कहते हैं कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, एक न एक दिन कानून की गिरफ्त में आता जरूर है, हालांकि हत्या जैसा जघन्य अपराध जब भी कोई अपराधी करता है, तो निश्चित ही वह यही सोचता है कि उस ने जो अपराध किया है, उसे करते किसी ने देखा नहीं है, अत: वह साफ बच निकलेगा.

इस कहानी में आरोपी का अगला शिकार बनने वाली उस की दूसरी पत्नी के साहस ने उस की असलियत पुलिस के सामने ला दी. गजब के चतुर आरोपी ने इस सनसनीखेज हत्याकांड को कैसे अंजाम दिया, इस में कौनकौन शामिल रहा? उस का इरादा क्या था? इतने लंबे समय तक वह कैसे पुलिस को छकाता रहा? ऐसे तमाम सवालों के जवाब सिलसिलेवार विस्तार से जानते हैं.

इस की शुरुआत मारपीट की शिकायत से हुई. 14 मार्च, 2022 की दोपहर अनामिका नाम की एक महिला बदहवास हालत में ग्वालियर शहर के झांसी रोड थाने पहुंची. वह काफी घबराई हुई थी. थाने के गेट पर राइफल ले कर खड़े संतरी से जब उस ने थानाप्रभारी के बारे में पूछा तो संतरी ने उन के कक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘साहब अंदर बैठे हैं, आप चली जाइए.’’

अनामिका तेज कदमों से सीधे थानाप्रभारी के कक्ष में दाखिल हुई. उस वक्त थानाप्रभारी अपने मातहतों के साथ किसी अहम मसले पर चर्चा कर रहे थे. अनजान महिला को अपने कक्ष में आया देख कर उन्होंने उस से पूछा, ‘‘कहिए क्या काम है?’’

घबराई हुई अनामिका ने कहा, ‘‘साहब, मुझे अपने पति राजेंद्र यादव के जुर्म के संबंध में कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारी मय दस्तावेज और फोटो के आप को देनी है और उस के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करवानी है.’’

थानाप्रभारी ने महिला को कुरसी पर बैठने का इशारा करते हुए कहा, ‘‘आप आराम से बैठ कर पूरी बात बताइए. आखिरकार आप के साथ क्या हुआ?’’

थानाप्रभारी के कहने पर अनामिका कुरसी पर बैठ गई, लेकिन पता नहीं क्यों, उस के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी. उस की जुबान सूख गई थी. उस की हालत देख कर थानाप्रभारी ने उसे पानी पिलवाया तो उस ने कहा, ‘‘साहब, मेरा नाम अनामिका है.’’

तसल्ली देते हुए थानाप्रभारी ने कहा, ‘‘आप के साथ क्या और कैसे हुआ, विस्तार से बताइए. मैं आप को भरोसा दिलाता हूं कि पुलिस आप की हरसंभव मदद करेगी.’’

थानाप्रभारी के भरोसा देने पर अनामिका के अंदर थोड़ी हिम्मत आई. उस ने उन से कहा, मेरे पति राजेश मेहरा (36) द्वारा मेरे साथ मारपीट और गालीगलौज करने की शिकायत दर्ज कराने के साथ ही उस की असलियत से भी आप को अवगत कराना है.

अनामिका ने बताया कि उस के पिता ग्वालियर के बड़े ट्रांसपोर्टर हैं. उन्होंने बड़ी शानोशौकत से उस की शादी राजेश के साथ की थी.

इस के बाद अनामिका के साथ जो हुआ, उस की कहानी इस तरह सामने आई. समय अपनी गति से गुजरता रहा. शादी के कुछ दिनों बाद ही पति उसे परेशान करने लगा था. पति के व्यवहार में काफी बदलाव आ गया था, वह बातबात में उस से झगड़ा करने लगा था. यही नहीं, उस के साथ मारपीट भी करने लगा था.

अनामिका पति के बदले व्यवहार से काफी खफा रहती थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. अनामिका जब भी कभी उस के बदले व्यवहार की शिकायत करती तो वह कोई न कोई बहाना बना देता.

यही नहीं, इस के बाद जब देखो तब राजेश मेहरा अनामिका की पिटाई कर उसे घर से निकल जाने को भी कहता. यहां तक कि उस ने घर खर्च के लिए पैसे देने भी बंद कर दिए थे. जब राजेश के अत्याचारों की हद हो गई, तब अनामिका ने अपने पिता को सारी बातें बता दीं.

राजेश ने अनामिका के सामने इस तरह के हालात खड़े कर दिए कि अनामिका परेशान हो कर खुदबखुद अपने पति का घर छोड़ कर अपने मायके में आ कर रहने लगी. 6 महीने पहल॒े पति की सच्चाई सामने आने के बाद वह अपने पति से अलग हो गई.

दरअसल, 6 महीने पहले इत्तफाक से कुछ कागजात अनामिका के हाथ लगे, जिस से उसे पता चला कि उस के पति का असली नाम राजेश मेहरा नहीं बल्कि राजेंद्र कमरिया है, राजेश मेहरा तो उस का बोगस नाम है. वह धोखाधड़ी और हत्या जैसे अपराधों में शामिल होने की वजह से फरार चल रहा है.

