17जून, 2019 की सुबह हरवंत सिंह लगभग हांफते हुए थाना झंजेर पहुंचा. उस ने थाना इंचार्ज एसआई जुगराज सिंह को बताया कि बीती रात उस की पत्नी, बेटी और दो बेटों सहित परिवार के 4 सदस्य लापता हो गए हैं. जल्द काररवाई कर उन्हें ढूंढा जाए.
हरवंत सिंह की गिनती गांव में बड़े किसानों में होती थी और उन का परिवार शिक्षित परिवार के रूप में जाना जाता था. इसलिए पुलिस ने हरवंत सिंह की शिकायत दर्ज कर तेजी से काररवाई शुरू कर दी.
हरवंत सिंह का परिवार अजनाला अमृतसर के देहाती इलाके के थाना झंजेर क्षेत्र में पड़ने वाले गांव तेडा खुर्द में रहता था. करीब 30 साल पहले हरवंत की शादी अजनाला के ही गांव पंधेर कंभोज निवासी मंगल की बेटी दविंदरपाल कौर से हुई थी. उस के परिवार में पत्नी के अलावा 28 वर्षीय बेटी शरणजीत कौर, 26 वर्षीय ओंकार सिंह और 24 वर्षीय लवरूप सिंह उर्फ लवी नाम के 2 बेटे थे.
तीनों बच्चे उच्चशिक्षा प्राप्त थे और अविवाहित थे. वे अपने कैरियर को ले कर गंभीर थे. ओंकार सिंह इन दिनों जौब के लिए आस्ट्रेलिया जाने की तैयारी कर रहा था.
16 जून की रात पूरा परिवार खाना खाने के बाद जल्दी सो गया था. अगली सुबह जब हरवंत सिंह अपने पशुओं को चारा डालने के लिए उठा तो यह देख कर हैरान रह गया कि परिवार के सभी सदस्य घर से लापता हैं. उस ने काफी देर तक अपने बीवीबच्चों को ढूंढा और उन के न मिलने पर पुलिस में सूचना दर्ज करवा दी.
गांव वालों के साथ पुलिस की समझ में भी यह बात नहीं आ रही थी कि सोतेसोते पूरा परिवार अचानक कैसे गायब हो गया. वे कहां हैं, इस के बारे में न तो हरवंत के रिश्तेदारों को कोई जानकारी थी और न ही गांव के सरपंच को. पुलिस ने गांव तेडा खुर्द जा कर पूछताछ की तो उन्हें घर के मुखिया हरवंत सिंह के बारे में कई चौंका देने वाली बातें पता चलीं.
पुलिस इस मामले में अभी और जानकारी हासिल कर ही रही थी कि 19 जून को हरवंत सिंह के साले मेजर सिंह ने झंजेर थाने पहुंच कर अपने जीजा हरवंत सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाते हुए बताया कि उस की बहन और भांजेभांजी का अपहरण हरवंत सिंह ने ही किया है. मेजर सिंह ने उन के अपहरण की कई वजह भी पुलिस को बताईं.
थाना इंचार्ज को मेजर सिंह के बयान में सच्चाई नजर आई. पुलिस ने उसी समय मेजर सिंह की तहरीर के आधार पर हरवंत सिंह, उस के भांजे कुलदीप सिंह तथा 2 और अज्ञात व्यक्तियों को नामजद करते हुए हरवंत सिंह की पत्नी दविंदरपाल कौर, बेटी शरणजीत कौर, बेटे ओंकार सिंह और लवरूप सिंह उर्फ लवी के अपहरण का मुकदमा दर्ज कर काररवाई शुरू कर दी.
पुलिस पूछताछ करने जब गांव पहुंची तो हरवंत घर से लापता मिला. थाना इंचार्ज जुगराज सिंह ने इस घटना की सूचना एसपी (देहात) विक्रमजीत सिंह, एसपी (तफ्तीश) हरपाल सिंह और डीएसपी (अजनाला) हरप्रीत सिंह को भी दे दी थी.
बड़े अधिकारियों के निर्देश पर 2 पुलिस टीमें बनाई गईं. एक टीम हरवंत की तलाश में जुट गई और दूसरी टीम ने परिवार के बाकी सदस्यों को ढूंढना शुरू कर दिया.
