परिवार में पत्नी रमावती के अलावा 2 बेटियां थीं, नीलम (18 साल) और कोमल (15 साल). साथ ही 2 बेटे भी थे, शुभम (16 साल) और शिवम (13 साल). पूरनलाल भले ही कम पढ़ालिखा था लेकिन वह अपने सभी बच्चों को पढ़ा रहा था. नीलम बीएससी कर रही थी. शुभम 12वीं कक्षा में तो कोमल 10वीं में पढ़ रही थी.

किशोरावस्था में कदम रखते ही कोमल का रूप खिलने लगा था. खूबसूरत फिगर के साथ ही उस के चेहरे पर लुनाई भी आ गई थी. इस उम्र में पहुंचने पर मनचलों की निगाहें तीर की तरह चुभती हैं. कोमल के साथ भी ऐसा ही हुआ लेकिन वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रही थी.

लेकिन 24 वर्षीय सलमान कोमल को कुछ ज्यादा ही हसरतभरी निगाहों से देखता था. सलमान हरदोई जिले के ही थाना कछौना के गांव दुलारखेड़ा के रहने वाले मुनव्वर का बेटा था.

सलमान आसपास के गांवों से दूध कलेक्शन कर महिंद्रा पिकअप से संडीला स्थित पारस दूध कंपनी में पहुंचाता था. सलमान से पहले उस का पिता मुनव्वर दूध सप्लाई का काम करता था. पिता की मृत्यु के बाद यह काम सलमान ने संभाल लिया था. महिंद्रा पिकअप गाड़ी खजोहना गांव निवासी अब्दुल वदोद की थी.

दूधियों से दूध इकट्ठा करने के लिए सलमान रज्जाकखेड़ा गांव भी जाता था. वहीं पर एक दिन उस ने स्कूल जाती कोमल को देखा तो वह उस की खूबसूरती पर फिदा हो गया. वह उसे इतनी भा गई कि हर समय वह सिर्फ उसी के बारे में ही सोचता रहता. इतना ही नहीं, कोमल के स्कूल जाने के समय एक निश्चित जगह पर खड़ा हो जाता था.

सलमान और कोमल का आमनासामना हर रोज होता था. एक दिन कोमल की नजरें सलमान से टकराईं तो उस ने नजरें हटा लीं. उस ने दोबारा नजरें उठाईं तो पाया सलमान अब भी उसे ही देख रहा था. कोमल के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. दिल ने जब अपनी बेचैनी जाहिर की तो आंखें फिर सलमान की ओर पलट गईं. आंखें मिलते ही कोमल के होंठ न चाहते हुए भी अपने आप मुसकरा पड़े. इस के बाद कोमल जल्दीजल्दी कालेज की ओर चल पड़ी.

कहते हैं युवतियां युवकों की आंखों की भाषा पढ़ने में माहिर होती हैं. कोमल ने सलमान की आंखों की भाषा पढ़ ली थी. वह कालेज तो चली गई थी पर उस दिन उस का मन पढ़ाई में नहीं लगा. बारबार सलमान का चेहरा उस की आंखों के सामने घूम रहा था. उस का मन बेचैन था. वह दिन भर खोईखोई रही.

कालेज की छुट्टी हुई तो वह घर के लिए चल पड़ी. पर उस दिन वह रोज की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही तेज चल रही थी. वह उस जगह पर आई, जहां पर सलमान खड़ा था. लेकिन उस समय वहां कोई नहीं था. सलमान को न पा कर कोमल उदास हो गई और बेचैन हालत में घर आ गई.

अगले दिन सलमान उसे सुबह के समय तो नहीं दिखा लेकिन कालेज से वापस लौटी तो रास्ते में एक जगह पर सलमान बैठा मिल गया. उसे देखते ही कोमल खुश हो गई.

कोमल ने घर पहुंच कर बैग रखा और बिना कपड़े बदले ही छत पर चढ़ गई. कोमल के घर के पास ही एक दूधिया रहता था. सलमान उस दूधिए के घर ज्यादा समय बिताता था. सलमान की उस दूधिए से अच्छी दोस्ती थी. या कहें कि कोमल के घर के पास होने के कारण ही सलमान ने उस से दोस्ती बढ़ाई थी.

