दक्षिणी दिल्ली के मालवीय नगर इलाके में गश्त लगा रही पुलिस कंट्रोल रूम की टीम को 21 मार्च की शाम साढ़े 4 बजे सूचना मिली कि कोई 2 महीने की बच्ची लापता है. यह सूचना बच्ची के पिता गुलशन कौशिक ने दी थी. पीसीआर वैन पर तैनात पुलिसकर्मी ने सूचना पाते ही इस की जानकारी स्थानीय थाना समेत डीसीपी (दक्षिण) बेनिता मैरी जैकर तक को दे दी. एक बच्ची के लापता होने की खबर मिलते ही मालवीय नगर थाना पुलिस कुछ ही देर में मौके पर पहुंच गई.

पुलिस के पहुंचने से पहले ही परिवार के सभी सदस्य बच्ची की तलाश में जुट गए. वे समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर 4 माह की बच्ची कहां हो सकती है? जरूर कोई ले गया होगा?

लेकिन कौन? ये सवाल गंभीर और चिंताजनक था. कारण, उस वक्त बच्ची के पिता और दूसरे सदस्य मकान के पास में ही स्थित डिपार्टमेंटल स्टोर में थे. यह उन की अपनी दुकान है, जहां परिवार के सभी सदस्य बारीबारी से बैठते हैं.

परिवार के बुजुर्ग सदस्य घर में नीचे सो रहे थे. घर में बच्ची के गुम होने का शोरशराबा सुन कर उन की नींद खुल गई थी.

बच्ची की तलाश में कुछ पड़ोसी भी शामिल हो गए थे. उन्हीं में से एक ने बताया कि उस ने दोपहर करीब 3 बजे डिंपल द्वारा अपने 4 साल के बेटे की पिटाई की आवाज सुनी थी. इस पर सभी का ध्यान डिंपल और उस के बेटे की ओर गया, जो उस वक्त नजर नहीं आ रहे थे.

कुछ लोग उसे देखने के लिए छत पर गए. डिंपल ने खुद को बेटे के साथ एक कमरे में बंद कर रखा था. लोगों ने दरवाजा पीटा. भीतर से डिंपल ने जब दरवाजा नहीं खोला तब उसे तोड़ दिया गया.

कमरे में डिंपल चुपचाप सहमी बैठी थी. जबकि बच्चा बेहोश पास में ही लेटा था. उसे अस्पताल ले जाया गया. गुम बच्ची डिंपल के पास भी नहीं थी. डिंपल से बच्ची के बारे में पूछा गया, तब उस ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. सभी लोग इधरउधर उसे तत्परता से ढूंढने लगे.

जिस की जिधर नजर गई, वे बच्ची को ढूंढने लगे. पलंग के ऊपर, पलंग के नीचे. तकिए के पीछे, तकिए के नीचे. अलमारियों में, उस के ऊपर, स्टूल के नीचे. कमरे का कोनोकोना छान मारा, मगर बच्ची कहीं नहीं नजर आई.

घर के किसी सामान की तरह से उस की तलाश हर जगह की जा रही थी. कुछ लोग बच्ची को मकान के बाहर गलियों में भी खोजने लगे थे, जबकि कुछ ने घर में पानी के टैंकों में झांक कर देखा.

कबाड़ के पड़े कुछ सामान में भी बच्ची की तलाश की जाने लगी. परिवार के एक सदस्य की नजर खराब माइक्रोवेव ओवन पर टिक गई. जो अपनी जगह से खिसका हुआ गिरने की स्थिति में था.

ओवन को ध्यान से देखा तो पाया कि उसे अपनी जगह से खिसकाया गया है. उस के ऊपर रखा गया एक छोटा तख्ता वहां से हटा हुआ था. वह स्टूल की मदद से ओवन की ऊंचाई तक पहुंचा. उस के खोलते ही वह सदस्य सन्न रह गया, बच्ची कपड़े में लिपटी ओवन में ही थी.

चिल्लाते हुए उस ने बच्ची को बाहर निकाला और नीचे आ गया. तब तक नीचे पुलिस टीम भी पहुंच चुकी थी. पुलिस बच्ची की मां डिंपल से पूछताछ कर रही थी. छोटे तौलिए में लिपटी बच्ची को देख कर मौजूद सभी लोग तरहतरह की बातें करने लगे.

