सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म है, जिस की लोकप्रियता तो बुलंदी पर है ही, इस का नशा भी सिर चढ़ कर बोल रहा है. महानगरों और बड़े शहरों की बात तो छोडि़ए, कस्बों से ले कर गांवों तक के लोग इस नशे के आदी हो गए हैं.
ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो सुबह को सो कर उठने के बाद सब से पहले अपनी फेसबुक और वाट्सऐप का स्टेटस चैक करते हैं. पेशे से ड्राइवर धरमाराम अपने भाई शंकर के वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ा था. उस दिन सुबह उठ कर उस ने मोबाइल पर अपना स्टेटस देखा तो सन्न रह गया. उस ने जो देखा, वह दिल दहला देने वाला था.
धरमाराम ने देखा कि वाट्सऐप ग्रुप में सुबह 3.58 बजे 15 फोटो और एक वीडियो डाले गए थे. फोटो उस के भाई शंकर और उस की प्रेमिका अंजू के थे, जिन में से कुछ में दोनों एकदूसरे को किस कर रहे थे तो कुछ में एकदूसरे के कंधों पर हाथ रखे खड़े थे.
सारे फोटो सेल्फी के थे, इन में से कुछ सेल्फी शंकर ने तो कुछ अंजू ने ली थीं, जो उन के हाथों के डायरेक्शन से पता चल रही थीं. फोटो के अलावा छोटेछोटे 6 वीडियो और 3 औडियो थे. औडियो में शंकर और अंजू की आवाज थी, जिस में दोनों एक ही बात कह रहे थे कि वे लोग जो कदम उठा रहे हैं, अपनी मरजी से उठा रहे हैं. इस के लिए किसी को परेशान न किया जाए.
इस के बाद का वीडियो देख कर धरमाराम दहल गया. क्योंकि एक वीडियो में शंकर और अंजू अपनीअपनी कनपटी पर पिस्तौल रखे हुए थे. देखतेदेखते 4 बज कर 15 मिनट पर एक साथ 2 गोलियां चलीं और दोनों जमीन पर गिरते नजर आए.
धरमाराम समझ गया कि शंकर और अंजू ने आत्महत्या कर ली है. वाट्सऐप ग्रुप पर फोटो, औडियो और वीडियो डालने का समय 3 बज कर 58 मिनट से 4 बज कर 15 मिनट के बीच था. उम्मीद तो नहीं थी, फिर भी धरमाराम ने यह सोच कर शंकर के मोबाइल पर काल की कि क्या पता भाई की जान बच जाए. लेकिन दूसरी ओर फोन नहीं उठाया गया.
धरमाराम समझ गया कि शंकर ने अपनी प्रेमिका अंजू के साथ सुसाइड कर लिया है. उस ने अपने वाट्सऐप ग्रुप के मेंबरों को यह बात बताई तो सभी ने अपनेअपने मोबाइलों पर मौत का भयावह दृश्य देखा. जरा सी देर में यह बात पूरे लालसर गांव में फैल गई.
लोग घर से निकल कर इस खोज में लग गए कि शंकर और अंजू ने आत्महत्या कहां की. थोड़ी खोजबीन के बाद दोनों की लाशें लालसर से थोड़ी दूर स्थित श्मशान के पास रेत में पड़ी मिलीं. दोनों के हाथों में पिस्तौल थीं.
किसी ने इस घटना की सूचना थाना चौहटन को दे दी थी. इंसपेक्टर राकेश ढाका पुलिस टीम के साथ लालसर पहुंच गए. उन्होंने घटना की सूचना उच्चाधिकारियों और फोरैंसिक टीम को दे दी.
पुलिस टीम ने घटनास्थल पर जा कर देखा तो युवक और युवती की लाशों के मुंह विपरीत दिशा में थे लेकिन दोनों की पीठ मिली हुई थीं. दोनों के हाथों में पिस्तौल थीं और चेहरे खून से तर.
घटनास्थल पर माचिस, सिगरेट का पैकेट, बीयर और पानी की बोतल पड़ी थीं. लाशों के पास एक मोबाइल भी पड़ा मिला. एसपी राशि डोगरा और फोरैंसिक टीम के आने के बाद इन सभी चीजों को काररवाई के बाद जाब्ते में ले लिया गया.
गांव वालों से यह बात पता चल गई थी कि आत्महत्या करने वाला युवक शंकर है और युवती अंजू. दोनों लालसर गांव के ही रहने वाले थे. एसपी राशि डोगरा मौकामुआयना कर के वापस चली गईं.
उन के जाने के बाद इंसपेक्टर राकेश ढाका ने दोनों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए चौहटन सीएचसी भेज कर गांव वालों से पूछताछ की. मृतक के पिता भंवराराम ने पुलिस को बताया कि उसे सुबह पता चला कि उस के बेटे शंकर की लाश श्मशान के पास रेत के टीले पर पड़ी है. उस के साथ अंजू की लाश भी वहीं पड़ी है.
