37 वर्षीय विधायक सत्यजीत बिस्वास पश्चिम बंगाल के नदिया शहर स्थित कृष्णानगर मोहल्ले में अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में मांबहन के अलावा पत्नी रूपाली और 7 माह का बच्चा था. विधायक सत्यजीत बिस्वास काफी मिलनसार, मृदुभाषी और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे, जिस की वजह से वह अपने विधानसभा क्षेत्र कृष्णागंज में काफी लोकप्रिय थे.
उन की लोकप्रियता का एक कारण यह भी था कि वह दिनरात क्षेत्र के विकास के लिए तत्पर रहते थे. क्षेत्र के लोगों की मदद के लिए वह हर समय तैयार रहते थे. इसी के चलते क्षेत्र के लोग उन से खुश रहते थे.
वह 9 फरवरी, 2019 की खुशनुमा शाम थी. तृणमूल कांग्रेस के विधायक सत्यजीत बिस्वास अपनी पत्नी रूपाली बिस्वास के साथ डाइनिंग रूम में बैठे बातचीत करते हुए चाय की चुस्की ले रहे थे. उस वक्त उन का चेहरा खुशी से चमक रहा था.
पति के चेहरे पर खुशी की ऐसी चमक रूपाली ने पहले कभी नहीं देखी थी. वह भी पति की खुशी से खुश हो कर उन्हें निहार रही थीं. चाय की चुस्की के दौरान बीचबीच में विधायक की नजरें कलाई पर बंधी घड़ी पर चली जाती थीं.
‘‘क्या बात है जो आज इतने मुसकरा रहे हैं जनाब?’’ रूपाली ने पति को गुदगुदाने की कोशिश की.
‘‘अपने घर में बैठा हूं. खूबसूरत बीवी की छत्रछाया में. खुश होना मना है क्या?’’
यह सुन कर रूपाली शरमाने के बजाए संजीदा हो गईं. फिर पति को कुछ याद दिलाते हुए बोलीं, ‘‘नेताजी, यहां बैठेबैठे यूं ही बातें करते रहेंगे या जिस के लिए तैयार हो कर बैठे हैं, वहां भी जाएंगे.’’
‘‘अच्छा किया, तुम ने याद दिला दिया मैडम. ऐसा करो तुम भी तैयार हो जाओ. इसी बहाने तुम्हारा भी मूड बदल जाएगा और हमारा साथ भी बना रहेगा.’’ कलाई पर नजर डालते हुए सत्यजीत आगे बोले, ‘‘जल्दी करो, मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं बचा है. तुम तैयार हो जाओ. तब तक मैं एक काल कर लेता हूं.’’
इस के बाद रूपाली तैयार होने के लिए चली गई. 10 मिनट में वह तैयार हो कर पति के पास आ गईं. उन्होंने 7 महीने के बेटे को भी तैयार कर दिया था.
दरअसल, विधायक सत्यजीत बिस्वास को फुलबारी इलाके में सरस्वती पूजन के उद्घाटन कार्यक्रम में शरीक होना था, जिस में उन्हें मुख्य अतिथि बनाया गया था. इन के अलावा उस कार्यक्रम में तृणमूल कांग्रेस नेता गौरीशंकर, लघु उद्योग मंत्री रत्ना घोष सहित शहर के तमाम सम्मानित लोगों को भी आमंत्रित किया गया था.
सत्यजीत बिस्वास का वहां पहुंचना जरूरी था. इस के बाद वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ अपनी कार से कार्यक्रम स्थल फुलबारी पहुंच गए. कार्यक्रम स्थल उन के आवास से बमुश्किल 300 मीटर दूर स्थित था. वहां पहुंचने में उन्हें 3-4 मिनट का समय लगा होगा.
बुला रही थी मौत
बहुत बड़े मैदान में लगे पंडाल में कतार से कुर्सियां बिछी हुई थीं. आगे की कतार में बिछी स्पैशल कुर्सियों पर तमाम वीआईपी और नेता बैठे थे. आयोजकों की आंखें बारबार मुख्यद्वार पर जा कर टिक रही थीं. उन की परेशान आंखों से यही पता चल रहा था कि वह बड़ी बेसब्री से किसी के आने का इंतजार कर रहे थे.
