22 नवंबर, 2016 की सुबह कानपुर (देहात) के थाना सजेती के गांव बसई के रहने वालों ने नहर किनारे बोरी में बंद पड़ी लाश देखी तो थाना सजेती पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी आर.के. सिंह पुलिस बल के साथ गांव बसई पहुंच गए. उन्होंने साथ आए सिपाहियों से बोरी खुलवाई तो उस में एक युवक की लाश निकली. लाश देख कर गांव वालों के बीच खड़ा रमेश फफक कर रो पड़ा. क्योंकि बोरी से निकली लाश उस के भाई राजेश की थी.
हत्या की सूचना पा कर एसपी (ग्रामीण) सुरेंद्रनाथ तिवारी भी आ गए थे. उन्होंने भी घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. इस के बाद मृतक के भाई रमेश से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि राजेश के पड़ोस में ही रहने वाली साधना से नाजायज संबंध थे. उसे शक है कि उसी ने राजेश की हत्या कराई है. एसपी थानाप्रभारी को जल्दी से जल्दी हत्यारों को पकड़ने का आदेश दे कर चले गए.
आर.के. सिंह ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा कर गांव वालों से पूछताछ की तो पता चला कि पहले राजेश और साधना के बीच प्रेमसंबंध थे. इधर साधना ने लालू से रिश्ते बना लिए थे. इस जानकारी से थानाप्रभारी को लगा कि राजेश का कत्ल नाजायज संबंधों की ही वजह से हुआ है.
25 नवंबर को वह लालू को पकड़ कर थाने ले आए और सख्ती से पूछताछ की तो उस ने राजेश की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि साधना के साथ मिल कर उसी ने राजेश की हत्या की थी, क्योंकि वह साधना को ब्लैकमेल कर रहा था. इस के बाद साधना को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. दोनों ने पुलिस को राजेश की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—
कानपुर (देहात) जनपद की तहसील घाटमपुर के थाना सजेती का एक गांव है बसई. इसी गांव में रामबाबू अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी शांति देवी के अलावा 2 बेटियां रमन, साधना और बेटा अजय था. साधना का विवाह उन्होंने गोविंद के साथ किया था. वह थाना सजेती के अंतर्गत आने वाले गांव रामपुर के रहने वाले रघुवर का बेटा था. वह गांव में ही रह कर पिता के साथ खेती करवाता था.
गोविंद साधना जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर बहुत खुश था. साधना भी गोविंद को खूब चाहती थी. दोनों की जिंदगी हंसीखुशी से बीत रही थी. इसी तरह 3 साल कब बीत गए, पता ही नहीं चला. इस बीच साधना ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम उन्होंने अंकुर रखा. बेटे के जन्म के बाद उन का भरापूरा परिवार हो गया.
पर उन की यह खुशी ज्यादा दिनों तक टिकी नहीं रह सकी. होनी ने ऐसे पैर पसारे कि दोनों की जिंदगी में तबाही आ गई. गोविंद एक दिन खादबीज लेने घाटमपुर गया तो लौटते वक्त उस का बस से एक्सीडेंट हो गया, जिस में वह बुरी तरह से घायल हो गया. उस के सिर में गंभीर चोट आई थी.
साधना ने पति का काफी इलाज कराया. वह ठीक तो हो गया, लेकिन दिमाग में चोट लगने से वह अर्धविक्षिप्त हो गया. अब वह न काम करता था, न घरपरिवार की देखभाल करता था. वह पागलों की तरह गलीगली में घूमता रहता था. साधना खूबसूरत और जवान थी. पति की दूरी उसे खलने लगी. वह मर्द सुख के लिए बेचैन रहने लगी.
उस ने इस बात पर गहराई से विचार किया तो उस की नजरें पड़ोस में रहने वाले राजेश पर टिक गईं. वह उस के पड़ोस में ही बड़े भाई रमेश के साथ रहता था. उस के मातापिता की मौत हो चुकी थी. वह शरीर से भी हृष्टपुष्ट था. उस का दूध का कारोबार था. आसपास के गांवों से दूध इकट्ठा कर के वह मंडी में ले जा कर बेच आता था. इस से उसे अच्छी आमदनी हो रही थी.
राजेश और गोविंद हमउम्र थे. दोनों में दोस्ती भी थी. इसलिए राजेश का साधना के घर भी आनाजाना था. लेकिन गोविंद के पागल होने के बाद उस का साधना के घर आना काफी कम हो गया था. पर देवरभाभी का रिश्ता होने की वजह से दोनों जब भी मिलते, हंसीमजाक कर लेते थे. साधना के मन में उस के लिए चाहत पैदा हुई तो वह उस से खुल कर हंसीमजाक करने लगी.
