अपर सत्र न्यायालय (चतुर्थ) देहरादून के में उस दिन काफी गहमागहमी का माहौल था. अनेक अधिवक्ता न्यायालय में तेजी से आ रहे थे तथा वे पेशकार से अपनेअपने मुकदमों की तारीखों की बाबत जानकारी ले कर वापस लौट रहे थे. वह दिन कुछ इसलिए भी खास था कि उस दिन देहरादून में हुई एक शिक्षक किशोर चौहान की हत्या के बहुचर्चित मामले में न्यायालय में फैसला सुनाया जाना था.

3 साल पहले हुई शिक्षक की हत्या के आरोप में पुलिस ने शिक्षक की पत्नी शिक्षिका स्नेहलता व उस के प्रेमी सिपाही अमित पारले पर आरोप लगाते हुए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी. इस हत्याकांड की विवेचना एक थानेदार सहित 2 पुलिस इंसपेक्टर कर चुके थे. पुलिस के आला अधिकारियों ने भी इस हत्याकांड की विवेचना में मानीटरिंग की थी.

पुलिस के आला अधिकारी यह चाहते थे कि शिक्षक किशोर चौहान की हत्या की विवेचना निष्पक्ष हो, हत्या के इस मामले में किसी निर्दोष को सजा न मिले. इस हत्याकांड की जांच एक इंसपेक्टर चंद्रभान अधिकारी ने भी की थी. श्री अधिकारी पूर्व में सीबीआई देहरादून में कुछ वर्ष कार्य कर चुके थे.

तभी कोर्ट में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) जयकृष्ण जोशी भी आ गए थे. जोशी ने आ कर पहले कोर्ट की काररवाई की तैयारी की बाबत पेशकार से बात की. इस के बाद अदालत में किशोर चौहान की हत्या के मामले के आरोपियों स्नेहलता व सिपाही अमित पारले को भी जेल से लाया गया था. कटघरे में उन दोनों के चेहरों पर हवाइयां उड़ी हुई थीं.

कुछ समय बाद अदालत में बचाव पक्ष के अधिवक्तागण यशपाल सिंह पुंडीर व विवेक गुप्ता भी पहुंच गए थे. इस के बाद इन दोनों अधिवक्ताओं ने वहां मौजूद आरोपियों स्नेहलता व अमित पारले से उन के कानों में कुछ बातें की तथा उन्हें कुछ आश्वासन भी दिया.

इस के बाद कोर्ट में थाना रायपुर की पुलिस तथा कुछ पत्रकार भी पहुंच गए थे. वे सभी कोर्ट की काररवाई शुरू होने का इंतजार करने लगे.

उस समय 10 बज रहे थे. तभी न्यायालय में अपर सत्र न्यायिक मजिस्ट्रैट चंद्रमणि राय आ गए थे. उन के आने पर वहां मौजूद अधिवक्ताओं व पुलिस वालों ने उन्हें अभिवादन किया था.

इस के बाद वहां पर मजिस्ट्रैट ने कोर्ट की काररवाई शुरू करने के आदेश दिए. तभी कोर्ट में तैनात दोनों कोर्ट मोहर्रिर सावधान हो कर खड़े हो गए थे.

इस दौरान पेशकार का संकेत पा कर अर्दली ने कोर्ट के गेट पर आवाज लगाई कि राज्य बनाम स्नेहलता व अमित हाजिर हो. किशोर चौहान की हत्या के मुकदमे में वादी किशोर चौहान के भाई आनंद चौहान तथा प्रतिवादियों स्नेहलता व अमित पारले के बयान पूर्व में ही दर्ज हो चुके थे तथा इस प्रकरण में अभियोजन पक्ष व बचाव पक्ष के अधिवक्तागण पूर्व में बहस भी कर चुके थे.

सीआरपीसी की धारा 313 के तहत आरोपियों स्नेहलता व उस के प्रेमी सिपाही अमित पारले ने अपने बयानों में कोर्ट में खुद को निर्दोष बताया था. अभियोजन पक्ष ने इस मुकदमे की जोरदार पैरवी करते हुए आरोपियों के खिलाफ 36 गवाहों के बयान कोर्ट में दर्ज कराए थे.

देहरादून के थाना रायपुर में किशोर चौहान हत्याकांड का मुकदमा 17 जून, 2018 को आईपीसी की धाराओं 302, 201 व 120 के तहत दर्ज हुआ था.

