा की अदालत में पेश कर उन का 2 दिन का पुलिस रिमांड लिया गया. रिमांड के दौरान दोनों आरोपियों से की गई पूछताछ के बाद मृतका सतनाम कौर की हत्या की जो कहानी सामने आई वह इस प्रकार थी.

हरजोत कौर जब ब्याह कर ससुराल आई थी तभी से अपनी सास सतनाम कौर के साथ उस की कभी नहीं बनी थी. सतनाम कौर भी अपनी बहू को नापसंद करती थी. इस का एक कारण शायद यह था कि बलदेव सिंह और सतनाम कौर अपने छोटे बेटे मनमोहन के साथ कनाडा में रहते थे.

हरजोत ने भी कनाडा जाने की जिद की थी, अपने पति जगमोहन को उकसाया भी था, पर सतनाम कौर ने उस की एक नहीं चलने दी थी. इसी वजह से वह सतनाम कौर से रंजिश रखने लगी थी.

बलदेव सिंह की मौत के बाद जब जमीन का बंटवारा हो गया तो हरजोत कौर अपने हिस्से की जमीन और पैसा ले कर पति और बच्चों के साथ जिला जालंधर के गांव दादूवाल में जा कर रहने लगी थी. अपने हिस्से की जमीन उस ने ठेके पर विक्की के पिता हरजीत को दे दी थी.

हरजोत चालाक और ज्यादा पैसा खर्च करने वाली औरत थी. जमीन से होने वाली कमाई उस के लिए पूरी नहीं पड़ती थी. उस की नजर हर समय अपनी सास के हिस्से वाली जमीन और उन के बैंक बैलेंस पर रहती थी. जबकि सतनाम कौर उसे अपने घर में घुसने तक नहीं देती थी.

हरजोत कौर पर इन दिनों काफी कर्जा हो गया था. कर्जदार उसे परेशान कर रहे थे, ऊपर से उस के बच्चे जवान हो रहे थे. उन के शादीब्याह की चिंता अलग से थी. हरजोत कौर को अपनी सास से यह रंजिश भी थी कि वह उस पर और उस की जवान होती बेटी पर तरहतरह के लांछन लगाती थीं.

सतनाम कौर ने पूरी बिरादरी में हरजोत और उस के बच्चों, जो कि उन के पोतापोती थे को बदनाम कर रखा था. इस घटना से 2 सप्ताह पहले हरजोत कौर यह शिकायत ले कर अपने मामा ससुर यानी सतनाम कौर के भाई राजिंदर सिंह के पास गई थी कि वह अपनी बहन को समझाएं.

वह उसे और उस के बच्चों को बेवजह बदनाम करना छोड़ दें. नहीं तो वह जहर खा कर आत्महत्या कर लेगी. राजिंदर सिंह ने सतनाम कौर को समझाया भी था, लेकिन सतनाम कौर अपनी आदत से बाज नहीं आई थीं. इसलिए हरजोत कौर ने अपनी सास को ही रास्ते से हटाने की योजना बना ली थी.

अपनी योजना को अमली जामा पहनाने के लिए उस ने ये सारी बातें विक्रमजीत को बताईं. विक्रम नशे का आदी था. सो थोड़ा सा नशा करने के बाद वह हरजोत का साथ देने के लिए तैयार हो गया. रिमांड के दौरान दिए गए अपने बयान में हरजोत ने बताया कि उस ने पति के जीवित रहते 2 साल पहले अपनी सास की कोठी की रेकी कर ली थी.

अब ताजा स्थिति में उस ने आदर्श नगर जा कर यह देखा था कि सतनाम कौर की कोठी तक पहुंचने के लिए रास्ते में किनकिन सीसीटीवी कैमरों का सामना करना पड़ सकता है. नए हिसाब से उस ने नई योजना तैयार की थी.

घटना वाले दिन 29 मार्च को वह अपनी एक्टिवा पर सवार हो कर विक्रम के साथ सतनाम पुरा पहुंची. विक्रम ने उस से 500 रुपए मांगे और पैसे ले कर पहले नशा किया. इस दौरान वह एक दुकान पर बैठ कर बर्गर खाती रही. इस के बाद दोनों सतनाम कौर की आदर्श नगर स्थित कोठी पर पहुंचे.

सतनाम कौर उसे देखते ही भड़क उठी और दोनों को वहां से चले जाने को कहा, लेकिन कोई जरूरी बात करनी है. बोल कर दोनों सतनाम के बेडरूम में बैठ गए. फिर मौका पाते ही विक्रम ने अपने गले में डाला हुआ काले रंग का साफा सतनाम के गले में डाल दिया, फिर दोनों ने मिल कर उस की हत्या कर दी.

आदर्शनगर, सतनामपुरा इलाके में सतनाम कौर कोठी नंबर 534 बी की ऊपरी मंजिल पर अकेली रहती थी. जबकि कोठी की नीचली मंजिल पर संदीप शर्मा व रामशरण 2 लोग किराए पर रहते थे. दिनांक 29 मार्च की सुबह किराएदार अपने काम पर चले गए थे, और देर रात घर लौटे थे. आ कर दोनों सो गए थे.

30 तारीख की सुबह जब किराएदार अध्यापक संदीप शर्मा ऊपर गया तो सतनाम कौर को आवाजें लगाने पर भी जब कोई आवाज नहीं आई, तो उसे शक हुआ. उस ने ऊपर जा कर देखा तो सतनाम कौर को मरा पाया और पुलिस को सूचना दे दी.

पुलिस ने दोनों आरोपियों की निशानदेही पर काले रंग का साफा बरामद कर लिया, जिस से उन्होंने सतनाम कौर का गला घोंट कर हत्या की थी. पुलिस ने आननफानन में 24 घंटे के भीतर सतनाम कौर के हत्यारों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.

आरोपियों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. पर एक बात अभी तक पुलिस को हजम नहीं हो रही थी कि हरजोत कौर ने बिना किसी विरोध के साथ अपना अपराध स्वीकार कैसे कर लिया.

जबकि हत्या जैसा संगीन अपराध कोई भी आरोपी इतनी आसानी से कबूल नहीं करता. पुलिस ने पूरे मामले की दोबारा गहनता से जांच की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. 2 दिन बाद इस मामले में अचानक एक नया मोड़ आ गया.

पुलिस ने इस केस की एक और अभियुक्त  अंजू को हिरासत में ले लिया. पूछताछ के दौरान उस ने स्वीकार किया कि उस ने हरजोत के कहने पर विक्रम के साथ जा कर सतनाम कौर की हत्या की थी.

हरजोत कौर तो मौकाएवारदात पर गई ही नहीं थी. दरअसल सीसीटीवी फुटेज को बारीकी से चेक करने पर पुलिस को पता चला था कि एक्टिवा पर सवार औरत की कद काठी और उस समय पहने हुए कपड़े हरजोत से मेल नहीं खा रहे थे.

जब हरजोत से दोबारा सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने सब सच उगल दिया. वह और विक्रम अब तक पुलिस से झूठ बोलते आए थे. दरअसल, पुलिस को गुमराह करने और जांच की दिशा भटकाने के लिए यह हरजोत की चाल थी.

अंजू कई सालों से हरजोत के घर काम करती थी और उसी गांव की रहने वाली थी. हरजोत ने उसे अपनी बातों के जाल में फंसा कर इस काम के लिए राजी किया था. अंजू के अनुसार उस ने यह काम पैसों या किसी अन्य लालच में नहीं किया था.

वह हरजोत को अपनी बड़ी बहन जैसी मानती थी. हरजोत ने इसी बात का फायदा उठाया था. घटना वाले दिन 29 मार्च को अंजू, विक्रम और हरजोत तीनों एक साथ सतनामपुरा आए थे. हरजोत बर्गर की एक दुकान पर रुक गई थी और अंजू विक्रम के साथ हरजोत की एक्टिवा पर घटना को अंजाम देने सतनाम कौर के घर पहुंच गई.

सतनाम की हत्या करने के बाद हरजोत की योजना अनुसार वे दोनों अपने गांव दादूवाल लौट गए थे. गांव पहुंच कर अंजू ने अपना पहना हुआ सूट जला दिया था. ऐसा करने के लिए उस से हरजोत ने ही कहा था. पुलिस ने अंजू की निशानदेही पर वह अधजला सूट भी बरामद कर लिया.

3 अप्रैल को अंजू, विक्रम और हरजोत को पुन: अदालत में पेश किया गया. उस दिन विक्रम और हरजोत का रिमांड समाप्त हो गया था, इसलिए उन दोनों को जेल भेज दिया गया. जबकि अंजू को 5 अप्रैल तक पुलिस रिमांड पर लिया गया.

बाद में रिमांड अवधि समाप्त होने पर अंजू को भी जेल भेज दिया गया. पुलिस जांच भटकाने के पीछे हरजोत का मकसद यह था कि जरूरत पड़ने पर वह यह साबित कर सकती है कि घटना के समय वह मौका ए वारदात पर मौजूद नहीं थी. और अगर वह पकड़ी भी गई तो उस के बच्चों की देखभाल अंजू कर लेगी. दोनों हालातों में एक औरत का बाहर रहना तय था, पर पुलिस जांच में हरजोत की पोल खुल गई और उस के साथ अंजू भी पुलिस की गिरफ्त में आ फंसी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारि

सौजन्य- सत्यकथा, सितंबर 2019

 

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