राजिंदर कुमार रोजाना की तरह सुबह 9 बजे काम पर जाने के लिए घर से निकला था. उस की मां बिशनो ने उसे दोपहर के खाने का टिफिन तैयार कर के दिया था. 20
वर्षीय राजिंदर मेनबाजार बटाला में रेडीमेड कपड़ों की दुकान पर काम करता था.वह ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था. कुछ साल पहले उस के पिता शिंदरपाल की मृत्यु हो गई थी. पिता की मौत के बाद रिश्तेदारों ने भी परिवार का साथ छोड़ दिया था. किसी से सहायता की उम्मीद नहीं थी. घर के आर्थिक हालात ऐसे नहीं बचे थे कि राजिंदर पढ़ाई आगे जारी रख पाता. इसलिए उस ने पढ़ाई बीच में छोड़ कर काम करना शुरू कर दिया था.
राजिंदर के परिवार में उस की मां बिशनो के अलावा एक बहन नीलम थी. वह जो कमाता था, उस से जैसेतैसे घर खर्च चल पाता था. 19 सिंतबर, 2019 की सुबह राजिंदर काम पर गया. शाम को वह अपने समय पर घर नहीं लौटा तो मां को चिंता हुई. क्योंकि इस से पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था. वह ठीक साढ़े 8 बजे काम से घर लौट आता था.
राजिंदर का इंतजार करतेकरते जब रात के 10 बज गए तो मां बिशनो और बहन नीलम कुछ पड़ोसियों के साथ उसे ढूंढने निकलीं. सब से पहले वे उस दुकान पर गईं, जहां राजिंदर काम करता था. उस समय दुकान बंद हो चुकी थी.
दुकान मालिक के घर जा कर पूछने पर पता चला कि राजिंदर अपने समय से पहले ही 7 बजे छुट्टी ले कर चला गया था. घर वालों ने राजिंदर के खास दोस्तों से पूछताछ की. इस के अलावा हर संभावित ठिकाने पर उस की तलाश की गई, लेकिन उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.
अंत में हार कर पड़ोसियों की सलाह पर बिशनो ने बेटे राजिंदर के लापता होने की रिपोर्ट थाना सिविल लाइंस बटाला की पुलिस चौकी सिंबल में दर्ज करवा दी.
चौकी इंचार्ज एसआई बलविंदर सिंह ने उन्हें राजिंदर को जल्द तलाशने का आश्वासन दिया. राजिंदर का फोटो ले कर उन्होंने जिले के सभी थानों में भिजवा दिया और अस्पतालों में भी उस की तलाश करवाई गई. पर राजिंदर का कहीं कोई पता नहीं चला.
बिशनो ने बेटे के लापता होने में अपनी ही कालोनी गांधी कैंप निवासी अशोक प्रीतम दास पर शक जताया था. अशोक उसी मोहल्ले में रहता था और उस का बिशनो के घर काफी आनाजाना लगा रहता था.
करीब एक महीना पहले अशोक की पत्नी की रहस्यमयी हालात में मृत्यु हो गई थी. अशोक का बेडि़यां बाजार में अपना खुद का हेयरकटिंग सैलून था.
राजिंदर अशोक का अपने घर आने का विरोध करता था. उस की कई बार अशोक से झड़प भी हो चुकी थी. इस बात को ले कर राजिंदर की अपनी मां से भी कई बार कहासुनी हुई थी. उस ने मां से भी कह दिया था कि वह अशोक को अपने घर आने से रोके.
एसआई बलविंदर ने अशोक को थाने बुला कर उस से पूछताछ की. अशोक ने बताया कि उसे राजिंदर से मिले एक महीना हो गया है और कई दिनों से वह उस के घर भी नहीं गया. बातचीत में अशोक बेकसूर लगा तो एसआई बलविंदर सिंह ने उसे घर भेज दिया और राजिंदर की तलाश जारी रखी.
22 सितंबर, 2019 को सेंट फ्रांसिस स्कूल के पीछे मोहल्ला भट्ठा इंदरजीत में रहने वालों ने प्रधान अमरीक सिंह को बताया कि उन के घर के सामने वाले हंसली नाले से बड़ी भयानक दुर्गंध आ रही है.
अमरीक सिंह कुछ लोगों को साथ ले कर नाले के पास पहुंचे. उन्होंने देखा कि वहां बोरी में बंद किसी आदमी की लाश पड़ी थी. लाश की टांगें बोरे से बाहर थीं. अमरीक सिंह ने तुरंत इस बात की सूचना पुलिस चौकी सिंबल के इंचार्ज एसआई बलबीर सिंह को दी.
सूचना मिलते ही बलबीर सिंह मौके के लिए रवाना हो गए और यह जानकारी थाना सिविल लाइंस बटाला के एसएचओ मुख्तियार सिंह को दे दी. थानाप्रभारी भी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.
पुलिस ने मौके पर पहुंच कर लाश को नाले से बाहर निकलवाया. बोरी में मृतक का सिर नहीं था. हां, धड़ जरूर था. कंधों से बाजू कटे हुए थे. कपड़ों के नाम पर मृतक के शरीर पर केवल अंडरवियर था.
कई दिनों से लाश नाले के पानी में पड़ी रहने से बुरी तरह से गल चुकी थी, जिस की पहचान मुश्किल थी. वैसे भी बिना सिर के मृतक की शिनाख्त करना असंभव काम था.
पहचान के लिए मृतक के शरीर पर ऐसा कोई निशान नहीं था, जिस के सहारे पुलिस उस की शिनाख्त कराती. सिर और बाजू कटी लाश मिलने से पूरे शहर में सनसनी फैल गई थी, दहशत का माहौल बन गया था.