एक गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने 20 तारीख को हरवंत सिंह और उस के 2 साथियों सोनू सिंह और रछपाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया. तीनों आरोपियों को उसी दिन अदालत में पेश कर 26 तारीख तक पुलिस रिमांड पर ले लिया गया.
रिमांड के दौरान हरवंत ने अपना अपराध कबूल करते हुए बताया कि उसी ने अपने भांजे कुलदीप और 2 साथियों सोनू व रछपाल के साथ मिल कर अपने परिवार के चारों सदस्यों की हत्या कर उन की लाशें नहर में बहा दी थीं.
हरवंत का चौंका देने वाला बयान सुन कर पुलिस अधिकारी सकते में आ गए. वे इस बात पर यकीन करने को तैयार ही नहीं थे कि गबरू जवान 2 बेटों, पत्नी और बेटी की हत्या करने के बाद कोई उन्हें वहां से ले जा कर नहर में फेंक सकता है.
बहरहाल पुलिस ने हरवंत की निशानदेही पर जगदेव कलां की लाहौर नहर से दविंदरपाल कौर की लाश बरामद कर ली, जिस की शिनाख्त उस के भाई मेजर सिंह ने कर दी.
दविंदर की लाश एक बोरी में बंद थी और बोरी में ईंटें भरी हुई थीं. उस की लाश बरामद होने के बाद पुलिस को पूरा विश्वास हो गया था कि हरवंत ने अपने बयान में जो कहा है, वह सच ही होगा. उस ने वास्तव में अपने पूरे परिवार की हत्या कर दी है.
एसडीएम हरफूल सिंह गिल की देखरेख में पुलिस ने बीएसएफ के गोताखोरों की सहायता से बाकी लाशों के लिए पूरी नहर को खंगालना शुरू कर दिया. 2 दिनों की तलाश के बाद 24 जून को अलगअलग जगहों से शरणजीत कौर, ओंकार सिंह और लवरूप सिंह उर्फ लवी की लाशें भी बरामद हो गईं. पुलिस ने चारों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दिया.
दरअसल, पुलिस को शुरू से ही हरवंत सिंह पर संदेह था. पुलिस ने जब मामले की गहनता से जांच की तो पाया कि हरवंत के घर में बनी पशुओं के चारा खाने वाली खुरली (हौदी) की काफी ईंटें उखाड़ी हुई थीं. यह देख पुलिस को शक हुआ कि यहां कुछ न कुछ तो जरूर हुआ था, पर पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं था और ईंटों का गायब होना महज एक इत्तफाक भी हो सकता था.
पुलिस रिमांड के दौरान हरवंत द्वारा अपनी पत्नी, बेटी और 2 बेटों की हत्या करने की जो कहानी प्रकाश में आई, वह अय्याशी में डूबे एक ऐसे बाप की कहानी थी, जिस ने अपनी अय्याशी में रोड़ा बन रहे पूरे परिवार को ही मौत के घाट उतार दिया था.
इस जघन्य और घिनौने अपराध को अंजाम देने के लिए हरवंत सिंह की प्रेमिका व उस के भांजे कुलदीप ने भी उस का साथ दिया था.
हरवंत सिंह जवानी से ही अय्याश किस्म का था. उस के अपने गांव के अलावा आसपास के गांवों की कई औरतों के साथ नाजायज संबंध थे. शराब और शबाब उस के पसंदीदा शौक थे. जब तक उस के बच्चे छोटे थे, तब तक उसे इस सब से कोई फर्क नहीं पड़ा था. रोकने वाली केवल उस की पत्नी दविंदरपाल थी, जिसे वह डराधमका कर चुप करा दिया करता था.
लेकिन जब उस के तीनों बच्चे बड़े हुए और उन्होंने लोगों से अपने पिता की करतूतें सुनीं तो उन्होंने हरवंत को टोकना शुरू कर दिया. अपने पिता की हरकतों पर लगाम कसने के लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी. पंचायत से ले कर रिश्तेदारों तक को बीच में डाला, पर कोई फायदा नहीं हुआ.
