एक दिन कालीचरण हीराकली के घर आया तो वह घर में अकेली थी और आईने के सामने बैठी शृंगार कर रही थी. कालीचरण चुपचाप पीछे खड़ा हो गया. जैसे ही हीराकली ने आईने में कालीचरण को देखा तो उस ने चौंकते हुए अपना आंचल ठीक करने के लिए हाथ बढ़ाया, तभी कालीचरण उस का हाथ थामते हुए बोला, ‘‘हीरा भाभी, ऊपर वाले ने खूबसूरती देखने के लिए बनाई है. तुम इसे ढक क्यों रही हो. मेरा वश चले तो अपने सामने तुम को कभी आंचल डालने ही न दूं. इस खूबसूरती को परदे में बंद मत करो.’’

हीराकली उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के गांव मधौया के रहने वाले तेजराम की बीवी थी. कालीचरण भी इसी गांव का रहने वाला था. वह तेजराम का दोस्त था, इसलिए उस का तेजराम के यहां आनाजाना था. हीराकली गांव के रिश्ते में कालीचरण की भाभी लगती थी.

कालीचरण हीराकली को चाहता था, इसलिए वह तेजराम की गैरमौजूदगी में उस के यहां चक्कर लगाता रहता था. उस दिन भी जब वह उस के घर गया तो वह घर में अकेली थी. उसे शृंगार करते देख कर कालीचरण ने उस से शरारत की तो वह बोली, ‘‘पागल कहीं के, तुम को तो हमेशा शरारत सूझती है. काली, एक बात बताऊं, जब भी तुम मुझे छूने की कोशिश करते हो तो मुझे डर लगता है कि कहीं मुसकान के पापा न देख लें और तुम्हारी चोरी पकड़ी जाए.’’ हीराकली मुसकराई.

‘‘अरे भाभी, इस बात को ले कर तुम चिंता क्यों करती हो. मुझे सिर्फ इतना बताओ कि मेरी शरारत से तुम्हें तो कोई परेशानी नहीं होती. बुरा तो नहीं मानती मेरी छेड़छाड़ का?’’

‘‘बिलकुल नहीं. पर एक बात बताओ कि तुम्हारी इन बातों का मतलब क्या है? कहीं तुम मुझ पर डोरे डालने की कोशिश तो नहीं कर रहे?’’ हीराकली ने कालीचरण के मन की थाह लेनी चाही.

‘‘भाभी, जब तुम जान ही गई हो तो दिल की बात तुम्हें बता ही दूं. सच यह है कि भाभी, मैं तुम्हें प्यार करता हूं. जिस रोज मैं तुम्हें देख नहीं लेता, अजीब सी बेचैनी महसूस होती है. तभी तो किसी न किसी बहाने से यहां चला आता हूं. तुम्हारी चाहत कहीं मुझे पागल न…’’

कालीचरण की बात अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि हीराकली बोली, ‘‘पागल तो तुम हो ही चुके हो. तुम ने कभी मेरी आंखों में झांक कर देखा है कि उन में तुम्हारे लिए कितनी चाहत है. दिल की भाषा को आंखों से पढ़ पाने में भी तुम अभी अनाड़ी ही हो.’’

‘‘सच कहा तुम ने, मैं अनाड़ी ही निकला लेकिन आज यह अनाड़ी खिलाड़ी बनना चाहता है.’’ कहते हए कालीचरण ने हीराकली के चेहरे को अपने हाथों में भर लिया. पलभर बाद हीराकली उस की बांहों में कैद थी.

आंखें बंद कर उस ने अपना सिर कालीचरण के सीने पर टिका दिया. कालीचरण का दिल तेज गति से धड़कने लगा. वह हीराकली को बांहों में उठा कर बैड पर ले गया. फिर दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कर लीं.

शराब पीपी कर खोखले हो चुके पति तेजराम के शरीर में अब वह बात नहीं रह गई थी जो हीराकली की देह की आग को बुझा पाती. इसलिए उस के कदम कालीचरण की तरफ बढ़ गए थे. आज कदम जब मंजिल तक पहुंचे तो उस की चाहत पूरी हो गई.

उत्तर प्रदेश के जिला पीलीभीत के बरखेड़ा थाना क्षेत्र में एक गांव है मधौया. परसादीलाल इसी गांव में सपरिवार रहते थे. उन के पास खेती की 10 बीघा जमीन थी. उस पर खेती कर के वह अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. उन के परिवार में पत्नी पार्वती के अलावा 3 बेटे बुद्धसेन, तेजपाल व चेतराम और 2 बेटियां मीना और सीमा थीं. दोनों बेटियों के हाथ पीले करने के बाद उन्होंने बुद्धसेन का विवाह हीराकली से कर दिया था.

विवाह के कुछ समय बाद बुद्धसेन की जहर खाने से संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. पति की मौत के बाद हीराकली का विवाह देवर तेजराम से रीतिरिवाज से कर दिया गया.

तेजराम से विवाह के बाद हीराकली 2 बेटियों और एक बेटे की मां बनी. इसी बीच तेजराम के मातापिता का देहांत हो गया. पिता की जो 10 बीघा जमीन थी, वह दोनों भाइयों तेजराम और चेतराम के बीच आधीआधी बंट गई.

तेजराम के हिस्से में 5 बीघा जमीन आई थी. उसी पर खेती कर के वह अपने परिवार का खर्च चलाता था. उसे शराब की बुरी लत लग गई थी. रोज शाम को वह शराब ले कर बैठ जाता और घंटों पीता रहता. कालीचरण भी मधौया गांव में रहता था. आपराधिक प्रवृत्ति का कालीचरण 40 साल की उम्र में भी अविवाहित था. वह तंत्रमंत्र व झाड़फूंक के नाम पर भी लोगों को ठगने का काम करता था.

कालीचरण और तेजराम में दोस्ती थी. इसी दोस्ती के चलते कालीचरण का तेजराम के घर आनाजाना शुरू हो गया. कालीचरण की नजर तेजराम की पत्नी हीराकली पर गई तो पहली नजर में ही वह उस के दिल में उतर गई. तेजराम के घर पर वह तेजराम से बात जरूर करता था लेकिन उस की निगाहें बारबार हीराकली पर ही जा कर रुकती थीं. हीराकली को भी कालीचरण अच्छा लगा था.

कालीचरण की भूखी नजरों की चुभन उस की देह को सुकून पहुंचाती थी. तेजराम और कालीचरण में दोस्ती कराने में सब से बड़ा हाथ शराब का था. रोज शाम को दोनों बैठ कर साथसाथ शराब पीते और खाना खाते.

कालीचरण जानबूझ कर खुद कम पीता और तेजराम को ज्यादा पिला देता. तेजराम के बेसुध होने पर वह हीराकली से जी भर कर बातें करता और उस की खूबसूरती की खूब तारीफ करता.

धीरेधीरे हीराकली को भी उस की बातों में रस आने लगा और उस की बातें, उस का साथ उसे भाने लगा. इस दौरान मौका मिलने पर कालीचरण हीराकली के जिस्म को भी छू लेता था. कालीचरण की मंशा हीराकली से छिपी नहीं रह सकी.

कालीचरण की चाहत भरी आंखों और मजबूत कदकाठी देख कर मीना का भी दिल डोल गया था. इस का एक कारण यह था कि कालीचरण हीराकली से संजीदगी और इज्जत के साथ बातचीत करता था, जबकि तेजराम उस के साथ बेहूदगी से पेश आता था. साथ ही शराब के नशे में उस के साथ मारपीट करता था.

हीराकली दिल के तराजू में तेजराम और कालीचरण को कई बार तौल चुकी थी. उसे हर बार तेजराम के मुकाबले कालीचरण का ही पलड़ा भारी नजर आया था.

कालीचरण तो पहले से ही हीराकली पर आसक्त था. वह उस के सौंदर्य को अपनी बांहों में समेटने की चाहत रखता था. बस देर थी तो अपनी चाहत का इजहार करने की.

कहते हैं कि जहां चाह होती है वहां राह निकल ही आती है. आखिर एक दिन कालीचरण को हीराकली के सामने अपने दिल की बात कहने का मौका मिल ही गया और उस के बाद दोनों के बीच वह रिश्ता बन गया, जो दुनिया की नजर में अनैतिक कहलाता है.

जब तन से तन का रिश्ता कायम हुआ तो फिर दोनों उसे बारबार दोहराने लगे. तेजराम जैसे ही खेतों पर जाने के लिए निकलता तो हीराकली कालीचरण को फोन कर देती. कालीचरण तुरंत उस के पास आ धमकता और फिर दोनों अपनी हसरतें पूरी करते.

यह राज आखिर कब तक राज बना रहता. आखिर दोनों की रंगरलियों की पोल खुल गई. एक दिन तेजराम हीराकली से यह कह कर घर से निकला कि वह काम से शहर जा रहा है और रात तक लौटेगा.

तेजराम के निकलते ही हीराकली ने कालीचरण को फोन कर के बता दिया कि आज मौका अच्छा है, इसलिए वह तुरंत आ जाए. कालीचरण भी बिना ज्यादा देर किए हीराकली के घर पहुंच गया.

आते ही उस ने हीराकली के गले में अपनी बांहों का हार डाल दिया, ‘‘अरे, यह क्या कर रहे हो, थोड़ा सब्र तो करो.’’ हीराकली कसमसाते हुए बोली.

‘‘कुआं जब सामने हो तो प्यासे को सब्र थोड़े ही होता है.’’

