रुखसाना पिछले एक हफ्ते से आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ देखने की जिद पति सोनू से कर रही थी, लेकिन सोनू अपने काम में व्यस्त था इसलिए वह पत्नी को फिल्म दिखाने के लिए टाइम नहीं निकाल पा रहा था. पत्नी के काफी कहने के बाद उस ने 2 जनवरी, 2017 को उसे फिल्म दिखाने का वादा कर दिया. इतना ही नहीं, उस ने 2 जनवरी को शाम के शो की 2 टिकटें भी बुक करा दीं. टिकट बुक हो जाने पर रुखसाना बहुत खुश हुई.
2 जनवरी, 2017 को रुखसाना और उस के पति सोनू को शाम के शो में पिक्चर देखने जाना था, इसलिए रुखसाना अपराह्न 3 बजे ही तैयार हो गई. वह पति से भी तैयार होने के लिए बारबार कह रही थी पर वह वाट्सऐप पर किसी से चैटिंग करने में लगा हुआ था. रुखसाना के कहने पर फोन टेबल पर रख कर वह नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया. इस के बाद रुखसाना अपनी ढाई साल की बेटी सोनी को भी तैयार करने लगी.
उसी समय उस के दरवाजे पर हलकी सी दस्तक के साथ किसी की आवाज आई, ‘‘भाभी, घर में हो क्या?’’
‘‘कौन?’’ रुखसाना ने पूछा.
‘‘मैं हूं इच्छा.’’ एक दुबलेपतले से युवक ने अंदर प्रवेश करते हुए कहा.
‘‘इच्छा, तुम कहां थे, 2 दिन से दिखे नहीं.’’ रुखसाना ने अपना दुपट्टा सीने पर ठीक करते हुए पूछा.
‘‘एक बड़ा प्रोग्राम था भाभी, अपनी मंडली के साथ मैं उसी में गया था. इधर आने का वक्त ही नहीं मिला.’’ कह कर इच्छा उर्फ राकेश रुखसाना की बेटी सोनी के पास बैठ कर उसे प्यार करने लगा.
‘‘पानी लोगे तुम?’’ रुखसाना ने पूछा.
‘‘नहीं भाभी, पानी नहीं, बस एक कप चाय पिला दो.’’ वह बोला.
‘‘चाय का समय भी है और तुम्हारे भाई को नहाने के बाद चाय पीने की आदत है. तब तक तुम सोनी से खेलो, मैं चाय बना कर लाती हूं.’’ कह कर रुखसाना किचन में चली गई.
‘‘क्या भाई घर पर ही हैं?’’ इच्छा ने चौंक कर पूछा तो रुखसाना ने मुसकरा कर कहा, ‘‘हां, बाथरूम में नहा रहे हैं. आज हम लोग पिक्चर देखने जा रहे हैं.’’
रुखसाना ने अभी चाय का पानी गैस पर चढ़ाया ही था कि इच्छा की आवाज उस के कान में पड़ी, ‘‘भाभी, मैं सोनी बेटी को चौकलेट दिलवाने के लिए दुकान पर ले जा रहा हूं.’’
‘‘अच्छा.’’ रुखसाना ने अंदर से ही कहा और चाय बनाने में व्यस्त हो गई.
चाय बनी तब तक सोनू भी नहा कर कमरे में आ गया. उसे सोनी नजर नहीं आई तो उस ने रुखसाना से पूछा, ‘‘सोनी कहां है?’’
‘‘इच्छा आया है, वही उसे चौकलेट दिलाने दुकान पर ले गया है. चाय भी उसी ने बनवाई है.’’ चाय की ट्रे टेबल पर रखते हुए रुखसाना बोली.
तैयार होने के बाद सोनू ने चाय पी ली लेकिन इच्छा सोनी को ले कर नहीं लौटा था. तब सोनू ने पत्नी से झल्ला कर पूछा, ‘‘चाय ठंडी हो रही है, कहां चला गया यह इच्छा?’’
‘‘चौकलेट लेने को कह कर गया है. अब तक तो उसे आ जाना चाहिए था.’’ रुखसाना के स्वर में परेशानी उभर आई, ‘‘दुकान भी ज्यादा दूर नहीं है.’’
‘‘तुम देख आओ रुखसाना, हमें फिल्म के लिए देर हो जाएगी.’’ सोनू ने कहा तो रुखसाना घर से निकल कर मोहल्ले की परचून वाली दुकान पर पहुंच गई. वह जब भी आता था, उसी दुकान से सोनी को चौकलेट दिलाता था.
