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उत्तर प्रदेश के महानगर मुरादाबाद की विश्वपटल पर पीतल नगरी के नाम से पहचान बनी हुई है. मुरादाबाद के थाना  कटघर क्षेत्र में आने वाली वरबला खास मियां कालोनी में मुनव्वर अली अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी नूरजहां और 6 बच्चे थे, जिन में 2 बेटे आरिस व अरबाज के अलावा 4 बेटियां थीं.

मुनव्वर एक मैटल फर्म में काम करता था. उस ने अपने बड़े बेटे आरिस को एक टैंपो खरीद कर दे दिया था. उसी से वह बिल्डिंग मैटीरियल सप्लाई कर के अच्छीखासी कमाई कर लेता था. छोटे बेटे अरबाज को मुनव्वर ने एक मोटरसाइकिल मैकेनिक के पास काम सीखने के लिए लगा दिया था.

4 जुलाई, 2018 को अरबाज मोटरसाइकिल मैकेनिक की दुकान से रात 8 बजे घर पहुंचा. भाई को आया देख बड़ी बहन ने उसे पैसे दे कर पास की दुकान से दूध की थैली लाने के लिए भेज दिया.

उस ने दूध ला कर बहन को दे दिया. दूध दे कर वह बाहर जाने लगा, तो बहन ने टोका, ‘‘अब कहां जा रहा है, खाने का टाइम हो गया है. खाना तो खाता जा.’’

‘‘थोड़ी देर में आऊंगा, तभी खा लूंगा.’’ कह कर अरबाज घर से निकल गया.

अरबाज को गए हुए काफी देर हो गई लेकिन वह घर नहीं लौटा तो घर वाले परेशान हो गए. यह स्वाभाविक ही था, क्योंकि इस से पहले वह कभी घर से इतनी देर के लिए गायब नहीं हुआ था. घर वाले उसे ढूंढने के लिए निकल गए. उन्होंने पूरी कालोनी छान मारी लेकिन अरबाज नहीं मिला. उन्होंने उस के साथियों, दोस्तों से भी पूछा पर कोई जानकारी नहीं मिली. थकहार कर घर वाले रात 12 बजे घर लौट आए.

मुनव्वर का बड़ा बेटा आरिस बजरी ले कर कहीं गया हुआ था. वह भी घर नहीं लौटा था. उस का मोबाइल फोन भी बंद था. घर वालों ने समझा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि अरबाज भी आरिस के साथ चला गया हो. यही सोच कर वे आरिस के लौटने का इंतजार करने लगे.

आरिस रात करीब डेढ़ बजे घर पहुंचा. अरबाज उस के साथ नहीं था. घर वालों ने आरिस से पूछा कि अरबाज तुम्हारे साथ तो नहीं गया था. इस पर आरिस ने कहा, ‘‘नहीं, वह मेरे साथ नहीं था. मैं तो अकेला ही गया था. उस की बात सुन कर सभी आश्चर्यभरी निराशा में डूब गए.’’

मुनव्वर ने बेटे से कहा, ‘‘बेटा, रात करीब साढ़े 8 बजे से अरबाज गायब है. पता नहीं कहां चला गया. हम ने सब जगह ढूंढ लिया.’’

अब्बू की बात सुन कर आरिस भी परेशान होते हुए बोला, ‘‘कहां गया होगा वह?’’ इस के बाद वह घर वालों के साथ 15 वर्षीय अरबाज को ढूंढने के लिए निकल पड़ा.

करीब एक घंटे बाद आरिस भी निराश हो कर घर लौट आया. घर वाले अरबाज की चिंता में रात भर ऐसे ही बैठे रहे. यह बात 3-4 जुलाई, 2018 की है.

अगले दिन सुबह करीब 6 बजे कालोनी के लोगों ने रेलवे क्रौसिंग के पास नवनिर्मित दुकान के अंदर अरबाज का शव पड़ा देखा तो इस की सूचना मुनव्वर अली को दी.

पूरा परिवार घटनास्थल पर पहुंच गया. अरबाज की लाश देख कर सब लोग बिलखबिलख कर रोने लगे. कुछ ही देर में वहां तमाम लोग जमा हो गए. इसी बीच किसी ने इस की सूचना पुलिस को दे दी. खबर मिलते ही थाना कटघर पुलिस मौके पर पहुंच गई. थानाप्रभारी संजय गर्ग ने घटनास्थल का निरीक्षण किया.

अरबाज की लाश औंधे मुंह पड़ी थी. उस के सिर व हाथपैरों पर गहरी चोटों के निशान थे. गले पर लगे निशानों से लग रहा था कि उस की गला दबा कर हत्या की गई थी और उस के सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया था. सीओ सुदेश कुमार भी वहां आ गए थे. डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया गया.

खोजी कुत्ता निर्माणाधीन दुकान के अंदर गया और वहां से टूटी दीवार से निकल कर खाली प्लौट से होता हुआ सिद्दीकी कालोनी में पहुंच गया. करीब 200 मीटर चलने के बाद वह वापस आ गया.