हरवंत सिंह को अपने भांजे कुलदीप सिंह से बड़ा लगाव था. कुलदीप अधिकांशत: अपने मामा हरवंत के पास ही रहता था. जब कुलदीप जवान हुआ तो वह भी अपने मामा के नक्शेकदम पर चलने लगा. हरवंत को इस की बड़ी खुशी हुई कि कोई तो उस का साथ देने वाला है.
अब मामाभांजे दोनों मिल कर अय्याशी करने लगे थे. हरवंत और कुलदीप की इन हरकतों ने उस के परिवार को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा था. जगहजगह उन की बदनामी होती थी. इसी कारण बच्चों के कहीं से रिश्ते भी नहीं आ रहे थे. जिस घर में अय्याश बाप हो, वहां कौन अपनी बेटी ब्याहना चाहेगा.
पिता की हरकतों से तंग आ कर पूरे परिवार ने उस का जम कर विरोध करना शुरू कर दिया. रोजरोज की किचकिच से गुस्साए हरवंत ने अपने भांजे कुलदीप के साथ मिल कर पूरे परिवार को ही मिटाने की योजना बना डाली. उस ने अपने 2 दोस्तों सोनू और रछपाल को भी अपनी योजना में शामिल कर लिया.
हत्याकांड को अंजाम देने के लिए उन्होंने सफेदा (यूकेलिप्टस) के पेड़ की टहनियां तोड़ीं और उन के आगे वाले हिस्से को नुकीला कर के उसे हथियार के रूप में प्रयोग किया. हरवंत सहित सभी हत्यारों के पास लकड़ी का बनाया एकएक हथियार था. इस के अलावा उन्होंने अपने साथ .32 बोर और .315 बोर की पिस्तौलें भी ले ली थीं. अपनी योजना के अनुसार 16 जून, 2019 को हरवंत ने रात के खाने की दाल में नशे की गोलियां मिला दी थीं.
16 जून की रात खाना खाने के बाद जब पूरा परिवार बेहोशी की हालत में सोया हुआ था, तब हरवंत ने कुलदीप, सोनू और रछपाल को अपने घर बुला लिया. परिवार के सभी लोग सोए हुए थे. सभी सदस्यों के सिरहाने एकएक आरोपी मोर्चा संभाल कर खड़ा हो गया.
फिर चारों ने एक साथ सब पर हमला बोल दिया. सब से पहले हरवंत ने एक ही कमरे में सोए दोनों बेटों लवरूप सिंह और ओंकार सिंह के सिर पर लकड़ी के नुकीले हथियार से हमला किया. इसी दौरान कुलदीप सिंह और अन्य ने उस की पत्नी दविंदर कौर व बेटी सिमरनजीत पर प्रहार किया.
जब चारों की मौत हो गई तो हरवंत ने कुलदीप और अपने 2 साथियों की मदद से सब से पहले खून के दागों को धोया. फिर पशुओं के चारे की खुरली से ईंटें उखाड़ कर उन की लाशों से ईंटें बांध दीं. फिर लाशों को बोरी में डाल कर जिप्सी में लादा और ले जा कर नहर में फेंक आए. लाशों के साथ ईंटें इसलिए बांधी गईं कि वे कभी ऊपर न आ सकें.
हरवंत सिंह, कुलदीप सिंह, सोनू सिंह और रछपाल सिंह की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किए गए लकड़ी के 4 नुकीले डंडे, 2 पिस्तौल और 8 कारतूस बरामद किए गए.
हत्या के लिए बनाए गए लकड़ी के हथियार काफी वजनी थे. वहीं हरवंत की कथित प्रेमिका और एक अन्य साथी इस हत्याकांड में सीधे रूप जुड़े थे या नहीं, इस की जांच चल रही थी.
पुलिस ने हरवंत व उस के साथियों को घटनास्थल पर ले जा कर क्राइम सीन क्रिएट कर के भी जांच की थी. रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद इस हत्याकांड से जुड़े आरोपियों को अदालत में पेश कर जिला जेल भेज दिया गया.द्य
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
सौजन्य- सत्यकथा, नवंबर 2019