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1 मार्च, 2017 की सुबह सरिता की आंख खुली तो बेटी को बिस्तर पर न पा कर वह परेशान  हो उठी. उस की समझ में नहीं आया कि 6 साल की मासूम बच्ची सुबहसुबह उठ कर कहां चली गई. उस ने कई आवाजें लगाईं, जब वह नहीं बोली तो उस ने सोचा कि कहीं वह चाची के पास तो नहीं चली गई. वह देवरानी रीना के घर गई, लेकिन नंदिनी वहां भी नहीं थी.

नंदिनी के इस तरह गायब होने से रीना भी परेशान हो उठी. वह जिस हालत में थी, उसी हालत में सरिता के साथ नंदिनी की तलाश में निकल पड़ी. सरिता और उस की देवरानी रीना अकेली ही थीं. दोनों के ही पति विदेश में रहते थे. कोई मर्द न होने की वजह से नंदिनी को ले कर दोनों कुछ ज्यादा ही परेशान थीं.

धीरेधीरे नंदिनी के गायब होने की बात गांव वालों को पता चली तो सरिता से सहानुभूति रखने वाले उस के साथ नंदिनी की तलाश में लग गए. बेटी के न मिलने से सरिता काफी परेशान थी.

बेटी को तलाशती हुई वह अकेली ही गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर कुआवल नदी पर बने पुल पर पहुंची तो वहां से नदी के किनारे एक जगह पर भीड़ लगी दिखाई दी. उत्सुकतावश सरिता वहां पहुंची तो नदी के रेत पर उसे एक बच्ची का अर्द्धनग्न शव दिखाई दिया. सरिता का कलेजा धड़क उठा, क्योंकि वह लाश उस की बेटी नंदिनी की थी.

बेटी की लाश देख कर वह चीखचीख कर रोने लगी. उस के इस तरह रोने से वहां इकट्ठा लोगों को समझते देर नहीं लगी कि लाश इस की बेटी की है. थोड़ी ही देर में यह खबर जंगल की आग की तरह हरपुरबुदहट गांव पहुंची तो गांव वाले घटनास्थल पर आ पहुंचे.

किसी ने इस बात की सूचना थाना हरपुरबुदहट पुलिस को दे दी थी. थानाप्रभारी बृजेश कुमार यादव पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. उन्होंने इस घटना की सूचना एसएसपी रामलाल वर्मा, एसपी (ग्रामीण) ज्ञानप्रकाश चतुर्वेदी और सीओ को भी दे दी थी. कुछ देर में ये पुलिस अधिकारी भी आ गए थे.

घटनास्थल और लाश की बारीकी से जांच की गई. लाश और घटनास्थल की स्थिति देख कर यही लग रहा था कि हत्या कहीं और कर के लाश वहां ला कर फेंकी गई थी. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए बाबा राघवदास मैडिकल कालेज भिजवा दिया.

बृजेश कुमार यादव ने जांच शुरू की तो पता चला कि जमीन को ले कर गांव के ही चांदबली और उन के बेटे दुर्वासा से सरिता की रंजिश थी. सरिता ने उन पर आशंका भी व्यक्त की थी. सूचना पा कर विदेश में रह रहा सरिता का पति दिनेश कुमार भी आ गया था. उस ने बेटी की हत्या के लिए चांदबली और दुर्वासा को जिम्मेदार ठहराते हुए उन के खिलाफ तहरीर भी दे दी थी. दिनेश की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने बापबेटे को गिरफ्तार कर लिया था.

पुलिस ने चांदबली और उस के बेटे दुर्वासा से नंदिनी की हत्या के बारे में सख्ती से पूछताछ की, लेकिन वे खुद को निर्दोष बताते रहे. जब नंदिनी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो सारी कहानी ही बदल गई. जिस चांदबली और उस के बेटे को पुलिस जमीन के विवाद की वजह से नंदिनी की हत्या का दोषी मान रही थी, वह गलत निकला. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, हत्या से पहले नंदिनी के साथ दुष्कर्म भी किया गया था.