मामला शहर की घनी आबादी के बीच का था, इसलिए वहां सैकड़ों की संख्या में लोग जमा हो गए. अरबाज की लहूलुहान लाश देख कर लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा था. खबर मिलते ही एसपी (सिटी) अंकित मित्तल भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

गुस्साए लोगों ने अरबाज की लाश अपने कब्जे में ले कर सड़क पर रख दी और वहीं बैठ गए. इस से मुरादाबाद लखनऊ राजमार्ग व मुरादाबाद रामनगर मार्ग पर लंबा जाम लग गया. भीड़ हत्यारों को शीघ्र गिरफ्तार करने की मांग कर रही थी.

जाम की सूचना पर मुरादाबाद के एसएसपी जे. रविंद्र गौड़ भी घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों के समझाने पर करीब डेढ़ घंटे बाद लोगों ने जाम खोला. पुलिस ने फटाफट मौके की काररवाई पूरी कर के लाश पोस्टमार्टम के लिएभेज दी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि अरबाज की हत्या गला घोंट कर की गई थी. उस के एक हाथ की हड्डी भी टूटी पाई गई. कातिलों ने अरबाज के सिर पर भारी डंडे या धातु की रौड से वार किए थे, जिस से सिर की हड्डियां भी टूट गई थीं.

डाक्टरी रिपोर्ट से यह बात साफ हो गई थी कि हत्यारे किसी भी सूरत में अरबाज की जान लेना चाहते थे.

मामले का जल्द खुलासा करने के लिए एसएसपी जे. रविंद्र गौड़ ने 3 टीमों का गठन किया, जिन का नेतृत्व सीओ सुदेश कुमार, थानाप्रभारी संजय गर्ग और एसएसआई दिनेश शर्मा को करना था. निर्देशन का काम एसपी (सिटी) अंकित मित्तल को सौंपा गया.

पुलिस ने इस बारे में अरबाज के घर वालों से पूछताछ की, तो मृतक के बड़े भाई आरिस ने शहर के ही 7 लोगों सफदर, अशरफ, मुर्सलीम, सद्दाम, आसिफ, वाजिद व बड़े मियां (रामपुर वाले) पर शक जताया.

तीनों टीमें अपनेअपने तरीके से केस की जांच में जुट गईं. कुछ पुलिसकर्मियों को घटनास्थल के आसपास सादे कपड़ों में तैनात कर दिया गया, जो पलपल की रिपोर्ट अधिकारियों को दे रहे थे.

आरिस ने जिन 7 लोगों पर शक जताया था. पुलिस टीम से उन के घर दबिश दी, तो वे सभी लोग अपनेअपने घरों से फरार मिले. पुलिस ने वरबला खास के संभ्रांत लोगों से नामजद आरोपियों के बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि नामजद लोग बेहद गरीब हैं. उन का कोई आपराधिक रिकौर्ड भी नहीं है. उन्हें इस मामले में रंजिशन फंसाया जा रहा है.

इसी दौरान पुलिस को एक खास बात यह पता चली कि आरोपी मुर्सलीम की पत्नी अजरा से अरबाज के बड़े भाई आरिस के साथ अवैध संबंध थे. इस बात को ले कर दोनों पक्षों में आए दिन झगड़ा होता रहता था.

थानाप्रभारी संजय गर्ग ने महिला पुलिस को साथ ले कर नामजद अभियुक्त मुर्सलीम की पत्नी अजरा से भी पूछताछ की. अजरा ने स्वीकार किया कि उस के आरिस के साथ संबंध हैं. आरिस उसे इतना चाहता है कि उस से शादी करने को तैयार है. इतना ही नहीं, वह उसे भगा कर ले जाने की बात करता है.

कुल मिला कर आरिस उसे ले कर पागल बना हुआ था. अजरा ने बताया कि यह बात उस के पति मुर्सलीन को भी पता चल चुकी थी, जिस की वजह से मुर्सलीन और आरिस के बीच कई बार झगड़ा भी हुआ. अजरा ने बताया कि लड़ाई होना अलग बात है, लेकिन उस का पति और ससुराल वाले हत्या जैसा काम नहीं कर सकते.

यह बात थानाप्रभारी की भी समझ में आ गई. लेकिन यह उन की समझ में नहीं आ रही थी कि अजरा के पति मुर्सलीन और उस के घर वालों की दुश्मनी आरिस से थी तो उन्हें आरिस को मारना चाहिए था न कि अरबाज को.

अजरा से पूछताछ कर के थानाप्रभारी लौट आए. उधर आरिस पुलिस पर नामजद अभियुक्तों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का दबाव बना रहा था. पुलिस जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहती थी, इसलिए वह आरिस को यह समझाबुझा कर घर भेज देती थी कि आरोपियों की तलाश में जगहजगह दबिश दी जा रही हैं.

थानाप्रभारी संजय गर्ग ने एसएसआई दिनेश शर्मा, एसआई मुकेश शुक्ला, कांस्टेबल गौरव कुमार और सत्यवीर पहलवान को आरिस की गतिविधियां चैक करने पर लगा दिया. इस पुलिस टीम को आरिस की गतिविधियां संदिग्ध लगीं.