इस के बाद ही अनामिका पति से अलग हो कर अपने पिता के पास चेतकपुरी में रहने लगी थी. पति राजेश मेहरा उर्फ राजेंद्र कमरिया ने उसे फोन कर उस के पास लौटने को कहा. अनामिका ने जब लौटने को मना कर दिया तो राजेंद्र अनामिका को फोन पर जान से मारने की धमकी देने लगा,

एक दिन तो हद ही हो गई. 12 मार्च, 2022 को अनामिका अपने पिता से थोड़ी देर में आने को कह कर घर से निकली ही थी कि रास्ते में राजेंद्र अपने साथियों निक्की, प्रमोद और राजा के साथ खड़ा मिल गया.

वह अनामिका को जबरन अपनी गाड़ी में डाल कर सुनसान स्थान पर ले गया और उस के साथ जम कर मारपीट की.

इस मारपीट में अनामिका की आंख पर भी चोट लगी. अनामिका ने बताया कि उस दिन पति राजेंद्र उसे जान से मारने की फिराक में था, लेकिन वह जैसेतैसे उस के चंगुल से छूट कर भाग आई.

इस के बाद अनामिका सीधी ग्वालियर के झांसी रोड थाने पहुंची और पुलिस को अपने पति की असलियत बताने के साथ ही कई अहम दस्तावेज भी सौंपे.

जैसेजैसे जांच आगे बढ़ रही थी, पुलिस को नित नईनई जानकारी मिल रही थी. पुलिस ने अपना रिकौर्ड खंगाला तो इसी थाने में राजेंद्र मारपीट के एक मामले में फरार निकला. राजेंद्र को दबोचने के लिए बिलौआ पुलिस से संपर्क किया गया तो पता चला कि 2014 में हुई 36 लाख रुपए की धोखाधड़ी और मारपीट के मामले में वह वहां से भी फरार चल रहा है.

राजेंद्र यादव को गिरफ्तार करने के लिए एक पुलिस टीम बनाई गई. टीम में क्राइम ब्रांच के टीआई दामोदर गुप्ता, थानाप्रभारी (बिलौआ) रमेश साख्य, क्राइम ब्रांच के एएसआई राजीव सोलंकी, हैडकांस्टेबल रामबाबू सिंह, कांस्टेबल आशीष शर्मा व सोनू परिहार तथा बिलौआ थाने में पदस्थ एएसआई जीत बहादुर, कांस्टेबल सुशांत पांडे, धरमवीर और महेश आदि को शामिल किया गया.

इस के बाद मुखबिर की सूचना पर 16 मार्च, 2022 को पुलिस ने उसे बिलौआ क्षेत्र स्थित उस के फार्महाउस से हिरासत में लिया.

hindi-manohar-love-crime-story

पुलिस ने थाने ला कर उस से पूछताछ की तो उस ने एक ऐसे सनसनीखेज अपराध का खुलासा कर दिया, जिस के बारे में सुनते ही पुलिस वालों के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई.

पकड़े गए युवक का असली नाम राजेंद्र यादव था. राजेंद्र ने पूछताछ में जो कुछ बताया, उसे सुन कर पुलिस असमंजस में पड़ गई. वजह यह थी कि वह एक संगीन अपराध था और वह आज जिन 4 हत्याओं के बारे में पुलिस को बता रहा था, उस से ग्वालियर पुलिस अभी तक पूरी तरह अनभिज्ञ थी.

पूछताछ में राजेश मेहरा उर्फ राजेंद्र मेहरा उर्फ राजेंद्र यादव उर्फ राजेंद्र कमरिया से पता चला कि वह सिर्फ 12वीं कक्षा तक ही पढ़ा है. ग्वालियर के बालाबाई के बाजार में उस का एक दोस्त मनोज गहलोत परिवार के साथ रहता था.

राजेंद्र यादव भी उस के पड़ोस में ही रहता था. दोनों में गहरी दोस्ती थी. राजेंद्र ने अपने से 10 साल बड़ी मनोज की पत्नी गीता को अपने प्रेम जाल में फांस लिया था. दोनों के बीच अवैध संबंध हो गए थे.

31 दिसंबर, 2011 को राजेंद्र ने अपनी प्रेमिका गीता के साथ मिल कर उस के पति मनोज गहलोत को बियर में नशे की गोली मिला कर पिला दी.

इस के बाद उस का गला दबा कर मौत के घाट उतार दिया और फिर मनोज की लाश झांसी के पास बेतवा नदी में फेंक दी थी. उधर मनोज के परिवार वालों ने कोतवाली थाने में मनोज की गुमशुदगी दर्ज करा दी थी.

मनोज की हत्या के बाद राजेंद्र और गीता ने शादी कर ली थी. शादी के बाद गीता और राजेंद्र मऊरानीपुर रहने चले गए, यहां पर गीता का मकान था.