चांदबली और दुर्वासा ऐसा नहीं कर सकते थे. यह पुलिस ही नहीं, नंदिनी के घर वाले भी मान रहे थे. जब बापबेटे इस मामले में निर्दोष पाए गए तो पुलिस ने उन्हें हिदायत दे कर छोड़ दिया और इस मामले में नए सिरे से जांच में जुट गई.

बृजेश कुमार यादव ने घटना के खुलासे के लिए मुखबिरों की मदद ली. घटना के 12 दिनों बाद 12 मार्च, 2017 को एक मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी कि गांव का ही 22 साल का गोरखप्रसाद इधर कुछ दिनों से सैक्स क्षमता बढ़ाने वाली दवाएं खा रहा है. डेढ़ साल पहले उस की पत्नी उसे छोड़ कर मायके चली गई थी. मुखबिर की इस बात से पुलिस को लगा कि हो न हो, सैक्स क्षमता बढ़ाने वाली दवा खाने वाले गोरखप्रसाद ने ही मासूम नंदिनी के साथ दुष्कर्म किया हो और पहचाने जाने के डर से उस की हत्या कर दी हो.

बृजेश कुमार यादव ने शक के आधार पर गोरखप्रसाद को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. थाने में जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने मासूम नंदिनी के साथ दुष्कर्म कर हत्या की बात स्वीकार कर ली. उस ने वजह बताई कि नंदिनी की चाची रीना ने उसे धोखा दिया था, इसलिए उस ने बदला लेने के लिए यह सब किया.

‘‘नंदिनी की चाची ने तुम्हारे साथ कैसा धोखा किया?’’ बृजेश कुमार यादव ने पूछा.

‘‘सर, वह मुझ से प्यार करती थी लेकिन इधर वह मुझ से कटीकटी रहने लगी, जबकि उसी की वजह से मेरी पत्नी छोड़ कर चली गई. अब वह किसी और से प्यार करने लगी थी.’’ गोरखप्रसाद ने कहा.

गोरखप्रसाद द्वारा अपराध स्वीकार करने के बाद पुलिस उसे उस जगह पर ले गई, जहां उस ने यह सब किया था. घटनास्थल से पुलिस ने मृतका नंदिनी के कपड़े बरामद किए. इस के बाद रोजनामचे से चांदबली और दुर्वासा का नाम हटा कर गोरखप्रसाद को आरोपी बना कर उसी दिन अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. गोरखप्रसाद ने पुलिस को नंदिनी की चाची रीना से प्रेम करने से ले कर उस की हत्या तक की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

22 साल का गोरखप्रसाद जिला गोरखपुर के थाना हरपुरबुदहट का रहने वाला था. 2 भाईबहनों में वह सब से बड़ा था. उस के पिता खेती करते थे. इंटर तक पढ़ा गोरखप्रसाद छोटामोटा काम करता था. उस के घर से थोड़ी दूरी पर रीना का घर था. पड़ोसी होने के नाते रीना के पति विनोद से उस की खूब पटती थी. रिश्ते में वह गोरखप्रसाद का चाचा लगता था.

विनोद बड़े भाई दिनेश के साथ विदेश कमाने चला गया तो घर में रीना अकेली रह गई. जेठानी सरिता भी बेटी के साथ रहती थी. रीना का कोई बच्चा नहीं था. दोनों भाइयों के बीच नंदिनी ही एकलौती बेटी थी, इसलिए वह पूरे परिवार की दुलारी थी. विनोद के विदेश चले जाने के बाद भी गोरखप्रसाद उस के घर आताजाता रहा. इसी आनेजाने में उस की नजर रीना पर जम गई. अविवाहित गोरखप्रसाद को लगा कि रीना का पति बाहर रहता है, अगर कोशिश की जाए तो वह उस के वश में आ सकती है.

बस फिर क्या था, वह रीना को चाहतभरी नजरों से ताकने लगा. जल्दी ही रीना ने उस के मन की बात को ताड़ भी लिया. रीना भी पुरुष सुख से वंचित थी, इसलिए उसे गोरखप्रसाद का इस तरह देखना अच्छा लगा. गोरखप्रसाद गबरू जवान था, रीना भी उस पर मर मिटी. जब दोनों ओर से चाहत जागी तो वे मिलने का मौका तलाशने लगे.