जैसे ही विधायक सत्यजीत बिस्वास ने पंडाल में प्रवेश किया, वहां का माहौल खुशनुमा हो गया. सरस्वती पूजन के उद्घाटन की सारी तैयारियां पहले से कर ली गई थीं. दीप प्रज्जवलन का कार्यक्रम मंच पर ही होना था. विधायक बिस्वास के पहुंचते ही आयोजक उन्हें, उन की पत्नी रूपाली बिस्वास और कुछ अन्य गणमान्य लोगों को मंच पर ले गए और दीप प्रज्जवलन का कार्यक्रम संपन्न कराया गया.
दीप प्रज्जवलित करने के बाद विधायक सहित तमाम अतिथि कुर्सियों पर जा बैठे. उस के थोड़ी देर बाद अतिथियों के स्वागत में रंगारंग कार्यक्रम शुरू हुए. कार्यक्रम ने अतिथियों का मन मोह लिया. वे उस में तन्मयता से लीन हो कर लुत्फ उठा रहे थे. उस समय रात के करीब 9 बजे थे.
रंगारंग कार्यक्रम शुरू हुए अभी 5 मिनट भी नहीं हुए थे कि 2 नकाबपोश फुरती से पंडाल में पहुंचे. इस से पहले कि लोग कुछ समझ पाते, उन्होंने पीछे से विधायक सत्यजीत बिस्वास पर निशाना साध कर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. गोलियां बरसा कर वे दोनों वहां से फरार हो गए. भागते हुए उन्होंने असलहे को वहीं पर फेंक दिया.
विधायक को 3 गोलियां लगी थीं. गोलियां लगते ही वह कुरसी पर गिर कर तड़पने लगे. गोली चलने से हाल में भगदड़ मच गई. जरा सी देर में वहां अफरातफरी का माहौल बन गया. तृणमूल कांग्रेस के नेता गौरीशंकर, रत्ना घोष सहित अन्य लोग आननफानन में गंभीर रूप से घायल विधायक बिस्वास को कार से जिला अस्पताल ले गए. लेकिन डाक्टरों ने उन्हें देखते ही मृत घोषित कर दिया.
टीएमसी विधायक सत्यजीत बिस्वास की हत्या की सूचना मिलते ही सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के खून में उबाल आ गया. कार्यकर्ता चारों ओर तोड़फोड़ करने लगे. तमाम लोग अपने लोकप्रिय युवा नेता को देखने अस्पताल भी पहुंचे.
उधर मौके पर मौजूद रही विधायक की पत्नी रूपाली बिस्वास को अभी भी अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि उन्होंने जो देखा, वो सच है. सत्यजीत बिस्वास उन को हमेशा के लिए अकेला छोड़ कर दुनिया से चले गए थे. रोरो कर उन का बुरा हाल हो गया था. किसी तरह रूपाली और उन के 7 माह के दुधमुंहे बेटे को घर पहुंचाया गया. विधायक बेटे की हत्या की खबर जैसे ही बूढ़ी मां को मिली, उन की तो आंखें पथरा गईं. घर में कोहराम मच गया था.
पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी ने विधायक बिस्वास की हत्या पर गहरा दुख प्रकट करते हुए कहा कि कातिल चाहे जितना भी कद्दावर क्यों हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा.
विधायक सत्यजीत की हत्या की सूचना मिलते ही एसपी रूपेश कुमार, एएसपी अमनदीप, डीएसपी सुब्रत सरकार, हंसखली के थानाप्रभारी अनिंदय बसु, कृष्णानगर के थानाप्रभारी राजशेखर पौल सहित जिले के तमाम पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए थे. पुलिस ने घटनास्थल को चारों ओर से घेर लिया था.
