24 जून, 2019 की बात है. लखनऊ के शेरपुर लवल गांव में सुबह 6 बजे रोज की तरह प्रभातफेरी निकल रही थी. प्रभातफेरी जब गांव में ही रहने वाले शिवप्रसाद के घर से 100 मीटर दूर पहुंची तो सड़क किनारे पीपल के पेड़ के नीचे एक लड़के का नंगा शव पड़ा दिखाई दिया. शव को देखने से लग रहा था कि किसी ने धारदार हथियार से उस की हत्या की है.
प्रभातफेरी में जगदीश भी शामिल था. जगदीश जैसे ही लाश के पास गया, तो चिल्लाने लगा कि यह तो मेरा भतीजा यतीश है. इस का यह हाल किस ने कर दिया. लाश की शिनाख्त जगदीश ने अपने भतीजे यतीश के रूप में की.
उस ने इस बात की सूचना अपने भाई शिवप्रसाद और परिवार के अन्य लोगों को दे दी. घटना का पता चलते ही पूरे गांव में कोहराम मच गया. गांव के लोग घटनास्थल की तरफ भागे. यतीश का शव देख कर सभी लोग सन्न रह गए.
24 वर्षीय यतीश की मां सरला उस के शव से लिपट कर रोने लगी. गांव की महिलाएं और दूसरे लोग उसे ढांढस बंधा रहे थे. वह बारबार दहाड़ें मार कर रोतेरोते बेहोश हो रही थी.
घटना की जानकारी लखनऊ जनपद के निगोहा थाने को दी गई. शेरपुर लवल गांव इसी थाने के तहत आता था. निगोहा लखनऊ जिले का अंतिम थाना है. इस के बाद रायबरेली जिला शुरू हो जाता है. पुलिस ने यतीश की नंगी लाश देखने और गांव वालों से बात करने के बाद अनुमान लगाया कि उस की हत्या की वजह अवैध संबंध हो सकते हैं
इंसपेक्टर निगोहां जगदीश पांडेय ने लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी को घटना के बारे में बताया. एसएसपी कलानिधि नैथानी ने एसपी (क्राइम) सर्वेश कुमार मिश्रा और सीओ (मोहनलालगंज) राजकुमार शुक्ला को मौके पर जा कर घटना की तहकीकात और खुलासा करने को कहा.
पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया, तो पता चला कि मृतक यतीश पर किसी धारदार हथियार से वार किए गए थे. मौके पर काफी मात्रा में खून फैला हुआ था. लाश के मुआयने में लगा कि हत्यारे एक से अधिक रहे होंगे.
वहां मौजूद मृतक की मां सरला ने पुलिस को बताया कि यतीश कल रात अपने दोस्तों के साथ गांव के बाहर मोबाइल फोन पर गेम खेलने की बात कह कर आया था. मैं ने इसे मना भी किया पर यह नहीं माना. यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस को यह पता लगाना था कि यतीश किन दोस्तों के साथ आया था. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.
जांच में सामने आया नेहा का नाम
एसएसपी ने इस केस को सुलझाने के लिए एक पुलिस टीम बनाई. इसी दौरान पुलिस टीम को मुखबिर से पता चला कि मृतक के गांव की ही नेहा से प्रेम संबंध थे. इस सूचना में पुलिस को दम नजर आया, क्योंकि जिस तरह से यतीश की नंगी लाश मिली थी, उस से हत्या की यही वजह नजर आ रही थी.
टीम ने यतीश के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस में एक नंबर ऐसा मिल गया, जिस पर यतीश काफी देर तक बातें करता था. वह फोन नंबर नेहा का ही निकला.
इस के बाद पुलिस को यकीन हो गया कि यतीश की हत्या के तार जरूर नेहा से जुड़े हैं. इसलिए पुलिस टीम नेहा के घर पहुंच गई. पुलिस नेहा और उस के भाई को पूछताछ के लिए थाने ले आई. पूछताछ करने पर नेहा ने यह तो कबूल कर लिया कि यतीश के साथ उस के प्रेम संबंध थे लेकिन उस के अनुसार, हत्या के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं थी.