इस के बाद पुलिस ने आरिस के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो उन्हें 2 फोन नंबर ऐसे मिले, जिन पर आरिस ने वारदात वाले दिन कई बार बात की थी. जिन नंबरों पर उस की बात हुई थी, उन की भी काल डिटेल्स निकलवाई गई तो उन नंबरों की लोकेशन घटनास्थल के पास पाई गई.

अब पुलिस के शक की सुई आरिस की तरफ घूम गई. जिन 2 नंबरों पर आरिस ने बात की थी, वह नंबर रामपुर दोराहा, बरवाला मझला निवासी सुलतान व जामा मसजिद निवासी जुनैद के निकले.

पुलिस ने उन दोनों को पूछताछ के लिए उठा लिया. उन से सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने सब कुछ बता दिया है. उन्होंने बताया कि अरबाज की हत्या में उस का बड़ा भाई आरिस भी शामिल था.

यह सुन कर एसपी अंकित मित्तल सहित सभी यह सोच कर सन्न रह गए कि प्रेमिका को पाने के लिए सगा भाई इस हद तक जा सकता है कि प्रेमिका के पति और उस के परिवार को हत्या में फंसाने के लिए षडयंत्र रच कर अपने सगे भाई की हत्या करवा दे.

अभियुक्त सुलतान व जुनैद द्वारा अपना अपराध स्वीकार करने के बाद पुलिस ने आरिस को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जब आरिस को गिरफ्तार कर थाने ला रही थी तो आरिस ने पुलिस से पूछा कि मुझे थाने क्यों ले जाया जा रहा है. इस पर थानाप्रभारी संजय गर्ग ने कहा कि तुम्हारे भाई के हत्यारे पकड़े जा चुके हैं. थाने चल कर देख लो, वह कौन है.

थाने पहुंच कर पुलिस ने आरिस का सामना अभियुक्त सुलतान व जुनैद से करवाया तो उस के होश उड़ गए. थानाप्रभारी को गुस्सा आया तो उन्होंने आरिस के गाल पर एक तमाचा जड़ते हुए कहा कि इतने दिनों से नाटक कर हमें बेवकूफ बना रहा था. उन्होंने आरिस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि गांव के मुर्सलीन की पत्नी अजरा से उस के नाजायज संबंध हैं.

प्रेमिका के पति और उस के घर वालों ने उस के साथ कई बार मारपीट की थी. उन्हें सबक सिखाने के लिए ही उस ने अपने छोटे भाई अरबाज की हत्या कर के मुर्सलीन और उस के घर वालों को फंसाने की योजना बनाई थी.

यह काम करने के लिए उस ने अपने दोस्त सुलतान और जुनैद से बात की तो वे उस का साथ देने के लिए तैयार हो गए. 3 जुलाई, 2018 को अरबाज जब दूध की थैली लेने गया था तो बाहर उसे आरिस मिल गया. उस ने अरबाज से कहा कि दूध की थैली घर रख कर आ जाना. मुझे पार्टी से पैसे लेने के लिए जाना है. पैसे मिलेंगे तो तुझे भी दूंगा. और हां, घर पर कुछ मत बताना. भाई की बात मान कर अरबाज दूध की थैली घर रख कर तुरंत बड़े भाई के पास आ गया.

उस समय बिजली गुल थी. आरिस अरबाज को अपने साथ ले गया. घर से करीब 100 मीटर दूर ताजपुर रेलवे क्रौसिंग के पास उसे जुनैद और सुलतान मिल गए. वे तीनों 15 वर्षीय अरबाज को वहीं पास में एक निर्माणाधीन दुकान के अंदर ले गए. फिर तीनों ने अरबाज का गला घोंट कर हत्या कर दी. बाद में रौड से उस के सिर पर कई वार भी किए. इस से पहले अरबाज ने कहा भी था कि भाई मुझे क्यों मार रहे हो, मैं ने क्या बिगाड़ा है. उस ने भागने की कोशिश भी की थी. लेकिन सुलतान ने उसे नीचे गिरा दिया था. जुनैद ने पैर पकडे़ और आरिस ने खुद ही अपने छोटे भाई का गला घोंटा था.

तीनों आरोपियों से पूछताछ के बाद एसपी (सिटी) ने आरिस के मामा व मां नूरजहां को भी थाने बुलवा लिया. उन के सामने आरिस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. आरिस ने बताया कि उस ने यह सब इसलिए किया था कि अरबाज की हत्या के आरोप में मुर्सलीन व उस के घर वाले जेल चले जाएं. उन के जेल जाने के बाद वह अपनी प्रेमिका अजरा से बिना किसी डर के मिलता रहता और उस से निकाह कर लेता.

लेकिन एक तीर से दो शिकार करने का उस का मकसद सफल नहीं हो सका. इस में उस ने अपने भाई को तो खो ही दिया साथ ही उसे खुद भी जेल जाना पड़ा.

तीनों आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें मुरादाबाद जिला जेल भेज दिया गया.  ?

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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