संदेह से भरे सवाल
एसपी रूपेश कुमार ने घटना के लिए हंसखली थाने के थानाप्रभारी अनिंदय बसु को जिम्मेदार मानते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. विधायक सत्यजीत बिस्वास की सुरक्षा में एक सुरक्षागार्ड लगाया गया था. घटना के समय वह मौके पर नहीं था.
जांचपड़ताल में पता चला कि सुरक्षागार्ड दिनेश कुमार उसी दिन छुट्टी ले कर घर चला गया था. यह बात किसी भी अधिकारी के गले नहीं उतर रही थी कि दिनेश आज ही छुट्टी पर घर क्यों गया? जिस तरह से विधायक बिस्वास की हत्या की गई थी, वह सुनियोजित थी. सुरक्षा गार्ड दिनेश कुमार को जिम्मेदार मानते हुए उसे भी निलंबित कर दिया.
बात यहीं पर खत्म नहीं हुई थी. टीएमसी कार्यकर्ता अपने लोकप्रिय विधायक की हत्या के लिए भाजपा के सांसद मुकुल राय को जिम्मेदार मान कर उन्हें हत्या का आरोपी बनाने के लिए पुलिस पर दबाव बना रहे थे. टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच से फैलता हुआ यह आरोप फिजाओं में घुल रहा था. लोग कह रहे थे कि सांसद मुकुल राय के इशारे पर शूटर अभिजीत पुंडरी, सूरज मंडल और कार्तिक मंडल ने विधायक की हत्या को अंजाम दिया.
विधायक की पत्नी रूपाली बिस्वास भी पति की हत्या के लिए सांसद और कद्दावर नेता मुकुल राय को जिम्मेदार मान रही थीं. रूपाली की तहरीर पर हंसखली थाने में 4 आरोपियों मुकुल राय, अभिजीत पुंडरी, सूरज मंडल और कार्तिक मंडल के खिलाफ हत्या का नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आदेश पर मुकदमा दर्ज होने के कुछ देर बाद जांच थाना पुलिस से सीबीसीआईडी को सौंप दी गई. जांच की जिम्मेदारी मिलते ही सीबीसीआईडी की टीम भवानी भवन से मौके पर जा पहुंची और जांच शुरू कर दी.
सूरज मंडल और कार्तिक मंडल फुलबारी माठ के आसपास रहते थे. पुलिस जानती थी कि जांच में जितना विलंब होगा, उतना ही आरोपी पकड़ से दूर होते जाएंगे. बगैर वक्त गंवाए सीबीसीआईडी ने रात में ही सूरज मंडल के घर दबिश दी. सूरज मंडल गिरफ्तार कर लिया गया. सूरज की निशानदेही पर ही कार्तिक मंडल को उस के घर से गिरफ्तार किया गया. अभिजीत पुंडरी को नहीं पकड़ा जा सका. वह फरार हो गया था.
गिरफ्तार दोनों आरोपियों सूरज मंडल और कार्तिक मंडल को सीआईडी गिरफ्तार कर के पूछताछ के लिए हंसखली थाने ले आई उन से पूरी रात पूछताछ की गई. पर वे दोनों खुद को बेकसूर बताते रहे.
अगले दिन अधिकारियों की मौजूदगी में उन से फिर पूछताछ की गई. सूरज मंडल ने पुलिस के सामने घुटने टेक दिए. उस ने विधायक बिस्वास की हत्या में खुद और कार्तिक मंडल के शामिल होने की बात स्वीकार कर ली. पूछताछ के दौरान सूरज ने बताया कि उस ने अपने घर के पास एक कटार, बातचीत में इस्तेमाल किए गए सिमकार्ड और कुछ अन्य दस्तावेज छिपा रखे हैं.
अगली सुबह सीआईडी की टीम उसे ले कर उस के घर पहुंची. उस के घर के बाहर पुलिस टीम ने जमीन की खुदाई की तो धारदार हथियार और बड़ी संख्या में सिमकार्ड बरामद किए, जो बंगाल के अलावा दूसरे राज्यों के भी थे. इस के अलावा उस के घर की तलाशी लेने पर वहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तसवीरें भी मिलीं. इस बरामदगी के बाद नाराज स्थानीय लोगों ने सूरज मंडल के घर के पास एकत्र हो कर विरोध प्रदर्शन किए.