एक दिन दोपहर को गोरखप्रसाद रीना के घर पहुंचा तो सरिता बेटी को ले कर कहीं गई हुई थी. घर में रीना अकेली ही थी. उसे देखते ही रीना ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘आओ…आओ, बैठो. कहो, कैसे आना हुआ?’’

गोरखप्रसाद रीना से सट कर बैठते हुए बोला, ‘‘बस, आप के दीदार करने चला आया. बताओ, कैसी हो तुम?’’

‘‘अच्छी हूं, तुम्हारे चाचा की याद में एकएक दिन काट रही हूं.’’

‘‘और दिन है कि काटे नहीं कट रहे.’’

‘‘हां, सच कहते हो. लेकिन मन की बात कहूं भी तो किस से. निगोड़ी रात है कि काली नागिन की तरह डंसती है. पति के बिना बिस्तर कांटों की तरह चुभता है.’’

‘‘चाहो तो मुझ से कह सकती हो. मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. आखिर मैं किस दिन के लिए हूं चाची.’’

‘‘तुम्हारी इसी अदा पर तो मैं तुम पर मर मिटी हूं. लेकिन तुम भी तो दूर से ही देख कर चले जाते हो.’’

‘‘क्यों, इस गरीब का मजाक उड़ा रही हो. मर तो मैं तुम पर गया हूं. मुझे लगता है, मैं तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगा.’’

‘‘मुझे भी यही लगता है.’’ कह कर रीना ने गोरखप्रसाद को बांहों में भर लिया.

इस के बाद तो रिश्तों के बारे में न रीना ने सोचा और न गोरखप्रसाद ने. रिश्तों को तारतार करने का दोनों ने पश्चाताप भी नहीं किया. जबकि दोनों चाचीभतीजे तो थे ही, उम्र में भी 8 साल का अंतर था. एक बार मर्यादा टूटी तो सिलसिला बन गया. जब भी दोनों को मौका मिलता, जिस्म की भूख मिटा लेते.

गोरखप्रसाद ने रीना से वादा किया था कि वह उसी का हो कर रहेगा. लेकिन उस ने रीना को बताए बगैर शादी कर ली. रीना को पता तो तभी चल गया था, जब उस की शादी तय हुई थी. लेकिन शादी होने तक गोरखप्रसाद मुंह छिपाए रहा. प्रेमी की इस बेवफाई से त्रस्त रीना ने भी तय कर लिया था कि गोरखप्रसाद से ऐसा बदला लेगी कि वह सोच भी नहीं सकता.

उस ने कुछ ऐसा किया भी. उसी की वजह से शादी के एक हफ्ते बाद ही गोरखप्रसाद की पत्नी उसे छोड़ कर चली गई. उस ने आरोप लगाया कि उस का पति नामर्द है. वह उसे संतुष्ट नहीं कर पाता. इस तरह रीना ने प्रेमी से उस की बेवफाई का बदला ले लिया. जबकि रीना ने उस से अपने संबंधों के बारे में बता दिया था.

गोरखप्रसाद की पत्नी ने उस पर जो आरोप लगाया था, उस से गांव में गोरखप्रसाद की खूब बदनामी हुई. गांव वालों के सामने निकलने में उसे शर्मिंदगी महसूस होने लगी थी. पत्नी छोड़ कर चली गई तो गोरखप्रसाद रीना के घर के चक्कर लगाने लगा. रीना ने उसे प्यार तो दिया, लेकिन अब पहले वाली बात नहीं रही. शायद वह उस की बेवफाई को भुला नहीं पाई थी.

गोरखप्रसाद की इस बेवफाई से नाराज रीना ने किसी और से संबंध बना लिए थे. इसीलिए वह गोरखप्रसाद को पहले जैसा प्यार नहीं दे रही थी. रीना उस से कटीकटी रहने लगी थी. रीना का यह व्यवहार गोरखप्रसाद को अखरने लगा था. इस से उसे लगा कि पत्नी ने उस पर जो आरोप लगाया था, वह सच है. रीना भी उस की नामर्दी की वजह से उसे पहले जैसा प्यार नहीं दे रही है.

यही सोच कर गोरखप्रसाद मर्दानगी बढ़ाने के लिए नौसड़ के एक वैद्य से इलाज कराने लगा. 6 महीने तक इलाज कराने से वह खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ महसूस करने लगा था.