गांव वालों के साथ वह मौके पर पहुंचा तो श्मशान के पास दोनों की लाशें पड़ी मिलीं. दोनों के हाथों में पिस्तौल थीं. भंवराराम ने यह भी बताया कि शंकर और अंजू एकदूसरे को प्यार करते थे.
उधर अंजू के पिता टीकूराम सुथार ने कुछ और ही कहानी बताई. उस के अनुसार, शंकर जाट और मूलाराम उन की बेटी का यौनशोषण करते थे. 12 जून की रात शंकर और मूलाराम मोटरसाइकिल से उस के घर आए. शंकर ने अंजू को फोन कर के धमकी दी और उसे घर के बाहर बुलाया. फिर अंजू को मोटरसाइकिल पर बैठा कर ले गए. रात में शंकर और उस के 2 साथियों ने शराब पार्टी की. उन्होंने उस की बेटी अंजू को भी जबरन शराब पिलाई और उस के साथ गैंगरेप किया. बाद में इन लोगों ने उसे गोली मार दी. पुलिस ने टीकूराम की रिपोर्ट दर्ज कर ली.
एसपी राशि डोगरा ने उसी दिन प्रैस कौन्फ्रैंस में बताया कि लालसर गांव के श्मशान के पास एक लड़की और लड़के की लाशें पड़ी मिलीं. युवती 18-19 साल की थी और लड़का 20-21 साल का. दोनों के हाथों में पिस्तौल थीं और उन्होंने अपनीअपनी कनपटी पर गोली मार कर आत्महत्या की थी.
पत्रकारों ने जब एसपी से पिस्तौलों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि राजस्थान का सीमावर्ती इलाका होने की वजह से वहां हथियारों की तस्करी होती है. पिस्तौलों की बात जांच का विषय है, हम जांच करेंगे. पुलिस जांच में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस तरह थी—
21 वर्षीय शंकर जाति से जाट था और 18 वर्षीय अंजू जाति से सुथार (बढ़ई) थी. दोनों में करीब 2 साल पहले प्यार हो गया था. शंकर और अंजू बेखौफ साथसाथ बाहर आनेजाने लगे थे. शंकर चूंकि दबंग लड़का था, इसलिए अंजू के घर वाले भी उसे कुछ नहीं कह पाते थे. वह अंजू को बाइक पर बैठा कर शहर घुमाने ले जाता था. दोनों ने शादी करने और साथसाथ जीनेमरने की कसमें खा ली थीं.
कसम खाने से पहले अंजू ने शंकर से पूछा था, ‘‘हमारी जातियां अलगअलग हैं. ऐसे में समाज हमें शादी करने देगा?’’
शंकर ने एक मोटी सी गाली दे कर कहा, ‘‘शादी हम दोनों को करनी है, समाज को नहीं. कौन रोकेगा हमें?’’
इस बात से अंजू को काफी सकून मिला और वह भावुक हो कर शंकर के सीने से लग गई. शंकर जालौर में ठेकेदारी का काम करता था. वह सीमेंट, चिनाई, प्लास्टर वगैरह के ठेके लेता था. इस काम में उसे अच्छी आय थी.
दूसरी और सुथार समाज के लोग अंजू के पिता टीकूराम पर दबाव डाल रहे थे कि अंजू और शंकर के संबंधों की वजह से समाज की बदनामी हो रही है, इसलिए वह अपनी बेटी पर पाबंदी लगाए.
दबंग शंकर के सामने टीकूराम की हिम्मत नहीं थी कि अंजू पर पाबंदी लगाए, क्योंकि अंजू भी शंकर के रंग में रंगी हुई थी. दूसरी ओर जाट समुदाय के लोग शंकर के पिता भंवराराम से बदनामी की बात कह कर शंकर के अंजू की ओर बढ़ते कदमों को रोकने को कहते थे. लेकिन भंवराराम में भी बेटे को कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी.
फलस्वरूप अंजू और शंकर के प्रेम संबंधों और साथ घूमने पर कोई पाबंदी नहीं लग सकी. इस से हार कर टीकूराम ने अपने समाज के लोगों से कहा कि वह अंजू की शादी कर देगा तो अंजू और शंकर का मिलनाजुलना खुद ही बंद हो जाएगा. लोगों को उस की यह बात सही लगी.
आननफानन में थोड़ा परदा रख कर अंजू के लिए लड़का ढूंढा गया. चौहटन से दूर गौरीमुल्ला इलाके के गांव खारी में अंजू के लिए अरुण नाम का लड़का पसंद कर लिया गया. हाथोंहाथ शादी की बात पक्की कर दी गई, तारीख भी तय हो गई. हालांकि अंजू ने विरोध किया लेकिन घर वालों के सामने उस की एक नहीं चली. शंकर भी उस वक्त जालौर में था, अंजू की शादी की बात उसे बाद में पता चली.
मार्च के अंत में अरुण बारात ले कर आया और अंजू को ब्याह कर अपने घर ले गया. अंजू 2 महीने ससुराल में रही. इस बीच अंजू और शंकर फोन पर लगातार बातें करते रहे. शादी की बात को ले कर शंकर को कोई शिकवा नहीं था. हां, अंजू जरूर ग्लानि महसूस करती थी.