वह एकदम से बेजान थी. उस में कोई हरकत नहीं हो रही थी. उस का शरीर और चेहरा देख कर ही लग रहा था कि वह मर चुकी थी.

यह देख कर डिंपल के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा था. वह बुत बनी हुई थी. उस के चेहरे का रंग सफेद पड़ गया था. ऐसा लग रहा था जैसे उस के शरीर में खून ही न हो. कुछ बोल नहीं पा रही थी.

पुलिस ने बच्ची को तुरंत अस्पताल भिजवा दिया. उस मासूम का नाम अनन्या था. अस्पताल पहुंचते ही डाक्टरों ने बता दिया कि उस बच्ची की मौत हो चुकी है. मामला संदिग्ध था, इसलिए पुलिस को डिंपल और उस के पति से पूछताछ करनी थी, लिहाजा पुलिस दोनों को थाने ले आई.

थाने में दोनों से पूछताछ की. बड़ी मुश्किल से डिंपल ने जुबान खोली. उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने अपनी बेटी की गला घोट कर हत्या की थी. वह भी 2 दिन पहले.

डिंपल ने अपनी मासूम बेटी की हत्या की जो वजह बताई, वह आज के आधुनिक समाज और दिल्ली के महानगरीय रहनसहन के लिए चौंकाने वाली थी.

दरअसल, डिंपल की गुलशन कौशिक नाम के युवक से 7 साल पहले शादी हुई थी. वह 3 साल बाद एक बेटे की मां बन गई थी. बेटा पा कर वह बेहद खुश थी. उस के 4 साल बाद उस ने एक बेटी को जन्म दिया था, जिस का नाम अनन्या रखा. उस के जन्म पर मिठाई भी बांटी गई थी.

परिवार में सभी सदस्य बेटी के पैदा होने पर खुश थे, लेकिन डिंपल का मन उदास था. वह बेटा चाहती थी. हालांकि उस ने अपने मन की बात किसी को नहीं बताई थी. फिर भी वह मन ही मन घुटती रहती थी.

चिराग दिल्ली स्थित भैरो चौक पर मकान नंबर 656 में डिंपल के अलावा गुलशन, उस के मातापिता और भाई भी रहते थे. पुलिस पूछताछ में आरोपी डिंपल ने बताया कि वह दुधमुंही अनन्या को डायन समझती थी. कारण, उस के पैदा होते ही उस का बेटा चिड़चिड़ा हो गया था. वह ठीक से खाना भी नहीं खाता था.

अनन्या को दूध पिलाने के चक्कर में बेटा उपेक्षित हो गया था. इस कारण वह कई बार मासूम बच्ची को अपना दूध तक नहीं पिलाती थी. भूखी अनन्या जब लगातार रोती रहती थी, तब उसे लगता था कि उस की बेटी राक्षसी प्रवृत्ति की है और वह आगे चल कर उस के बेटे को मार सकती है.

अंधविश्वास की इस भावना से ग्रसित डिंपल ने एक दिन बेटी का मुंह दबा कर मार डाला. उस की सांस रुकने से मौत हो गई. यह काम उस ने दूसरी मंजिल पर किया था.

जब वह वाशिंग मशीन में कपड़े धो रही थी, तभी उस ने भूख से रो रही बेटी का मुंह और नाक दबा दी थी. इतना ही नहीं कट्टर दिल मां ने दुधमुंही बच्ची के शव को चलती वाशिंग मशीन में डाल दिया था. उस के शव को कुछ देर मशीन में घुमाने के बाद बाहर निकाला था. तब तक बच्ची मर चुकी थी.

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उस के बाद बच्ची का शव पहली मंजिल पर अपने बैडरूम में ले आई थी. उसे बैड पर इस तरह लिटा दिया था, मानो सो रही हो. कुछ समय बाद जब परिवार के लोगों ने बच्ची के बारे में पूछा, तब उस ने कहा कि अभी दूध पी कर सो गई है. उस की तबीयत ठीक नहीं लग रही थी. नाक बह रही थी. उस ने गरम सरसों के तेल की मालिश कर उसे सुला दिया है.

