शिक्षा ने भी यही किया था, इसलिए उस का प्रेमी रोजी सिंह…
पहली अगस्त, 2019 का दिन था. उस वक्त सुबह के लगभग 11 बज रहे थे. उत्तराखंड के जिला हरिद्वार की प्रसिद्ध दरगाह पीरान कलियर के थानाप्रभारी अजय सिंह उस वक्त थाने में ही थे. तभी उन के पास एक व्यक्ति आया.
उस व्यक्ति ने अपना नाम भरत सिंह, निवासी हबीबपुर नवादा बताते हुए कहा कि उस का छोटा भाई रोजी सिंह कल से लापता है. उसे सभी जगहों पर ढूंढ लिया है लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल रही. उस का मोबाइल फोन भी कल से बंद आ रहा है.
‘‘उस की उम्र कितनी है और कैसे गायब हुआ?’’ थानाप्रभारी अजय सिंह ने पूछा.
‘‘सर, उस की उम्र यही कोई 20-22 साल है. वह हरिद्वार के सिडकुल क्षेत्र में स्थित एक फैक्ट्री में काम करता है. कल दोपहर बाद 3 बजे वह अपनी मोटरसाइकिल ले कर ड्यूटी पर जाने के लिए निकला था. उस ने जाते समय घर पर बताया था कि रात 11 बजे तक घर लौट आएगा. जब वह रात 12 बजे तक भी नहीं लौटा तो हम ने उसे फोन किया. लेकिन उस का फोन बंद मिला.’’
‘‘तुम्हारा भाई शादीशुदा था? उस की किसी से कोई रंजिश तो नहीं थी?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.
‘‘नहीं सर, रोजी अविवाहित था. अभी कुछ दिन पहले ही इमलीखेड़ा की एक लड़की के साथ उस की मंगनी हुई थी और रही बात दुश्मनी की तो सर, उस की ही नहीं बल्कि हमारे परिवार में किसी की भी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है.’’ भरत सिंह ने बताया.
‘‘आप अपने भाई का फोटो दे कर गुमशुदगी दर्ज करा दीजिए, हम अपने स्तर से उसे ढूंढने की कोशिश करेंगे.’’ थानाप्रभारी ने कहा.
भाई की गुमशुदगी दर्ज कराने के बाद भरत सिंह घर लौट आया. चूंकि मामला जवान युवक की गुमशुदगी का था, इसलिए थानाप्रभारी ने इस की सूचना एसपी (देहात) नवनीत सिंह भुल्लर को दे दी. उन्होंने थानाप्रभारी को इस मामले की जांच के निर्देश दिए. लेकिन 2 दिन बाद भी थानाप्रभारी लापता रोजी सिंह के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटा पाए तो एसपी (देहात) नवनीत सिंह भुल्लर ने सीओ चंदन सिंह बिष्ट के निर्देशन में एक टीम गठित कर दी.
टीम में थानाप्रभारी अजय सिंह, महिला थानेदार शिवानी नेगी व भवानीशंकर पंत, एएसआई अहसान अली सैफ आदि को शामिल किया गया.
पुलिस टीम ने सब से पहले रोजी सिंह के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. जांच में पता चला कि उस के फोन की आखिरी लोकेशन उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर के बरला कस्बे में थी. इस के अलावा उस के मोबाइल से जिस नंबर पर आखिरी बार बात हुई थी, वह मोबाइल नंबर शिक्षा नाम की युवती का था, जो गांव हबीबपुर नवादा की ही रहने वाली थी.
शिक्षा से पूछताछ करनी जरूरी थी, इसलिए थानाप्रभारी ने शिक्षा को थाने बुलवा लिया. उस से एसआई शिवानी नेगी ने पूछताछ की तो वह कहती रही कि रोजी के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है और न ही उस का रोजी से कोई ताल्लुक है.
‘‘तुम झूठ बोल रही हो, रोजी से तुम्हारी कल भी बात हुई थी. इतना ही नहीं, तुम्हारी इस से पहले भी काफी देरदेर तक बातें होती थीं. अब तुम इतना और बता दो कि 30 जुलाई को रोजी के गायब होने के बाद तुम मुजफ्फरनगर जिले के बरला कस्बे में क्या करने गई थीं?’’