जून के पहले हफ्ते में अंजू ससुराल से मायके आई. उस के मायके आने की बात शंकर को पता थी. वह भी जालौर से अपने घर लालसर आ गया. दोनों अंजू की शादी के लगभग 2 महीने बाद मिले थे. ऐसे में एकदूसरे से मिलने की बेताबी थी.
गांव में शंकर की दबंगई चलती थी, जिस की वजह से उन दोनों के मिलने को कोई नहीं रोक सका. मिलने पर अंजू ने शंकर से कहा, ‘‘मैं ने अरुण से मजबूरी में शादी की है. तुम होते तो तुम्हारे साथ भाग जाती. भले ही मैं 2 महीने तुम से दूर रही, लेकिन तुम दिलोदिमाग से जरा भी अलग नहीं हुए.’’
अपनी बात कह कर अंजू ने शंकर को अपनी हथेली दिखाई. उस की हथेली में मेहंदी से दिल का निशान बना था, जिस में तीर लगा था. बीच में ए.एस. (अंजू-शंकर) और उस के ऊपर दिलदार लिखा हुआ था. मेहंदी से बने चित्र और शब्दों को देखपढ़ कर शंकर हैरान रह गया.
दरअसल अंजू उसे दिलदार ही कहती थी. उस ने अंजू से पूछा तो उस ने बताया कि शादी के समय जब उसे मेहंदी लगाई गई, उस ने तभी खुद उस का नाम लिख कर, प्यार का निशान बनाया था. इस सब को वह 2 महीने तक पति और ससुराल वालों से छिपाए रही थी. यह सुन कर शंकर खुश हुआ.
वैसे यह भी संभव है कि प्यार का प्रतीक चिह्न और उस पर दिलदार शब्द लिख कर अंजू ने 2 निशाने साधे हों. मतलब जो बात उस ने शंकर से कही, वही अपने पति अरुण से भी कही हो. क्योंकि प्रेमी हो या पति, दिलदार दोनों को ही कहा जा सकता है.
12 जून बुधवार की शाम शंकर बाइक से बाछड़ाऊ गांव के ढाबे पर पहुंचा, जहां उस ने अपने 2 दोस्तों के साथ खाना खाया. उस समय रात के साढ़े 9 बजे थे. खाना खा कर दोस्त अपनी राह चले गए, जबकि शंकर अपने गांव लौट आया.
गांव में वह बाइक से सीधे अंजू के घर पहुंचा. तब तक 10 बज गए थे. शंकर ने अंजू के घर के सामने जा कर उसे फोन किया और मोटरसाइकिल पर बैठ कर इंतजार करनेलगा. थोड़ी देर में अंजू बाहर आई और बिना कुछ बोले बाइक पर पीछे बैठ गई. गांव से बाहर निकलने के बाद दोनों एक कमरे पर गए, जहां काफी देर तक रुके.
वहीं पर अंजू और शंकर ने एकदूसरे से शादी की. शंकर ने अंजू की मांग में सिंदूर भरा, बिंदी लगाई. उस के जिस हाथ पर मेहंदी से दिल का चित्र बना था और दिलदार लिखा था, उस का फोटो ले कर सोशल मीडिया पर डाला.
इसी बीच दोनों ने शराब पी. वहां से निकल कर अंजू और शंकर गांव के श्मशान के पास पहुंचे. वहां रेत के टीले पर बैठ कर दोनों ने बीयर पी.
तब तक दोनों साथसाथ आत्महत्या का फैसला कर चुके थे. अंजू और शंकर ने एकदूसरे को किस करते हुए और गलबहियां डाल कर मोबाइल के कैमरे से कुछ सेल्फी फोटो ले लिए थे.
शंकर ने 2 पिस्तौलों का इंतजाम पहले ही कर लिया था. कुछ औडियो और वीडियो भी उन्होंने बना लिए थे. एकदूसरे को गोली मारने से 10 मिनट पहले शंकर ने सेल्फी फोटो, औडियो और वीडियो अपने वाट्सऐप ग्रुप पर डाल दिए थे.
यह सारा काम निपटाने के बाद दोनों ने एकदूसरे की कनपटी से पिस्तौल लगाई और मोबाइल का कैमरा औन कर के एकदूसरे को गोली मार दी. तब तक सुबह के सवा 4 बज गए थे.
शंकर और अंजू रात को जिस कमरे पर रुके थे, पुलिस ने वहां से एक चूड़ी और एक कंगन बरामद किया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि गोली शंकर की कनपटी के आरपार हो गई थी, जबकि अंजू के सिर में गोली फंसी रह गई थी.
इस मामले में पुलिस ने शंकर के साथी मूलाराम और उस के 2 अन्य साथियों को गिरफ्तार कर पूछताछ की. इन्हें अंजू के पिता टीकूराम द्वारा लिखाई गई रिपोर्ट के आधार पर गिरफ्तार किया गया था.
शंकर और अंजू द्वारा आत्महत्या करने के मामले की अभी विस्तृत जांच चल रही है.