सख्ती से पूछताछ करने पर नेहा के भाई शिवशंकर ने स्वीकार कर लिया कि यतीश ने उस के घर वालों का जीना हराम कर दिया था. इसीलिए उसे ठिकाने लगाने के पर मजबूर होना पड़ा. शिवशंकर ने यतीश की हत्या की जो कहानी बताई वह इस प्रकार थी—
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 40 किलोमीटर दूर एक गांव है शेरपुर लवल. यहां की आबादी मिलीजुली है. ज्यादातर परिवार खेतीकिसानी पर निर्भर हैं. इन्हीं लोगों में शिवप्रसाद तिवारी का भी परिवार था.
यतीश तिवारी शिवप्रसाद का ही बेटा था. यतीश 2 भाई थे. मनीष बड़ा था और यतीश छोटा. मनीष होमगार्ड की नौकरी करता है. उस की ड्यूटी लखनऊ सचिवालय में लगी थी. मनीष अपने परिवार के साथ लखनऊ के पास ही तेलीबाग में रहता था. यतीश की एक बहन है प्रीति, जिस की शादी हो चुकी है. यतीश अकेला अपने मातापिता के साथ रहता था. मां सरला देवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है.
यतीश भारतीय सेना में शामिल हो कर देश की सेवा करना चाहता था. इस के लिए वह अपनी तैयारी भी कर रहा था. वह रोजाना गांव के बाहर दौड़ लगाता था और एक्सरसाइज भी करता था. शारीरिक रूप से फिट 24 साल के यतीश ने कई प्रतियोगी परीक्षाएं पास की थीं. लेकिन फिजिकल टेस्ट में वह रह जाता था.
यतीश अपनी मां से कहता था कि अगर मैं आर्मी में नहीं जा पाया तो दूसरी फोर्स या पुलिस में तो मेरा चयन हो ही जाएगा. मां को भी बेटे की बात पर यकीन था. मां ही नहीं गांव और घर के दूसरे लोग भी यही मान रहे थे. यही वजह थी कि बिना नौकरी किए भी यतीश के रिश्ते आने लगे थे.
लेकिन यतीश अभी शादी नहीं करना चाहता था. उस ने मां से कहा, ‘‘मां शादी की अभी क्या जल्दी है, नौकरी लगने दो फिर शादी कर लूंगा.’’
‘‘शादी के लायक उम्र हो गई है. तू ही बता, अभी नहीं तो कब होगी तेरी शादी? तुझे पता नहीं है गांव के लोग तमाम तरह की बातें करते हैं. ऐसे में उन को भी कहने का मौका नहीं मिलेगा.
‘‘जिस जगह से रिश्ता आया है वहां लड़की और घरपरिवार सभी अच्छा है. कई बार लड़की की किस्मत अच्छी होती है तो पति की नौकरी जल्दी लग जाती है.’’ मां ने यतीश को समझाया तो वह भी मां की बात टाल नहीं सका. इस के बाद मांबाप ने यतीश की शादी तय कर दी.
उस की शादी हैदरगढ़ के रहने वाले एक परिवार में तय हो गई. शादी और तिलक की तारीख भी तय हो गई थीं. इसी साल यानी 2019 में ही 22 नवंबर को तिलक और 28 नवंबर को उस की बारात जानी थी.
दूसरी ओर यतीश का चक्कर गांव की ही नेहा से चल रहा था. वह नेहा के साथ शादी करना चाहता था. नेहा के पिता मिस्त्री का काम करते थे. नेहा और यतीश अलगअलग बिरादरी के थे. इसलिए दोनों परिवारों के बीच शादी विवाह की बात किसी भी हालत में संभव नहीं था. यतीश और नेहा के बीच लंबे समय से संबंध थे. यह बात नेहा के घर वालों को भी पता चल गई थी.
उन्होंने नेहा को समझाया लेकिन वह प्रेमी को किसी भी हालत में नहीं छोड़ना चाहती थी. नेहा के मातापिता और परिवार के लोग इस बात का विरोध कर रहे थे. इस के बाद भी यतीश और नेहा मानने को तैयार नहीं थे.
जब नेहा और यतीश का मिलनाजुलना बंद नहीं हुआ तो नेहा के पिता शिवप्रसाद ने अपने परिवार को गांव से दूर पीजीआई अस्पताल के पास वेदावन कालोनी में किराए का घर ले कर दे दिया. पूरा परिवार किराए के उसी मकान में रहने लगा. लेकिन वहां जाने के बाद भी यतीश ने नेहा से मिलना नहीं छोड़ा.
शिवप्रसाद को यह बात पता चल गई थी कि नेहा और यतीश अब भी छिपछिप कर मिलते हैं. लिहाजा उस ने अपने बेटे शिवशंकर से कहा कि यतीश की हरकतें बढ़ती जा रही हैं. गांव छोड़ने के बाद भी वह नेहा का पीछा नहीं छोड़ रहा है. अब उसे सबक सिखाना ही पड़ेगा.
‘‘हम तो पहले ही कह रहे थे कि गांव छोड़ने से कुछ नहीं होगा. लेकिन आप ही नहीं माने. अब जो भी करना है, जल्दी करो. कहीं ऐसा न हो कि वह कोई दूसरा कदम उठा ले.’’ बेटे शिवशंकर ने कहा.
इस के बाद दोनों ने तय कर लिया कि यतीश को रास्ते से हटाना है. शिवप्रसाद और उस के बेटे शिवशंकर ने मिल कर यतीश की हत्या की योजना बना ली. शिवशंकर ने इस के लिए गांव में रहने वाले अपने दोस्त हनुमान को भी अपनी योजना में शामिल कर लिया.
हनुमान ने सतीश पर नजर रखनी शुरू कर दी ताकि काम आसानी से हो सके. यतीश की दिनचर्या से पता चला कि रात को वह गांव के बाहर पीपल के पेड़ के पास चबूतरे पर बैठ कर मोबाइल फोन पर पबजी गेम खेलता है. यह पूरी जानकारी हनुमान ने शिवशंकर को दे दी. इस के बाद शिवशंकर, शिवप्रसाद और हनुमान ने अपनी योजना को अंजाम देने की तैयारी कर ली.
23 जून को गांव में किसी की तेरहवीं का भोज था. शिवप्रसाद और शिवशंकर भोज में शामिल होने के लिए घर से निकले. वहां जाने से पहले दोनों ने हनुमान के साथ शराब पी, फिर खाना खाया. रात करीब एक बजे तीनों गांव के बाहर उस चबूतरे के पास पहुंच गए जहां पर यतीश मोबाइल के स्क्रीन पर नजरें जमाए बड़े ध्यान से गेम खेल रहा था.
शिवप्रसाद और हनुमान ने यतीश को पीछे से दबोच लिया. उस का मुंह दबा कर वे लोग उसे वहीं स्थित पुलिया के नीचे ले गए. इस के बाद शिवशंकर ने साथ लाए चापड़ से उस के गले और सिर पर कई वार किए. कुछ ही देर में वह मर गया. उस की हत्या करने के बाद इन लोगों ने उस के कपड़े उतार कर सड़क के किनारे फेंक दिया. यतीश के कपड़ों में तो खून लगा ही था. पुलिया के दोनों किनारों पर भी खून के छींटे गिर गए थे. शिवशंकर से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उस के दोस्त हनुमान को भी गिरफ्तार कर लिया, जबकि नेहा को छोड़ दिया गया.
शिवशंकर की निशानदेही पर पुलिस ने उस के घर से हत्या में प्रयुक्त चापड़ और यतीश के खून सने कपड़े बरामद कर लिए. पुलिस ने दोनों आरोपियों शिवशंकर और हनुमान को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया. कहानी लिखे जाने तक शिवप्रसाद की तलाश जारी थी. साफ जाहिर है कि अपराध छिपाने की कितनी भी कोशिश की जाए, अपराध छिपता नहीं है.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में नेहा परिवर्तित नाम है.