‘‘तुम्हारी इन्हीं बातों ने मुझे दीवाना बना रखा है. न दिन को चैन मिलता है और न रातों को. पता है, जब मैं तेजराम के साथ होती हूं तो केवल तुम्हारा ही चेहरा मेरे सामने होता है.’’ हीराकली ने इतना कह कर कालीचरण के गालों को चूम लिया. कालीचरण से भी नहीं रहा गया, वह हीराकली को बांहों में उठा कर पलंग पर ले गया. फिर दोनों के बीच कामक्रीड़ा शुरू हो गई.

इसी बीच दरवाजा खटखटाने की आवाज आई तो दोनों के दिमाग से वासना का ज्वार उतर गया. हीराकली ने किसी तरह अपने अस्तव्यस्त कपड़ों को ठीक किया और दरवाजा खोलने भागी. जैसे ही उस ने दरवाजा खोला, सामने तेजराम को देख कर उस के चेहरे का रंग उड़ गया.

‘‘तुम इतनी जल्दी कैसे आ गए?’’ हकलाते हुए हीराकली ने पूछा.

‘‘क्यों…क्या मुझे अपने घर में आने के लिए भी किसी से इजाजत लेनी होगी? अब दरवाजे पर ही खड़ी रहोगी या मुझे अंदर भी आने दोगी.’’ तेजराम बोला.

हीराकली को एक तरफ धकेलता हुआ तेजराम अंदर घुसा तो सामने कालीचरण को देख कर उस का माथा ठनका, ‘‘अरे, तुम कब आए?’’

तेजराम ने पूछा तो कालीचरण से था लेकिन वह घूर रहा था हीराकली को. हीराकली का व्यवहार उसे कुछ अजीब सा लगा. वह खुद को असहज महसूस कर रही थी. उस के बाल बिखरे हुए थे, माथे की बिंदी गले पर चिपकी हुई थी. कालीचरण भी परेशान सा दिख रहा था. कुछ देर इधरउधर की बातें करने के बाद कालीचरण वहां से चला गया.

उस के जाने के बाद तेजराम ने हीराकली से सीधा सवाल दागा, ‘‘कालीचरण यहां क्या करने आया था?’’

‘‘मुझे क्या पता, तुम से ही मिलने आया होगा.’’ हकलाते हुए हीराकली बोली.

‘‘लेकिन मुझ से तो उस ने कोई बात नहीं की.’’

‘‘अब मैं क्या जानूं, यह तो तुम्हें ही पता होगा.’’ हीराकली ने कहा तो तेजराम गुस्से का घूंट पी कर रह गया. दरअसल, सब कुछ समझते हुए भी वह उस समय कुछ नहीं बोला.

तेजराम को एक बार हीराकली और कालीचरण के संबंधों के बारे में शक पैदा हुआ तो वह फिर बढ़ता ही गया. तेजराम ने सख्ती का रुख अख्तियार कर लिया. वह घुमाफिरा कर पहले हीराकली से कालीचरण के आने के बारे में पूछता. हीराकली तेजराम की बातों का उलटासीधा जवाब देती तो वह उस की पिटाई कर देता.

इसी बीच तेजराम बीमार पड़ गया. ऐसा बीमार पड़ा कि चारपाई से लग गया. कुछ दिन में ही आंत फटने से उस की मौत हो गई. पति की मौत के बाद तो हीराकली आजाद हो गई. तेजराम की 5 बीघा जमीन भी हीराकली को मिल गई. बाकी 5 बीघा जमीन देवर चेतराम के नाम थी. हीराकली की नजर उस जमीन पर भी थी.

उस ने चेतराम से खुद के साथ विवाह करने की बात कही तो चेतराम ने उसे बड़े तीखे स्वर में जवाब दिया कि वह उस के 2 भाइयों को तो खा चुकी, क्या अब उसे भी खाना चाहती है. चेतराम के इस जवाब पर हीराकली कुछ नहीं बोली.

इस के बाद 3 दिसंबर, 2019 को पीलीभीत के दियोरिया कलां थाना क्षेत्र में जादोपुर-रंभोजा गांव के लोगों ने सड़क किनारे एक अज्ञात युवक की लाश पड़ी देखी. लाश के पास कुछ दूरी पर बाइक भी पड़ी थी. गांव के किसी व्यक्ति ने इस की सूचना दियोरिया कलां थाने को दे दी.

सूचना पा कर थानाप्रभारी शहरोज अनवर पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. मृतक की उम्र लगभग 30-32 साल रही होगी. उस के गले में कंटीला तार कसा हुआ था. उस की आंखें भी फूटी हुई थीं. हत्यारे ने बड़ी बेदर्दी से हत्या को अंजाम दिया था.

मृतक के कपड़ों की तलाशी ली गई तो उस की जेब से एक मोबाइल फोन मिला. उस मोबाइल में एक नंबर भाभी के नाम से सेव था. थानाप्रभारी शहरोज अनवर ने उस नंबर पर फोन किया तो दूसरी ओर से किसी महिला ने उठाया.

पूछने पर उस ने अपना नाम हीराकली और गांव का नाम मंधोया बताया. डायल किए गए नंबर के बारे में पूछने पर उस ने वह नंबर अपने देवर चेतराम का बताया. थानाप्रभारी ने चेतराम की लाश मिलने की बात उसे बता दी.

कुछ ही देर में हीराकली मौके पर पहुंच गई. उस ने लाश की शिनाख्त अपने देवर चेतराम के रूप में की और लाश के पास मिली बाइक को चेतराम की बताया. थानाप्रभारी अनवर ने बाइक को कब्जे में ले कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी.

इस के बाद पुलिस ने हीराकली की तहरीर के आधार पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. थानाप्रभारी शहरोज अनवर ने गांव वालों से पूछताछ की तो उन्होंने चेतराम की हत्या में सीधे कालीचरण का नाम लिया. उन्होंने बताया कि कालीचरण और हीराकली के बीच अवैध संबंध हैं.

इस के बाद थानाप्रभारी ने हीराकली के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. घटना की रात हीराकली के नंबर पर एक नंबर से फोन आया था. वह नंबर कालीचरण का था. इस का मतलब यह था कि घटना में कालीचरण के साथ हीराकली भी शामिल थी.

6 दिसंबर, 2019 को सुबह साढ़े 6 बजे मकरंदापुर तिराहे पर किसी महिला के दवा मांगने पर कालीचरण उसे दवा देने आया था. मुखबिर से सूचना मिलने पर थानाप्रभारी शहरोज अनवर ने अपनी टीम के साथ वहां पहुंच कर कालीचरण को गिरफ्तार कर लिया.

इस के बाद हीराकली को भी गिरफ्तार कर लिया गया. थाने ला कर जब दोनों से पूछताछ की गई तो दोनों ने पूरी कहानी बयां कर दी.

हीराकली पति तेजराम के न होने से आजाद हो गई थी. कालीचरण बेरोकटोक उस के घर आताजाता और उस के पास घंटों पड़ा रहता. यह बात पूरा गांव जानता था. चेतराम को भी इस बारे में पता चल गया था. उस ने नजर रखी तो बात सच निकली.

यह बात चेतराम को बहुत अखरी. भाभी को गांव भर में सरेआम इज्जत उछालना चेतराम से बरदाश्त नहीं हो रहा था. उस का हीराकली से रोज विवाद होने लगा. इसी बीच चेतराम ने अपनी एक बीघा जमीन बेच दी. इस पर हीराकली चेतराम से खूब लड़ी.

हीराकली ने अपने संबंधों के बीच चेतराम को आते देखा तो वह उस से छुटकारा पाने का रास्ता सोचने लगी. वैसे भी उस के हटने से उसे दोहरा लाभ होने वाला था.

एक तो वह उस के हटने के बाद कालीचरण के साथ आराम से जिंदगी बिता सकती थी, दूसरा चेतराम की शेष 4 बीघा जमीन भी उसे मिल जाती. उसे यह भी डर था कि कहीं अपनी बाकी जमीन भी चेतराम न बेच दे.

उस ने कालीचरण को पूरी बात बताई कि चेतराम के मरने से उन दोनों का किस तरह फायदा होगा. कालीचरण वैसे भी अपराधी किस्म का था. अपने 2 साथियों पराग यादव और धर्मवीर के साथ गोरखपुर के रामदास यादव की हत्या कर के गांव भाग आया था. इसलिए जब हीराकली ने चेतराम को ठिकाने लगाने की बात कही तो वह उस की बात मानने को तैयार हो गया.

2 दिसंबर की रात कालीचरण चेतराम को शराब पिलाने के बहाने ले गया. चेतराम अपनी बाइक से उस के साथ गया. शराब खरीद कर वे दोनों घर से लगभग 7 किलोमीटर दूर जादोपुर और रंभोजा गांव के बीच सड़क किनारे बैठ कर शराब पीने लगे. कालीचरण ने चेतराम को अधिक शराब पिलाई.

चेतराम के नशे में धुत होने पर कालीचरण ने कंटीले तार से उस का गला कस दिया. इस के बाद उस ने गुस्से में चेतराम की आंखें भी फोड़ दीं. चेतराम को मौत के घाट उतारने के बाद उस ने हीराकली को फोन कर के चेतराम की हत्या कर देने की सूचना दे दी और वहां से फरार हो गया.

लेकिन दोनों गुनाह कर के बच न सके और कानून की गिरफ्त में आ गए. आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्य- सत्यकथा, फरवरी 2020

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