राजेश को साधना के मन की बात का अंदाजा हुआ तो उस का उस के घर आनाजाना बढ़ गया. साधना को खुश करने के लिए वह खानेपीने की चीजें और उपहार भी लाने लगा. इन चीजों को पा कर साधना खूब खुश होती. अब हंसीमजाक के साथ छेड़छाड़ भी होने लगी. साधना अपनी मोहक अदाओं से राजेश को नजदीक आने का निमंत्रण देती, लेकिन राजेश आगे बढ़ने में हिचकता था.
परंतु साधना के खुले आमंत्रण पर हिचकिचाहट त्याग कर जल्दी ही राजेश ने साधना की मन की मुराद पूरी कर दी. मर्यादा की दीवार गिरी तो सिलसिला चल निकला. अब साधना के लिए राजेश ही सब कुछ हो गया. वह भी साधना की देह का ऐसा दीवाना हुआ कि अपनी सारी कमाई उसी पर लुटाने लगा.
घर में क्या हो रहा है, विक्षिप्त होने की वजह से गोविंद को कोई मतलब नहीं था. उस की मौजूदगी में भी कभीकभी साधना राजेश के साथ संबंध बना लेती थी. अगर वह कुछ कहता तो दोनों उसे मारपीट कर भगा देते थे. इस के बाद डर के मारे वह कई दिनों तक घर नहीं आता था.
साधना पूरी तरह स्वच्छंद थी. सास की मौत हो चुकी थी. ससुर साधु बन कर गांव छोड़ कर तीर्थों में भटक रहा था. साधना को कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था, इसलिए वह खुल कर राजेश के साथ रंगरलियां मना रही थी. राजेश रात में घर से निकलता और साधना के घर पहुंच जाता. सुबह होने से पहले वह अपने घर आ जाता.
लेकिन एक रात भेद खुल गया. आधी रात को रमेश की आंख खुली तो उस ने भाई को गायब पाया. मुख्य दरवाजा बाहर से बंद था, इस से वह समझ गया कि राजेश घर से बाहर गया है. वह उस के लौटने का इंतजार करने लगा. राजेश लगभग 2 घंटे बाद घर लौटा तो रमेश उस पर बरस पड़ा. भाई की डांट से राजेश डर गया. उस ने बता दिया कि वह साधना के घर गया था और उस से उस के नाजायज संबंध हैं.
रमेश समझ गया कि राजेश अपनी सारी कमाई साधना के साथ अय्याशी में खर्च कर रहा है, इसीलिए कारोबार में घाटा बता रहा है. रमेश ने भाई को डांटफटकार कर साधना के घर जाने पर रोक लगा दी. यही नहीं, राजेश से सख्ती से हिसाब लेने लगा. इस का नतीजा यह निकला कि राजेश के पास अब पैसे नहीं बचते थे, जिस से वह साधना की फरमाइशें पूरी नहीं कर पाता था.
राजेश ने पैसे देने बंद किए तो साधना ने भी उसे लिफ्ट देना बंद कर दिया. कभी चोरीछिपे राजेश साधना के घर पहुंचता तो वह उसे दुत्कार कर भगा देती. वह अपमानित हो कर लौट आता. उसी बीच साधना के 3 साल के बेटे अंकुर को डेंगू बुखार हो गया. उस के इलाज के लिए उस ने राजेश से 10 हजार रुपए उधार मांगे.
लेकिन राजेश ने पैसे देने से मना कर दिया. रुपयों को ले कर साधना और राजेश में जम कर झगड़ा हुआ. साधना ने साफ कह दिया कि अगर अब वह उस के घर आया तो वह उसे धक्के मार कर भगा देगी. इस के बाद राजेश का साधना के घर आनाजाना बिलकुल बंद हो गया. साधना को बेटे के इलाज के लिए रुपयों की सख्त जरूरत थी, इसलिए उस ने गांव के ही लालू यादव से 10 हजार रुपए ब्याज पर उधार ले लिए.
इन रुपयों से साधना ने बेटे का इलाज कराया. उचित इलाज होने से अंकुर पूरी तरह स्वस्थ हो गया. बेटा तो स्वस्थ हो गया, लेकिन अब उसे रुपए वापस करने की चिंता सताने लगी. साधना के पास खेती की कमाई के अलावा आमदनी का कोई दूसरा जरिया नहीं था. खेती की कमाई से वह किसी तरह घर का खर्च चला पाती थी. लालू के रुपए लौटाने के लिए उस के पास पैसे नहीं थे.