तकरीबन 2 साल बाद जब गीता से राजेंद्र का मन ऊब गया तो सन 2013 में राजेंद्र ने बड़े ही सुनियोजित ढंग से गीता का मकान हड़प लिया. उस के बाद राजेंद्र ने रहस्यों से भरी किसी फिल्म की तरह गीता, उस के बेटे निक्की और भतीजे सूरज को भी चाकू से गोद कर मार डाला.

उस के इस अपराध में राजेंद्र के भाई कालू और उस के जीजा के भाई राहुल ने भी उस की मदद की थी. इस वारदात के बाद राजेंद्र मऊरानीपुर से फरार हो गया.

तिहरे हत्याकांड से मऊरानीपुर क्षेत्र में सनसनी फैल गई थी. इस के बाद पुलिस किसी तरह इस हत्याकांड के आरोपियों का पता लगाने में सफल हो गई.

इतना ही नहीं, पुलिस ने हत्याकांड में शामिल रहे कालू और राहुल को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल कर ली. लेकिन राजेंद्र यादव नाम और हुलिया बदल कर इधरउधर छिपता रहा. पुलिस ने उस के ऊपर ईनाम तक घोषित कर दिया.

खुद को कुंवारा बता कर राजेश उर्फ राजेंद्र ने अनामिका को सन 2014 में अपने प्रेम जाल में फांस लिया. अनामिका ने पुलिस को बताया कि राजेश से उस की दोस्ती सन 2014 में ट्रेन के सफर में हुई थी.

दोस्ती बढ़ने पर राजेश ने दिल्ली में अनामिका की नौकरी लगवाने में काफी मदद की थी, इस वजह से दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई, जो बाद में प्यार में बदल गई. बाद में दोनों ने आपसी सहमति से शादी कर ली थी.

शादी के वक्त राजेश उर्फ राजेंद्र ने अपने को कुंवारा बताया था. राजेंद्र ने अनामिका से एक नहीं, बल्कि कई झूठ बोले थे.

उन में सब से बड़ा तो यही था कि उस ने अपनी पत्नी से मकान मालिक कुलदीप मेहरा का परिचय अपने पिता के रूप में करवाया था. राजेंद्र ने अपना नाम भी अनामिका को राजेश मेहरा बताया था. बाद में अनामिका को पता चला कि कुलदीप मेहरा राजेश उर्फ राजेंद्र का पिता नहीं बल्कि मकान मालिक है.

बाद में पता चला कि राजेश ने कुलदीप मेहरा की तकरीबन 5 करोड़ रुपए की जमीन भी ठग ली थी. शादी के बाद राजेंद्र ने अपनी पत्नी को बहन के घर रखा था. राजेंद्र और अनामिका के एक बेटा भी है.

पिछले 10 सालों से राजेंद्र अपना नाम और भेष बदल कर रहता रहा. कभी पगड़ी लगा लेता तो कभी क्लीन शेव रहता. कभी दाढ़ी बढ़ा लेता था, कभी राजेंद्र यादव बन जाता तो कभी राजेश मेहरा. वह लग्जरी कारों का भी शौकीन है. साथ ही वह अय्याश प्रवृत्ति का तो है ही.

पहले वह लड़की से दोस्ती करता है, उस के बाद उन की प्रौपर्टी पर सुनियोजित ढंग से कब्जा कर खुर्दबुर्द कर देता. बात करने में हाजिरजवाब राजेंद्र यादव के अपराधों का कच्चा चिट्ठा खोलते हुए ग्वालियर के एसपी अमित सांघी, एडिशनल एसपी (क्राइम) राजेश दंडोतिया ने संयुक्त रूप से पत्रकार सम्मेलन में पत्रकारों को जानकारी दी.

2011 में खास दोस्त मनोज गहलोत की हत्या, 2012 में ग्वालियर में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर के मकान में भाड़े पर रहा. उस की पत्नी को फांस कर 60 लाख की ठगी की. चैक बाउंस मामले में गिरफ्तारी वारंट 18 जून, 2013 में धारा 420, 467, 468, 471, 120 भादंवि का केस उस के खिलाफ दर्ज हुआ.

2013 में अपने भाई और जीजा के छोटे भाई के साथ मिल कर अपनी प्रेमिका गीता और उस के बेटे और भतीजे की निर्मम हत्या कर दी.

कड़वा सच तो यह है कि अनामिका का कई मर्तबा मन हुआ कि वह अपने पति के बारे में पुलिस को सब कुछ सचसच बता दे, लेकिन राजेंद्र के खिलाफ मुंह खोलने का साहस नहीं जुटा पाई.

जब अति हो गई तो वह पति के खिलाफ पक्के सबूतों के साथ थाने में जा कर खड़ी हो गई, वैसे भी पति के खिलाफ खड़ी होने में ही अनामिका की भलाई थी.

पति की कारगुजारियों से अनामिका को गहरा झटका लगा है. इस से उबरने में फिलहाल उसे वक्त लगेगा.

पूछताछ के बाद राजेंद्र को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...