उस दुकान पर इच्छा और उस की बेटी नहीं दिखी तो उस ने दुकानदार से पूछा. दुकानदार रुखसाना की बेटी सोनी को जानता था. वह दुकान पर आई नहीं थी, इसलिए उस ने मना कर दिया.
‘आखिर वह सोनी को ले कर किस दुकान पर गया है’, बुदबुदाते हुए वह दूसरी दुकान पर गई.
इस तरह एकएक कर के उस ने मोहल्ले की सारी दुकानें देख डालीं, पर इच्छा कहीं भी नजर नहीं आया. बाद में थकहार कर वह उदास चेहरा ले कर घर लौट आई. उस ने पति को बताया, ‘‘इच्छा मोहल्ले की किसी दुकान पर नहीं है. पता नहीं वह बेटी को ले कर कहां गया है.’’
इतना सुनते ही सोनू झल्ला उठा, ‘‘यह आज हमारा प्रोग्राम चौपट करवा देगा. तुम्हें उस के साथ बेटी को भेजना ही नहीं चाहिए था.’’
‘‘वह जब भी आता था तो सोनी को चौकलेट दिलाने दुकान पर ले जाता था. मैं ने सोचा 5-10 मिनट में आ ही जाएगा, इसलिए उसे जाने दिया.’’ वह बोली, ‘‘आप देख आइए, कहीं किसी परिचित से खड़ा बतिया तो नहीं रहा.’’
‘‘देख कर आता हूं.’’ कह कर सोनू इच्छा की तलाश में निकल गया. सोनू ने भी मोहल्ले की सभी दुकानें देख डालीं. इस के अलावा उस ने लोगों से इच्छा और अपनी बेटी सोनी के बारे में मालूम किया पर उन का कहीं पता नहीं लगा. बेटी को ले कर उस की घबराहट बढ़ने लगी. घर से निकले हुए आधा घंटा बीत चुका था. उसे अब अहसास होने लगा था कि इच्छा कुछ गड़बड़ कर गया है. परेशान हालत में वह घर लौटा तो रुखसाना भी घबरा कर रोने लगी. उस के रोने की आवाज सुन कर आसपास की औरतें भी उस के यहां आ गईं.
सोनू की आंखें भी बारबार नम हो रही थीं. इच्छा को मोहल्ले के सभी लोग जानते थे क्योंकि वह था तो लड़का पर हावभाव और स्वभाव लड़कियों की तरह था. और तो और वह जनाने कपड़े पहन कर किन्नरों के साथ रहता था. वह सोनी को क्यों ले गया, इस बात को कोई भी नहीं समझ पा रहा था. मोहल्ले के लड़के भी इच्छा को ढूंढने के लिए इधरउधर निकल पड़े. 2 घंटे बीतने के बाद भी जब वह नहीं मिला तो यह विश्वास हो गया कि इच्छा ने किसी योजना के तहत ही सोनी को गायब किया है. वह योजना फिरौती या फिर गलत नीयत में से कोई एक हो सकती थी.
सोनू की हैसियत फिरौती की रकम देने की नहीं थी, इसलिए सभी को यह शंका थी कि इच्छा ढाई साल की मासूम के साथ कुछ गलत हरकत न कर बैठे. जमाना है भी बहुत खराब. हवस की आग में जल रहे दुराचारियों के लिए क्या बुजुर्ग और क्या मासूम. हवस का कीड़ा उन्हें अंधा जो बना देता है.
रुखसाना और सोनू की समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें, क्या न करें. आखिर तय हुआ कि उन्हें पुलिस थाने में जा कर इस घटना की जानकारी दे देनी चाहिए. अभी यह विचार बना ही था कि किसी परिचित ने 100 नंबर पर फोन कर के इस घटना की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. सोनू अपनी पत्नी रुखसाना और ढाई साल की बेटी सोनी के साथ दिल्ली के मध्य जिला के पहाड़गंज क्षेत्र के पानदरीबा में किराए पर रहता था. करीब 4 साल पहले वह यहां आया था.
गुजरबसर के लिए उस ने यहीं पर पटरी लगानी शुरू कर दी थी. रुखसाना भी घर का काम निपटा कर उस के काम में हाथ बंटाती थी. इसी किराए के मकान में रुखसाना ने सोनी को जन्म दिया था. 20 साल का इच्छा उर्फ राकेश उर्फ फलक मूलरूप से राजस्थान के जोधपुर जिले का रहने वाला था. दिल्ली में वह कई सालों से रह रहा था. यहां वह किन्नरों के साथ लड़की की वेशभूषा में घूमता रहता था. किन्नर जहां भी नेग लेने जाते, वह उन के साथ जाता.
