कनाडा की सब से बड़ी क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज कंपनी क्वाड्रिगा सीएक्स के सीईओ जेराल्ड कौटेन की जयपुर के एक निजी अस्पताल में गुमनाम मौत हो गई. इस कंपनी के संस्थापक जेराल्ड 30 साल के थे. बीते 9 दिसंबर को हुई जेराल्ड की मौत का कारण आंत की गंभीर बीमारी बताया जा रहा है. वे भारत में अनाथालय खोलने आए थे और जयपुर में जगह तलाश रहे थे. जेराल्ड की मौत के बाद उन की कंपनी क्वाड्रिगा सीएक्स की 19 करोड़ डौलर यानी करीब 1359 करोड़ रुपए कीमत की करेंसी फंस गई है.
यह क्रिप्टो करेंसी जेराल्ड के लैपटौप में बंद है और उस का पासवर्ड किसी को पता नहीं है. इतने अमीर आदमी की मौत का किसी को पता नहीं चल सका तो इस की वजह यह थी कि जयपुर में उन्हें कोई नहीं जानता था. 31 जनवरी को जेराल्ड की पत्नी जेनिफर रौबर्टसन और कंपनी ने कनाडा की अदालत में क्रेडिट अपील दायर की कि वे जेराल्ड के एनक्रिप्टेड एकाउंट को अनलौक नहीं कर पा रहे हैं. इस के बाद ही दुनिया को जेराल्ड की मौत का पता चला.
जयपुर प्रवास के दौरान जेराल्ड की एक होटल में अचानक तबीयत बिगड़ गई थी. इस के बाद उन्हें मालवीय नगर स्थित निजी अस्पताल ले जाया गया. जहां 2 घंटे बाद ही उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. वह गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचे थे. यह मामला न्यायिक प्रक्रिया में चल रहा है. इसलिए अस्पताल के अधिकारी आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कह रहे हैं. दूसरी ओर राजस्थान सरकार ने जेराल्ड का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया है.
इस मामले में जवाहर सर्किल थानाप्रभारी अनूप सिंह का कहना है कि विदेशी जेराल्ड की मौत की जानकारी निजी अस्पताल से आई थी. मौत बीमारी के कारण हुई थी, इसलिए केस दर्ज नहीं किया गया.
जेराल्ड की पत्नी जेनिफर की ओर से अदालत में दिए गए हलफनामे के अनुसार, क्वाड्रिगा सीएक्स कंपनी के दुनिया भर में 3 लाख 63 हजार यूजर्स हैं. जेराल्ड के मुख्य कंप्यूटर में क्रिप्टो करेंसी का एक कोल्ड वौलेट था, जिसे केवल फिजिकली एक्सेस किया जा सकता है. यह औनलाइन नहीं है. जेराल्ड ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन के पास इस कंपनी के वौलेट के पासवर्ड थे. जेराल्ड के निधन के कारण क्रिप्टो करेंसी लौक हो गई है.
इस बीच कुछ लोग सोशल मीडिया पर जेराल्ड की मौत पर संदेह जता रहे हैं. यह धोखाधड़ी का मामला होने की भी आशंका जताई जा रही है. सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर बीमारी थी तो जेराल्ड भारत क्यों आए? उन्होंने अपना इलाज कनाडा में क्यों नहीं कराया?
हालांकि जेराल्ड की पत्नी जेनिफर ने कहा कि जेराल्ड की मौत स्वाभाविक है. दूसरी ओर कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा है कि जेराड की मौत के कारण हम कंपनी के पास जमा बिटकौइन व अन्य डिजिटल करेंसी को एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं.
जेराल्ड का लैपटाप, ईमेल एड्रैस व मैसेजिंग सिस्टम सब कुछ एनक्रिप्टेड है. इसलिए पासवर्ड हासिल कर पाना लगभग असंभव हो रहा है. कंपनी इस वित्तीय संकट से निकलने का रास्ता तलाश रही है. कंपनी ने कहा कि उसे ब्रिटिश कोलंबिया स्थित नोवा स्कोटिया सुप्रीम कोर्ट में क्रेडिटर प्रोटेक्शन मिल गया है. यानी उस के खिलाफ फिलहाल कानूनी काररवाई नहीं की जा सकती.
क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज कंपनी क्वाड्रिगा के पास करीब 7 करोड़ कैनेडियन डौलर यानी करीब 380 करोड़ रुपए का कैश है, लेकिन बैंकिंग मुश्किलों के कारण क्रिप्टो करेंसी के एवज में इसे नहीं दिया जा सकता. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक क्वाड्रिगा के 3 लाख 63 हजार रजिस्टर्ड यूजर में से 92 हजार के एकाउंट में या तो क्रिप्टो करेंसी या फिर कैश के रूप में बैलेंस है.
वैसे जेराल्ड ने 27 नवंबर, 2018 को ही अपनी वसीयत पर दस्तखत किए थे, जिस में उन्होंने अपनी 96 लाख डौलर की कुल संपत्ति का वारिस पत्नी को ही बनाया था. वसीयत होने के 2 सप्ताह बाद ही जेराल्ड की मृत्यु होने पर संदेह पैदा होना स्वाभाविक है.
जेराल्ड की पत्नी जेनिफर ने कहा कि भारत स्थित कनाडाई उच्चायोग ने जेराल्ड की मौत की पुष्टि की है. मैं पासवर्ड या रिकवरी-की नहीं जानती हूं. घर में भी कई बार तलाशी ली लेकिन पासवर्ड कहीं पर भी लिखा नहीं मिला.
एक्सचेंज ने कई टेक एक्सपर्ट्स को जेराल्ड का लैपटाप हैक करने के लिए हायर किया है. लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली. कंपनी दूसरे एक्सचेंज की मदद से अपने यूजर्स की क्रिप्टो करेंसी को अनलौक करने की कोशिश भी कर रही है.
दरअसल, हैकिंग से बचने के लिए कोल्ड वौलेट में बिटकौइन जैसी मुद्रा को औफलाइन नेटवर्क पर रखा जाता है. इसे क्यूआर कोड से सुरक्षित करते हैं. हाल ही में एक जापानी कंपनी के बिटकौइन चोरी होने के बाद इस का प्रयोग बढ़ गया है. इस का एक्सेस सीमित होता है. कोल्ड वौलेट को यूएसपी ड्राइव में भी सिक्योर किया जा सकता है.
क्रिप्टो करेंसी के जानकारों का कहना है कि यह अपनी तरह का पहला मामला है, जहां कोल्ड वौलेट में इतने यूजर्स की करेंसी को लौक किया गया. वैसे कंपनियां यूजर्स के खाते में ही करेंसी अपलोड करती हैं.
रोक के बावजूद क्रिप्टो करेंसी में भारतीयों ने करीब 13 हजार करोड़ रुपए का निवेश कर रखा है. रिजर्व बैंक के अनुसार क्रिप्टो करेंसी के लेनदेन को भारत में मान्यता नहीं दी गई है. एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में रोजाना करीब ढाई हजार लोग इस में निवेश करते हैं.
क्रिप्टो करेंसी एक तरह की डिजिटल या आभासी मुद्रा होती है, जिस का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता. इस मुद्रा को कई देशों ने मान्यता दे रखी है.
इस तरह की करेंसी को बेहद जटिल कोड से तैयार किया जाता है और इसे बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है. जैसे रुपए, डौलर या पौंड मीडियम औफ ट्रांजैक्शन की तरह इस्तेमाल किए जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टो करेंसी को भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
सौजन्य- मनोहर कहानियां, मार्च 2019