क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम बुलवा कर पंचनामे की कारवाई की गई. थानाप्रभारी ने लाश मिलने की जानकारी अपने आला अधिकारियों को दे दी थी. इस के कुछ देर बाद एसएसपी उपिंदरजीत सिंह घुम्मन, एसपी (इनवैस्टीगेशन) सूबा सिंह और डीएसपी (सिटी) बालकिशन सिंगला भी मौकाएवारदात पर पहुंच गए थे.
पुलिस ने नाले में आसपास मृतक के कटे हुए अंग तलाशने की मुहिम शुरू कर दी. पुलिस को यह पता नहीं था कि हत्यारे ने मृतक के शेष अंग वहीं फेंके थे या उन्हें किसी दूसरी जगह ठिकाने लगाया था.
काफी खोजने के बाद भी कटे हुए अंग नहीं मिले. मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने अज्ञात युवक की लाश 72 घंटों के लिए सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दी और अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.
अपनी तफ्तीश के पहले चरण में चौकी इंचार्ज बलबीर सिंह ने पिछले दिनों शहर से लापता हुए लोगों की लिस्ट चैक की. लिस्ट में राजिंदर का नाम भी था. चौकी इंचार्ज बलबीर सिंह ने 23 सितंबर को राजिंदर के परिवार वालों को बुलवा कर जब लाश दिखाई तो उस की मां बिशनो और बहन नीलम ने शरीर की बनावट और अंडरवियर से लाश की शिनाख्त राजिंदर के रूप में की.
राजिंदर 19 सितंबर, 2019 को लापता हुआ था और 22 सितंबर को उस की लाश नाले से मिली. चूंकि मां बिशनो ने मोहल्ले के ही अशोक पर शक जताया था, जिस से एक बार पुलिस पूछताछ भी कर चुकी थी. अब लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद चौकी इंचार्ज उसी दिन अशोक को पूछताछ के लिए दोबारा थाने ले आए. इस बार भी वह अपने पहले बयान पर अड़ा रहा. पर जब उस से सख्ती की गई तो उस ने राजिंदर की हत्या करने का अपराध स्वीकार कर लिया.
अगले दिन अशोक को अदालत में पेश कर उस का 4 दिनों का पुलिस रिमांड लिया गया. रिमांड के दौरान सब से पहले उस से पूछा गया कि राजिंदर के शरीर के बाकी अंग उस ने कहां फेंके थे.
24 सितंबर को अशोक की निशानदेही पर पुलिस और नायब तहसीलदार जसकरण सिंह के नेतृत्व वाली टीम ने नाले से मृतक राजिंदर का सिर और बाजू ढूंढ निकाले. इन हिस्सों को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दिया गया और पोस्टमार्टम के बाद लाश उस के घर वालों को सौंप दी गई.
रिमांड के दौरान अशोक कुमार ने पुलिस को बताया कि बिशनो के पति की मृत्यु के बाद राजिंदर कुमार की मां बिशनो के साथ उस का करीब 7 साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था. वह बिशनो से मिलने रोज उस के घर जाया करता था. उस समय राजिंदर और उस की बहन छोटे थे. सो उन्हें कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था. जब बच्चे बड़े हुए तो राजिंदर उसे और मां को संदेह की नजरों से देखने लगा था.
वह उस के वहां आने का विरोध करता था. बिशनो के संबंधों का पता अशोक की पत्नी को भी था. इस बात को ले कर वह भी घर में क्लेश करती थी. तब अशोक गुस्से में उस की पिटाई कर देता था. दूसरी ओर राजिंदर के विरोध से अशोक भी काफी परेशान था. वह उसे अपने रास्ते का कांटा समझने लगा था. इस कांटे को रास्ते से हटाने के लिए अशोक कुमार ने राजिंदर की हत्या करने की एक खौफनाक साजिश रच ली.
अपनी योजना के अनुसार, 19 सितंबर की शाम वह राजिंदर से मिला और कोई जरूरी बात करने के बहाने उसे अपने घर ले गया. घर ले जा कर अशोक ने राजिंदर को चाय पिलाई, जिस में नशे की दवा मिली हुई थी. चाय पीते ही राजिंदर एक ओर लुढ़क गया.
राजिंदर के लुढ़कते ही अशोक ने पहले गला दबा कर उस की हत्या की और उस के बाद दातर (हंसिया) से बड़े आराम से उस का सिर काट कर धड़ से अलग किया. फिर दोनों बाजू काटे. यह सब करने के बाद अशोक ने राजिंदर के शव को बोरी में डाल कर बांधा और अपनी साइकिल पर रख कर रात के अंधेरे में हंसली नाले में फेंक आया.
रिमांड के दौरान पुलिस ने अशोक की निशानदेही पर दातर, साइकिल, अपने और राजिंदर के जलाए हुए कपड़ों की राख भी बरामद कर ली. रिमांड अवधि के दौरान पुलिस इस मामले में मृतक की मां बिशनो की भूमिका की भी जांच कर रही है. हालांकि पुलिस ने इस बारे में अभी स्पष्ट खुलासा नहीं किया है.
राजिंदर की बहन पर भी अशोक बुरी नजर रखता था. अब पुलिस इस बारे में भी जांच कर रही है. अगर कोई बात सामने आती है तो मृतक की मां बिशनो पर भी काररवाई की जाएगी. एक माह पहले अशोक की पत्नी की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई थी. पुलिस इस बात की जांच भी कर रही है कि बिशनो के चक्कर में कहीं अशोक ने ही तो अपनी पत्नी को कोई जहरीली चीज दे कर मारा था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
सौजन्य- सत्यकथा, नवंबर 2019