27 फरवरी, 2017 की रात गांव में एक बारात आई थी. बारात के साथ आर्केस्ट्रा भी था. घर से निकलने से पहले गोरखप्रसाद ने सैक्स क्षमता बढ़ाने वाली दवा खा ली और आर्केस्ट्रा देखने चला गया. दवा ने अपना असर दिखाया तो उसे रीना की याद आई. उस के जिस्म में शारीरिक सुख का कीड़ा कुलबुलाया तो वह रीना के घर जा पहुंचा.

उस समय रात के करीब 12 बज रहे थे. गहरी नींद में सोई रीना के जिस्म पर गोरखप्रसाद ने हाथ फेरा तो रीना चौंक कर उठ बैठी. गोरखप्रसाद को देख कर उस ने कहा, ‘‘इतनी रात को तुम यहां क्या कर रहे हो?’’

‘‘तुम से मिलने आया हूं.’’

‘‘देखो, अभी मेरा मन नहीं है. मुझे सोने दो.’’

‘‘मेरा बड़ा मन है. मन नहीं मान रहा.’’

‘‘मैं ने तुम्हारे मन को मनाने का ठेका ले रखा है क्या?’’

‘‘मेरी हालत पर तरस खाओ रीना, तुम्हारा प्यार पाने के लिए मन बड़ा बेचैन है. खुद को संभाल नहीं पा रहा हूं.’’

‘‘कहा न, मैं ने तुम्हारे मन को मनाने का ठेका नहीं ले रखा. जाते हो या…’’ रीना गुर्राई.

‘‘ठीक है भई, जाता हूं, नाराज क्यों हो रही हो.’’ कह कर गोरखप्रसाद रीना के पास से उठ कर आगे बढ़ा तो बरामदे में रीना की जेठानी सरिता अपनी मासूम बेटी नंदिनी के साथ सोती दिखाई दी. नंदिनी को देख कर उस की नीयत खराब हो गई, साथ ही रीना की बेवफाई भी याद आ गई. उस से बदला लेने के लिए वह दबे पांव सरिता की चारपाई के पास पहुंचा और गहरी नींद में सो रही नंदिनी को गोद में उठा कर बाग की ओर चल पड़ा.

बाग में पहुंच कर नंदिनी की आंखें खुलीं तो वह रोने लगी. गोरखप्रसाद पूरी तरह से हैवान बन चुका था. उस ने नंदिनी के कपड़े उतार दिए और जब उस के साथ जबरदस्ती की तो वह चिल्ला पड़ी. उसे चुप कराने के लिए गोरखप्रसाद ने उस का मुंह इतने जोर से दबाया कि उस की सांस थम गई. इसी के साथ उस ने पूरी ताकत से उस के सिर पर 2-3 घूंसे भी मार दिए थे. रहीसही कसर इन घूंसों ने पूरी कर दी थी.

जिस्म की आग ठंडी पड़ी तो उस ने नंदिनी को हिलाडुला कर देखा. उस के शरीर में हरकत न होते देख गोरखप्रसाद कांप उठा. उस ने सोचा कि अगर उस ने नंदिनी की लाश को यहां छोड़ दिया तो वह कभी भी पकड़ा जा सकता है. इसलिए उस ने नंदिनी की लाश को कंधे पर रखा और गांव से 3 किलोमीटर दूर ले जा कर कुआवल नदी में फेंक कर वापस आ गया. रीना ने कभी यह नहीं सोच रहा होगा कि उस का प्रेमी गोरखप्रसाद दरिंदगी की इस हद तक गुजर जाएगा और उस के घर का चिराग बुझा देगा. रीना पश्चाताप की आग में जल रही है. क्योंकि उसी के कारण मासूम बेटी नंदिनी की जान गई.

रीना का कोई दोष नहीं था, इसलिए पुलिस ने उस पर कोई काररवाई नहीं की. कथा लिखे जाने तक गोरखप्रसाद जेल में बंद था. पुलिस ने जांच पूरी कर आरोपपत्र दाखिल कर दिया था.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कुछ पात्रों के नाम बदले गए हैं.

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