पहाड़गंज की पानदरीबा बस्ती में रहने वाले किन्नरों के पास भी उस का आनाजाना था. यहीं उस की पहचान सोनू और रुखसाना से हुई थी. बाद में वह उन का घनिष्ठ बन गया था. इच्छा जब भी रुखसाना के घर जाता तो उस की बेटी सोनी को चौकलेट दिलवाने के लिए पास की दुकान पर ले जाता था. यही कारण था कि आज जब शाम को इच्छा आया तो रुखसाना ने उसे सोनी को ले जाने से इनकार नहीं किया. रुखसाना को क्या मालूम था कि इच्छा आज उन के विश्वास को तारतार कर देगा.
रुखसाना का रोरो कर बुरा हाल था. जब उन की गली के सामने पुलिस वैन आ कर रुकी, रुखसाना विलाप ही कर रही थी. संग तराशान चौकीइंचार्ज एसआई देवेंद्र प्रणव 2 कांस्टेबलों के साथ रुखसाना के कमरे पर पहुंचे. सोनू भी वहीं मौजूद था. सोनू और उस की पत्नी ने एसआई देवेंद्र प्रणव को बेटी के गायब होने की बात विस्तार से बता दी.
‘‘इच्छा कहां रहता है?’’ एसआई ने पूछा.
‘‘सर, मैं ने उस का घर नहीं देखा.’’ सोनू बोला.
‘‘रुखसाना, क्या तुम ने इच्छा का घर देखा है?’’ एसआई प्रणव ने रोती हुई रुखसाना से पूछा.
‘‘नहीं जी, वह कहां रहता है, मैं नहीं जानती.’’ रुखसाना रोते हुए बोली.
‘‘तुम लोग कब से जानते हो उसे?’’ उन्होंने पूछा.
‘‘यही कोई 3-4 साल से साहब. वह इसी मोहल्ले में रहता होगा. क्योंकि 2-3 दिन में उस की हम से मुलाकात होती रहती थी.’’ सोनू ने बताया.
इस के बाद उन्होंने वहां मौजूद लोगों से पूछा, ‘‘क्या तुम में से किसी ने इच्छा का घर देखा है?’’
इस प्रश्न पर सभी एकदूसरे का मुंह देखने लगे. इस से जाहिर हो रहा था कि उन में से कोई भी इच्छा के घर के बारे में नहीं जानता था. पुलिस के लिए यह एक हैरान कर देने वाली बात थी. इच्छा अगर इसी बस्ती में रहता है तो कोई उस के घर का पता क्यों नहीं जानता. एसआई प्रणव ने साथ आए एक कांस्टेबल को इच्छा के घर का पता लगाने के लिए भेज दिया और सोनू से इच्छा के हुलिए तथा अन्य जानकारी जुटाने में लग गए.
सोनू ने उन्हें इच्छा का हुलिया बताने के बाद यह जानकारी दी कि वह ज्यादातर किन्नरों के साथ रहता है. उन के साथ ही घूमता है. एसआई देवेंद्र प्रणव सोनू और रुखसाना को ले कर थाने लौट आए. देवेंद्र प्रणव उन दोनों को थानाप्रभारी इंद्रकुमार झा के कक्ष में ले गए. रुखसाना और सोनू से बात करने के बाद थानाप्रभारी ने सोनू की तरफ से इच्छा के खिलाफ भादंवि की धारा 363 के तहत रिपोर्ट दर्ज करवा दी. फिर तसल्ली दे कर रुखसाना और सोनू को घर भेज दिया.
उन के जाने के बाद थानाप्रभारी ने एसआई देवेंद्र से इस बारे में कुछ विचारविमर्श किया और मामले की जानकारी डीसीपी संदीप सिंह रंधावा को दे दी. चूंकि मामला अपहरण का था, इसलिए डीसीपी रंधावा ने उसी समय श्री झा को आवश्यक निर्देश दे कर इस मामले को जल्द से जल्द निपटाने का आदेश दिया. थानाप्रभारी ने एसआई देवेंद्र के साथ इस केस पर काम करना शुरू कर दिया तो पता चला कि इच्छा के पास कोई मोबाइल फोन नहीं है. यदि होता तो उस के सहारे उस तक पहुंचा जा सकता था. अब दूसरा रास्ता था किन्नरों से पूछताछ कर के. चूंकि वह किन्नरों के साथ रहता था इसलिए किन्नरों द्वारा ही उस के बारे में जानकारी मिलने की उम्मीद थी.