कोमल ने पड़ोसी दूधिए के घर की तरफ देखा, पर उसे सलमान नहीं दिखाई दिया. वह फिर उदास हो गई. उस का मन चाह रहा था कि एक बार वह सलमान का वही मुसकराता हुआ चेहरा देखे.

वह इन्हीं विचारों में खोई हुई थी कि नीचे से मां की आवाज सुनाई पड़ी, ‘‘अरे कोमल, आज तुझे क्या हो गया, आते ही छत पर चढ़ गई. कपडे़ भी नहीं बदले और खाना भी नहीं खाया. चल जल्दी आ जा, मुझे अभी बहुत काम करना है.’’

मां की बातें सुन कर कोमल ऊपर से ही बोली, ‘‘आई मां, थोड़ा टहलने का मूड था इसलिए छत पर आ गई थी.’’ कोमल ने एक बार फिर दूधिए की छत की तरफ देखा और फिर नीचे उतर आई.

रात को खाना खाने के बाद कोमल जा कर बैड पर लेट गई, लेकिन आंखों में नींद कहां थी. करवटें बदलते हुए जब नींद आई तो सपने में भी उसे सलमान का चेहरा दिखा.

उधर सलमान भी कम बेचैन नहीं था. सुबह को उस ने समय निकाल कर कोमल को देख लिया था, पर शाम को देर हो जाने के कारण वह उसे नहीं देख पाया था. वह अगले दिन की सुबह का इंतजार करने लगा.

दूसरे दिन सुबह कोमल जल्दी उठ गई और कालेज जाने की तैयारी करने लगी, लेकिन आज तो जैसे दिन ही काफी बड़ा हो गया था. आखिर इंतजार करते हुए कालेज जाने का समय हुआ तो कोमल कुछ ज्यादा ही सजधज कर घर से निकली.

वह उस स्थान पर जल्दी से पहुंच जाना चाहती थी, जहां खड़ा सलमान उसे निहारा करता था. पंख होते तो वह उड़ कर पहुंच जाती, पर उसे तो पैदल चल कर पहुंचना था. जैसेजैसे वह स्थान नजदीक आता जा रहा था, उस के दिल धड़कनें बढ़ती जा रही थीं. मन बेचैन होता जा रहा था.

वह उस स्थान के पास आ गई तो देखा सलमान की आंखें उसी हसरत से उसे ताक रही थीं, जिस तरह कल ताक रही थीं. आंखें चार हुईं तो कोमल के होंठ स्वत: मुसकरा उठे. उस का मन कह रहा था कि वह अपनी आंखें न हटाए. जब तक वह दिखाई देता रहा, कोमल पलटपलट कर उसे देखती रही.

दोनों सचमुच आंखों के रास्ते एकदूसरे के दिल में उतर गए थे. उस रात दोनों को नींद नहीं आई. बैड पर लेटे हुए बेचैनी बढ़ने लगी तो कोमल बैड से उठ कर छत पर आ गई. खुले आसमान के खुले वातावरण में उस ने गहरी सांस ली, फिर आसपास देखने लगी.

आसमान में तारे चमक रहे थे. उस ने उन तारों को गौर से देखा तो उसे लगा कि हर तारे में उस का सलमान मुसकराता हुआ दिखाई दे रहा है. इसी तरह आग दोनों तरफ लगी थी. दिन तो किसी तरह बीत जाता था लेकिन रात काटनी मुश्किल हो जाती थी.

रोज रात को दोनों सोचते कि कल अपने दिल की बात कह देंगे, लेकिन सुबह होती और दोनों एकदूसरे के सामने आते तो उन के दिल की धड़कनें तेज हो जातीं, पर दिल की बात जुबां पर नहीं आ पाती.

आखिर जब रहा और सहा नहीं गया तो सलमान ने एक तरीका खोज निकाला. उस ने अपने दिल की बात एक कागज पर लिख कर कोमल तक पहुंचाने का मन बना लिया. रोज की तरह उस दिन कोमल कालेज जाने के लिए निकली तो उस की मां ने पूछा, ‘‘कोमल, आज टिफिन ले जाने का इरादा नहीं है क्या?’’

‘‘नहीं मां, आज मुझे भूख नहीं है.’’ कह कर कोमल तेज कदमों से घर के बाहर निकल गई.

सलमान अपनी पूर्व निश्चित जगह पर उस दिन भी उस का इंतजार करता नजर आया. जैसे ही कोमल उस के नजदीक पहुंची, सलमान ने रात में लिखा वह प्रेम पत्र कोमल के सामने धीरे से फेंक दिया और बिना निगाह मिलाए वहां से चला गया. कोमल ने इधरउधर देखा, फिर डरतेडरते वह कागज चुपके से उठा कर अपने बैग में रख लिया और घबराई हुई सी कालेज चली गई.

कोमल कालेज तो पहुंच गई लेकिन उस का मन पढ़ाई में नहीं लगा. उस की जिज्ञासा उस कागज में लिखे मजमून के लिए अटकी हुई थी. कालेज में इंटरवल के दौरान उस ने कागज की तह को खोल कर देखा. उस में लिखा था—

मेरी प्रिय कोमल

मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं. मेरे प्यार को तुम कुबूल कर लोगी तो मैं अपने आप को खुशकिस्मत समझूंगा. वैसे मैं नहीं समझता कि मैं तुम्हारी जैसी लड़की के काबिल हूं, लेकिन यह दिल तो तुम पर ही फिदा है. अगर तुम मुझे चाहती हो तो इस नाचीज का प्यार स्वीकार कर लेना. तुम्हारे उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी.

तुम्हारे प्यार में पागल सलमान

कागज के उस टुकड़े का एकएक शब्द कोमल के दिल में उतर गया. पत्र पढ़ कर वह बल्लियों उछलने लगी. उस के मन की मुराद  पूरी हो गई थी. वह अपने को सौभाग्यशाली समझने लगी. उस ने अपने जीवन को सलमान को समर्पित करने का निर्णय ले लिया. इस के जवाब में कोमल ने पत्र लिख कर सलमान को दे दिया. पत्र में लिखा था—

मेरे दिल के सलमान

मैं दिल ही दिल में तुम्हें पहले से प्यार करती रही हूं, लेकिन कहने की हिम्मत नहीं कर सकी. तुम ने प्रेम का इजहार किया, उस के लिए शुक्रिया. मुझे तुम्हारा प्यार स्वीकार है.

सिर्फ तुम्हारी कोमल

पत्र मिलने के बाद सलमान के मन की सारी आशंकाएं समाप्त हो गईं. अब वह कोमल के बारे में सोचते हुए गहरे खयालों में खो गया. उस ने कोमल को ले कर जो सपने देखे थे, वे उसे पूरे होते दिखाई दे रहे थे. दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा.

पत्रों से शुरू हुआ प्यार वादों, कसमों, रूठनेमनाने से ले कर साथ जीनेमरने की प्रतिज्ञाओं तक पहुंच गया. दोनों में प्रेम भरी मुलाकातों के बीच एकदूसरे के होने की सौगंध ली कि वे अपने प्यार की आखिरी मंजिल को पा कर ही दम लेंगे, चाहे इस के लिए जान ही क्यों न चली जाए.

4 जनवरी, 2020 की रात सलमान पिकअप गाड़ी ले कर दूध कलेक्शन के लिए घर से निकला लेकिन देर रात तक वह दूध कंपनी नहीं पहुंचा तो दूध कंपनी से गाड़ी मालिक अब्दुल वदोद के पास फोन आया कि आज डेयरी में गाड़ी दूध ले कर नहीं आई है. इस के बाद अब्दुल वदोद ने सलमान के बड़े भाई असलम को जानकारी दी.

यह बात सुन कर असलम चिंता में पड़ गया. उस ने सलमान की तलाश शुरू कर दी तो कासिमपुर में रज्जाकखेड़ा गांव के बाहर उस की पिकअप गाड़ी खड़ी मिली, लेकिन सलमान वहां नहीं था. आसपास तलाश की गई तो पास में स्थित एक नाले में सलमान की लाश पड़ी मिली.

लाश मिलने की खबर सुन कर रज्जाकखेड़ा गांव के लोग वहां इकट्ठा हो गए. लोगों ने तरहतरह की बातें करनी शुरू कर दीं. रज्जाकखेड़ा गांव में ही सलमान और असलम के भी कुछ हितैषी थे. उन्होंने असलम को एकांत में ले जा कर गांव के ही राजेंद्र और पूरनलाल पर सलमान की हत्या का शक जताया.

रात एक बजे असलम ने कासिमपुर थाने में घटना की सूचना दे दी. सूचना पा कर इंसपेक्टर बृजेश सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. सलमान के शरीर पर किसी प्रकार के घाव के निशान नहीं थे. सिर पर पीछे की तरफ कुछ निशान मिले, जिस से अनुमान लगाया गया कि किसी भारी वस्तु से सिर पर प्रहार कर के सलमान को मौत की नींद सुलाया गया है.

थानाप्रभारी ने असलम और गांव वालों से आवश्यक पूछताछ करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय स्थित मोर्चरी भेज दी.

फिर थानाप्रभारी असलम को ले कर थाने आ गए. असलम ने रज्जाकखेड़ा गांव के राजेंद्र और पूरनलाल द्वारा 2 अन्य साथियों के साथ मिल कर सलमान की हत्या किए जाने का शक जताते हुए तहरीर दी.

इस तहरीर के आधार पर इंसपेक्टर बृजेश सिंह ने राजेंद्र और पूरनलाल व 2 अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

प्रारंभिक जांच में ही मामला प्रेम प्रसंग का निकला. गांव वालों ने दबी जुबान में सलमान का प्रेम प्रसंग पूरनलाल की छोटी बेटी कोमल से होना बताया.

सलमान की लाश भी पूरनलाल के घर के पास ही मिली थी. लाश मिलने पर पूरा गांव तो वहां पहुंच गया था लेकिन पास होने पर भी पूरनलाल व उस के घर का कोई सदस्य घटनास्थल पर नहीं पहुंचा था.

इस पर इंसपेक्टर बृजेश सिंह ने 10 जनवरी को पूरनलाल को हिरासत में ले कर कड़ाई से पूछताछ की तो उस ने अपनी पत्नी रमावती के साथ सलमान की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. पता चला कि लाश को ठिकाने लगाने में पूरनलाल की बड़ी बेटी नीलम ने भी उस का साथ दिया था.

पूरनलाल से पूछताछ के बाद इंसपेक्टर बृजेश सिंह ने रमावती और नीलम को भी उसी दिन गिरफ्तार कर लिया.

4 जनवरी, 2020 की रात सलमान पिकअप गाड़ी से दूध कलेक्शन के लिए रज्जाकखेड़ा गांव पहुंचा तो लगभग साढ़े 9 बजे कोमल से मिलने उस के घर पहुंच गया.

कोमल सलमान से बात कर ही रही थी कि पूरनलाल और रमावती ने दोनों को बातें करते देख लिया. इस पर पूरनलाल ने पीछे से सलमान के सिर पर डंडा मारा.

डंडे का वार इतना तेज और सटीक था कि सलमान नीचे गिर गया और कुछ ही देर में उस की मृत्यु हो गई. सलमान के मरने पर पूरनलाल और रमावती घबरा गए. इतने में वहां नीलम भी आ गई.

सलमान की हत्या में वे लोग फंस न जाएं, इसलिए उन्होंने उस की जेब से मोबाइल निकाला और तीनों उस की लाश घसीट कर पास के खेत में बह रहे नाले में डाल आए.

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लेकिन उन का गुनाह छिप न सका और तीनों पकडे़ गए. इंसपेक्टर बृजेश सिंह ने अभियुक्तों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त डंडा, सलमान का मोबाइल फोन और हत्या के समय पहनी गई रमावती की साड़ी बरामद कर ली.

आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद तीनों अभियुक्तों को सीजेएम के न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में कोमल नाम परिवर्तित है.

 

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