शिवानी नेगी के मुंह से बरला कस्बे का नाम सुनते ही शिक्षा सहम गई और अपना सिर नीचे कर के रोने लगी. एसआई शिवानी नेगी ने उसे सांत्वना दे कर चुप कराया. तभी शिक्षा सुबकते हुए बोली, ‘‘मैडम, रोजी इस दुनिया में नहीं है. उस की हत्या कर दी गई है. हत्या में उस के भाई रोहित, आदेश और उन का दोस्त रजत भी शामिल थे.’’
हत्या की बात सुन कर पुलिस अधिकारी चौंक गए. थानाप्रभारी ने उस से पूछा, ‘‘रोजी की लाश कहां है?’’
‘‘उस की हत्या बरला के गन्ने के एक खेत में ले जा कर की गई थी. लाश भी वहीं पड़ी होगी.’’ शिक्षा ने बताया.
पुलिस ने शिक्षा की निशानदेही पर उस के भाइयों आदेश, रोहित और इन के साथी रजत को गिरफ्तार कर लिया.
सीओ चंदन सिंह ने यह जानकारी एसपी (देहात) नवनीत सिंह को दी तो उन्होंने लाश बरामद करने के लिए एक पुलिस टीम घटनास्थल के लिए रवाना कर दी.
इस के बाद थानाप्रभारी के नेतृत्व में एक टीम चारों अभियुक्तों को ले कर बरला पहुंच गई. उन्होंने वहां की पुलिस से संपर्क किया, फिर थानाप्रभारी आरोपियों को साथ ले कर बरला पैट्रोल पंप के पीछे गन्ने के खेत में पहुंचे.
चारों आरोपियों ने पुलिस को वह जगह दिखा दी, जहां पर उन्होंने रोजी सिंह को घेर कर उस की हत्या की थी. इस के बाद पुलिस ने उन चारों की निशानदेही पर गन्ने के खेत से रोजी का शव बरामद कर लिया.
रोजी के सिर का कुछ हिस्सा किसी जानवर ने खा लिया था, दूसरे गरमी की वजह से उस का शव काफी गल गया था. प्राथमिक काररवाई में बरला पुलिस द्वारा रोजी के शव का पंचनामा भरा गया.
घटनास्थल की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने रोजी सिंह का शव पोस्टमार्टम के लिए राजकीय अस्पताल मुजफ्फरनगर भेज दिया.
अगले दिन हरिद्वार के एसएसपी सेंथिल अवूदई कृष्णराज एस. ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर चारों आरोपियों को मीडिया के सामने पेश किया और रोजी की हत्या का खुलासा कर दिया. अभियुक्तों से पूछताछ के बाद रोजी सिंह की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—
शिक्षा रुड़की क्षेत्र के गांव नगला इमरती की रहने वाली थी. करीब 7 साल पहले उस की शादी हबीबपुर नवादा निवासी जोगेंद्र से हुई थी. 3 बच्चे होने के बाद भी उस का रूपयौवन बरकरार था. करीब 2 साल पहले पड़ोस के रहने वाले रोजी सिंह से उस का चक्कर चल गया था. रोजी सिंह अविवाहित था, जिस पर शिक्षा पूरी तरह से फिदा थी. दोनों अकसर खेतों में जा कर रंगरलियां मनाते थे.
जब उन दोनों के अवैध संबंधों की जानकारी शिक्षा के पति जोगेंद्र को हुई तो उस ने पत्नी को परिवार की इज्जत की दुहाई देते हुए बहुत समझाया, मगर वह नहीं मानी. उस के ऊपर तो रोजी सिंह के इश्क का जबरदस्त भूत सवार था. वह उस के साथ जीनेमरने की कसमें खा चुकी थी.
अंत में जोगेंद्र ने समाज में हो रही बदनामी के कारण शिक्षा को 25 मई, 2019 को घर से निकाल दिया. इस के बाद जोगेंद्र ने इस मामले की सूचना स्थानीय इमलीखेड़ा पुलिस चौकी को भी दे दी थी, मगर पुलिस ने मामले को पतिपत्नी विवाद बता कर जोगेंद्र को महिला हेल्पलाइन केंद्र रुड़की जाने की सलाह दी.
पति द्वारा घर से निकाल देने के बाद शिक्षा अपने मायके में जा कर रहने लगी. लेकिन उस का अपने प्रेमी रोजी सिंह से संपर्क बराबर बना रहा. फोन पर दोनों बात करते रहते थे और समय निकाल कर मिल भी लेते थे.
रोजी के कारण शिक्षा को पति से तो अलग होना ही पड़ा, साथ ही मायके में भी उसे काफी अपमान झेलना पड़ रहा था. मगर रोजी के प्रेम के कारण वह सब सहन कर रही थी. कुछ दिनों पहले शिक्षा को पता चला कि रोजी की मंगनी तय हो गई है. इस बारे में शिक्षा ने रोजी से बात की तो उस ने बताया कि घर वालों के दबाव में उसे शादी करनी पड़ रही है.
प्रेमी का यह जवाब सुन कर वह तिलमिला गई. उस के मन में रोजी के प्रति नफरत पैदा हो गई. क्योंकि जिस रोजी के कारण वह ससुराल से निकाली गई थी, वही रोजी उसे छोड़ कर किसी और लड़की का होने जा रहा था.
रोजी से नफरत होने के कारण शिक्षा ने एक भयानक निर्णय ले लिया. वह निर्णय था रोजी की हत्या का. इस योजना में उस ने अपने 2 भाइयों रोहित व आदेश और उन के दोस्त रजत को भी शामिल कर लिया.
फिर शिक्षा ने एक योजना के तहत 30 जुलाई, 2019 को रोजी को शाम के समय रुड़की में दिल्ली रोड पर स्थित सैनिक अस्पताल तिराहे पर पहुंचने को कहा. शिक्षा ने कहा कि हमें बरला कस्बे में एक तांत्रिक के पास चलना है. रोजी निर्धारित समय पर मोटरसाइकिल से सैनिक अस्पताल तिराहे पर पहुंच गया. वहीं पर शिक्षा उस का इंतजार कर रही थी. वह रोजी के पीछे बाइक पर बैठ कर बरला की ओर चल दी.
योजना के अनुसार, उस के दोनों भाई रोहित व आदेश और उन का दोस्त रजत दूसरी बाइक से रोजी का पीछा करते हुए चलने लगे. शिक्षा प्रेमी के साथ बरला के पैट्रोल पंप के पास पहुंच गई.
तब तक अंधेरा घिर चुका था. वहां पहुंचने पर शिक्षा ने रोजी से कहा कि हमें जिस तांत्रिक के पास जाना है, वह पैट्रोल पंप के पीछे जंगल में मिलेगा. रोजी ने अपनी बाइक जंगल की तरफ मोड़ दी. तभी पीछा करते हुए रोहित, आदेश व रजत भी वहां पहुंच गए. उन्हें देख कर रोजी समझ गया कि मामला गड़बड़ है. वह घबरा कर वहां से भागने की कोशिश करने लगा. मगर रोहित व आदेश ने रोजी को दबोच लिया. उन्होंने उस पर डंडे से हमला कर दिया.
रोजी के सिर पर डंडा लगने से वह लहूलुहान हो गया. इस के बाद रोहित व आदेश ने तुरंत रोजी के गले में गमछा डाल कर खींच दिया, जिस से रोजी की मौके पर ही मौत हो गई.
रोजी की मौत के बाद शिक्षा के दोनों भाइयों ने रोजी के शव को खींच कर पास के गन्ने के खेत में डाल दिया. इस के बाद वे लोग रोजी की बाइक, मोबाइल व गमछे को दिल्ली रोड स्थित मंगलौर के निकट फेंक कर घर आ गए.
पुलिस ने शिक्षा, रोहित, आदेश व रजत से पूछताछ के बाद उन के खिलाफ भादंवि की धारा 365, 302, 201, 34 के तहत केस दर्ज कर लिया. आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से 3 अगस्त, 2019 को उन्हें जेल भेज दिया गया.
रोजी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी पुलिस को मिल गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रोजी का शरीर ज्यादा गल जाने के कारण मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया. इस मामले में डाक्टरों ने उस का विसरा व डीएनए सुरक्षित रख लिया था.
कथा लिखे जाने तक आरोपी शिक्षा, रोहित, आदेश व रजत जेल में थे. केस की आगे की जांच थानाप्रभारी अजय सिंह कर रहे थे.
—पुलिस सूत्रों पर आधारित
सौजन्य- सत्यकथा, अक्टूबर 2019