इस मामले में एक नया मोड़ तब आया जब सांसद मुकुल राय को पता चला कि विधायक की हत्या में उन्हें भी नामजद आरोपी बनाया गया है.
मुकुल राय की सफाई
अपना नाम घसीटे जाने को ले कर सांसद मुकुल राय ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं कोलकाता में बैठा हूं और हत्या यहां से 120 किलोमीटर दूर नदिया जिले में विधायक के घर के पास हुई है. यह पूरी तरह से तृणमूल कांग्रेस की आपसी गुटबाजी और पश्चिम बंगाल सरकार की विफलता है.
उन्होंने कहा कि घटना की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए, ताकि पूरे रहस्य से परदा उठ सके. आरोपों का खंडन करते हुए सांसद मुकुल राय ने कहा कि अभी ऐसी स्थिति है कि जो कुछ भी होगा, उस के लिए मेरा नाम घसीटा जाएगा. अगर दम है तो इस की निष्पक्ष एजेंसी से जांच करा लें. दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने सांसद मुकुल राय का समर्थन करते हुए घटना की सीबीआई जांच की मांग कर दी. उन्होंने भी यही कहा कि विधायक बिस्वास की हत्या आपसी गुटबाजी में की गई है. यही नहीं, जब भी तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ कुछ होता है तो वह उस का आरोप भाजपा पर मढ़ देती है.
कई बार तृणमूल खुद ऐसे काम कर के राजनैतिक विरोधियों को फंसाने की पूरी कोशिश करती है. सालों से टीएमसी में आपसी गुटबाजी चरम पर है, यह बात किसी से छिपी नहीं है.
खैर, सांसद मुकुल राय गिरफ्तारी से बचने के लिए कोलकाता उच्च न्यायालय की शरण में पहुंच गए. 12 फरवरी, 2019 को उन्हें बड़ी राहत मिल गई. कोलकाता हाईकोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी. हाईकोर्ट ने वरिष्ठ भाजपा नेता मुकुल राय की गिरफ्तारी पर 7 मार्च, 2019 तक रोक लगा दी. टीएमसी पार्टी ने आखिर सांसद मुकुल राय पर हत्या जैसा गंभीर आरोप क्यों लगाया, यह तो जांच का विषय है और पुलिस अपनी काररवाई कर रही है. आइए जानें कि यह मुकुल राय हैं कौन?
65 वर्षीय मुकुल राय मूलरूप से पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना के कंचरपाड़ा के रहने वाले हैं. इन के परिवार में पत्नी कृष्णा राय के अलावा एक बेटा है. भाजपा के सांसद मुकुल राय का राजनीतिक सफर युवा कांग्रेस के लीडर के रूप में शुरू हुआ था. कांग्रेस के साथ लंबी पारी खेलने के दौरान पिछली मनमोहन सिंह की सरकार में वह केंद्रीय रेल मंत्री थे.
11 जुलाई, 2011 को असम में एक रेल दुर्घटना हुई थी. मुकुल राय रेलमंत्री होने के बावजूद मौके पर नहीं पहुंचे तो प्रधानमंत्री ने उन्हें पद से हटा दिया था और उन की जगह दिनेश त्रिवेदी को यह भार सौंप दिया था.
इस से पहले ममता बनर्जी के साथ मुकुल राय की खूब निभती थी. 1998 में जब ममता बनर्जी कांग्रेस से अलग हुईं तो उन्होंने एक नई पार्टी तृणमूल कांग्रेस का गठन किया. तब उन्होंने मुकुल राय को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था.
पहली बार सन 2001 में मुकुल राय को टीएमसी से एमएलए का टिकट मिला. वह जगतदला विधानसभा से चुनाव लड़े लेकिन चुनाव हार गए थे. इस चुनाव में वह दूसरे स्थान पर रहे थे. इस के बाद वह निरंतर पार्टी की सेवा करते रहे.