लालू महीने के अंत में ब्याज के रुपए लेने आता था. साधना उसे किसी न किसी बहाने टरका देती थी. जब कई महीने तक साधना ब्याज का पैसा नहीं दे पाई तो लालू का माथा ठनका. वह अपने रुपए कैसे वसूले, इस बात पर विचार करने लगा. उस ने सोचा कि अगर साधना रुपए नहीं देती तो क्यों न वह उस के शरीर से रुपए वसूल ले.
यह विचार आते ही लालू साधना से हंसीमजाक करने लगा. लालू हृष्टपुष्ट युवक था, जिस से साधना को उस के हंसीमजाक में आनंद आने लगा. उस ने सोचा कि अगर लालू उस के रूपजाल में फंस जाता है तो उस की शारीरिक जरूरत तो पूरी होगी ही, उसे उस के पैसे भी नहीं देने होंगे. इस के बाद उस ने लालू को पूरी छूट दे दी. फिर तो जल्दी ही दोनों के बीच संबंध बन गए.
लालू से उस के संबंध क्या बने, वह उस की दीवानी हो गई. लालू भी उस के लिए पागल हो चुका था, इसलिए दिल खोल कर उस पर पैसे खर्च करने लगा. यही नहीं, उस ने अपने पैसे भी मांगने बंद कर दिए.
लालू और साधना के अवैध संबंध बिना किसी रोकटोक के चल रहे थे. लेकिन अचानक राजेश बीच में कूद पड़ा. जब उसे पता चला कि साधना ने लालू से संबंध बना लिए हैं तो वह साधना को ब्लैकमेल करने की कोशिश करने लगा. उस ने साधना से कहा कि वह उस से भी संबंध बनाए वरना वह गांव में सभी से उस के और लालू के संबंधों के बारे में बता देगा.
राजेश की इस धमकी से साधना डर गई. उस ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारी बात मानने को तैयार हूं, लेकिन इस के लिए मुझे थोड़ा वक्त दो.’’ इस के बाद जब लालू आया तो साधना ने रोते हुए उस से कहा, ‘‘मेरे और तुम्हारे संबंधों की जानकारी राजेश को हो गई है. अब वह भी मुझ से संबंध बनाने को कह रहा है. संबंध न बनाने पर गांव में सब को बताने की धमकी दे रहा है.’’
साधना की इस बात पर लालू का खून खौल उठा. उस ने कहा, ‘‘तुम किसी भी कीमत पर राजेश से संबंध मत बनाना. मैं उसे ऐसा सबक सिखाऊंगा कि वह जिंदगी में कभी भूल नहीं पाएगा. लेकिन इस के लिए मुझे तुम्हारी मदद चाहिए.’’
साधना लालू की मदद करने के लिए राजी हो गई तो लालू ने राजेश को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली और मौके का इंतजार करने लगा.
21 नवंबर, 2016 की रात 10 बजे राजेश के मोबाइल फोन की घंटी बजी तो उस ने देखा, साधना का फोन था. फोन रिसीव कर के वह खुश हो कर बोला, ‘‘कहो, कैसे फोन किया?’’
‘‘राजेश, मैं ने तुम्हारी बात मान ली है. तुम अभी आ जाओ.’’ साधना ने कहा.
राजेश तुरंत साधना के घर जा पहुंचा और उसे बांहों में भर लिया. तभी कमरे में छिप कर बैठा लालू निकला और राजेश को पकड़ कर पीटने लगा. राजेश कुछ कर पाता, उस के पहले ही लालू ने उस के गले में अंगौछा लपेट कर कस दिया. राजेश छटपटाने लगा तो साधना ने उस की छाती पर सवार हो कर उसे काबू में कर लिया.
राजेश की मौत हो गई तो दोनों ने उस की लाश को एक बोरी में भरा और रात में ही साइकिल से ले जा कर गांव के बाहर नहर के किनारे फेंक आए. पूछताछ के बाद आर.के. सिंह ने साधना और लालू के खिलाफ राजेश की हत्या का मुकदमा दर्ज कर 26 नवंबर, 2016 को कानपुर (देहात) की माती अदालत में रिमांड मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से उन्हें जिला कारागार भेज दिया गया.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित