रविवार की सुबह 6 बजे अलार्म की आवाज ने मेरी नींद खोल दी. मेरा पार्क में घूमने जाने का मन तो नहीं था पर मानसी और वंदना के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के मजबूत इरादे ने मुझे बिस्तर छोड़ने की प्रेरणा दी.
करीब 4 महीने पहले वंदना के पति रोहित से मेरा परिचय एक पार्टी में हुआ था. वह बंदा ऐसा हंसमुख और जिंदादिल निकला कि उसी दिन से हम अच्छे दोस्त बन गए थे. जल्द ही मानसी और वंदना भी अच्छी सहेलियां बन गईं. फिर हमारा एकदूसरे के घर आनाजाना बढ़ता चला गया.
करीब 2 हफ्ते पहले रोहित को अपने एक सहयोगी दोस्त की बरात में शामिल हो कर देहरादून जाना था. तबीयत ढीली होने के कारण वंदना साथ नहीं जा रही थी.
‘‘मोहित, तुम मेरे साथ चलो. हम 1 दिन के लिए मसूरी भी घूमने चलेंगे.’’ सारा खर्चा मैं करूंगा. यह लालच दे उस ने मुझ से साथ चलने की हां करवा ली थी.
घूमने के लिए अकेले उस के साथ घर से बाहर निकल कर मुझे पता लगा कि वह एक खास तरह की मौजमस्ती का शौकीन भी है.
दिल्ली से बरात की बस चलने के थोड़ी देर बाद ही मैं ने नोट कर लिया था कि निशा नाम की एक स्मार्ट व सुंदर लड़की के साथ उस की दोस्ती कुछ जरूरत से ज्यादा ही गहरी है वे दोनों एक ही औफिस में काम करते थे.
‘‘इस निशा के साथ तुम्हारा चक्कर चल रहा है न?’’ रास्ते में एक जगह चाय पीते हुए मैं ने उसे एक तरफ ले जा कर पूछा.
‘‘मैं तुम्हें सच बात तभी बताऊंगा जब वापस जा कर तुम वंदना से मेरी शिकायत नहीं लगाओगे,’’ उस ने मेरी पीठ पर दोस्ताना अंदाज में 1 धौल जमा कर जवाब दिया.
‘‘तुम्हारा सीक्रेट मेरे पास सदा सेफ रहेगा,’’ मैं भी शरारती अंदाज में मुसकराया.
‘‘थैंकयू. आजकल इस शहंशाह की खिदमत यह निशा नाम की कनीज ही कर रही है. तुम्हारा भी इस की सहेली के साथ चक्कर चलवाऊं?’’
‘‘अरे, नहीं. ऐसे चक्कर चलाने में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है,’’ मैं ने घबरा कर जवाब दिया.
‘‘चक्कर मत चलाना पर हंसबोल तो लो उस रूपसी के साथ,’’ शरारती अंदाज में मेरी कमर पर 1 और धौल जमाने के बाद वह निशा और उस की सहेली की तरफ चला गया.
निशा की सहेली शिखा ज्यादा सुंदर तो नहीं थी पर उस में गजब की सैक्स अपील थी. यात्रा के दौरान वह बहुत जल्दी खुल कर मेरी दोस्त बन गई तो बरात में शामिल होने का मेरा मजा कई गुना बढ़ गया.
अगले दिन सुबह बरात के साथ वापस न लौट कर हम दोनों टैक्सी से मसूरी पहुंच गए. जिस होटल में हम रूके वहां निशा और शिखा को पहले से ही मौजूद देख कर मैं बहुत हैरान हो उठा.
‘‘इन दोनों के साथ मसूरी में घूमने का मजा ही कुछ और होगा,’’ ऐसा कह कर रोहित ने मेरे सामने पहली बार निशा को अपनी बांहों में भरा.
दोस्तों की सोच और व्यवहार का हमारे ऊपर बहुत प्रभाव पड़ता है. अपनी पत्नी मानसी को धोखा दे कर कभी किसी और लड़की के साथ चक्कर चलाने का विचार मेरे मन में नहीं आया था. यह रोहित की कंपनी का ही असर था कि शिखा के साथ की कल्पना कर मेरे मन में गुदगुदी सी होने लगी थी.
हम दिन भर उन दोनों साथ मसूरी में घूमे. रात को रोहित उन दोनों के कमरे में चला गया. फिर शिखा मेरे कमरे में आ गई.
रोहित के साथ मैं ने जो शराब पी थी उस के नशे ने मेरे मन की सारी हिचक और डर को गायब कर दिया. उस पल ये विचार मेरे मन में नहीं उठे कि मैं कोई गलत काम कर रहा हूं या मानसी को धोखा दे रहा हूं.
शिखा ने पूर्ण समर्पण से पहले ही अपने पर्स से 1 कंडोम निकाल कर मुझे थमा दिया. उस की इस हरकत से मुझे तेज झटका लगा. मेरे मन में फौरन यह विचार उठा कि वह कौलगर्ल है और फिर देखते ही देखते उस के साथ मौजमजस्ती करने का भूत मेरे सिर से उतर गया.
‘‘मेरा मन बदल गया है. प्लीज, तुम सो जाओ,’’ पलंग से उतर मैं बालकनी की तरफ चल पड़ा.
‘‘आर यू श्योर?’’ वह मुझे विचित्र सी नजरों से देख रही थी.
‘‘बिलकुल.’’
‘‘सुबह रोहित से किसी तरह की शिकायत तो नहीं करोगे?’’
‘‘अरे, नहीं.’’
‘‘ वैसे मन न माने तो मुझे कभी भी उठा लेना.’’
‘‘श्योर.’’
‘‘पैसे वापस मांगने का झंझट तो नहीं खड़ा करोगे?’’
‘‘नहीं,’’ उस के प्रोफैशनल कौलगर्ल होने के बारे में मेरा अंदाजा सही निकला.
अगली सुबह मेरी प्रार्थना पर शिखा हमारे
बीच यौन संबंध न बनने की बात रोहित व निशा को कभी न बताने के लिए राजी हो गई.
सुबह उठ कर रोहित ने आंखों में शरारती चमक भर कर मुझ से पूछा, ‘‘कैसा मजा आया मेरे यार? मसूरी से पूरी तरह तृप्त हो कर चल रहा है न?’’
‘‘बिलकुल,’’ मैं ने कुछ शरमाते हुए जवाब दिया तो उस के ऊपर हंसी का दौरा ही पड़ गया.
‘‘अपना इस मामले में नजरिया बिलकुल साफ है, दोस्त महीने में 1-2 बार मुंह का स्वाद बदल लो तो पत्नी से ऊब नहीं होती है.’’
‘‘तुम ठीक कह रहे हो, गुरूदेव.’’
‘‘चेले, एक बात साफ कह देता हूं. अगली बार ऐसी ट्रीट तुम्हारी तरफ से रहेगी.’’
‘‘श्योर, पर…’’
‘‘पर क्या?’’
‘‘मुझे इस रास्ते पर नहीं चलना हो तो तुम नाराज तो नहीं हो जाओगे न?’’
‘‘अब तो तुम्हारे मुंह खून लग गया है. तुम मेरे साथ मौजमस्ती करने निकला ही करोगे,’’ अपने इस मजाक पर उस का ठहाका लगा कर हंसना मुझे अच्छा नहीं लगा.
हम दोनों वापस दिल्ली आए तो पाया कि वंदना की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई थी.
‘‘खांसीबुखार अभी भी था. रात से पेट भी खराब होने के कारण बहुत कमजोरी महसूस हो रही थी,’’ अपने रोग के लक्षण बताते हुए वंदना की आवाज बहुत कमजोर लगा रही थी.
‘‘तुम ने जरूर कुछ गड़बड़ खा लिया होगा,’’ रोहित ने उस का माथा चूमते हुए कहा.
‘‘आप मेरी खराब तबीयत को हलके में ले रहो हो…. आप को मेरी चिंता है भी या नहीं?’’ कहतेकहते वंदना रो पड़ी.
‘‘मैं आराम करने से पहले तुम्हें डाक्टर को दिखा लाता हूं.’’ रोहित का यह आदर्श पति वाला बदला रूप देख कर मैं ने मन ही मन उस के कुशल अभिनय की दाद दी.
वंदना की तबीयत सप्ताह भर के इलाज के बाद भी नहीं सुधरी तो मैं उन दोनों को अपने इलाके के नामी डाक्टर उमेश के पास ले गया.
डाक्टर उमेश ने वंदना की जांच करने के बाद कुछ टैस्ट लिखे और फिर गंभीर लहजे में रोहित से बोले, ‘‘एचआईवी का टैस्ट आप को भी कराना पड़ेगा.’’
डाक्टर की बात सुन कर वंदना ने जिस डर, गुस्से व नफरत के मिलेजुले भाव आंखों में ला कर रोहित को घूरा था, उस रोंगटे खड़े करने वाले दृश्य को मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकूंगा.
मैं तो डाक्टर की बात सुन कर मन ही मन बहुत बुरी तरह से डर गया था. मैं ने उसी रात मन ही मन कभी न भटकने का वादा खुद से कर लिया. क्षणिक मौजमस्ती
के लिए अपनी व अपनों की जान को दांव पर लगाना कहां की समझदारी हुई?
रोहित और वंदना दोनों की एचआईवी की रिपोर्ट नैगेटिव आई थी. इस कारण उन के 3 साल के बेटे राहुल की एचआईवी जांच नहीं करानी पड़ेगी.
वंदना के लगातार चल रहे बुखारखांसी का कारण उसे टीबी हो जाना था. अंदाजा यह लगाया गया कि यह बीमारी उसे अपने ससुरजी से मिली थी, जिन का देहांत कुछ महीने पहले ही हुआ था.
यह देख कर मुझे बहुत अफसोस होता है कि रोहित ने पूरे घटनाक्रम से कोई सीख नहीं ली. कई बार शादी के बाद पतिपत्नी के रिश्ते बहुत ज्यादा मजबूत नहीं होते पर रोहित यह समझने को तैयार नहीं कि कौलगर्ल से संबंध बना कर अपनी व अपने जीवनसाथी की जिंदगी को दांव पर लगाना बहुत खतरनाक है.
आजकल वंदना से उस का बहुत झगड़ा होता है.
‘‘मैं इधरउधर मुंह मारने वाले इस इंसान को अपने साथ सोने का अधिकार अब कभी नहीं दूंगी.
मानसी से मुझे पता चला है कि वंदना अपने इस कठोर फैसले से हिलने को कतई तैयार नहीं है.
रोहित मुझ से मिलते ही वंदना की शिकायत करने लगता है, ‘‘वह मुझे अपने पास नहीं आने देती है. बेड़ा गर्क हो इस डाक्टर उमेश का जिस ने वंदना के मन में एचआईवी का वहम डाला. मेरी कमअक्ल पत्नी की जिद है कि मैं हर महीने उसे एचआईवी से मुक्त होने की रिपोर्ट ला कर दिखाऊं, नहीं तो अलग कमरे में सोऊं.’’
‘‘उस का डरना व गुस्सा करना अपनी जगह ठीक है. एचआईवी का संक्रमण तुम्हारी पत्नी को ही नहीं, बल्कि आने वाली संतान को भी यह खतरनाक बीमारी दे सकता है.’’
‘‘तुम्हें तो पता ही है कि इस मामले में मैं बचाव का पूरा ध्यान रखता हूं.’’
‘‘गलत काम करना पूरी तरह से छोड़ ही दो न.’’
‘‘तुम ऐसे दूध के धुले नहीं हो जो मुझे लैक्चर दो,’’ वह चिढ़ कर नाराज हो गया तो मैं ने चुप्पी साथ ली.
अब वंदना का स्वास्थ्य धीरेधीरे सुधर रहा था. वह अब हमारे साथ घूमने जाने लगी थी.
मैं ने मानसी के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया है. मोटापा कम करने के लिए मैं उसे सदा उत्साहित करता रहता हूं. नियमित रूप से ब्यूटीपार्लर जाया करे, ऐसी जिद भी मैं करने लगा हूं.
अलार्म की आवाज सुन कर मानसी उठना चाहती थी पर मैं ने उसे बांहों में कैद कर के अपनी छाती से लगा लिया. कुछ मिनट के रोमांस के बाद ही मैं ने उसे बिस्तर छोड़ने की इजाजत दी.
मानसी ने मेरे कान से मुंह सटा कर प्यार भरे स्वर में कहा, ‘‘आप बहुत बदल गए हो.’’
‘‘मुझ में आया बदलाव तुम्हें पसंद है न?’’ मैं ने शरारती लहजे में पूछा तो वह शरमाती हुई बाथरूम में चली गई.
मानसी की बात में सचाई है. उसे देखते ही मेरा मन भावुक हो जाता है. फिर उसे छाती से लगाए बिना मन को चैन नहीं मिलता है.
मौजमस्ती का शौकीन रोहित परस्त्री से यौन संबंध बनाने से बाज नहीं आ रहा है. मेरे लाख समझाने के बावजूद वह इस मीठे जहर के खतरे को देखना ही नहीं चाहता है.
जिस दिन उस की एचआईवी की रिपोर्ट पौजिटिव आ गई, उस दिन क्या वह बुरी तरह नहीं पछताएगा? उस जैसे जिंदादिल आदमी का एड्स का शिकार बन अपनी जिम्मेदारियां अधूरी छोड़ कर दुनिया से विदा हो जाना सचमुच एक बहुत बड़ी ट्रैजेडी होगी.