इस मामले के वादी किशोर चौहान के भाई आनंद चौहान ने रायपुर पुलिस को सूचना दी थी कि गत 15 जून, 2018 की रात 8 बजे मेरा भाई किशोर चौहान अपनी पत्नी स्नेहलता के साथ अपनी वैगनआर कार द्वारा घूमने के लिए घर से निकला था.

उस वक्त कार स्नेहलता चला रही थी. आराघर चौकी से 20 मीटर आगे किशोर चौहान ने कार को रुकवाया था और स्नेहलता को कोल्ड ड्रिंक लाने के लिए भेजा था. जब स्नेहलता कोल्ड ड्रिंक ले कर पैदल आई थी तो तब तक किशोर चौहान वहां से जा चुका था. इस के बाद स्नेहलता ने इस की सूचना अपने परिजनों को फोन कर के दी थी व किशोर को आसपास तलाश किया था.

रात 9 बज कर 10 मिनट पर स्नेहलता का फोन किशोर ने रिसीव किया और कहा कि तुम परेशान मत हो, मैं आ जाऊंगा. इस के बाद स्नेहलता ने यह सूचना अपनी जेठानी को देनी चाही तो जेठानी का मोबाइल बंद मिला.

इस के बाद 16 जून, 2018 की सुबह को थाना रायपुर पुलिस ने किशोर के भाई आनंद को सूचना दी कि तुम्हारे भाई किशोर चौहान रिंग रोड किसान भवन के पास अपनी कार में मृत मिले हैं. इस सूचना पर किशोर के घर वाले मौके पर पहुंचे थे.

रायपुर पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी कर के शव पोस्टमार्टम के लिए दून अस्पताल भेज दिया था और आनंद चौहान की ओर से किशोर की हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था.

मुकदमा दर्ज होने के बाद इस प्रकरण की जांच थानेदार मनोज रावत को सौंप दी गई थी. किशोर की मौत का मामला बेहद पेचीदा था.

अत: श्री रावत ने कोतवाल हेमेंद्र नेगी के निर्देश पर मृतक किशोर व उस की पत्नी स्नेहलता के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. अगले दिन दोनों के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स उन्हें मिल गई.

शिक्षक किशोर चौहान की मौत के मामले को किशोर के भाई आनंद सहित उन के परिजन साजिश के तहत हत्या बता रहे थे तथा इस हत्या का आरोप वे स्नेहलता व उस के प्रेमी सिपाही अमित पारले पर लगा रहे थे. पुलिस भी इस मामले में सबूत एकत्र कर रही थी.

सबूत एकत्र करने के बाद ही पुलिस ने इस मामले में स्नेहलता व अमित पारले के खिलाफ चार्जशीट अदालत में भेजी थी. पति की हत्या के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद स्नेहलता को शिक्षा विभाग ने भी निलंबित कर दिया था.

तभी अदालत में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) जयकृष्ण जोशी ने न्यायिक मजिस्ट्रैट महोदय से किशोर चौहान की हत्या के मामले में आरोपियों स्नेहलता व सिपाही अमित पारले को कठोर दंड देने का अनुरोध किया.

जोशी ने कहा कि दोनों आरोपियों पर दोष सिद्ध हो चुका है तथा उन्होंने इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया है इसलिए वे दोनों कठोर दंड पाने के अधिकारी हैं.

इस के बाद जैसे ही मजिस्ट्रैट महोदय ने किशोर हत्याकांड में फैसला सुनाना शुरू किया तो अदालत में सन्नाटा छा गया.

मजिस्ट्रैट ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत किए सबूतों व गवाहों की गवाही से यह सिद्ध होता है कि शिक्षक किशोर चौहान की साजिश के तहत हत्या स्नेहलता व सिपाही अमित पारले द्वारा ही की गई थी. दोनों के द्वारा यह गंभीर प्रकृति का अपराध किया गया है.

दोनों ही आरोपी पढ़ेलिखे हैं. वे अपराध की गंभीरता व परिणाम से पूर्णतया वाकिफ हैं. अत: दोषसिद्ध अभियुक्तगण स्नेहलता चौहान व अमित पारले प्रत्येक को धारा 302, 120बी भादंसं 1860 के आरोप में आजीवन कारावास एवं 25 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया जाता है. अर्थदंड अदा न करने पर अभियुक्तगण 4-4 माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगेंगे.

दोषसिद्ध अभियुक्तगण स्नेहलता चौहान व अमित पारले को धारा 201 भादंसं 1860 के आरोप में 5 साल के कठोर कारावास एवं 10 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया जाता है. अर्थदंड अदा न करने पर अभियुक्तगण 3-3 माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगेंगे.

सभी सजाएं साथसाथ चलेंगीं. अभियुक्तगण के द्वारा जांच के दौरान जेल में बिताई गई अवधि सजा में समायोजित की जाएगी. न्यायिक अभिरक्षा में न्यायालय में उपस्थित अभियुक्तगणों का वारंट बना कर उन्हें सजा भुगतने के लिए जिला कारागार देहरादून भेजा जाए.

अदालत के इस फैसले की एक एक प्रति अभियुक्तगणों को अविलंब नि:शुल्क दी जाए. यदि अपील होती है तो माननीय अपीलीय न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन हो.

अदालत के इस फैसले को सुन कर स्नेहलता व अमित पारले की आंखों में आंसू छलक आए. ऐसा लग रहा था कि उन दोनों को अपने किए पर पछतावा हो रहा था.

कुछ ऐसा भी था कि वे दोनों अभी तक विचाराधीन कैदी थे, मगर अदालत के इस फैसले के बाद वे सजायाफ्ता कैदी बन गए थे. 2 सितंबर, 2021 को सजा सुनने के बाद उन दोनों को देहरादून जेल ले जाया गया.

अपने प्रेमी सिपाही के साथ मिल कर अपने शिक्षक पति की हत्या करने वाली शिक्षिका स्नेहलता की कहानी इस प्रकार है.

वर्ष 1999 में स्नेहलता की पहली मुलाकात अमित पारले निवासी कावली रोड देहरादून से हुई थी. उस वक्त अमित डीएवी कालेज से बीए कर रहा था, जबकि स्नेहलता डीबीएस पीजी कालेज से बीएससी कर रही थी. पढ़ाई के दौरान दोनों में काफी घनिष्ठता बढ़ गई थी.

वर्ष 2000 में अमित भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) में भरती हो गया था, जबकि स्नेहलता आगे की पढ़ाई करती रही. कुछ समय बाद अमित पारले ने आईटीबीपी से इस्तीफा दे दिया था और उत्तराखंड पुलिस में भरती हो कर हरिद्वार आ गया.

पढ़ाई के बाद स्नेहलता की बतौर शिक्षक नौकरी लग गई थी तथा उस की शादी शिक्षक किशोर चौहान के साथ हो गई थी. उस वक्त स्नेहलता राजकीय

इंटर कालेज शिवाली घाट ऊखीमठ रुद्रप्रयाग में तैनात थी तथा किशोर चौहान जीआईसी सजवाण कांडा देवप्रयाग में तैनात थे.

इस के बाद स्नेहलता 2 बच्चों की मां बन गई थी. अमित पारले से स्नेहलता की अकसर बातें होती रहती थीं. वर्ष 2004 में अमित पारले की भी शादी हो गई थी तथा वर्तमान में वह 2 बेटियों व एक बेटे का बाप है.

इस के बाद स्नेहलता व अमित पारले का प्यार परवान चढ़ने लगा था. अकसर अमित पारले जब स्नेहलता से मिलने आता था तो वह किशोर चौहान से भी श्चमिलता था.

जब किशोर चौहान को स्नेहलता व अमित पारले के प्रेम संबंधों की जानकारी हुई थी, तो उन्होंने इस का विरोध किया था. जब स्नेहलता किशोर चौहान के समझाने पर भी नहीं मानी तो परेशान हो कर किशोर चौहान डिप्रेशन में रहने लगे थे और शराब को ही उन्होंने अपना सहारा बना लिया था. 15 जून, 2018 को घटना वाले दिन स्नेहलता खुद कार चला कर अपने पति को रिंग रोड पर ले कर पहुंची थी. बाद में अगले दिन सुबह किशोर चौहान कार में मृत मिले थे.

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किशोर चौहान के भाई आनंद चौहान ने किशोर की मौत का मुकदमा थाना रायपुर में दर्ज कराया था और उन की मौत का शक उन की पत्नी स्नेहलता व उस के प्रेमी सिपाही अमित पारले पर जताया था.

मामले की जांच थानेदार मनोज रावत तथा कोतवाल हेमेंद्र नेगी द्वारा की गई थी. इस दौरान पुलिस ने स्नेहलता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई थी.

किशोर चौहान की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण दम घुटना तथा शरीर पर लगी चोटें बताया गया था. इस के बाद किशोर चौहान की मौत के मामले में एसओजी टीम के प्रभारी पी.डी. भट्ट को लगाया गया था.

पी.डी. भट्ट ने जब स्नेहलता के फोन की काल डिटेल्स खंगाली तो उन्हें किशोर चौहान की मौत से 2 दिन पहले आई एक काल पर संदेह हुआ था.

जब उन्होंने काल करने वाले की लोकेशन निकाली तो उन्हें जानकारी हुई कि यह काल हरिद्वार के कुशल कुमार ड्राइवर द्वारा की गई थी.

इस के बाद जब पी.डी. भट्ट हरिद्वार जा कर कुशल कुमार ड्राइवर से मिले, तो उस ने भट्ट को यह जानकारी दी कि यह मोबाइल मेरे नाम से अवश्य है, मगर इस मोबाइल को सिपाही अमित पारले द्वारा चलाया जाता है.

इस के बाद भट्ट ने सिपाही अमित पारले को रोशनाबाद हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया था और उसे ले कर देहरादून एसओजी कार्यालय आ गए थे. यहां पर भट्ट व एसओजी सिपाही आशीष शर्मा ने किशोर चौहान की मौत के मामले में अमित पारले से पूछताछ की थी.

पहले तो अमित पारले ने पूछताछ के दौरान श्री भट्ट को गच्चा देने का प्रयास किया था, मगर जब भट्ट ने अमित से तारीखों के अनुसार तथा उस की लोकेशन के अनुसार पूछताछ की तो वह टूट गया और उस ने पुलिस के सामने किशोर चौहान की मौत का सच उगल दिया.

अमित पारले ने पुलिस को बताया कि वह 8 जून, 2018 को देहरादून की त्यागी रोड स्थित एक होटल में स्नेहलता के साथ आ कर ठहरा था. होटल में हम दोनों ने किशोर चौहान की हत्या की साजिश रची थी.

घटना वाले दिन यानी 15 जून, 2018 को वह अपने दोनों मोबाइल फोन हरिद्वार स्थित घर पर छोड़ कर गया था, जिस से उस की लोकेशन देहरादून की न मिल सके. घटना वाले दिन जब स्नेहलता रात को कोल्ड ड्रिंक लेने गई थी तो अपने पति को कार सहित उस के हवाले कर गई थी.

इस के बाद उस ने किशोर पर हमला कर के तथा उस का गला दबा कर उस की हत्या कर दी थी. किशोर का मोबाइल भी उस ने पास की झाडि़यों में फेंक दिया था.

स्नेहलता व खुद के बचाव के लिए वह अपने फोन से स्नेहलता के फोन पर कम बात करता था तथा कुशल कुमार ड्राइवर के नाम से खरीदे गए सिम से ही बात करता था, जिस से पुलिस उस की लोकेशन न जान सके. अमित ने हरिद्वार के मोबाइल दुकान संचालक मनीष से कुशल कुमार ड्राइवर की आईडी पर सिम खरीदा था.

दुकान संचालक को अमित ने यह बताया था कि वह अपनी पत्नी के लिए सिम खरीद रहा है. उस सिम का प्रयोग उस ने स्नेहलता से बातचीत के लिए ही किया था.

इस के बाद पुलिस ने अमित पारले के बयान दर्ज कर लिए थे तथा उसी दिन शाम को रायपुर पुलिस ने स्नेहलता को भी किशोर चौहान की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था.

स्नेहलता ने अपने बयानों में भी अमित पारले के बयानों का ही समर्थन किया था. 25 जून, 2018 को एसटीएफ की प्रभारी एसएसपी रिद्धिम अग्रवाल ने देहरादून में एक प्रैसवार्ता के दौरान स्नेहलता व अमित पारले को मीडिया के सामने पेश किया और किशोर चौहान हत्याकांड का खुलासा किया था.

रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि जब अमित पारले व स्नेहलता का प्यार परवान चढ़ रहा था तो स्नेहलता ने शिक्षा विभाग से 2 साल की छुट्टी बिना वेतन ले ली थी, जिस से वह अमित पारले के साथ रह सके.

न्यायालय द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद से अमित पारले व स्नेहलता देहरादून जेल में बंद थे. इस के अलावा दोनों की ओर से न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील कर दी गई है.

स्नेहलता को सजा सुनाए जाने के बाद अपर निदेशक, शिक्षा विभाग महाबीर सिंह बिष्ट ने 21 जनवरी, 2022 को शिक्षिका स्नेहलता को बर्खास्त करते हुए उस की सेवा समाप्त कर दी हैं.

(कथा पुलिस सूत्रों व अदालत के फैसले पर आधारित)

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