बच्ची की तबीयत खराब होने की वजह से घर वालों ने भी उस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. पुलिस ने जब डिंपल से पूछा कि उस ने बेटी की हत्या करने के बाद वाशिंग मशीन में क्यों डाला था, तब उस ने तुरंत अपना बयान बदल दिया. बोली कि उस ने बेटी को मशीन में नहीं डाला, बल्कि बेटी उस के हाथों से छूट गई और गलती से मशीन में गिर गई थी.

हालांकि पुलिस को यह बात गले नहीं उतरी थी, क्योंकि बच्ची को वाशिंग मशीन में कुछ देर तक घुमाने के बाद निकाला गया था.

डिंपल मासूम बच्ची के शव को तो किसी तरह परिवार के लोगों से छिपाने में 2 दिनों तक कामयाब रही, लेकिन एक दिन उस के बेटे ने ही उस के बेसुध पड़े होने को ले कर शोर मचाना शुरू कर दिया. वह दादी…दादी चिल्लाने लगा कि उस की बहन नहीं रो रही है.

तब डिंपल डर गई. उस ने गुस्से में बेटे की ही पिटाई कर दी और उसे कमरे में बंद कर बच्ची को ले जा कर माइक्रोवेव ओवन में छिपा दिया. उसे ओवन में छिपाने के बाद कमरे में आई. तब तक बेटा रोरो कर बेहोश हो गया था.

मां द्वारा बेटे के पीटने की आवाज सुन कर ही एक पड़ोसी ने उस के रोने की शिकायत डिंपल की सास से कर दी थी. सास नहीं समझ पाई कि जो औरत अपने बेटे से बहुत प्यार करती है, वह भला उसे क्यों पीटेगी?

इसी बीच उसे ध्यान आया कि उस ने तो अनन्या को 2 दिन से गोद में लिया ही नहीं. प्यार दुलार नहीं किया. उस ने तो उस की कल से तेल मालिश नहीं की है. कहीं उस की तबीयत ज्यादा खराब तो नहीं हो गई, जिस से डिंपल परेशान हो गई हो.

सास ने डिंपल को आवाज दी और अनन्या के बारे में पूछा. उसे उस के पास लाने को भी कहा. इस पर डिंपल ने इतना कहा कि वह सो रही है. जबकि सास उसे डाक्टर को दिखाने की जिद करने लगी.

वह तुरंत दुकान पर बेटे गुलशन के पास चली गई. उसे अनन्या की तबीयत खराब होने की बात बताई.

गुलशन तुरंत घर के अंदर आ गया. उस ने डिंपल को डांटते हुए कहा कि अनन्या की तबीयत खराब थी, तब उस ने उसे बताया क्यों नहीं? कहां है उसे ले कर आओ, अभी डाक्टर के पास ले चलते हैं.

इस पर डिंपल वहीं ठिठकी रही. धीमे से बोली, ‘‘अनन्या नहीं मिल रही है?’’

यह सुन कर गुलशन और उस की मां का माथा ठनका, ‘‘नहीं मिल रही है, इस का क्या मतलब है? कौन ले गया उसे?’’

‘‘पता नहीं?’’ डिंपल सहमीसहमी बोली.

‘‘पता नहीं क्या? तुम कैसी मां हो? तुम से 2 महीने की बच्ची नहीं संभलती है. उस की तबीयत खराब है मुझे बताया तक नहीं. और अब कह रही हो नहीं मिल रही है,’’ गुलशन गुस्से में बोलने लगा, ‘‘घर पर आज कौन आया था? कहीं तुम ने उसे बाहर के दरवाजे के पास तो नहीं छोड़ दिया था. हो सकता है कोई बच्चा चोर उठा ले गया हो…’’

‘‘हो सकता है गुलशन बेटा. पुलिस में फोन कर अभी तुरंत,’’ डिंपल की सास बोली.

मां के कहने पर ही गुलशन कौशिक ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर बच्ची के गुम होने की शिकायत की. उस शिकायत के बाद घर में कोहराम मच गया.

परिवार के दूसरे सदस्य घर और बाहर बच्ची की तलाश में जुट गए. जबकि डिंपल चुपके से अपने बेहोश बेटे के पास चली गई और कमरे का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया था.

कथा लिखे जाने तक पुलिस डिंपल से पूछताछ कर रही थी. जबकि उस के पति गुलशन कौशिक को बेकुसूर मान कर छोड़ दिया था.

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