बाद में तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बना दिया. वह 28 मई, 2009 से 20 मार्च, 2012 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. सन 2012 में मुकुल राय सांसद चुन लिए गए. फिर 3 अप्रैल, 2012 से 11 अक्तूबर, 2017 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे.
राजनीति के मंझे खिलाड़ी हैं मुकुल राय
सारदा स्कीम घोटाले में सन 2015 में मुकुल राय और ममता बनर्जी का नाम आया. घोटाले में नाम आने के बाद ममता बनर्जी और मुकुल राय के बीच दूरी बन गई. फिर वे कभी एक नहीं हो सके.
तृणमूल कांग्रेस से मुकुल राय का मन भंग होने लगा था. ममता बनर्जी को उन पर संदेह होने लगा था कि वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं. फिर क्या था, ममता बनर्जी ने उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया.
पार्टी से निकाले जाने के बाद मुकुल राय ने 25 सितंबर, 2017 को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इस के बाद 11 अक्तूबर, 2017 को उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया और 3 नवंबर, 2017 को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली. तब से वह भाजपा में हैं.
भाजपा का दामन थामने के बाद से मुकुल राय पश्चिम बंगाल में भाजपा की जमीन बनाने में लग गए. उन्होंने टीएमसी के कार्यकर्ताओं को तोड़ कर भाजपा में शामिल करना शुरू कर दिया. वैसे भी वह पुराने सियासी खिलाड़ी थे. उन्हें जोड़तोड़ की राजनीति अच्छी तरह आती थी. इस से टीएमसी पार्टी घबरा गई. इस बीच नदिया जिले में उन का कई बार दौरा हो चुका था.
विधायक सत्यजीत बिस्वास मतुआ समुदाय से आते थे, जिस का बंगाल में अच्छाखासा आधार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनवरी 2019 के अंतिम सप्ताह में मतुआ समुदाय को लुभाने के लिए ठाकुरनगर आए थे.
ठाकुरनगर के साथसाथ यह संप्रदाय नदिया और उत्तरी 24 परगना जिले में करीब 30 लाख की संख्या में मौजूद है और राज्य भर की कम से कम 10 से अधिक लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में काम करता है. मतुआ समुदाय पर सत्यजीत बिस्वास की अच्छीखासी पकड़ बनी हुई थी. उन की हत्या का एक कारण यह भी माना जा रहा है.
बहरहाल, आरोपी सूरज मंडल और कार्तिक मंडल ने पूछताछ में पुलिस को बताया था कि विधायक की हत्या की योजना में निर्मल घोष और कालीपद मंडल भी शामिल थे. जांच में यह बात सच पाई गई.
इस के बाद पुलिस ने आरोपी निर्मल घोष और कालीपद मंडल को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को पूछताछ में निर्मल और कालीपद मंडल ने बताया कि हत्या की साजिश अभिजीत पुंडरी ने रची थी और गोली मैं ने और कालीपद ने मारी थी. यह हत्या उन्होंने क्यों की, इस बारे में वे कुछ नहीं बता सके.
आरोपी निर्मल घोष और कालीपद मंडल की निशानदेही पर पुलिस ने उसी दिन अभिजीत पुंडरी को पश्चिम मिदनापुर जिले के राधामोहनपुर इलाके से गिरफ्तार कर लिया. जामातलाशी में उस से एक पिस्टल बरामद की गई.
पूछताछ में अभिजीत पुंडरी ने हत्या की साजिश रचने की बात कबूल ली थी. उसे हत्या की सुपारी किस ने दी थी, यह बात उस ने पुलिस को नहीं बताई. विधायक की हत्या में सांसद मुकुल राय की क्या भूमिका थी, इस की जांच पुलिस कथा लिखने तक कर रही थी.
विधायक सत्यजीत बिस्वास की हत्या क्यों की गई, यह राज कहीं राज न रह जाए. आपसी गुटबाजी कह कर हत्या पर जो परदा डाला जा रहा है, क्या वह पर्याप्त वजह है? यह एक जलता हुआ सवाल है. इस सवाल का जवाब पुलिस को ही ढूंढना होगा.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित