रुचि सिंह चौहान उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही थी. उस का हाल ही में बाराबंकी से लखनऊ तबादला हुआ था. 13 फरवरी, 2022 को उस की ड्यूटी थी, लेकिन वह अपने औफिस ड्यूटी पर नहीं पहुंची. इस के बाद उस की तलाश की गई, उस का कोई पता नहीं चला. उस का मोबाइल भी बंद आ रहा था. रुचि के साथ काम करने वाली उस की सहेली ने सोशल मीडिया पर फोटो सहित उस के लापता होने की पोस्ट डाली तो पूरे विभाग में हड़कंप मच गया.

जब किसी तरह से रुचि का पता नहीं लगा तो विभाग के अनुभाग अधिकारी एम.पी. सिंह ने सुशांत गोल्फ सिटी थाने में रुचि की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी. पुलिस ने 3-4 दिनों तक उसे अपने स्तर से ढूंढा, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला.

उसी दौरान 17 फरवरी को पीजीआई थाना क्षेत्र के कल्ली माती स्थित नाले में एक युवती की लाश मिली है. पीजीआई थाने के प्रभारी धर्मपाल सिंह सूचना पर पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. उन्होंने लाश को नाले से निकलवा कर निरीक्षण किया गया.

मृतका का चेहरा काफी बिगड़ गया था. कपड़ों से ही उस की पहचान हो सकती थी. परंतु जब मौके पर उस की शिनाख्त न हो सकी तो इंसपेक्टर सिंह ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया.

इसी बीच थानाप्रभारी धर्मपाल सिंह सुशांत को गोल्फ सिटी में सिपाही रुचि सिंह की गुमशुदगी दर्ज होने की जानकारी मिली तो उन्होंने नाले से युवती की लाश बरामद करने की सूचना थाना गोल्फ सिटी को दे दी.

सूचना पा कर 19 फरवरी को रुचि के साथ काम करने वाली उस की सहेली थानाप्रभारी धर्मपाल सिंह के साथ मोर्चरी चली गई. उस ने कपड़ों के आधार पर ही लाश की पहचान रुचि के रूप में कर ली. जिस के बाद रुचि सिंह के घर घटना की सूचना दे दी गई. रुचि मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नजीबाबाद थाने के महावतपुर बिलौच की रहने वाली थी. रुचि के घर वालों द्वारा भी लाश की पहचान कर ली गई.

इस के बाद पुलिस ने पीजीआई थाने में अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर केस की जांच शुरू कर दी. रुचि का मोबाइल नंबर भी सर्विलांस पर लगा दिया गया.

काल डिटेल्स में 12 फरवरी को उस के फोन की आखिरी लोकेशन पीजीआई, लखनऊ के पास मिली. उसी दिन उस की जिस नंबर से अंतिम बार बात हुई थी, वह नंबर पता किया गया. वह नंबर पद्मेश श्रीवास्तव के नाम पर था, जोकि प्रतापगढ़ के रानीगंज में नायब तहसीलदार के पद पर तैनात था.

20 फरवरी की सुबह साढे़ 5 बजे लखनऊ पुलिस प्रतापगढ़ पहुंच गई. स्थानीय पुलिस को साथ ले कर लखनऊ पुलिस रानीगंज में कंपनी बाग के पास स्थित ट्रांजिट हौस्टल पहुंची. इसी हौस्टल में पद्मेश रहता था.

पुलिस ने दरवाजा खटखटाया तो कुछ पलों में ही पद्मेश ने दरवाजा खोल दिया. पुलिस ने पद्मेश को हिरासत में लेने के बाद पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. पूछताछ में रुचि की हत्या में 2 और नाम सामने आए. एक नाम पद्मेश की पत्नी प्रगति श्रीवास्तव और दूसरा उन दोनों के परिचित नामवर सिंह का था.

पद्मेश की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने नामवर सिंह को रानीगंज से और पद्मेश की पत्नी प्रगति को प्रयागराज स्थित घर से गिरफ्तार कर लिया. तीनों को ले कर लखनऊ पुलिस वापस आ गई. यहां आ कर जब उन सभी से गहनता से पूछताछ की गई तो हत्या की पूरी वजह खुल कर सामने आ गई.

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नजीबाबाद थाने के महावतपुर बिलौच में रहती थी 25 वर्षीय रुचि सिंह चौहान. उस के पिता का नाम योगेंद्र सिंह चौहान और माता का नाम रानी देवी था. पिता पेशे से किसान थे. रुचि का एक भाई था शुभम. वह अभी पढ़ रहा था.

रुचि शुरू से पढ़ाई में काफी तेज थी. उस ने नजीबाबाद के ही एक कालेज से इंटरमीडिएट तक पढ़ाई की थी. उस के बाद उस ने पुलिस की भरती के लिए तैयारियां करनी शुरू कर दीं.

उस का सेलेक्शन भी हो गया. पुलिस ट्रेनिंग के दौरान उस की मुलाकात नीरज सिंह से हुई. वह भी कांस्टेबल की ट्रेनिंग कर रहा था.

नीरज सिंह बरेली जिले का रहने वाला था. रुचि बेहद खूबसूरत और चंचल स्वभाव की थी. उस के तीखे नैननक्श उस की खूबसूरती में चार चांद लगा देते थे. जो उसे देखता, देखता ही रह जाता. नीरज भी उसे देख कर अपना दिल हार बैठा. उस की नजर ही रुचि पर से नहीं हटती थी.

नीरज ने उस की तरफ कदम बढ़ाए तो रुचि को भी इस का एहसास हो गया कि नीरज उसे चाहता है. नीरज भी गबरू जवान था. रुचि भी उस में रुचि लेने लगी. पहले दोनों में दोस्ती हुई, जब दोनों एकदूसरे को अच्छे से जानने लगे, चाहत की आग बढ़ी तो दोनों एकदूसरे से प्यार का इजहार कर बैठे.

जून, 2019 में रुचि ने नीरज से विवाह कर लिया. रुचि के घरवाले इस विवाह के सख्त खिलाफ थे, लेकिन रुचि नहीं मानी. इस पर रुचि के घरवालों ने उस से ज्यादा मतलब रखना बंद कर दिया.

विवाह के बाद जैसेजैसे समय आगे बढ़ता गया, दोनों के बीच और नजदीकियां आने के बजाय दूरियां आने लगीं. उन के बीच का प्यार कम होता गया. रोजरोज झगड़े होने लगे.

रुचि ने फेसबुक पर अपना एकाउंट बना रखा था. उस के जरिए वह परिचितों से तो जुड़ी ही थी, साथ ही साथ नए अंजान लोगों के संपर्क में भी आ गई थी. उन में से ही एक था पद्मेश श्रीवास्तव.

पद्मेश स्मार्ट तो था ही, उस की सब से बड़ी खूबी यह थी कि वह सरकारी नौकरी करता था. वह उस समय नायब तहसीलदार के पद पर कौशांबी में तैनात था. उस की पहली पोस्टिंग प्रतापगढ़ के कुंडा में थी. वह प्रयागराज का रहने वाला था. पद्मेश शादीशुदा था और उस की पत्नी प्रगति प्रयागराज में जौब करती थी. उन के 2 बच्चे थे.

फेसबुक के जरिए रुचि की मुलाकात पद्मेश से हुई. दोनों ने एकदूसरे को अपने बारे में बताया. उन के बीच हर रोज बातचीत होने लगी. मैसेंजर पर चैटिंग होने लगी. जिस की वजह से उन में गहरी दोस्ती हो गई. पद्मेश ने उसे यह नहीं बताया था कि वह विवाहित है.

रुचि तो उसे अविवाहित समझ कर उस के साथ जुड़ी थी. वह नीरज के बाद पद्मेश के साथ जिंदगी गुजारने के सपने देखने लगी थी.

वह समझती थी कि पद्मेश से अच्छा दूसरा उसे कोई जीवनसाथी नहीं मिलेगा. इसलिए उस ने नीरज से तलाक लेने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी. नीरज इस समय कौशांबी में जीआरपी में तैनात था.

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समय के साथ दोनों ने अपने प्रेम का इजहार भी कर दिया. दोनों की मोबाइल पर बातें शुरू हो गईं. पहली मुलाकात दोनों की एक जमीन के मामले में हुई. उस के बाद उन के बीच मुलाकातों का सिलसिला चल निकला.

पद्मेश लखनऊ आता तो रुचि के साथ ही उस के किराए के मकान पर रुकता था. वह अकेली ही वहां रहती थी. रुचि भी रानीगंज जाती और पद्मेश के साथ उस के हौस्टल के कमरे में ही रुकती थी. सब अच्छा चलता देख कर रुचि पद्मेश पर जल्दी शादी कर लेने की बात करने लगी.

पद्मेश तो सिर्फ उस से संबंध बनाए रखना चाहता था. इसलिए उसे शादी करने का झूठा दिलासा देता रहता था. वह उस से कहता कि जल्द ही वह उस से शादी कर लेगा और लखनऊ में ही मकान बनवा कर उस के साथ रहेगा. यह सुन कर रुचि खुश हो जाती थी.

28 अगस्त, 2021 को रुचि का भाई शुभम उत्तर प्रदेश पुलिस में एसआई की परीक्षा देने लखनऊ आया तो वह अपनी बहन रुचि के मकान पर ही रुका. रुचि ने उसे भी बताया कि वह नीरज से तलाक ले रही है और तहसीलदार पद्मेश से शादी करने वाली है.

फोन पर शुभम की पत्नी शालिनी यानी अपनी भाभी को भी रुचि ने पद्मेश से शादी करने की बात बताई. वह शादी को ले कर बहुत खुश थी.

समय निकलता जा रहा था, लेकिन पद्मेश शादी की बात कहता जरूर था लेकिन करता कुछ नहीं था. इस पर रुचि पद्मेश पर जल्दी शादी करने का दबाव बनाने लगी.

उस के बारबार दबाव डालने से पद्मेश को एहसास हो गया कि रुचि अब ऐसे नहीं मानने वाली. अब वह उसे किसी तरह समझा कर बहलाफुसला नहीं सकता तो उस ने रुचि से अपने शादीशुदा होने की बात बता दी.

यह सुन कर रुचि हैरत में पड़ गई. इतना बड़ा झूठ पद्मेश ने उस से बोला, वह उसे ही सच मानती रही. उस झूठ को सच मान कर अपना तनमन उस पर लुटाती रही. लेकिन रुचि अब इतना आगे बढ़ चुकी थी कि वह वहां से पीछे नहीं लौट सकती थी. इसलिए वह पद्मेश के शादीशुदा होने के बाद भी उस से शादी करने को तैयार हो गई.

दूसरी ओर पद्मेश को उम्मीद थी कि उस के शादीशुदा होने की बात जान कर रुचि उस से शादी करने का इरादा छोड़ देगी, जिद नहीं करेगी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.

पद्मेश के लिए अब रुचि गले में फंसी हड्डी बन गई थी, न निगलते बन रहा था, न उगलते. वह उस से दूरी बनाने लगा. उस की काल आती तो वह उठाता नहीं था. अगर उठाता तो व्यस्त होने का बहाना बना कर काल काट देता.

एक दिन जब रुचि ने पद्मेश को फोन किया तो वह प्रयागराज में अपने घर पर था. मोबाइल की घंटी बजते देख कर पद्मेश की पत्नी ने काल रिसीव कर ली. इस के बाद दोनों में काफी नोकझोंक हुई.

प्रगति ने रुचि को हिदायत दी कि वह दोबारा काल न करे. अपने पति पद्मेश को भी रुचि से दूर रहने की हिदायत दी. बात न मानने पर देख लेने की धमकी दी. लेकिन रुचि कहां मानने वाली थी. वह पद्मेश से हर हाल में शादी करना चाहती थी.

रुचि की जिद से पद्मेश तो परेशान था ही, उस की पत्नी प्रगति को भी डर था कि कहीं रुचि अपने इरादों में न सफल हो जाए और उस की सौतन बन जाए. इसलिए रुचि को ठिकाने लगाने का फैसला उस ने पद्मेश के साथ बात कर के कर लिया.

नामवर सिंह लखनऊ के पीजीआई थाना क्षेत्र के कल्ली में रहता था. रानीगंज में उस की जमीन का कुछ मामला था. उसी संबंध में वह नायब तहसीलदार पद्मेश से मिलता रहता था. कई बार मुलाकात में एकदूसरे को जान गए थे.

प्रगति की तबियत कुछ ठीक नहीं रहती थी. पीजीआई में उसे दिखाने के लिए पद्मेश प्रगति को कार से ड्राइवर के साथ भेज देता था. वहां पीजीआई के पास रहने के कारण नामवर सिंह वहीं मिल जाता और प्रगति को आराम से डाक्टर को दिखवा देता था.

बारबार डाक्टर को दिखाने आने से प्रगति और नामवर सिंह की कई मुलाकातें हुईं तो उन मुलाकातों में दोनों एकदूसरे के करीब आ गए.

दूसरी ओर पद्मेश ने नामवर सिंह से कहा कि वह रुचि की हत्या करने में उस का साथ देगा तो वह उस की जमीन का दाखिल खारिज कर देगा. एक तो यह लालच और दूसरा प्रगति के कहने पर वह पद्मेश का साथ देने को तैयार हो गया.

12 फरवरी, 2022 को पद्मेश कार से पीजीआई के पास पहुंचा. नामवर सिंह उस के पास पहुंच गया. फिर योजनानुसार पद्मेश ने रुचि को फोन कर के पीजीआई आने को कहा.

रुचि कैब कर के अर्जुनगंज से पीजीआई के लिए निकल गई. वहां पहुंचने पर वह पद्मेश से मिलने के लिए उस की कार में बैठ गई. पहले तो पद्मेश और नामवर का इरादा रुचि का इलाज कराने के बहाने उसे जहरीला इंजेक्शन दे कर मार देने का था. हालांकि यह योजना सफल नहीं हुई.

फिर नींद की 10 गोलियां अनार के जूस मे मिला दीं. वह जूस रुचि को पीने को दे दिया. वह जूस पी कर रुचि को नींद आने लगी. इस के बाद पद्मेश और नामवर ने उस का पहले गला दबाया, फिर सिर पर प्रहार कर के उस की हत्या कर दी.

फिर नामवर ने रुचि की लाश को अपनी गाड़ी में शिफ्ट किया और कल्ली स्थित 5 फीट गहरे नाले में फेंक आया. इस के बाद प्रगति को रुचि की हत्या कर देने की बात बता दी. इस के बाद पद्मेश वापस लौट गया.

लेकिन उन के गुनाह की इबारत पुलिस से छिपी न रह सकी और तीनों पकड़े गए. कागजी खानापूर्ति करने के बाद पुलिस ने तीनों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित

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