देवेंद्र पुन: पानदरीबा पहुंच गए. उन्होंने लोगों से बातचीत कर यह पता लगा लिया कि उस इलाके में किन्नर कहां रहते हैं. उन्होंने किन्नरों से इच्छा के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश शुरू कर दी. उन्हें उन में से ऐसा कोई किन्नर नहीं मिला जो इच्छा के निवास स्थान के बारे में जानता हो.
आधी रात हो चुकी थी. इतनी सर्द रात में लोगों से पूछताछ करना उचित नहीं लगा इसलिए वह थाने लौट आए. अगले दिन तैयार हो कर वह थाने पहुंचे. थानाप्रभारी इंद्रकुमार झा थाने में ही रुके हुए थे. एसआई देवेंद्र ने उन्हें अपनी जांच की जानकारी दे दी. थानाप्रभारी ने आगे की जांच के लिए 4 कांस्टेबलों की एक टीम बनाई. थानाप्रभारी से दिशानिर्देश ले कर एसआई देवेंद्र टीम के साथ पानदरीबा पहुंच गए. उन्होंने अपनी पूछताछ उसी जगह से शुरू की, जहां पर छोड़ी थी.
2 घंटे की मेहनत के बाद उन्हें कुछ कामयाबी मिली. एक कांस्टेबल को चांदनी नाम का एक किन्नर मिला जो इच्छा को पहचानता था. चांदनी किन्नर मूलरूप से कानपुर का रहने वाला था. उस ने बताया कि इच्छा उर्फ राकेश त्रिलोकपुरी की झुग्गियों में रहता है. उस ने इच्छा का एक रंगीन फोटो भी पुलिस को दे दिया. एसआई देवेंद्र प्रणव टीम के साथ चांदनी किन्नर को ले कर त्रिलोकपुरी पहुंच गए. पर वह अपनी झुग्गी में नहीं मिला. तब पुलिस ने उस की आसपास तलाश की.
काफी भागदौड़ के बाद आखिर शाम को इच्छा पकड़ में आ गया. उस समय वह अपना हुलिया बदल कर बाजार में घूम रहा था. पर उस के साथ सोनी नहीं थी. पूछने पर उस ने बताया कि वह सोनी को बेचने की फिराक में था. फिलहाल उस ने उसे त्रिलोकपुरी में ही अपनी मौसी के घर में रखा है. पुलिस उसे ले कर उस की मौसी के यहां पहुंची. सोनी वहीं पर मिल गई. पुलिस ने सब से पहले सोनी को अपने कब्जे में लिया. उस की मौसी ने बताया कि इच्छा इस बच्ची को अपने दोस्त की बेटी बता कर यहां कुछ समय के लिए छोड़ गया था. इच्छा का इरादा क्या था, वह नहीं जानती.
पुलिस इच्छा को हिरासत में ले कर पहाड़गंज थाने लौट आई. यहां इच्छा से सख्ती से पूछताछ शुरू हुई तो चौंकाने वाली जानकारी मिली. उस ने बताया कि वह इस से पहले किन्नर वेश में 3 और बच्चों का अपहरण कर के उन्हें बेच चुका है. किन्नर तो वह दिखावे के लिए बना था. इस की वजह यह थी कि किन्नरों के साथ उसे मोहल्ले में घूमने में दिक्कत नहीं होती थी और कोई उस पर शक भी नहीं करता था. किन्नर होने की सहानुभूति बटोर कर वह छोटी बच्ची के मांबाप से दोस्ती गांठता फिर उन का विश्वास जीतने के बाद मौका पा कर उन की बच्ची ले उड़ता.
थानाप्रभारी इंद्रकुमार झा ने रुखसाना और सोनू को थाने बुला कर उन की बेटी सोनी उन के हवाले कर दी. बेटी को सुरक्षित पा कर दोनों खुश हो गए. 24 घंटे के अंदर इस केस को हल करने वाली टीम को डीसीपी संदीप सिंह रंधावा ने सराहना की. बच्ची का अपहरण करने वाले बहरूपिए से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उस ने कितने बच्चों का अपहरण किया और उन्हें कहां बेचा था.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित और सोनी काल्पनिक नाम है.